Thermal power plant in Hindi | थर्मल पॉवर प्लांट के भाग एवं उनके कार्य

परिचय:-

दोस्तों लगभग हम सभी के घर में बिजली की सुविधा होगी। इस बिजली की उत्पन्न करने के लिए हम कई प्रकार के स्रोतों का उपयोग करते हैं। बिजली को एक स्थान पर बड़े लेवल पर बिजली उत्पन्न की जाती है तथा उस उत्पन्न किए गए बिजली को उच्च वोल्टेज पर एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाया जाता है। बिजली को उत्पन्न करने के लिए विभिन्न प्रकार के प्लांटों का निर्माण करते हैं। जैसे कि थर्मल पावर प्लांट (Thermal power plant in Hindi), हाइड्रो पावर प्लांट, न्यूक्लियर पावर प्लांट आदि ऐसे बहुत से प्रकार के प्लांट को हम लगाते हैं और उससे बिजली पैदा करते हैं। आज के इस पोस्ट में हम थर्मल पावर प्लांट को अच्छे से समझेंगे। यह बेसिकली कैसे काम करता है तथा इससे हम बिजली कैसे उत्पन्न करते हैं। यह सब बातें विस्तार से समझेंगे।

थर्मल पावर प्लांट (Thermal power plant in Hindi):-

बेसिकली थर्मल पावर प्लांट एक बिजली उत्पन्न करने का प्लांट है। इसमें पावर यानी कि बिजली को उत्पन्न करने के लिए कोयले का इस्तेमाल इंधन के रूप में करते हैं। यह प्लांट भाप (वाष्प) या स्टीम के दाब के सिद्धांत पर कार्य करता है। इसमें रैंकिन साइकिल (Rankine Cycle) का प्रयोग किया जाता है। इसमें बड़े-बड़े स्टीम टरबाइन लगाया जाता है जो steam की पोटेंशियल एनर्जी को मैकेनिकल एनर्जी में बदलता है। और चुकी इस टरबाइन से एक अल्टरनेटर जुड़ा रहता है तो यह अल्टरनेटर मैकेनिकल एनर्जी को इलेक्ट्रिकल एनर्जी में परिवर्तित करता है।

अगर हम इंडिया की बात करें तो इंडिया का 85 % से अधिक पावर का उत्पादन थर्मल पावर प्लांट से होता है। हालांकि इस प्लांट से कार्बन का उत्सर्जन भी अत्यधिक होता है। लेकिन फिर भी हमारी यह मजबूरी है। लेकिन अब हम इसे धीरे-धीरे करके उबरेंगे। अतः हम कह सकते हैं कि हम अभी कोयला ईंधन पर ही निर्भर हैं।

बेसिकली थर्मल पावर प्लांट का कंसेप्ट एकदम सिंपल नेम इस में कोयला से स्टीम (भाप) बनाकर पावर का उत्पादन किया जाता है।

Thermal power plant in Hindi
Thermal power plant diagram

थर्मल पावर प्लांट के भाग (Parts of thermal power plant in Hindi):-

सामान्यतः थर्मल पावर प्लांट बहुत से प्रकार के भागों से मिलकर बना होता है जो कुछ इस प्रकार है।

• बॉयलर ड्रम
• ब्वॉयलर फर्नेस
• प्राइमरी एयर फैन (P.A. FAN)
• Forced draught fan (FD fan)
• इलेक्ट्रोस्टेटिक प्रेसिपिटेटर (ESP)
• INDUCED DRAUGHT FAN (I.D. Fan)
• ब्वॉयलर फीड पंप (BFP)
• सुपर हीटर
• एयर प्रिहीटर (APH)
• इकोनोमाइजर (Economiser)
• कंडेनसर
• गवर्निंग वाल्व (Governing valve)
• डियरेटर (Dearator)
• वाटर ट्रीटमेंट प्लांट (WTP)
• हाई प्रेशर टरबाइन (HPT)
• इंटरमीडिएट प्रेशर टरबाइन (IPT)
• लो प्रेशर टरबाइन (LPT)
• ALTERNATOR
• कूलिंग टावर
• चिमनी

Boiler drum:-

यह एक ड्रम आकार का धातु की संरचना होती है। इसमें ही पानी को गर्म करके वाष्प में बदला जाता है। इसमें इसके अंदर स्टीम प्रेशर को मापने के लिए दाबमापी लगा होता है। तथा इसके साथ ही इस बायलर ड्रम की तापमान को मापने के लिए तापमापी भी लगाया जाता है। इसमें सेफ्टी वाल्व के साथ-साथ अलार्म की भी सुविधा होती है। जो असामान्य की स्थिति में काम करता है। यह बायलर ड्रम, बायलर फर्नेस के ऊपर लगाया जाता है।

Boiler furnace:-

या एक भट्टी होती है। जिससे बॉयलर ड्रम में रखे पानी को गर्म करके स्टीम में बदला जाता है। इस भट्टी में इंधन के रूप में कोयला का इस्तेमाल किया जाता है।

