Solar panel in hindi | Types of solar panel in hindi | सोलर पैनल क्या है

परिचय (Introduction to Solar panel in Hindi):-

सूर्य से प्राप्त होने वाली सौर ऊर्जा को हम विभिन्न प्रकार के यंत्रों से उसे अलग-अलग तरीकों से इस्तेमाल करते हैं। जिसमें से एक टेक्नोलॉजी सोलर पैनल (Solar panel in Hindi) है। 

सूर्य से प्राप्त सौर ऊर्जा को किस किस तरीके से इस्तेमाल करते हैं इसको जानने के लिए आप नीचे दिए गए आर्टिकल लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं।

ऊर्जा के संबंध में एक सर्वे के मुताबिक सोलर पैनल की मांग दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। और भविष्य में हमारे लिए सौर ऊर्जा ही हमारे लाइफ का एक अहम विकल्प होगा। 

सोलर पैनल (Solar panel in Hindi) :- 

सोलर पैनल बहुत सारे photo voltaic सेलो का समूह होता है। इस फोटो वोल्टिक सेलो को आपस में श्रेणी तथा समांतर क्रम में जोड़कर एक प्लेट पर व्यवस्थित कर दिया जाता है। तथा उसके ऊपर कांच की एक केसिंग किया जाता है। ताकि यह सेल बाहरी वातावरण के प्रभाव तथा पानी के प्रभाव से बचा रहे।

Electrical books in Hindi | ये इलेक्ट्रिकल बुक्स एग्जाम बूस्टर साबित हो सकती हैं

ये photo voltaic cell बहुत कम मात्रा में वोल्टेज देती है। लेकिन जब बहुत सारे सेलों को श्रेणी तथा समांतर क्रम में जोड़ा जाता है तो इसका वोल्टेज का मान बढ़ जाता है। 

फोटो वोल्टिक सेल का कार्य सिद्धांत (working principle of photovoltaic cell in Hindi):- 

Photo voltaic cell, सेमीकंडक्टर मटेरियल से बने होते हैं। प्रकृति में सेमीकंडक्टर मैटेरियल ऐसे पदार्थ होते हैं जो सूर्य से प्राप्त सौर प्रकाश के फोटॉन को अवशोषित करते हैं। फोटोवॉल्टिक सेल में SiO2 नामक सेमीकंडक्टर मैटेरियल का प्रयोग किया जाता है। हालांकि ये सेमीकंडक्टर मैटेरियल भरपूर मात्रा में रेत में पाया जाता है, लेकिन जब इसे रेत में से निकाल कर बाहर करने की बात होती है तो यह मटेरियल महंगा हो जाता है। 

सेमीकंडक्टर मैटेरियल का यह गुण होता है कि जब इस पर प्रकाश पड़ता है तो यह प्रकाश के फोटॉन कण को अवशोषित करते हैं तथा फ्री इलेक्ट्रॉन बनाते हैं। ये इलेक्ट्रॉन सामान्य फ्री इलेक्ट्रॉन की अपेक्षा ज्यादा उत्तेजित तथा उर्जित होते हैं। यानी कि इसमें अपेक्षाकृत अधिक उर्जा होती है। यही फ्री इलेक्ट्रॉन बाहर निकल कर एक इलेक्ट्रिक फील्ड में बहते हैं या मूव करते हैं। 

एक पीवी सेल मैं सेल पर प्रकाश गिरने से लेकर आउटपुट पर प्राप्त इलेक्ट्रिक पावर तक के क्रियाएं निम्न तीन भागों में बांटा जा सकता है। 

1. पहली क्रिया में प्रकाश पड़ने पर फोटॉन सक्रिय भाग द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है। तथा मुक्त इलेक्ट्रॉन उत्तेजित होकर उच्च विभव वाला ऊर्जा प्राप्त कर लेते हैं। 

2. दूसरी क्रिया में यह उत्तेजित इलेक्ट्रॉन कर एक किनारे पर लग जाते हैं और जमा हो जाते हैं। यह किनारा पीवी सेल का आउटपुट टर्मिनल होता है। 

3. तीसरे चरण की क्रिया में जब टर्मिनल को लोड से जोड़ा जाता है तो गुरजीत और उच्च विभव वाले मुक्त इलेक्ट्रॉन उस रोड पर टर्मिनल के जरिए पहुंच जाते हैं और उसे यानी कि उस लोड को चलाते हैं। 

सोलर पैनल के प्रकार (Types of solar panel in Hindi):- 

आजकल के दौर में सोलर पैनल के मुख्य रूप से चार प्रकार के पैनल मार्केट में सबसे ज्यादा उपलब्ध होते हैं।

  1. मोनोक्रिस्टलिन सोलर पैनल (Monocrystalline solar panel )
  2. पॉलीक्रिस्टल सोलर पैनल (Polycrystalline solar panel)
  3. पैसिव एमिटर एंड रियर सेल (passivated emitter and rear cell PERC)
  4. थीन फिल्म सोलर पैनल (Thin film solar panel)

 

