परिचय:-
दोस्तों अगर हम ट्रांसमिशन लाइन को सही तरीके से सुरक्षित ऑपरेट करना है तो हमे ट्रांसमिशन लाइन में रिले को एक व्यवस्थित क्रम में लगाने (Relay Zone Setting in Hindi) की जरूरत है। अन्यथा रिले गलत तरीके से ऑपरेट करेगा और ट्रांसमिशन लाइन के फॉल्ट सेक्शन को अलग नही कर पायेगा। अतः रिले को सही तरीके से ऑपरेट करने के लिए हम ट्रांसमिशन लाइन को अलग अलग जोन में बांट देते हैं।
रिले जोन सेटिंग ( Relay Zone Setting in Hindi):-
ट्रांसमिशन लाइन को पूरी तरह से सुरक्षित रखने के लिए इसे मुख्य रूप से चार जोन में बाटा जाता है।
- Zone -1
- Zone -1
- Zone – 3
- Zone – 4
इन चारों जोन के रिले को सेटिंग अलग अलग की जाती है। ताकि अलग अलग प्रकार के फॉल्ट को रिले सेंस कर सके। तो आइए इन सभी जोन्स को अच्छे से स्खते हैं।
Zone -1 Setting :-
Zone -1 की रिले सेटिंग प्रिंसिपल लाइन की लंबाई का 80% पर किया जाता है। जैसे की अगर हम मान ले कि मुख्य प्रिंसिपल लाइन की लंबाई 30 km है तो 30 km का 80% ही Zone -1 की सेटिंग की जाती है। यानी की Zone -1 में रिले की सेटिंग 24 km की लाइन को प्रोटेक्ट करता है। यही भाग Zone -1 कहलाता है।

इस जोन में रिले का ऑपरेटिंग टाइम instantaneous होता है। मतलब की 40 – 50 मिली सेकंड या 100 मिली सेकंड होता है। जो की बहुत कम है। लेकिन टाइम हम जीरो नही कर सकते है।
अगर हम भारत में रिले के सबसे तेज गति से ऑपरेट करने की बात करे तो भारत में अब तक सबसे तेज गति से ऑपरेट में 40 – 50 मिली सेकंड का टाइम लगा है। जो को अब तक का सबसे तेज गति से ऑपरेट करने वाला रिले है।
Total impedance of Zone -1 transmission line :-
सामान्यतः ट्रांसमिशन लाइन में कंडक्टर के रूप में ACSR Panther conductor प्रयोग किया जाता है।और इसका मानक impedance Z = 0.438Ω (ओह्म) होता है। अतः हम आगे की गणना इसी मान के आधार पर करते है।
अब जबकि हमे ज्ञात है कि प्रिंसिपल लाइन की लंबाई 30km है तो इस लाइन का impedance 30×0.438 Ω होगा। यानी लाइन की कुल impedance Z = 13.14 Ω होगा।
अब चुकी Zone -1 में कुल लाइन का 80 परसेंट है तो इस impedance का 80 परसेंट इंपेडेंस Z = 10.4 Ω होगा।
Summary (Zone -1):-
• 80% of principle line
• Impedance – 10.4 Ω
• Relay operating time – instantaneous या 40-50 मिली सेकंड या 100 मिली सेकंड
Zone – 2 relay setting:-
अब ट्रांसमिशन लाइन के Zone – 2 relay setting में प्रिंसिपल लाइन का 100% लेते है। और साथ ही 20 % आगे के sub transmission line का लेते है। मतलब की कुल मिलाकर 120% का दूरी Zone – 2 के अंतर्गत कर किया जाता है।
नीचे दिए गए चित्र के अनुसार अगर माना जाए कि सब ट्रांसमिशन लाइन भी 30 km का ही है। तो इस 30 km का 20% यानी की 6km होगा। अतः Zone – 2 में अगर देखा जाए तो लाइन को कूल दूरी 30+6 = 36 km है।

