परिचय:
दोस्तों आपने अगर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस देखा है तो अपने देखा होगा की उसमे बहुत सारे प्रकार के छोटे छोटे कंपोनेंट लगे होता है। जिसमे डायोड, रेसिस्टर, ट्रांजिस्टर, मोसफेट, इंडक्टर, कैपेसिटर, और वैरिस्टर(varistor in Hindi) आदि लगे होते है। और इन सभी कंपोनेंट का अपना अलग अलग काम होता है। अतः इन सभी में एक varistor होता है जिसको हम आज के इस पोस्ट के माध्यम से समझेंगे।
वैरिस्टर क्या होता है (Varistor in Hindi):-
Varistor एक ऐसा resister होता है जिसका रेजिस्टेंस सप्लाई वोल्टेज पर डिपेंड करता है। इसीलिए इसे हम VDR यानी की वोल्टेज डिपेंडेंट resister भी कहते है। इसका अभिलक्षण (characteristics) नॉन लीनियर और नॉन ohmic वोल्टेज टाइप का होता है। जो कि एक diode टाइप का अभिलाक्षण शो करता है।

यह डिवाइस हाई वोल्टेज के आने हम अपना रेजिस्टेंस कम कर देता है। और शॉर्ट सर्किट की तरह behave करने लगता है। और करेंट पास करा देता है। जबकि एक सामान्य resister में ऐसा नहीं होता है।
सामान्यतः अगर देखा जाए तो varistor दो प्रकार के कनेक्टिंग रेक्टिफायर से मिलकर बना होता है। जो कि कॉपर ऑक्साइड और जर्मेनियम ऑक्साइड होता है।
Varistor का सिंबल :-
दोस्तों आप एक resister का सिंबल तो देखा ही होगा। जो कि आपको नीचे दिखाया गया है।

रेसिस्टर सिंबल
अतः varistor का सिंबल भी कुछ ऐसा ही होता है। लेकिन उसमे एक वैरिएबल टाइप का सिंबल लगा देते है। जिसे हम varistor का सिंबल कहते है। इसको चित्र नीचे दिखाया गया है।

Varistor मैटेरियल (material of varistor in Hindi):-
दोस्तों varistor को हम किन्ही दो प्रकार के मैटेरियल से बनाते है। जिसमे मेटल ऑक्साइड और सिलिकॉन ऑक्साइड उसे करते हैं। जिसमे ज्यादातर हम मेटल ऑक्साइड का बना हुआ varistor यूज करते हैं। इसीलिए हम ऐसे varistor को मेटल ऑक्साइड varistor ( MOV ) कहते हैं।
Varistor का उपयोग (use of varistor in Hindi):-
दोस्तों, varistor का उपयोग हम इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में क्षणिक उच्च वोल्टेज (High transient voltage) से बचाने के लिए करते हैं। अतः varistor को बेसिकली हम डिवाइस में एक प्रोटेक्शन डिवाइस की तरह उपयोग में लाते है।
अतः varistor को हम विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जैसे टीवी, डिस्प्ले बोर्ड, एक्सटेंशन बोर्ड, स्टेबलाइजर, आदि में किया जाता है। आप इसे दिखाए गए चित्र को तो देखा ही होगा। जो हमे अक्सर किसी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में लगा हुआ देख सकते हैं।
Varistor कैसे काम करता है?:-
दोस्तों, मान लीजिए की एक लोड है जो सप्लाई में जोड़ा गया है । जो कि आपको नीचे चित्र में दिख रहा होगा। इसमें आपको लोड के समांतर एक varistor भी लगा हुआ दिख रहा होगा। मान लीजिए की सप्लाई वोल्टेज 250volt है। अब जब तक लोड को सप्लाई से 250 वोल्ट मिलता रहेगा। तब तक varistor जिसकी रेटिंग भी 250 वोल्ट का है। वह भी हाई resistance की तरह व्यवहार करता रहेगा।

चित्र
अब आप मान लीजिए की सप्लाई सप्लाई में एक और लोड जुड़ा है जो अचानक डिस्कनेक्ट हो जाता है। जब यह लोड डिस्कनेक्ट होता है ठीक उसी समय हमारा जो वोल्टेज सप्लाई का 250 वोल्ट है वह एक क्षणिक समय के लिए थोड़ा सा उच्च वोल्टेज दूसरे वाले लोड को देता है।
जो कि 250 वोल्ट से अधिक होता है और जब या वोल्टेज varistor से होते हुए लोड तक जाता है तो वेरिस्टर इस उच्च वोल्टेज को सेंस करता है और अपना प्रतिरोध घटा देता है।
और वह एक शॉर्ट सर्किट की तरह व्यवहार करने लगता है। जिससे सप्लाई उस लोड तक ना जाकर varistor से होते हुए सप्लाई के दूसरे टर्मिनल यानी कि न्यूट्रल तक पहुंच जाती है। इस प्रकार सप्लाई एक प्रकार से शॉर्ट सर्किट हो जाती है। और उस सप्लाई में लगा फ्यूज या सर्किट ब्रेकर ट्रिप हो जाता है।
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