मोनोक्रिस्टलिन सोलर पैनल (Monocrystalline solar panel):- 

Monocrystalline solar panel को सिलिकॉन की एक सिंगल क्रिस्टल को लेकर इसमें से एक सेल को तैयार किया जाता है। इसमें सबसे शुद्ध मात्रा का सिलिकॉन इस्तेमाल किया जाता है। यही कारण है कि Monocrystalline सोलर पैनल का कलर एकदम डार्क ब्लैक होता है। इसे एक सिंगल क्रिस्टल से तैयार किया जाता है। अतः इसे Single crystal solar panel भी कहते है। 

Solar panel in Hindi
Image credit: wikimedia (Monocrystalline solar panel)

इसमें एक सिंगल क्रिस्टल बनाने के लिए सिलिकॉन का नुकसान अपेक्षाकृत ज्यादा होता है। इसीलिए इस पैनल की प्राइस थोड़ा अन्य पैनल के मुकाबले ज्यादा होती है। 

इस प्रकार के सोलर पैनल की दक्षता अच्छी होती है। और ये पैनल लंबे समय तक चलने वाले होते हैं। 

पॉलीक्रिस्टलीन सोलर पैनल (Polycrystalline solar panel):- 

जैसा कि हम लोगों ने मोनो क्रिस्टल सोलर पैनल में पढ़ा कि इसमें एक सिंगल प्रकार का सिलिकॉन क्रिस्टल का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन पाली क्रिस्टल में जैसे कि नाम से लग रहा है कि इसमें भिन्न-भिन्न प्रकार के सिलिकॉन क्रिस्टल का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें विभिन्न प्रकार के सिलिकॉन क्रिस्टलो को एक उच्च ताप पर पिघलाकर एक आयताकार सांचे में ढाल दिया जाता है। और इस प्रकार से सेल का वेफर (wafer) तैयार कर लिया जाता है। इसमें सिल्कन क्रिस्टल के नुकसान होने की कोई संभावना नहीं रहती है। इसे मोनो क्रिस्टल में नुकसान हुए सिलिकॉन क्रिस्टल को भी प्रयोग में लाया जाता है। 

Solar panel in Hindi
image credit: wikimedia (polycrystalline solar panel)

थीन फिल्म सोलर पैनल (Thin film solar panel):- 

जैसा कि नाम से ही लग रहा है कि इस प्रकार के सोलर पैनल को बहुत पतला बनाया जाता है ताकि ये लचीला बना रहे। इस पैनल में फ्रेम की जरूरत नहीं पड़ती है। क्योंकि इसे लचीला बनाना आवश्यक होता है। ये पैनल हल्का होने के साथ साथ किसी भी आकार के साइज में इसे फिट कर दिया जाता है। 

इसमें अपेक्षाकृत कम दक्षता होती है। नॉर्मल पैनल में 60 या 72 या 96 cell को कंबाइन कर के बनाया जाए है । लेकिन थिन फिल्म सोलर पैनल (Solar panel in Hindi) आवश्यकता नुसार अलग अलग साइज में आते है। 

पैसिव इमिटर एंड रियर सेल (passivated emitter and rear cell or PERC panel):- 

PERC panel कहा जाए तो यह मोनोक्रिस्टलीन सोलर पैनल का अपडेटेड वर्जन है। मोनोक्रिस्टलीन सोलर पैनल को और ज्यादा दक्ष बनाने के लिए इस पैनल के सेल के पीछे वाले भाग पर एक निष्क्रिय पदार्थ का परत चढ़ा दिया जाता है। इसे ही PERC Solar panel कहते हैं। इसके पीछे वाले भाग पे पैसिवेशन लेयर चढ़ाने से निम्न प्रकार के सुधार देखे जा सकते हैं। 

निष्क्रिय परत चढ़ाने से – 

• यह सूर्य से आने वाली प्रकाश तरंगों को रिफ्लेक्ट कर पुनः सेल में भेज देती है। जिसकी वजह से सेल में सोलर रेडिएशन की मात्रा अपेक्षाकृत बढ़ जाती है।

• यह बड़ी तरंग धैर्य वाली तरंगों को भी रिफ्लेक्ट कर देती है। तथा सोलर रेडिएशन की मात्रा को बढ़ा देता है। यह बड़ी तरंग धैर्घ्य वाली प्रकाश के तरंगों को पैनल के प्लेट से आर पार नहीं होने देता है। उस तरंगों को फिर से सोलर सेल पर रिफ्लेक्ट कर देता है। चुकी 1180 nm वाली तरंगों को सिलिकॉन अवशोषित नहीं कर पाता है और इस से होकर गुजर जाता है यही कारण है कि इस निष्क्रिय परत को लगाया जाता है। PERC सोलर पैनल Monocrystalline सोलर पैनल से महंगा आता है। तथा इसकी दक्षता भी मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल से अधिक होती है। 

Types of solar system in Hindi:- 

अपने घर में या किसी छोटे से व्यवसाय का स्थानों पर मुख्यतः दो प्रकार के सोलर सिस्टम लगाए जाते हैं। 

