Rectification in Hindi | रेक्टिफिकेशन क्या होता है, इसके प्रकार (PDF)

परिचय (Introduction):-

हालांकि हम लोग जानते हैं कि हमारे घरों में आने वाली पावर सप्लाई एसी वोल्टेज होती है। फिर भी हमें कभी-कभी डीसी सप्लाई की आवश्यकता पड़ती है। जैसे कि किसी बैटरी को चार्ज करना है तो हमें डीसी वोल्टेज की आवश्यकता पड़ेगी। अतः इस स्थिति में बैटरी चार्जर में लगने वाला उपयंत्र रेक्टिफिकेशन का कार्य करता है अर्थात एसी को डीसी वोल्टेज में चेंज करने का कार्य करता है। आज की इस पोस्ट में हम समझेंगे कि रेक्टिफिकेशन (Rectification in Hindi) की क्रिया में वे कौन-कौन सी कंपनी को लगाया जाता है और रेक्टिफिकेशन की क्रिया को कैसे संपन्न किया जाता है।

रेक्टिफिकेशन क्या है (Rectification in Hindi): –

AC voltage को डीसी वोल्टेज में परिवर्तित करना ही रेक्टिफिकेशन (Rectification in Hindi) कहलाता है। इसरत इफिकेशन की प्रक्रिया में बहुत सारे प्रकार की कंप्लेंट जैसे ट्रांसफार्मर डायोड इंडक्टर तथा संधारित्र का उपयोग किया जाता है। रेक्टिफिकेशन (Rectification in Hindi) में प्रयोग होने वाले कंप्लेंट की पूरी व्यवस्था को रेक्टिफायर (Rectifier in Hindi) कहते हैं।

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रेक्टिफायर के प्रकार (types of rectifier in Hindi): –

रेक्टिफायर भी दो प्रकार के होते हैं, जो कि निम्न है।

  1. हॉफ वेव रेक्टिफायर (Half wave rectifier)
  2. फुल वेव रेक्टिफायर (full wave rectifier)

हॉफ वेव रेक्टिफायर (Half wave rectifier in Hindi):-

तो आइए हम समझते हैं कि हॉफ वेव रेक्टिफायर क्या करता है कि इसे हाफ वेव रेक्टिफायर कहा जाता है। तथा या फुल वेव रेक्टिफायर से कैसे भिन्न है। आपको चित्र में दिख रहा होगा कि इस रखती फायर में कौन-कौन से component लगा है। इसमें ट्रांसफार्मर लगा है जोकि स्टेप डाउन ट्रांसफॉर्मर है। ट्रांसफार्मर की सेकेंडरी साइड में rectification के लिए एक डायोड लगा है तथा एक लोड को चित्र अनुसार जोड़ा गया है।

हॉफ वेव रेक्टिफायर (Half wave rectifier in Hindi)
Half wave rectifier circuit

कार्यविधि:-

जैसा कि हम जानते हैं कि एसी वोल्टेज का फेजर डायग्राम नीचे दिखाए गए चित्र के अनुसार होता है। जिसमें एसी वोल्टेज का वेवफॉर्म सिनोसोइडल (Sinosoidal) होता है। इस वेव फॉर्म में आप देख सकते हैं कि एसी वोल्टेज के प्रथम चक्र के आधे साइकिल में पॉजिटिव वेव फॉर्म बनाया गया है। तथा प्रथम चक्र के शेष आधे साइकिल नेगेटिव फॉर्म बनाया गया है। यानी की पूरी साइकल 2π(360°) डिग्री का होता है जिसकी एक पाई पॉजिटिव है तथा दूसरा पाई नेगेटिव साइकिल है।


अब दूसरे आधे साइकिल में टर्मिनल A ऋणात्मक तथा टर्मिनल B धनात्मक होगा। इस स्थिति में डायोड ऋणात्मक साइकिल को रोक देगी क्योंकि डायोड उसी स्थिति में ऑफ रहेगा अतः ऋणआत्मक वेव लोड से होते हुए नहीं रहेगी इस प्रकार हम देखते हैं कि सिनोसॉइडल बेब के आधे साइकिल को रेक्टिफायर द्वारा रेक्टिफाइड कर दिया गया है। अतः इसे हम हॉफ वेव रेक्टिफायर कहते हैं।

फुल वेव रेक्टिफायर (Full Wave rectifier in Hindi):-

फुल वेव रेक्टिफायर का सर्किट हम दो प्रकार से बना सकते हैं। पहला ये कि हम इसमें दो डायोड लगाएंगे तथा ट्रांसफार्मर के सेकेंडरी वाइंडिंग को सेंटर में टेपित कर देंगे। जैसा की चित्र में दिख रहा होगा।

Rectification in Hindi

फुल वेव रेक्टिफायर में sinusoidal वेब के पूरे एक साइकिल को रेक्टिफाई किया जाता है। इस चित्र में आप देख सकते हैं कि लोड को सेंटर में टेपित किए गए टर्मिनल से जोड़ा गया है। इसमें जब टर्मिनल पर प्रथम हाफ साइकिल में पॉजिटिव रहती है तो धारा टर्मिनल से होती हुई लोड में x सिरे से y सिरे की ओर बहती है।

अब जब टर्मिनल A दूसरे हाफ साइकिल में नेगेटिव होता है तथा टर्मिनल B पॉजिटिव होता है तो इस समय टर्मिनल A यह वाला डायोड नेगेटिव वेब को ब्लॉक कर देता है तथा इस समय टर्मिनल B वाला डायोड ऑन रहता है। अतः इस सेकंड हाफ साइकिल मे आ डायोड D2 से होती हुई लोड में x से y की ओर ही बहती है। इस प्रकार हम देख सकते हैं कि दो अर्ध साइकिल में धारा, लोड में x से y की ओर ही बहती है। अतः यह व्यवस्था पूरे एक साइकिल को रेक्टिफाइड कर देता है। इसका रेक्टिफाई वेब डायग्राम नीचे दिखाया गया है।