प्राइमरी एयर फैन (PA Fan in Thermal power plant in hindi):-

इस fan का काम बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसका काम कोयला को, कोयला मील से बॉयलर फर्नेस तक ले जाना है। तथा इसके साथ  कोयला में उपस्थित नमी को भी दूर करता है। क्योंकि इसका हवा गर्म होता है, जो कोयला में उपस्थित नमी को दूर कर देता है। जिससे कोयला अधिक दक्षता के साथ ऊर्जा देता है।
यह प्राइमरी एयर फैन एयर प्रिहीटर से ऊर्जा प्राप्त करता है।

Forced draught fan (FD fan):-

यह फैन भट्टी में आवश्यकता नुसार हवा को भेजता है। ताकि कोयला का combustion अच्छे से हो सके । अतः यह भट्टी को दक्षता को बढ़ा देता है।

हमे यह ध्यान देने की बात यह है की प्राइमरी एयर फैन को स्पीड फोर्स्ड draught fan की स्पीड से ज्यादा होता है।

Induced draught fan (ID fan):-

इस फैन का काम मुख्यताः भट्टी से निकले फ्लू गैसें को चिमनी तक पहुंचाना है। यह फैन भट्टी में नेगेटिव प्रेशर पैदा करता है। यह electrostatic presipitator तथा चिमनी के मध्य में स्थापित होता है।

इस फैन के द्वारा एकत्रित किए गए वायु की मात्रा प्राइमरी एयर फैन तथा फोर्स draught fan के द्वारा भेजे गए वायु की मात्रा के बराबर होता है।

लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है की आईडी फैन (ID fan) की स्पीड अन्य दोनों फैन की अपेक्षा ज्यादा होगा। इंड्यूस्ड ड्रॉट फैन स्पीड अन्य दोनों फैन की स्पीड की अपेक्षा सबसे कम होती है। क्योंकि यह एक मोटी पाइप नुमा आकार से फ्लू गैस को खींचना होता है। अतः यह कम स्पीड पर भी ज्यादा मात्रा की वायु को खींच सकता है। लेकिन PA Fan को एक पतले से पाइप से हवा को भट्टी में तेजी से भेजना होता है अतः उसे ज्यादा स्पीड की जरूरत होती है। अतः स्पीड के मामले में तीनो फैन का क्रम निम्न है।

PA fan > FD fan > ID fan

लेकिन अगर पावर रेटिंग की बात करें तो इंड्यूस्ड ड्रॉट फैन की पावर रेटिंग सबसे ज्यादा होती है। इसकी पावर रेटिंग लगभग PA FAN के बराबर होती है लेकिन एफडी फैन की पावर रेटिंग सबसे कम होती है। पावर रेटिंग के मामले में इन तीनों फैन का क्रम निम्न प्रकार है।

ID fan > or = PA fan > FD fan

एयर प्रिहीटर (Air pre heater in Thermal power plant in Hindi): –

इसका काम बॉयलर भट्टी में आने वाले बाहरी हवा को गर्म करना है। एयर प्रिहीटर बॉयलर फर्नेस की ओवरऑल दक्षता को बढ़ा देता है। यह एक अहम भूमिका निभाता है।

Electrostatic precipitator:-

इसका काम फ्लू गैसों में उपस्थित राख के कणों को एकत्रित करना है। यह फ्लू गैसों में उपस्थित राख के कणों को रोक लेता है। तथा सिर्फ फ्लू गैस को बाहर जाने देता है। जिससे पर्यावरण ज्यादा प्रदूषित नहीं होता है।

यह यंत्र उच्च वोल्ट की डीसी पावर सप्लाई पर काम करता है। (60केवी – 66 केवी डीसी सप्लाई)

यह induced draught fan के पहले ही उपस्थित होता है।

सुपर हीटर :-

इसका काम नमीयुक्त वाष्प को नमी रहित वाष्प में बदलना है। बॉयलर से निकले नमीयुक्त वाष्प पहले सुपर हीटर में जाता है। उसके बाद टरबाइन में जाता है। यह स्टीम के प्रेशर पर कोई प्रभाव नहीं डालता है। यह स्टीम के तापमान को सिर्फ बढ़ाता है

इकोनॉमाइजर (Economizer):-

यह ऐसा यंत्र है जो बायलर ड्रम में जाने वाले पानी को पहले गर्म करता है। उसके बाद बॉयलर ड्रम में भेजता है। यह अपनी उर्जा की पूर्ति फ्लू गैसों से करता है।

बॉयलर फीड पंप (BFP):-

इसका काम बॉयलर में पानी को इकोनोमाइजर के द्वारा भेजना है। इसमें बॉयलर ड्रम से ज्यादा परेशान होता है। तभी वह पानी को बॉयलर में पानी को भेज पाता है। अतः यही कारण है कि इस पंप की पावर रेटिंग ज्यादा होती है। इसकी सामान्य रेटिंग पावर प्लांट के कैपेसिटी का 2% होता है।