  1. On grid solar system
  2. Off Grid solar system 

इन सभी प्रकार के सोलर सिस्टम मुख्य रूप से चार प्रकार के कंपोनेंट मिल कर पूरा करते हैं। 

  1. सोलर पैनल
  2. सोलर इन्वर्टर
  3. सोलर बैटरी
  4. ग्रिड पावर 

On grid solar system in Hindi:-

 इस प्रकार के सोलर सिस्टम में सोलर बैटरी की कोई जरूरत नहीं होती है। ऐसे सोलर सिस्टम वहा पर लगाए जाते हैं जहां ग्रिड पावर में कटौती की समस्या बहुत कम देखने को मिलती है। यह on grid solar system लगाने का मुख्य उद्देश्य ग्राहकों के बिजीली के बिल में कमी लाना होता है। 

यह on grid solar system, Grid से इंटरकनेक्ट कर दिया जाता है। जब दिन का समय होता है तो ग्राहक सोलर से पावर लेता है। और उपयुक्त पावर लेने के बाद जो अतिरिक्त पावर बचाता है उसे पावर ग्रिड में भेज दिया जाता है। अतः इसमें दो प्रकार के मीटर लगाए जाते है। 

एक मीटर ग्रिड द्वारा खर्च किया हुआ यूनिट को दिखाता है तथा दूसरा एनर्जी मीटर दिन के समय में सोलर सिस्टम के द्वारा ग्रिड को वापस लिया हुआ यूनिट को दर्शाता है। इस प्रकार से हम देखते है कि ग्राहक का ओवराल बिजली का खर्च बहुत कम आता है। कभी-कभी तो ग्राहक यह भी कहते हैं कि बिजली का बिल जीरो आता है। 

Off grid solar system in Hindi:- 

इस प्रकार के सोलर सिस्टम में पावर ग्रिड से कोई कनेक्शन नहीं होता है। इसमें सोलर पैनल, सोलर बैटरी, तथा सोलर इनवर्टर की आवश्यकता होती है। दिन के समय में हम सोलर पैनल के जरिए घर का पावर सप्लाई के साथ-साथ बैटरी को भी चार्ज कर लेते है। इसके बाद रात के समय बैटरी से पावर लिया जाता है। 

Saur urja project in hindi:- 

सौर ऊर्जा हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण है। जो कि आने वाले समय में और ज्यादा महत्वपूर्ण होने वाला है। अतः इस संदर्भ में भारत सरकार भी अपने कदम तेजी से बढ़ा रही है। इसी के साथ भारत भी पूरे देश में अलग-अलग जगह सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट को स्थापित कर रही है। भारत सरकार के साथ अन्य प्राइवेट संस्था भी इस सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट को लगाकर पैसा कमा रहे हैं। इस सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट के जरिए एक बहुत बड़े क्षेत्र में सोलर पैनल (Solar panel in Hindi) स्थापित करके बिजली पैदा की जाती है। जिसको नजदीकी गांव कस्बों में सप्लाई किया जाता है तथा उसके बदले लोगों से पैसा लिया जाता है। भारत के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट निम्न है। 

भादला सोलर पार्क (Bhadla solar park) :- 

भादला सोलर पार्क भारत के साथ-साथ विश्व का सबसे बड़ा सोलर ऊर्जा प्लांट है। यह राजस्थान के जोधपुर जिले के भादला गांव में स्थित है। इसकी पावर जेनरेशन कैपेसिटी 2250 मेगा वाट है। जोकि काफी बल्क मात्रा में पावर जनरेट करता है। पूरा राजस्थान अपनी पावर खर्च का 10 परसेंट पावर सोलर प्लांट से लेता है। जिसमें से भादला सोलर प्लांट मुख्य भूमिका निभाता है। 

Shakti shithala solar power project :- 

यह सौर ऊर्जा प्लांट कर्नाटक के तुमाकुरु जिला में स्थित है। इस प्लांट की विद्युत उत्पादन क्षमता 2050 मेगा वाट है। 

अल्ट्रा मेगा सोलर पार्क:-

यह प्लांट आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले में स्थित है। इसका पावर जेनरेशन कैपेसिटी 1000 मेगा वाट है। यह प्लांट 2 साल के अंदर तैयार कर दिया गया था। 

Rewa solar project:- 

यह प्लांट मध्य प्रदेश के रीवा डिस्ट्रिक्ट में स्थित है। इसकी पावर जेनरेशन कैपेसिटी 750 मेगा वाट है। यह 1590 एकड़ में फैला हुआ प्लांट है। यह प्लांट एकलौता प्लांट है जिसको क्लीन टेक्नोलॉजी फंड से फंडिंग होने के साथ-साथ वर्ल्ड बैंक इंटरनेशनल फाइनेंस से कंसेशनल लोन मिला हुआ है। 

Kamuthi solar power plant :- 

Kamuthi solar power plant रामनाथपुरम जिले में स्थित है जो को तमिलनाडु में है। इसकी पावर जेनरेशन कैपेसिटी 648 मेगावाट है।

Leave a comment