परिचय(Introduction)
दोस्तों यदि आप इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के स्टूडेंट है। और आपने कभी भी अगर इंटरव्यू दिया होगा। तो आपकी पास यह प्रश्न जरूर आया होगा। नहीं तो आपकी क्लास में इस प्रश्न के बारे में जरूर डिस्कस किया गया होगा की हमारे ट्रांसफार्मर की रेटिंग kVA में क्यों होती है जबकि मोटर की रेटिंग kW में होती है।

तो आज की इस पोस्ट में यही समझेंगे कि ऐसा क्यों होता है कि ट्रांसफॉर्मर की रेटिंग kVA में जबकि मोटर की रेटिंग kW में क्यों होती है।
kVA तथा kW क्या है:-
अगर देखा जाए तो ये दोनों kVA तथा kW इलेक्ट्रिकल्स के alternating power को प्रदर्शित करते है। लेकिन इसमें बड़ा अंतर पाया जाता है। अगर हमे ऊपर के सवालों को जवाब जानना है तो हमे kVA तथा kW को समझना जरूरी है।
इलेक्ट्रिकल AC सिस्टम में मुख्यत तीन प्रकार के पॉवर होते है। अगर आपने बेसिक इलेक्ट्रिकल पढ़ा है तो आप ये बात जानते होंगे। जो निम्न है।
- Active power
- Apparent power
- Reactive power
तो इसमें जी kVA होता है वह apparent power होता है क्योंकि Apparent power को kVA से प्रदर्शित करते हैं। जबकि kW एक्टिव पॉवर है क्योंकि इसे kW से प्रदर्शित करते हैं।
एक्टिव पॉवर को हम P से प्रदर्शित करते है। जिसके सूत्र P = VI cosφ watt होता है। अगर हम apparent power की बात करें तो उसको S से प्रदर्शित करते हैं जिसका सूत्र S = VI volt-amp होता है। वहीं अगर reactive power की बात करे तो इसे Q से प्रदर्शित करते हैं तथा इसका सूत्र Q = VI sine φ watt होता है।
इन तीनों सूत्रों में से एक्टिव पॉवर तथा apparent power के सूत्रों को देखे तो एक्टिव पॉवर मे आप cos φ पाएंगे। जिसे हम पॉवर फैक्टर कहते है। यह पॉवर फैक्टर इलेक्ट्रिकल supply में लगे लोड की प्रकृति को दर्शाता है। हमारा लोड resistive , inductive या कैपेसिटिव है, यह बात हम उस लोड के पॉवर फैक्टर के हिसाब से सुनिश्चित करते है।
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ट्रांसफार्मर तथा मोटर मे अंतर(difference between transformer and motor)
इस सवाल को और ज्यादा गहराई से समझने के लिए हमे ये समझना जरूरी है कि ट्रांसफार्मर तथा मोटर के बीच बेसिक अंतर क्या है। आप देखेंगे कि मोटर एक ऐसा यंत्र है जो supply से पॉवर लेता है तथा उस खर्च करता है। जबकि वहीं अगर ट्रांसफॉर्मर की बात करें तो ट्रांसफार्मर किसी भी प्रकार का पॉवर खर्च नहीं करता है। यह सिर्फ पॉवर supply को एक स्थान से दूसरे स्थान तक डिलीवर करता है।
अब जब हम अपने घर की supply में लोड लगाते है तो ये कोई निश्चित नहीं होता है कि हैं किस प्रकृति का लोड लगा रहे है। कोई भी किसी भी प्रकार का लोड जैसे रेसिस्टिव लोड, inductive load या फिर कैपेसिटिव लोड लगा सकता है।
