परिचय :-
चुकी हम जानते है कि इंडक्शन मोटर मुख्य तो दो प्रकार के होते हैं। जिसमें पहला स्क्विरल केज इंडक्शन मोटर तथा दूसरा स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर (Slip ring induction motor in Hindi) होता है।
स्क्विरल केज इंडक्शन मोटर को हमने पहले ही एक पोस्ट में डिस्कस कर चुके हैं। अगर आपको देखना है तो आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं।
Squirrel cage induction motor in Hindi | स्क्विरल केज इंडक्शन मोटर की सरचना
आज के इस पोस्ट में हम स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर को विस्तार से डिस्कस करेंगे।
स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर (Slip ring induction motor in Hindi):-
ऐसे इंडक्शन मोटर जिनमें स्लिप रिंग टाइप रोटर का इस्तेमाल होता है उसे स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर कहा जाता है। इस प्रकार के मोटर की बल आघूर्ण अपेक्षाकृत उच्च होती है। अतः इस प्रकार के मोटर ऐसे स्थानों पर प्रयोग किए जाते हैं जहां पर उच्च बल आघूर्ण की आवश्यकता होती है।
स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर की संरचना (structure of slip ring induction motor in Hindi):-
स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर के स्टेटर की संरचना तो सामान्य रूप से सभी प्रकार के इंडक्शन मोटर के समान ही होती है लेकिन इनमें इसके रोटर की संरचना थोड़ा सा भिन्न होती है जिसको हम आगे इस के रोटर की संरचना को अच्छे से समझेंगे।
रोटर की संरचना :-
इसमें स्लिप रिंग टाइप रोटर का प्रयोग किया जाता है। इसमें रोटर का चित्र आपको नीचे दिख रहा होगा।

इस प्रकार के रोटर की कोर में दिष्ट धारा मोटर की तरह खांचे के बने होते हैं। इसके खांचे में 3 फेस की वाइंडिंग डबल लेयर की होती है। यह थ्री फेज वाइंडिंग डिस्ट्रीब्यूट वाइंडिंग होती है।
इसमें यह ध्यान देने की बात है कि रोटर में बिल्कुल उतने ही पोल की वाइंडिंग लगाई जाती है जितना कि स्टेटर में लगाई गई है। उदाहरण के तौर पर यदि स्टेटर में 4 पोल की वाइंडिंग लगाई गई है तो रोटर में भी 4 पोल की बैंडिंग ही लगाई जाएगी। रोटर वाइंडिंग को इंटरनली स्टार में संयोजित की जाती है
इस रोटर के सॉफ्ट पर तीन स्लिप रिंग लगे होते हैं। इन तीन स्लिप रिंग के ऊपर रोटर के बाइंडिंग को कनेक्ट कर देते हैं। इन्हीं तीन स्लिप रिंग पर कार्बन के ब्रूस लगे होते हैं। तथा इन ब्रशों से 3 तार बाहर निकाल लिए जाते हैं। इन्हीं तीन तार के जरिए हम मोटर को सप्लाई से जोड़ते हैं। तथा यह पावर सप्लाई ब्रशों से होते हुए स्लिप रिंग पर तथा स्लिप रिंग से होते हुए रोटर की वाइंडिंग तक जाती है।
लेकिन हमें यह ध्यान देने योग्य बात यह है कि बड़ी मशीनों को यानी कि थ्री फेज मशीनों को हम डायरेक्टली सप्लाई से नहीं जोड़ते हैं ऐसे मोटर को स्टार्ट करने के लिए विभिन्न प्रकार के स्टार्टर का प्रयोग किया जाता है।
मोटर को स्टार्टर से सप्लाई देने पर स्टार्टर मोटर को पहले कम वोल्टेज देकर धीरे-धीरे स्टार्ट करवाता है। जब मोटर अपनी स्पीड का लगभग 85% स्पीड प्राप्त कर लेता है तो स्टार्टर ऑटोमेटिक मोटर को मेन सप्लाई से कनेक्ट कर देता है।
सिंगल स्क्विरल केज इंडक्शन मोटर, डबल स्क्विरल केज इंडक्शन मोटर तथा स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर का तुलनात्मक वर्णन:-
सिंगल स्क्विरल केज | डबल स्क्विरल केज | स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर |
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स्टार्टिंग टॉर्क कम होता है | इसमें सिंगल स्क्विरल केज वाली से बल आघूर्ण अच्छा होता है | स्टार्टिंग टॉर्क बहुत अच्छा होता है |
रनिंग टाक अच्छा होता है | इसका गतिशील बल आघूर्ण भी अच्छा होता है। | रनिंग टॉर्क भी कुछ हद तक अच्छा होता है |
