Switch gear and protection in hindi

परिचय:-

ट्रांसमिशन लाइन पावर को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने के लिए इस्तेमाल करते हैं। लेकिन इस पावर को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने के लिए हम बहुत सारे प्रकार के सुरक्षा उपकरणों को लगाते हैं। ताकि हमारे भारी से भारी उपकरण और बहुमूल्य उपकरण काफी जो महंगे होते हैं वह फाल्ट की स्थिति में खराब होने से बच जाए। आज किस पोस्ट में हम ट्रांसमिशन लाइन में लगने वाले स्विचगियर और प्रोटेक्शन (Switch gear and protection in Hindi) के बारे में विस्तार से समझेंगे।

स्विचगियर और प्रोटेक्शन (Switchgear and protection in Hindi):-

स्विचगियर और प्रोटेक्शन (Switch gear and protection in Hindi) ऐसे उपकरण हैं। जिनके द्वारा हम पावर को चालू तथा बंद करते हैं। तथा पूरे सर्किट को भी एक साथ सुरक्षा भी देते हैं। इसमें उपकरणों में विभिन्न प्रकार के उपकरण को हम गिन सकते हैं। जिसमें से कुछ मुख्य उपकरण निम्न प्रकार है।

  1. रिले
  2. सर्किट ब्रेकर
  3. आइसोलेटर
  4. लाइटिंग अरेस्टर (L.A.)

रिले (Relay) :-

रिले एक ऐसा उपकरण है जो परिपथ या सर्किट में असामान्य स्थिति को डिटेक्ट करता है तथा उस स्थिति में रिले सर्किट ब्रेकर को सिग्नल भेजता है। जिससे सर्किट ब्रेकर परिपथ को ट्रिप करा देता है। यह रिले भी अलग-अलग प्रकार के आते हैं जिसको हम एक अलग पोस्ट में डिस्कस करेंगे।

सर्किट ब्रेकर (Circuit breaker in Hindi):-

सर्किट ब्रेकर एक प्रकार का स्विचिंग डिवाइस है जो कि परिपथ को ऑन और ऑफ करने का काम करता है। यह सर्किट ब्रेकर हम परिपथ को ऑन तथा आप करने के लिए लगाते हैं। या शिवसिंह सिस्टम ऑटोमेटिक स्विचिंग का भी काम करता है। इसके साथ ही आप इसे मैनुअली ऑन तथा आप कर सकते हैं।

ऑटोमेटिक स्विचिंग में टाइपिंग कमांड देने का काम रिले करता है। सर्किट ब्रेकर भी अलग-अलग प्रकार के होते हैं जो कि उपयोग के अनुसार अलग-अलग जगह पर इस्तेमाल किए जाते हैं। सर्किट ब्रेकर के बारे में हम इस पोस्ट में कवर किया है जो कि आप इस लिंक पर नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं।

आइसोलेटर(isolator in Hindi):-

आइसोलेटर भी स्विचिंग उपकरण के अंतर्गत ही आता है। यह उपकरण भी परिपथ को ऑन तथा ऑफ करने के काम में आता है। लेकिन इसको हम ऐसी स्थिति में प्रयोग करते हैं जब हमारा परिपथ में नो लोड हो तभी हम isolator को प्रयोग करते हैं। यानी कि isolator का उपयोग no-load की स्थिति में किया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है।

क्योंकि अगर हम लोड की स्थिति में isolator को काम में लाए तो चुकी isolator में किसी भी प्रकार के आग बुझाने की व्यवस्था नहीं होती है। तो अगर हम isolator को लोड की स्थिति में ऑन तथा ऑफ कर आते हैं तो बहुत ज्यादा आर्क उत्पन्न होगी जिसकी वजह से आग लगने की संभावना उत्पन्न होती है। इसके लिए हम पहले सर्किट ब्रेकर से परिपथ को ऑफ कर लेते हैं उसके बाद से isolator का स्विचिंग प्रक्रिया को पूरा करते हैं।

अब सवाल यह आता है कि यदि हम isolator को नो लोड की स्थिति में प्रयोग कर रहे हैं तो isolator का उपयोग ही क्या है। जब हम लोड की स्थिति में सर्किट ब्रेकर को ही इस्तेमाल कर लेते हैं। तो हम आपको बता दें कि जब हमारा कोई एक परिपथ या स्विचयार्ड में फाल्ट या दोष या किसी प्रकार की मरम्मत की जरूरत होती है। तो उसी स्थिति में हम मेन लाइन से पूरे उस परिपथ को अलग करने के लिए या उस स्विच यार्ड को मेन लाइन से अलग करने के लिए isolator का प्रयोग करते हैं। इस स्थिति में सर्किट ब्रेकर काम में नहीं आता है।

उदाहरण के तौर पर यदि हम मान लेते हैं कि एक सब स्टेशन में बहुत बड़ी फाल्ट आई है। और उस फाल्ट को ठीक करने के लिए हमें मेन लाइन जोकि दूर से आई है उस लाइन से हमें उस स्विच यार्ड को या उस पूरे सबस्टेशन को अलग करना है, तो उसके लिए हम सर्किट ब्रेकर का इस्तेमाल न करके isolator का इस्तेमाल करते हैं।

