Practical transformer on no load:

चित्र के अनुसार हमे यह पता चलता है कि ट्रांसफार्मर की सेकंडरी वाइंडिंग के टर्न, प्राइमरी वाइंडिंग के टर्न से ज्यादा है। । अतः यह स्टेप अप ट्रांसफार्मर है।
चित्र में Transfomer on no load में दिखाया गया है। जिसमे सेकंडरी साइड में कोई लोड लाइन नहीं जोड़ा गया है। यह ओपन सर्किट है। जिसके साइड V2 वोल्टेज है। चुकी हम प्रैक्टिकल ट्रांसफार्मर का नो लोड कंडीशन को देख रहे हैं तो इसमें चित्र में दर्शाया गया I0, आयरन हानि और बहुत कम मात्रा में कॉपर हानि के कारण उत्पन्न धारा होगा। इसे प्राइमरी में नो लोड करंट कहते हैं।
यह (I0) सप्लाई वोल्टेज V1 से φ0 अंश लैग करती है। जहां φ0<90° होगा। जैसा कि ग्राफ में दिखाया गया है। अतः नो लोड इनपुट पॉवर:-

P0= V1 I0 cosφ0
अब देखते है कि नो लोड करंट I0 को दो घटकों में विभाजित किया जा सकता है।
1. पहला घटक Iw है जो एक एक्टिव घटक है
जिसका गणितीय रूप –
Iw = I0 cos φ0
1. दूसरा घटक Im जो चुंबकीय घटक है। जो ट्रांसफार्मर में mutual फलक्स φ उत्पन्न करने में सहायक होता है। अतः यह Im, mutual flux के कला में होता है।
Im = I0 sine φ0
अब I0, Im और Iw का phaser sum होगा। अतः चित्रानुसार –
I20= I2w + I2m
या
I0 = √(I2w + I2m)
चुकी नो लोड पर प्राइमरी में कॉपर हानि बहुत कम होगा अतः इसे इग्नोर किया जा सकता है। अतः इसे इग्नोर करने पर सिर्फ आयरन हानि बचेगा तो
Iw = आयरन हानि होगा।
अतः Transfomer on no load की स्थिति में सेकंडरी में कोई करंट नहीं होगा तो
V2 = E2 होगा
चुकी नो लोड पर प्राइमरी साइड में I0 के कारण R1 और X1 में हानि बहुत ही कम होगा। जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। अतः हम अगर इसे इग्नोर कर दे तो –

V1 = E1 होगा।
फेजर डायग्राम कैसे खींचे:-
अगर हम सरल भाषा में कहें तो दिए गए सप्लाई वोल्टेज के कारण ट्रांसफार्मर कोर में एक mutual flux φ पैदा हुआ है। अतः जो flux जिसके कारण उत्पन्न हुआ है वह कारण उस flux से लीड करेगा। अतः सप्लाई वोल्टेज V1, mutual flux φ से 90° लीड करेगा। जैसा कि फेस में दिखाया गया है।
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अब जो mutual flux φ पैदा हुआ है, उसके कारण प्राइमरी और सेकंडरी दोनों साइड में E1 तथा E2 emf पैदा होगा। अतः यह भी mutual flux φ के कारण emf पैदा हुआ है तो mutual flux, E1 तथा E2 से 90° लीड करेगा।
I0 का ग्राफ खींचना:
अब चुकीं ट्रांसफार्मर को सप्लाई देने से आयरन हानि और कॉपर हानि होगा जिससे धारा I0 प्रवाहित होगी। चुकी यह धारा I0 सप्लाई वोल्टेज V1 के कारण उत्पन्न हुई है इसीलिए। यह धारा I0 वोल्टेज से लैग करेगी। हालाकि यहां धारा का मात्रा बहुत कम है इसलिए यह धारा I0 वोलटेज से φ0° अंश लैग करेगी। जो φ0< 90 होगा।