इसमें गति बिना लोड तथा पूर्ण रोड पर लगभग एक समान रहती है। | इसकी गति भी स्थिर रहती है। | फुल लोड पर गति कम हो जाती है |
पावर फैक्टर जीरो लोड पर कम तथा फुल लोड पर अच्छा होती है। | इसका पावर फैक्टर जीरो लोड की स्थिति में उतना खराब नहीं होता तथा पूर्ण लोड पर अच्छा होता है। | नो लोड पर पावर फैक्टर अच्छा होता है तथा अधिक लोड पर थोड़ा सा खराब होता है। |
संरचना में सरल होती है इसलिए इनकी देखरेख में अधिक सावधानी की आवश्यकता नहीं होती है | केवल रोटर की संरचना इसमें थोड़ा अंतर होता है। इसमें डबल स्क्वायरल केज इस्तेमाल किया जाता है। | इसकी रोटर की संरचना अन्य दोनों प्रकार के मोटर के रोटर की अपेक्षा जटिल होती है तथा देखरेख में भी अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। |
इनका मूल्य कम होता है। | यह अधिक सस्ती नहीं होती है | यह मोटर कीमती होती है। |
इनका गति नियंत्रण संभव नहीं है। | इनका गति नियंत्रण संभव नहीं है। | इसका स्पीड कंट्रोल किया जा सकता है |
इसका पावर फैक्टर लेगिंग होता है। | इसका भी पावर फैक्टर लेगिंग होता है | इसका भी पावर फैक्टर पश्चिम गामी होता है |
यह मोटर उन कम शक्ति वाले उद्योगों के लिए उपयोग होती है जहां गति नियंत्रण की आवश्यकता नहीं होती है। जैसे लेट प्रिंटिंग मशीन आटा चक्की जल पंप ड्रिल मशीन आदि। | जहां सुधरे हुए पावर फैक्टर तथा अच्छे बल आघूर्ण की आवश्यकता होती है वहां पर इन मशीनों का प्रयोग किया जाता है। | इस मोटर का उपयोग वहां पर किया जाता है जहां पर स्टार्टिंग टॉर्क की आवश्यकता होती है। जैसे लिफ्ट, आरा मशीन, लाइन सॉफ्ट आदि। |
थ्री फेज इंडक्शन मोटर से संबंधित आपके मन में उठने वाले कुछ प्रश्न और उनके उत्तर:-
प्रश्न :- इंडक्शन मोटर का स्टार्टिंग टॉर्क बढ़ाने के लिए आप क्या करेंगे?
उत्तर: – सबसे आसान मेथड है रोटर का प्रतिरोध बढ़ाकर लेकिन चैलेंजिंग काम यह है कि प्रतिरोध बढ़ाने की प्रक्रिया सिर्फ स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर में ही संभव है। क्योंकि स्क्वायरल केज इंडक्शन मोटर में तो इसके रोटर वाइंडिंग परमानेंट शॉर्ट सर्किट होते हैं।
प्रश्न: – प्रेरण मोटर के रोटर के खर्चे को तिरछा क्यों बनाया जाता है?
उत्तर:- रोटर के खांचे तिरछा से बनाने से निम्न लाभ होता है।
• मोटर में होने वाले हमिंग शोर कम होती है।
• स्टेटर और रोटर के मध्य चुंबकीय पकड़ कम हो जाती है क्योंकि इससे रोटर के खांचे स्टेटर के खांचे के एकदम नीचे आती है।
• तिरछा बनाने से रोटर के छड़ों की लंबाई बढ़ जाती है जिससे स्क्वायरल केज रोटर का अपेक्षाकृत प्रतिरोध भी बढ़ जाता है।
प्रश्न:- इंडक्शन मोटर के घूमने की दिशा किस प्रकार बदली जा सकती है?
उत्तर:- यह काम आसान है। 3 फेस की मोटर में किन्हीं दो फेज को आपस में बदल कर इंडक्शन मोटर के घूमने की दिशा को बदला जा सकता है। उदाहरण के तौर पर यदि फेज का क्रम RYB है तो आप उसे RBY कर देंगे तो इंडक्शन मोटर के घूमने की दिशा बदल जाएगी।
प्रश्न :- इंडक्शन मोटर में स्टेटर तथा रोटर के मध्य एयर गैप का क्या प्रभाव होता है?
उत्तर: – सबसे पहला प्रभाव यह होता है कि इसकी दक्षता कम हो जाती है। क्योंकि इसमें हानि बढ़ जाती है हम। अगर हम ट्रांसफार्मर की दक्षता की बात करें तो इसमें कोई एयर गैप ना होने के कारण इसकी दक्षता 98 से 99% तक होती है।
एयर गैप बढ़ने से लीकेज रिएक्टेंस तथा मैग्नेटाइजिंग करंट ट्रांसफार्मर की अपेक्षा इंडक्शन मोटर में बढ़ जाती है। छोटी मशीनों में या सिंगल फेज इंडक्शन मोटर या फ्रेक्शनल हॉर्स पावर वाले मोटर में एयर गैप 0.508 mm तथा बड़ी मशीनों में यानी कि 3 फेस इंडक्शन मोटर में एयर गैप 1 mm या 1.5 mm तक होता है।
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