इसके लिए हम पहले सर्किट ब्रेकर को ट्रिप कराते हैं। ताकि स्विचयार्ड में नो लोड की स्थिति बन जाए और जब नो लोड की स्थिति बन जाती है, तो isolator को ऑपरेट करते हैं। तथा मेन से पूरे स्विचयार्ड या सब स्टेशन को अलग कर देते हैं। उसके बाद हम जितने भी मरम्मत की प्रक्रिया है। उसको आगे जारी रखते हैं।

80 लीटर को हम उनके लगाने के हिसाब से दो भागों में बांट सकते हैं।

1. लाइन साइड आइसोलेटर्स (LSI)
2. बस साइड आइसोलेटर (BSI)

इसका चित्र आप नीचे देख सकते हैं। आइसोलेटर को ट्रांसमिशन लाइन एक छोर पर लगाया गया है। तथा एक isolator को दूसरे छोर पर लगाया गया है।

Switch gear and protection in hindi

LSI और BSI में एक मुख्य अंतर होता है। LSI में अर्थिंग करते है जबकि आप BSI में अर्थिंग नही कर सकते है। क्योंकि अगर आप BSI के तरफ अर्थिंग कर देते हैं। तो आपका लीकेज करंट का मान बहुत ज्यादा बढ़ जायेगा।

Lightning arrestor:-

यह एक प्रकार का प्रोटेक्टिव डिवाइस है। जो कि एक स्पेशल केस में परिपथ में फॉल्ट उत्पन्न होने से बचाता है। लाइटनिंग अरेस्टोर जैसे को नाम से ही लग रहा है की यह डिवाइस आसमानी बिजीली से परिपथ को बचाता है।

यह डिवाइस लाइटनिंग को जो कि काफी ज्यादा पावरफुल होता है और यह इतना पावरफुल होता है की आपके पूरे परिपथ को जलाने तक का पावर रखता है। तो ऐसे पावरफुल और डेंजरस चीज से बचाने के लिए लाइटनिंग अरेस्टोर लगाते है।

यह डिवाइस आसमान से गिराने वाली बिजली को अपने तरफ खीच लेता है और चुकी इसका एक सिरा अर्थ से कनेक्टेड होता है तो यह जितने भी बिजिलि को अवशोषित किया है।

उसको वापस अर्थ में भी देता है। और इससे हमारा परिपथ और परिपथ से जुड़े सारे उपकरण बेकार होने से बच जाता है।

लाइटनिंग अरेस्टर में एक स्पेशल गुण होता है। कि इस डिवाइस में लगे मैटेरियल में ऐसा गुण होता है की यह नॉर्मल स्थिति में इसका मैटेरियल का रेजिस्टिविटी काफी हाई होती है।

जब इस पर बिजली गिरती है। इसकी रेजिस्टिविट निम्न हो जाती है। जिससे सारा पावर अर्थ में चला जाता है।

लाइटनिंग अरेस्टर भी कई प्रकार के होते हैं। जिसका डिस्कशन हम बाद में करेंगे तो तो उसका लिंक नीचे लगा दिया जायेगा। ।

इसके साथ ही ट्रांसमिशन लाइन में स्विच गियर और प्रोटेक्शन (Switch gear and protection in Hindi) के अंतर्गत निम्न प्रकार के उपकरण लगाते हैं।

  • करंट ट्रांसफार्मर (Current transformer or CT)
  • पोटेंशियल ट्रांसफार्मर (Potential transformer or PT)

करंट ट्रांसफार्मर (Current transformer or CT):-

दोस्तों, करंट ट्रांसफार्मर एक इंस्ट्रूमेंट ट्रांसफार्मर के अंतर्गत आता है। CT का उपयोग ट्रांसमिशन लाइन में एमीटर को कनेक्ट करने के लिए लगाते है। मतलब की ट्रांसमिशन लाइन में करंट को मापने के लिए करंट ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल करते हैं। इसमें एमिटर को करंट ट्रांसफार्मर के श्रेणी क्रम (Series) में कनेक्ट करते है।

जबकि पोटेंशियल ट्रांसफार्मर को वोल्टमीटर के साथ पैरेलल में कनेक्ट करते है। यदि PT का प्राइमरी सिरा यानी की सबस्टेशन को रेटिंग 132 /33 kv का हो तो PT का सेकेंडरी वाइंडिंग का वोल्टेज रेटिंग 110 volt होता है।

पोटेंशियल ट्रांसफार्मर (Potential transformer or PT):-d

पोटेंशियल ट्रांसफार्मर (PT) को ट्रांसमिशन लाइन में वोल्टमीटर को कनेक्ट करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। मतलब की ट्रांसमिशन लाइन में वोल्टेज मापने के लिए PT का इस्तेमाल किया जाता है। पोटेंशियल ट्रांसफार्मर में वोल्टमीटर को पैरेलल में कनेक्ट करते है।