परिचय
जैसा की पिछले पोस्ट में हमें देखा ही HVDC system क्या होता है। और इससे उपयोग कहा किया जाता है। इसके साथ ही जलने देखा की लंबी दूरी के लाइन हो या समुद्र से ट्रांसमिशन लाइन को क्रॉस करना है। इन सब के लिए हम HVDC सिस्टम का प्रयोग करने है। इसके साथ ही जलने देखा की HVDC सिस्टम (Types of HVDC link in Hindi) कितने प्रकार के होते हैं। अतः आज हम इन प्रकारों को इस पोस्ट के जरिए विस्तार से समझेंगे।
मोनोपोलर एचवीडीसी सिस्टम (monopolar HVDC system)
इस सिस्टम का चित्र आपको नीचे दिखा रहा होगा। इसमें सिर्फ एक सिंगल कंडक्टर ही प्रयोग करते है। जिसके द्वारा पावर को ट्रांसमिट किया जाता है। और यह सिंगल conductor निगेटिव पोलारिटी को ट्रांसमिट करता है। इसमें दो कन्वर्टर का इस्तेमाल ट्रांसमिशन लाइन के दोनो सिरों पर किया जाता है।
इस कन्वर्टर का दूसरा सिरा अर्थ (earthed) होता है। जिससे पूरा सर्किट कंप्लीट होता है। अर्थिंग में कभी कभी मेटैलिक अर्थिंग रिटर्न का भी प्रयोग किया जाता है। इस दूसरे poles के अर्थिंग में हम बीच बीच में प्रत्येक 15 से 50 km पर अर्थिंग इलेक्ट्रोड का इस्तेमाल करते हैं। इसमें सर्किट को कंप्लीट करने के लिए जिस पथ का प्रयोग किया गया है वह अर्थ है।
यही कारण है कि इस मोनोपोलर लिंक का प्रयोग आजकल बहुत कम किया जाता है। साथ ही में इसमें पावर को एक सिंगल लाइन से ट्रांसमिट किया जाता है। जिससे अगर इस लाइन कोई फॉल्ट या किसी प्रकार की समस्या आती है तो पूरे ट्रांसमिशन लाइन को टर्न ऑफ करना पड़ता है।

बाइपोलर HVDC लिंक
बाइपोलर HVDC लिंक में हम दोनो पोलरिटी के वायर (पॉजिटिव और नेगेटिव) को ट्रांसमिट करते हैं। इसके भी दोनो सिरो पर कन्वर्टर का इस्तेमाल किया जाता है। जैसे की आप चित्र में देख सकते हैं। इसमें कन्वर्टर के बीच में से अर्थिंग इलेक्ट्रोड के द्वारा अर्थ किया रहता हैं। इसमें अर्थिंग किया गया अर्थ इलेक्ट्रोड का वोल्टेज ट्रांसमिट किए गए तारों के वोल्टेज के आधे लेवल का वोल्टेज होता है।

इस का सबसे अच्छा एडवांटेज ये है कि यह सिस्टम में दोनो पोल के वायर को ट्रांसमिट किया रहता है। जिससे की यदि एक पोलेरिटी खराब भी हो जाता है। तो इसी स्थिति में दूसरे polarity से और अर्थिंग इलेक्ट्रोड के जरिए पावर की सप्लाई बनी रहती है। अतः इस प्रकार का HVDC लिंक सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाता है।
होमोपोलर एचवीडीसी लिंक (homopolar HVDC link)
इसमें भी दो वायर से एक ही polarity के वायर को ट्रांसमिट करतें हैं। और बाइपोलर लिंक की भांति इसमें भी बीच में अर्थिंग लगाया जाता है। कभी कभी मेटैलिक अर्थ को बीच बीच में लगाया जाता है। इस सिस्टम में दोनो लाइन को समांतर रूप में चलाया जाता है। जिससे insulation की लागत घट जाती हैं।
