उर्जा क्या होता है | What is Energy in hindi | Renewable Energy in hindi

परिचय (Introduction to Energy) :-

जब से पृथ्वी अस्तित्व में आया है और जब से हम मानव जाति इस पृथ्वी पर अस्तित्व में आए हैं तब से हमें उर्जा की जरूरत पड़ने लगी है। हम मानव जाति सैकड़ों हजारों साल पहले से ही ऊर्जा की जरूरत को पूरा करने के लिए अलग-अलग प्रकार से ऊर्जा को पैदा करते आए हैं।

क्योंकि हम मानव जाति को विभिन्न प्रकार के कार्यों को करने के लिए ऊर्जा की जरूरत पड़ती है। यदि इस के संदर्भ में सबसे बेसिक उदाहरण लें तो हमें अपने शरीर को फुर्तीला और स्वस्थ बनाए रखने और चलने फिरने के लिए भी ऊर्जा की जरूरत पड़ती है। जो हमें अपने खाने से प्राप्त होता है। यह ऊर्जा की जरूरत का सबसे बेसिक और प्राथमिक उदाहरण है।

उर्जा
energy symbolic images

इसी प्रकार मनुष्य को अन्य कार्य करने के लिए जैसे खाना पकाना, रात में उजाले के लिए, भारी भरकम सामानों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए आदि प्रकार के काम के लिए हमें अतिरिक्त ऊर्जा की जरूरत पड़ती है।

मनुष्य इन्हीं सभी का अतिरिक्त जरूरतों को पूरा करने के लिए ऊर्जा के विभिन्न स्रोतों का इस्तेमाल करता है। आदि काल में मनुष्य ऊर्जा के रूप में बायोमास ऊर्जा (Biomass Energy) को इस्तेमाल करता था।  लेकिन समय के साथ-साथ मनुष्य जैसे-जैसे हर क्षेत्र में तेजी से विकास किया वैसे वैसे ही ऊर्जा प्राप्त करने के लिए अलग-अलग स्रोतों को भी खोजा।

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मनुष्य द्वारा उपयोग में लाए जाने वाला वर्तमान उर्जा के स्रोत :-

अगर हम वर्तमान समय की बात करें तो आजकल का मानव सभ्यता विज्ञान के क्षेत्र में बहुत ही एडवांस रूप में विकास किया है। लेकिन अभी भी हम ऊर्जा स्रोतों के रूप में अधिकतर जीवाश्म ईंधन (Fossil Fuel) का ही प्रयोग कर रहे हैं। और यही कारण है कि इस प्रकार की ऊर्जा स्रोतों का भंडारण खत्म होने की कगार पर है।

जीवाश्म ईंधन (Fossil Fuel in hindi):-

जीवाश्म ईंधन वह इंधन होता है, जो लाखों करोड़ों साल जमीन के नीचे चट्टानों के नीचे दबे जीव जंतु पेड़ पौधों से मिलता है। जीवाश्म ईंधन के रूप में हमें कोयला पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस प्राप्त होता है। जिसे हम ऊर्जा प्राप्त करने के लिए बहुत ही बड़े पैमाने पर प्रयोग करते हैं।

जीवाश्म इंधन को लेकर अमेरिका के जाने-माने बिजनेसमैन एलन मस्क का कहना है, कि यह हमारी दुर्भाग्य की बात है कि अभी भी हम जीवाश्म ईंधन पर निर्भर हैं। जब कि हमने लोगों को कहते सुना है, कि विज्ञान बहुत आगे जा चुका है। उनका मानना है, कि सही मायने में विकास तभी माना जाएगा जब हम जीवाश्म ईंधन का प्रयोग लगभग ना के बराबर करें और कार्बन का उत्सर्जन भी ऊर्जा पैदा करने के लिए लगभग ना के बराबर करें।

जीवाश्म ईंधन का प्रयोग करने से हानि (Disadvantages of using fossil fuel):-

जीवाश्म ईंधन जितनी ज्यादा सुगमता से अधिक उर्जा हमें देता है उतनी ही ज्यादा हानि प्रद भी होता है। इसके प्रयोग से सबसे ज्यादा कार्बन का उत्सर्जन होता है। जो कि हमारे वातावरण में वायु प्रदूषण की मात्रा को बढ़ाता है। यही कारण है कि आजकल वायु प्रदूषण की मात्रा मेट्रो सिटीज में बहुत ज्यादा देखने को मिलती है। अतः इस समय पूरी दुनिया जीवाश्म इंधन की जगह अलग ऊर्जा के स्रोतों को विकसित करने में तथा उसका बड़े स्केल पर प्रयोग में लाने में जुट गई है।