अगर इंप्डेंस को बात करें तो Z = (120 / 100) × 0.438 = 15.768 Ω होगा।
Zone – 2 में रिले का ऑपरेटिंग टाइम 350 मिली सेकंड होता है। यदि ट्रांसमिशन लाइन की लंबाई 200 km तक है। यदि ट्रांसमिशन लाइन की लंबाई 200 km से ज्यादा है तो रिले का ऑपरेटिंग टाइम 400 मिली सेकंड होता है।
Summary (Zone – 2) :-
• 120 – 150% of principle line
• Impedance – 15.768 Ω
• Relay operating time :- 350 – 400 मिली सेकंड
Zone – 3 relay setting:-
यह Zone – 3 प्रिंसिपल लाइन की लंबाई का 200% लिया जाता है। मतलब की इस जोन में लगा रिले प्रिंसिपल लाइन के 200% तक ले लंबाई वाले लाइन में आने वाले फाल्ट को सेंस करता है। मतलब की अगर प्रिंसिपल लाइन को लंबाई 30 km है तो यह जोन 30 km और आगे के लाइन को कवर करता है। यानी की 60 km का क्षेत्र Zone – 3 के अंतर्गत आएगा।
इसमें लगा रिले का ऑपरेटिंग टाइम 800 – 1000 मिली सेकंड होता है।

अगर हम impedance से बात करें तो इसमें टोटल impedance भी प्रिंसिपल लाइन लंबाई का दोगुना होता है। यानी को हम पहले ही जान चुके है कि 30 km के लाइन के लिए impedance Z = 13.14 Ω है तो 60 km के लिए इसका दोगुना 26.28 Ω होगा।
Summary (Zone -3):-
• 200% of principle line
• Impedance Z = 26.28Ω
• Relay operating time – 800 – 1000 मिली सेकंड
इसे भी पढ़ें –
types of Relay in in Hindi | लाइन के दुरी के आधार पर
Types of relay in Hindi | ऑपरेशन के आधार पर रिले के प्रकार
Zone -4 relay setting:-
यह जोन ट्रांसमिशन लाइन में रिवर्स डायरेक्शन में फॉल्ट को डिटेक्ट करने के लिए बनाया जाता है।
इसमें रिले Zone -1 के रिवर्स डायरेक्शन में आने वाले फाल्ट को सेंस करता है। और Zone -4 की लंबाई रिवर्स डायरेक्शन में Zone -1 का 10-25% होता है।

इसमें impedance का मान Zone -1 का 10-25% होता है। और इस Zone -4 में लगा रिले का ऑपरेटिंग टाइम 1500-2000 मिली सेकंड होता है।
Summary (Zone -4) :-
• 10-25% of Zone -1 in reverse direction
• Impedance Z = 10-25 % of Zone -1
• Relay operating time- 1500 – 2000 milli second
Summary of all Zones:-
आपको नीचे चित्र दिख रहा होगा। इसमें आपको चारों जोनों के बारे में दिखाया गया है।

इसमें माना अगर दिखाए गए स्पॉट प्वाइंट A पर फॉल्ट आता है। तो outgoing -1 में लगा Zone -1 का रिले इस फॉल्ट को सेंस करता है। और साथ ही आप देख सकते है की प्रिंसिपल लाइन के Zone – 2 के अन्दर भी यह फॉल्ट आएगा। और प्रिंसिपल लाइन के Zone – 3 के अंदर भी आएगा। अतः ये तीनो जोन इस फॉल्ट को सेंस करेगा।
लेकिन अब बात यह आती है को कौन सा रिले ऑपरेट करेगा। क्या ये तीनो रिले ऑपरेट करेगा? लेकिन ऐसा नही है। जिस रिले का ऑपरेटिंग टाइम सबसे कम होता है वही रिले पहले ऑपरेट करेगा। अतः outgoing -1 का Zone -1 का रिले पहले ऑपरेट करेगा। क्योंकि इसका ऑपरेटिंग टाइम instantenious होता है।
यदि किसी कारणवश इस outgoing -1 का relay ऑपरेट नही करता है। तो प्रिंसिपल लाइन का Zone -2 का रिले 350 -400 मिली सेकंड के बाद ऑपरेट कर जाएगा। अगर किसी कारणवश ये रिले भी ऑपरेट नही किया तो प्रिंसिपल लाइन का Zone -3, 800 – 1000 millisecond के बाद ऑपरेट करेगा। अतः इस प्रकार देखा जाए तो एक फॉल्ट से प्रोटेक्शन के लिए ट्रांसमिशियो लाइन में तीन प्रोटेक्शन लेयर काम कर रहा है। यही करना है की ट्रांसमिशन लाइन की रिलेबिलिटी काफी ज्यादा होती है।