परिचय:-
जैसे कि हम जानते हैं की हम लोग उर्जा को विभिन्न विभिन्न तरीकों से उपजाते हैं, और उनका उपयोग करते हैं। इन्हीं तरीकों में से एक पवन ऊर्जा (Wind energy in Hindi) है। जो परंपरागत ऊर्जा के अंतर्गत आता है। इस पोस्ट के जरिए हम समझेंगे कि पवन ऊर्जा का उपयोग किस तरीके से करते हैं तथा यह किस प्रकार के क्षेत्रों में ज्यादा कारगर है।
पवन ऊर्जा (Wind energy in Hindi):-
हवा की गतिशील अवस्था को पवन या विंड (Wind) कहते हैं। हवा कि इस गतिशील अवस्था का उपयोग पवन ऊर्जा के रूप में करते हैं। पवन ऊर्जा का उपयोग विद्युत ऊर्जा उप जाने के लिए किया जाता है। वायु की गतिशील होने के पीछे दो कारक प्रभावित करते हैं।
पहला कारक:-
पृथ्वी पर पड़ने वाली सूर्य की किरणे के कारण वायुमंडल गरम ठंडा होता रहता है। इसके फलस्वरूप ही वायु में गतिशीलता पैदा होता है। जिसे हम संवाहन धाराएं (convection currents) कहते हैं।
जब सूर्य की किरणे पृथ्वी पर पड़ती है, तो यह जिस स्थान पर किरणे पड़ती है। उस स्थान की वायु गर्म हो जाती है। अब चुकी गरम वायु हल्की होती है, इसीलिए वह वायु उप्पर उठने लगती है। अर्थात अपना स्थान छोड़ने लगती है। अब चुकी इस खाली स्थान को भरना होता है इसीलिए इसको भरने के लिए आस – पास के ठंडी हवाएं आकार भर जाती हैं। जिसके कारण वायु गतिशील हो जाती है।
अब हम बात करते हैं, स्थल क्षेत्र जल क्षेत्र की तो स्थल क्षेत्र तथा जल क्षेत्र की तो अस्थल क्षेत्र का तापमान अपेक्षाकृत अधिक गर्म होता है जल क्षेत्र से। अतः अस्थल क्षेत्र की वायु गर्म होकर ऊपर उठती है। जिसको भरने के लिए जलीय क्षेत्र वाले हवाएं आती हैं।
इस प्रकार हवा गतिशील हो जाती है। यह स्थिति सामान्यतः समुद्र के किनारे देखने को मिलती है। दिन में हमारे जलीय क्षेत्र से स्थली क्षेत्र की ओर चलती हैं। और रात के समय ये हवाएं विपरीत दिशा में चलती है क्योंकि रात के समय भूमि क्षेत्र जल क्षेत्र की अपेक्षा जल्दी ठंडा होता है।
पहाड़ी क्षेत्रों में यह हवाएं भिन्न-भिन्न तरीकों से बहती है। पहाड़ी क्षेत्रों में दिन के समय ऊंचे वाले स्थानों पर वायु अपेक्षाकृत अधिक गर्म होती है, निचले वाले स्थानों के। अतः वायु दिन में पहाड़ी क्षेत्रों में ऊपर की तरफ उठती है जबकि रात्रि के समय या गति विपरीत होती हैं।
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दूसरा कारक:-
वायु के गतिशील होने का दूसरा कारक पृथ्वी का अपनी धुरी पर वायुमंडल के सापेक्ष घूमना है। और साथ – साथ सूर्य का चक्कर काटना है।
उपरोक्त व्याख्या से आपको समझ में आया होगा कि यह पवन ऊर्जा की मुख्य जड़ हमारा सूर्य से प्राप्त सौर ऊर्जा ही है। जैसे कि हमने पिछले पोस्ट में भी देखा कि बायोमास ऊर्जा में ईंधन का उत्पादन सौर ऊर्जा के द्वारा ही हुआ है। हम कह सकते हैं कि बायोमास ऊर्जा तथा पवन ऊर्जा की जननी सौर ऊर्जा ही है।
ऐसा माना जाता है कि पृथ्वी पर पवन ऊर्जा की उपलब्धि मात्रा 1.6 × 10⁷ मेगा वाट है। जो कि पृथ्वी पर ऊर्जा की कुल मांग के बराबर है।