उर्जा की अन्य वैकल्पिक स्रोत (Alternate sources of Energy):-

बेसिक तौर पर कहा जाए तो ऊर्जा की मुख्य दो श्रोत होते हैं। पहला परंपरागत स्रोत जिसके अंतर्गत जीवमश्म ईंधन आते हैं। तथा दूसरा गैर परंपरागत स्रोत इसके अंतर्गत ऐसे स्रोत आते हैं जो पुनः पुनः इस्तेमाल किए जा सकते हैं। इसे हम रिन्यूएबल सोर्सेस आफ एनर्जी (Renewable resources of energy) कहते हैं। ऐसे स्रोत हमें लगातार ऊर्जा प्रदान करते हैं। यह स्रोत निम्न प्रकार के होते हैं।

  1. सौर ऊर्जा (Solar energy)
  2. बायोमास ऊर्जा (Biomass Energy)
  3. पवन ऊर्जा (Wind Energy)
  4. ज्वार ऊर्जा (Tidal Energy)
  5. भू – तापीय ऊर्जा (Geo – Thermal Energy)
  6. माइक्रो हाइडल ऊर्जा (Micro – Hydel Energy)

सौर ऊर्जा (Solar energy):-

पृथ्वी पर जीवन का अस्तित्व होने का सबसे बड़ा कारण है सौर ऊर्जा। सौर ऊर्जा का मतलब होता है कि सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊर्जा। इसे अंग्रेजी में सोलर एनर्जी (Solar energy) कहते हैं। अगर सबसे बड़ा ऊर्जा स्रोत कहा जाए तो पृथ्वी पर सबसे बड़ा ऊर्जा का स्रोत सूर्य ही है। सूर्य से मिलने वाली ऊर्जा से हमारे पृथ्वी पर पेड़ पौधे उगते हैं। और इन्हीं पेड़ पौधों का दूसरे जीव – जंतु सेवन कर अपने लिए ऊर्जा ग्रहण करते हैं। यह साइकिल लगातार बनी रहती है, जिसके पीछे सूर्य का सौर ऊर्जा ही है।

सौर ऊर्जा को हम अन्य कई प्रकार से प्रयोग करते हैं जैसे कि सोलर पैनल के जरिए हम सोलर पावर को इलेक्ट्रिक पावर में बदलते हैं। और इलेक्ट्रिक पावर से चलने वाली यंत्र, जैसे मोटर पंप, लाइट आदि को इस्तेमाल करते हैं।

खाना पकाने के लिए हम सोलर कुकर का इस्तेमाल करते हैं हालांकि इस सोलर कुकर में खाना पकने में अपेक्षाकृत टाइम अधिक लगता है।

पानी को गर्म करने के लिए सोलर वाटर हीटर का प्रयोग करते हैं। जल हीटर भी अलग-अलग प्रकार के पाए जाते हैं।

हम सोलर आसवन सिस्टम (Solar distillation system) के द्वारा सोलर ऊर्जा का प्रयोग करके खारे पानी को पीने लायक आसवन विधि द्वारा बनाते हैं। जिसमें हम सोलर एनर्जी का ही प्रयोग करते हैं।

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बायोमास उर्जा (biomass energy):-

आदि काल में जब हमारे पास परंपरागत ऊर्जा के स्रोत नहीं थे उस समय हम मनुष्य जाति उर्जा की आपूर्ति के लिए बायोमास ऊर्जा का ही प्रयोग करते थे।

Biomass का मतलब ऑर्गेनिक वेस्ट, प्लांट वेस्ट मटेरियल, और फसल की अपशिष्ट होता है।

पवन उर्जा (wind energy) :-

वातावरण में बहने वाली हवा से प्राप्त ऊर्जा ही पवन उर्जा कहलाता है। इस ऊर्जा का किसी और रूप में परिवर्तित कर प्रयोग करते है। इसमें हम  wind energy को पवन चक्की यंत्र के जरिए इलेक्ट्रिक एनर्जी के परिवर्तित करते है। इलेक्ट्रिक एनर्जी उत्पन्न करने के लिए हम बड़े-बड़े पंख वाले पवन चक्की लगाते हैं यह पवन चक्की बहुत विशाल और खाली स्थान पर लगाया जाते हैं। और जब हवा चलती है तो इसके पंखे घूमते हैं। जिससे साफ के जरिए इसमें लगा विद्युत जनरेटर घूमने लगता है। और विद्युत ऊर्जा पैदा करता है। इसमें हवा की गति ऊर्जा (Kinetic energy) को विद्युत ऊर्जा में बदल कर प्रयोग में लाया जाता है।

ज्वार उर्जा (Tidal Energy) :-

अब हम बात करते हैं ज्वार ऊर्जा कि तो हम जानते हैं की समुंद्र में बड़ी-बड़ी लहरें उठती ही रहती हैं। जो समुद्र के किनारे पर बड़े जोर से टकराती हैं। जिसे हम ज्वार कहते हैं। इस पानी में उपस्थित स्थितिज ऊर्जा को हम जब प्रयोग में लाते हैं तो उसे ज्वार ऊर्जा कहते हैं।