अतः ट्रांसफार्मर को सभी प्रकार के पॉवर फैक्टर वाले लोड को चलने के लिए बनाया जाता है। अतः यही कारण है कि ट्रांसफार्मर का पॉवर apparent power होता है यह इसकी रेटिंग kVA में होती है। और kVA में पॉवर फैक्टर नहीं होता है।
अतः उपर्युक्त वर्णन से हमे यह समझना चाहिए कि कोई ऐसी इलेक्ट्रिक यंत्र जो सप्लाई से पावर ले कर खर्च करता है उसकी रेटिंग हमेशा kW में होती है। जैसे इलेक्ट्रिक बल्ब, इलेक्ट्रिक हीटर, मोटर तथा ट्यूबलाइट आदि।
और अगर कोई यंत्र जो इलेक्ट्रिक सप्लाई या तो उत्पन्न कर रहा हो या उस सप्लाई को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने का काम कर रहा हो तो उसकी रेटिंग हमेशा kVA में होती है।
इस बात को हम अलग तरीके से भी समझ सकते हैं कि यदि कोई यंत्र इलेक्ट्रिक ऊर्जा को किसी और प्रकार की ऊर्जा में जैसे यांत्रिक ऊर्जा प्रकाश ऊर्जा या ऊष्मा ऊर्जा में परिवर्तित करता है तो वहां पर उस यंत्र की रेटिंग हमेशा kW में होगी।
जबकि ऐसा कोई यंत्र जो किसी और प्रकार की ऊर्जा को इलेक्ट्रिकल एनर्जी तथा इलेक्ट्रिकल एनर्जी को इलेक्ट्रिकल एनर्जी में ही परिवर्तित करता हो तो ऐसे यंत्र की रेटिंग केवीए में होती है। जैसे – अल्टरनेटर, जनरेटर, ट्रांसफॉर्मर, इनवर्टर तथा स्टेबलाइजर इत्यादि।
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इसका इंटरव्यू में जवाब कैसे दें:-
यह तो ऊपर का दिया हुआ वर्णन आपके समझने के लिए है लेकिन आपको किसी इंटरव्यू में छोटे से पैराग्राफ में जवाब देना होता है। अतः हमें इसे एक छोटे से पैराग्राफ में कह सकते हैं कि
“चुकी मोटर एक लोड है जो सप्लाई से पावर कंज्यूम करता है जबकि ट्रांसफार्मर कोई लोड नहीं है वह सिर्फ इलेक्ट्रिक पावर को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाता है। प्रत्येक लोड का पावर फैक्टर अलग-अलग होने के कारण सभी प्रकार के लोड को चलाने के लिए ट्रांसफार्मर को kVA रेटिंग पर डिजाइन किया जाता है। जबकि लोड को kW रेटिंग पर डिजाइन किया जाता है क्योंकि प्रत्येक लोड का एक पावर फैक्टर होता है और kW रेटिंग में पावर फैक्टर मौजूद रहता है। ”
kVA से kW में बदलना :-
अगर किसी यंत्र की पावर रेटिंग kVA में है। उसे आप kW में बदलना चाहते हैं तो इसके लिए आपको एक सिंपल सा कैलकुलेशन करना है।चलिए मान लेते हैं कि एक 100 kVA का ट्रांसफार्मर है जिसका kW में रेटिंग जानना है हमें जिस प्रकृति के पावर फैक्टर वाले लोड के लिए kW में रेटिंग जाननी है तो हम उस पावर फैक्टर से गुणा कर देंगे जैसे अगर पावर फैक्टर 0.8 है तो
kW रेटिंग = 100 × 0.8 kW
= 80 kW
अतः उपर्युक्त कैलकुलेशन से समझ आता है कि kVA रेटिंग हमेशा kW रेटिंग से कम ही होता है। अगर पावर फैक्टर यूनिट (1) होगा तब ही kVA रेटिंग तथा kW रेटिंग दोनों समान होंगे। और यह स्थिति सिर्फ रेजिस्टिव लोड जोड़ने पर ही आती है। क्योंकि रेजिस्टिव लोड का पावर फैक्टर यूनिट (1) होता है।