दूसरे प्रकार के circuit में हम चार डायोड लगाते हैं। जैसा की चित्र में आप देख सकते हैं।

Rectification in Hindi

इसकी कार्यविधि कुछ ऐसी ही है। इसमें जब टर्मिनल A में पॉजिटिव होता है तो मतलब की प्रथम हाफ साइकिल में डायोड D1 तथा D3 ऑन रहता है। तथा लोड में करंट x से y की ओर बहता है। जब सेकंड हाफ साइकिल में टर्मिनल B पॉजिटिव होता है तो D2 तथा D4 ऑन रहता है। इस स्थिति में भी धारा लोड में x से y की ओर ही रहती है। इस प्रकार एक पूरे साइकिल का रेक्टिफिकेशन हो जाता है।

रेक्टिफिकेशन में फिल्टर का उपयोग (uses of filters in Rectification in Hindi):-


चुकी हमने पिछले हेडिंग में पढ़ा है कि एक Sinusoidal वेब को यानी की नेगेटिव बेव को पॉजिटिव में बेब में कैसे परिवर्तित करें। यानी कि एसी को डीसी में कैसे बदलें। लेकिन हम यह देखते हैं कि यह पूर्णत एक डीसी की तरह वेब फॉर्म नहीं है जबकि डीसी का वेवफॉर्म एक सरल रेखा की भांति होता है। और फुल वेव रेक्टिफायर से निकलने वाला आउटपुट में भी फ्लकचुएशन होता है।
अतः इसी फ्लकचुएशन को कम करने के लिए हम फिल्टर का इस्तेमाल करते हैं। इसमें हम फिल्टर के रूप में कैपेसिटर तथा इंडक्टर का प्रयोग करते हैं। यह फिल्टर रेक्टिफिकेशन में निकलने वाले डीसी आउटपुट से fluctuation को बहुत हद तक कम कर देती है। इस फ्लकचुएशन को हम रिपल फैक्टर भी कहते हैं।

संधारित्र Ripple फैक्टर को कैसे कम करता है?

संधारित्र रेक्टिफायर में रिपल फैक्टर को कैसे कम करता है इसको समझने के पहले हम इस संधारित्र के बेसिक कंसेप्ट को समझेंगे।
जैसे कि एक प्रतिरोध की प्रतिरोधकता रेजिस्टविटी होती है ठीक उसी प्रकार संधारित्र में भी एक गुण होता है जिसे हम कैपेसिटिव रिएक्टेंस कहते हैं। इसका मात्रक भी ओम (Ω) होता है।
इसे Xc से प्रदर्शित किया जाता है। कैपेसिटिव रिएक्टेंस का गणितीय रूप निम्न होता है।

Xc = 1 / ωC Ω   जहां ω = 2πf

इसीलिए
Xc = 1 / 2πfC  Ω    होगा।
चुकी हम कैपेसिटर को रेक्टिफायर में डीसी वोल्टेज पाने के लिए फिल्टर के रूप में इस्तेमाल करते है। और डीसी वोल्टेज में फ्रीक्वेंसी का मान शून्य होता है। अतः फ्रीक्वेंसी (f) का मान शून्य रखने पर।
f = 0   to गणितीय रूप में
Xc = 1 / 0 = अनंत होगा।
जैसा कि हम देख सकते हैं कि जब हम f का मान शून्य रखते हैं। तो इस स्थिति में कैपेसिटिव रिएक्टेंस का मान अनंत हो जाता है। अतः इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि यह कैपेसिटर डीसी कंपोनेंट को ग्रहण नही करता है। तथा एसी कंपोनेंट को अपनी अंदर शोषित कर लेता है। इस प्रकार इस फिल्टर से होकर जाने वाली वाली वोल्टेज में सिर्फ DC voltage रहता है।
इसके इसी गुण को ध्यान में रखते हुए इसे हम फिल्टर के रूप में इस्तेमाल करते है।

इसे ट्रांसफार्मर के सेकेंडरी टर्मिनल में डायोड तथा  लोड के बीच में लगाते हैं। ताकि डायोड से निकलने वाले ripple फैक्टर वाले वोल्टेज इस capacitor filter से होते हुए जाए। कैपेसिटर फिल्टर का कनेक्शन सर्किट के पैरलल में किया जाता है।  जैसा की आप चित्र में देख सकते हैं कि फिल्टर लगाने के बाद आउटपुट वेव फॉर्म में ripple factor की मात्रा में कमी आई है।

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रेक्टिफायर में इंडक्टर का प्रयोग :-

इसी प्रकार से यदि हम inductor में देखें तो इसमें भी एक गुण पाया जाता है। जिसे हम इंडक्टिव रिएक्टंस (Inductive reactance) कहते हैं। इसे हम XL से प्रदर्शित करते हैं। इसका मात्रक भी ओमेगा होता है
इसका गणितीय रूप निम्न है।

XL = ω L  Ω
या XL = 2πfL  Ω

अब चुकी हम जानते है कि डीसी के लिए f का मान शून्य होता है। अतः f = 0 रखने पर।

XL = 0 Ω होगा।

अतः inductor ऐसा कंपोनेंट है जो dc कंपोनेंट को आसानी से जाने देता है। तथा एसी कंपोनेंट के लिए प्रतिरोध का कार्य करता है । और ac कंपोनेंट को ब्लॉक कर देता है। इसको हम सर्किट के सीरीज में कनेक्ट करते हैं। जिससे यह लोड में सिर्फ DC कंपोनेंट को ही जाने देता है।


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