समुद्र के किनारे हम लोग ऐसे यंत्र का प्रयोग करते हैं जो इस ज्वारी ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है और हम उसे उपयोग में लाते हैं।

हालांकि ज्वार उर्जा का प्रयोग अभी भारत में नहीं होता है। क्योंकि यहां पर उसके टेक्नोलॉजी उपस्थित नहीं है। अभी भी हम इस पर काम कर रहे हैं। लेकिन बहुत सारे विकसित देश इसे छोटी मात्रा में विद्युत की आपूर्ति के लिए उपयोग करते हैं।

भू – तापीय उर्जा (Geo – Thermal Energy):-

जैसा की नाम से ही पता लग रहा है कि इसमें हम जमीन के अंदर बहुत बड़े मात्रा में  उपस्थित उष्मीय ऊर्जा को प्रयोग में लाते हैं।

जब आप पृथ्वी की सतह के नीचे जितनी अंदर तक खोदेंगे तो आप पाएंगे कि जैसे जैसे आप अंदर तक खोद रहे है वैसे वैसे तापमान की वृद्धि होती है।

पृथ्वी की सतह से 10 km नीचे का तापमान 200° C होता है । भूमि के अंदर का ये तापमान हमेहसा रहेगा। इसका खत्म होना असम्भव है। अतः हम इसका उपयोग ऊर्जा के लिए कर सकते हैं।  इस भूतापिया वाष्प का उपयोग हम विद्युत ऊर्जा उत्पादन के लिए करते हैं। इसके लिए हमे वाष्प आधारित पावर प्लांट स्थापित करने की जरूरत पड़ती है।

माइक्रो – हाइडल उर्जा (Micro – Hydel Energy):-

जैसे की नाम से ही पता चल रहा है कि माइक्रो हाइडल ऊर्जा , हाइड्रो पावर प्लांट का सूक्ष्म रूप है। यह बहुत की काम मात्रा में बिधुत ऊर्जा उत्पादन के लिए बनाया जाता है।

माइक्रो हाइडल पावर परियोजना का उपयोग दूर दराज के क्षेत्रों, पहाड़ी क्षेत्रों में जहां पावर का distribution असंभव सा है वहा ऐसे परियोजना का निर्माण किया जाता है। इस प्रयोजना के द्वारा कम हाइट पर उपस्थित नदी का पानी का उपयोग कर विद्युत ऊर्जा पैदा की जाती है। इसमें एक प्लांट के द्वारा लगभग एक छोटे से कस्बे या गांव या कहे तो कभी कभी एक या दो छोटे छोटे उद्योगों को सप्लाई देने के लिए किया जाता है।

उर्जा के अन्य स्रोत (Other Resources of Energy):-

हम ऊर्जा को अलग अलग प्रकार से पैदा करते है। जिसमें से ये दो ऊर्जा पैदा करने के स्रोत काफी महत्वपूर्ण तथा अधिक प्रयोग में लाया जाने वाला प्लांट है।

  1. नाभिकीय उर्जा (Nuclear energy)
  2. . हाइड्रो पावर प्लांट (Hydro power plant)

नाभिकीय उर्जा (Nuclear energy):-

अगर हम जापान, अमेरिका और काफी हद तक चीन की बात करें तो यहां पर  नाभिकीय ऊर्जा से बिजली पैदा करने का न्यूक्लियर प्लांट ज्यादा पाए जाते हैं। इसमें ईंधन के रूप में यूरेनियम का इस्तेमाल किया जाता है। जिसमें यूरेनियम के साथ रिएक्शन कराकर ऊर्जा पैदा किया जाता है उस स्थान को न्यूक्लियर रिएक्टर कहते हैं। भारत में भी इस प्लांट का अस्तित्व है लेकिन काफी कम मात्रा में।

हाइड्रो पावर प्लांट (Hydro power plant):-

यह पावर प्लांट काफी बड़े स्तर पर बिजली पैदा करने के लिए स्थापित किया जाता है। इसमें नदियों में बांध बनाकर पानी को एकत्रित कर लिया जाता है, और उसमें टरबाइन बिठाकर बिजली पैदा किया जाता है। भारत में बिजली को दूसरे सबसे बड़े स्तर पर हाइड्रो पावर प्लांट के द्वारा ही उत्पन्न किया जाता है। भारत में सबसे ज्यादा बिजली थर्मल पावर प्लांट के द्वारा उत्पन्न किया जाता है। और दूसरे नंबर पर हाइड्रो पावर प्लांट आता है।

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