मान लीजिए कि यदि पावर प्लांट की उत्पादन क्षमता 500 मेगा वाट है तो ब्वॉयलर फीड पंप का पावर रेटिंग 500 मेगा वाट का 2 परसेंट यानी 10 मेगा वाट होगा। कभी-कभी ब्वॉयलर फीड पंप को चलाने के लिए स्टीम टरबाइन का ही प्रयोग किया जाता है।

कंडेनसर: –

इसका काम कम दाम वाले स्टीम जो टरबाइन से बाहर निकलता है उसको फिर से पानी में बदलना होता है। स्टीम को वाटर में बदलने की प्रक्रिया संघनन कहलाती है।

गवर्निंग वाल्व:-

इसका काम स्टीम के सप्लाई को कंट्रोल तथा नियमन करना है ताकि हम अपनी आवश्यकतानुसार पावर का उत्पादन कर सकें।

डियरेटर (Deaerator):-

इस यंत्र का काम फिर वाटर से foreign particle तथा प्रदूषित गैसों को बाहर निकालना है।

वाटर ट्रीटमेंट प्लांट (WTP in Thermal power plant in Hindi):-

इस प्लांट का काम नदियों से लिए जाने वाले पानी को ट्रीटमेंट करना है। तथा फीड वाटर के रूप में तैयार करना है।

मतलब की नदी का पानी एक कठोर जल (Hard water) होता है उसे वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से गुजार कर सॉफ्ट जल (Soft water) में बदलने के पश्चात हम उसे फीड वाटर के रूप में बॉयलर ड्रम में इस्तेमाल करते हैं।

ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि पानी की कठोरता पानी में उपस्थित कैलशियम कार्बोनेट तथा बाइकार्बोनेट के कारण होती है। और यह ऊष्मा की कुचालक होते हैं। अतः यह प्लांट की दक्षता को कम करते हैं। क्योंकि यह कैल्शियम कार्बोनेट बॉयलर ड्रम के सतह पर जम जाते हैं। तथा ऊष्मा की कुचालकता के कारण पानी को गर्म करने के लिए ज्यादा इंधन की जरूरत होती है।

मतलब कि यह पानी में उपस्थित मिनरल को बाहर निकाल दिया जाता है। जिससे हम इसे मिनरल वाटर कहते हैं। यह पानी महंगा होता है। अतः यही कारण है कि हमें इसे पुनः इस्तेमाल करना पड़ता है।

चिमनी:-

इससे फ्लू गैस को बाहर निकाला जाता है। यह induced draught fan के ऊपर लगा होता है।

कूलिंग टावर (cooling tower in Thermal power plant in Hindi):-

Cooling tower, कंडेसर का एक मुख्य भाग होता है। जो गर्म जल के तापमान को 40° C तक ठंडा करता है।

हाई प्रेशर टरबाइन (HPT):-

बायलर से निकला उच्च प्रेशर वाला स्टीम पहले हाई प्रेशर टरबाइन में जाता है।

इंटरमीडिएट प्रेशर टरबाइन (IPT):-

हाई प्रेशर टरबाइन से निकला स्टीम मध्यम प्रेशर वाले टरबाइन में आता है तथा इसमें अपनी उर्जा को टरबाइन को ट्रांसफर करता है।

लो प्रेशर टरबाइन (LPT):-

मध्यम प्रेशर टरबाइन से निकले स्टीम अब निम्न दाब वाले टरबाइन में आता है। उसके बाद यह स्टीम कंडेनसर में जाता है।

अल्टरनेटर (Alternator in Thermal power plant in Hindi): –

यह यंत्र टरबाइन से जुड़ा रहता है। यह मैकेनिकल ऊर्जा को इलेक्ट्रिकल ऊर्जा में परिवर्तित करता है।

थर्मल पावर प्लांट का कार्य सिद्धांत (WORKING PRINCIPLE OF THERMAL POWER PLANT IN HINDI):-

बेसिकली थर्मल पावर प्लांट रैंकिन साइकिल (Rankine cycle) किस सिद्धांत पर कार्य करता है। इसका ग्राफ आपको चित्र में दिख रहा होगा

चित्र में चार स्थिति को दिखाया गया है।

1. पहली स्थिति में पानी high pressure और Low temperature पर रहता है।
2. दूसरी स्थिति में पानी वाष्प के रूप में  high pressure और high temperature पर रहता है।
3. तीसरी स्थिति में भी पानी वाष्प के रूप में ही रहता है लेकिन इस समय low pressure तथा high temperature रहता है।
4. चौथी स्थिति में वाष्प पानी में बदल जाता है। लेकिन इस स्थिति में low pressure और low temperature होता है।

भारत में थर्मल पॉवर प्लांट की स्थिति : –

भारत में अगर देखा जाये तो थर्मल पॉवर प्लांट की कुल संख्या लगभग 399 है. इस प्रकार के पॉवर प्लांट इन इंडिया में सबसे ज्यादा मात्र में पाए जाते है. क्यकी इंडिया की 85 % पॉवर की पूर्ति इसी इसी प्रकार के पॉवर प्लांट से होती है.

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