पवन चक्की की संरचना (Structure of wind energy):-
पवन ऊर्जा के उपयोग पवन चक्की को स्थापित कर किया जाता है। यह पवनचक्की ऐसे स्थानों पर लगाए जाते हैं जहां पर बहुत ज्यादा तेज हवाएं चलने के साथ-साथ वहां पर खाली स्थान ज्यादा हो। या पवन चक्की लगभग समुद्र के किनारे ही बढ़ लगाए जाते हैं।
इसकी संरचना काफी बड़े साइज की होते हैं इसमें बहुत ही बड़े बड़े फैन ब्लेड लगे होते हैं। जो हवा के प्रभाव में आकर घूमते हैं। जब फैन घूमते हैं तो इससे जुड़े रोटर भी घूमते हैं और इस रोटर से एक विद्युत जनरेटर लगा होता है, जो इस सॉफ्ट के घूमने से घूमती है। और यह जनरेटर बिजली पैदा करता है।

पवन ऊर्जा का उपयोग(Uses of wind energy in Hindi):-
जैसा कि अब हम लोग को पता चल ही गया है कि पवन ऊर्जा मुख्यतः सौर ऊर्जा का ही रूपांतरित स्वरूप है। पवन ऊर्जा का उपयोग करने के लिए पवन चक्की लगाया जाता है। जिसके द्वारा बिल्कुल प्रयोग करते हैं।
पवन ऊर्जा के द्वारा हम विद्युत ऊर्जा के उत्पादन के अलावा यांत्रिक ऊर्जा का उत्पादन भी करते हैं। जिसका उपयोग वाटर लिफ्टिंग के लिए तथा वाटर पंपिंग के लिए भी किया जाता है।
अगर हम भारत में पवन ऊर्जा के उपयोग की बात करें तो हम देखते हैं कि भारत की जलवायु में वायु की ओवरऑल गति कम होती है। अतः हम अधिकतर क्षेत्रों में कम लागत और कम गति वाले पवन चक्की को लगाते हैं। ताकि इन पवन चक्की से छोटे स्तर वाले काम जैसे छोटे स्तर के सिंचाई के काम, पीने के पानी के काम आदि हो सके।
भारत के किसी – किसी क्षेत्र में वायु की गति अपेक्षाकृत अधिक होती है। जैसे कि समुद्री क्षेत्र पश्चिमी राजस्थान और मध्य भारत में। इन क्षेत्रों में हम बड़े आकार के तथा मध्यम साइज के पवन चक्कियों का उपयोग करके हम विद्युत उत्पादन करते हैं।
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पवन ऊर्जा के लाभ (advantages of wind energy in Hindi):-
पवन ऊर्जा के नियम लाभ है।
- पवन ऊर्जा का सबसे बड़ा लाभ लिया है कि यह ऊर्जा के नवीनीकरण स्रोत है।
- इस ऊर्जा को उपजाने में किसी भी प्रकार की प्रदूषण की संभावना नहीं होती है। अर्थात या प्रदूषण रहित होता है।
- इसमें कोई भी अलग से इंधन की आवश्यकता नहीं होती है
- इससे प्राप्त विद्युत ऊर्जा अन्य स्रोतों से प्राप्त विद्युत ऊर्जा से कम कीमत वाली होती है। क्योंकि इसमें मेंटेनेंस का लागत कम आता है।
पवन ऊर्जा के दोष ( Disadvantages of wind energy in Hindi):-
इसमें हानि भी निम्न प्रकार के होते हैं।
- पवन ऊर्जा के द्वारा प्राप्त ऊर्जा में ज्यादा उतार-चढ़ाव होता है, क्योंकि इसमें हवा की गति हमेशा बढ़ती और घटती रहती है। अतः उर्जा को स्टेबल रखने के लिए बड़े-बड़े यंत्रों का उपयोग करना पड़ता है।
- पवन ऊर्जा के संयंत्रों का उपयोग करते समय यह काफी ध्वनि पैदा होता है जो दूर दूर तक सुनाई देता है।
- पवन ऊर्जा से विद्युत ऊर्जा पैदा करने के लिए बहुत बड़े क्षेत्र की आवश्यकता होती है।