Radial, Ring main और interconnect distribution सिस्टम का विश्लेषण

परिचय:-

इस पोस्ट के अंतर्गत हम डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के मुख्य प्रकारों जैसे रेडियल, रिंग मेन, और इंटरकनेक्ट डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के बारे में समझेंगे।

रेडियल डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (Radial distribution system in Hindi):-

दोस्तों रेडियल डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम की अगर बात करें तो यह सिस्टम कम विश्वसनीयता वाली सिस्टम है। यह सिस्टम मुख्यताः गांव के क्षेत्रों में प्रयोग में लाया जाता है। चित्र आप नीचे देख सकते हैं।

इसमें आप देख सकते हैं कि इसमें सिर्फ एक तरफ से ही पावर सोर्स को दिया गया है। इसमें जो सर्किट ब्रेकर लगे हैं। उसको ऑपरेट कराने के लिए रिले लगाया जाता है। यहां रिले में ऑपरेटिंग टाइम, सेट किया जाता है। जिसे टाइम ग्रेडिंग सिस्टम कहते हैं। इसमें मैं सोर्स सबस्टेशन के रिले का ऑपरेटिंग टाइम सबसे अधिक रखा जाता है। उसने जुड़े अन्य सब्सेशनों के अपेक्षा। और सबसे लास्ट वाले सब स्टेशन का ऑपरेटिंग टाइम सबसे काम और उसके पहले वाले का उससे ज्यादा होता है।

रेडियल distribution में एक बड़ी कमी यह होती है कि इसमें पावर सोर्स की फीडिंग केवल एक तरफ से होती है। और सिर्फ एक सप्लाई सोर्स भी प्रयोग प्रयोग किया जाता है। यही कारण है कि इसके पूरे सिस्टम के वोल्टेज fluctuations ज्यादा देखने को मिलता है। लाइन के लास्ट प्वाइंट पर आपको ज्यादा वोल्टेज ड्रॉप देखने को मिलता है।

Advantage of radial distribution system:-

1. इसका मुख्य लाभ यह होता है कि यह सबसे काम काम लागत में संचालित होता है।
2. इसमें maintenance करना आसान होता है।
3. इसमें कम स्किल्ड वर्कर भी काम कर सकते है।
4. इसका कनेक्शन आसानी से समझने योग्य होता है।

Disadvantages of radial distribution system:-

1. इस सिस्टम की विश्वसनीयता सबसे कम होती है।
2. इसमें वोल्टेज ड्रॉप ज्यादा होता है।

Ring main distribution system:-

रिंग मैन डिसटीब्यूशन सिस्टम का चित्र आपको नीचे दिखाया गया है।इसका इसको समझने से पहले हम कुछ रिले के सिंबल्स और उस रिले के बेसिक कार्य क्या है इसको समझ लेते हैं। इसमें आपको सामान्यतः दो प्रकार के रिले लगे हुए दिखाई देंगे। पहला डायरेक्शनल रिले और दूसरा नॉन डायरेक्शनल रिले। डायरेक्शनल रिले में अगर धारा दूसरी तरफ या दूसरी दिशा में जाती है तो रिले इनर्जाइज होकर सर्किट ब्रेकर को ट्रिप करा देगी। जिससे पता चलता है कि सर्किट में फाल्ट है। और जहां धारा दोनों दिशा में जाना है वहां पर नॉन डायरेक्शनल रिले का या बाई डायरेक्शनली रिले को लगाया जाता है।

रिंग मैन डिसटीब्यूशन सिस्टम में आप चित्र में देख सकते हैं कि इसमें मैन सोर्स सब स्टेशन से जितने भी सब स्टेशन जुड़े है, उनको दोनों तरफ से पावर सप्लाई को फिट कराया गया है। इसमें दोनों तरफ से पावर फीड कराने का लाभ होता है कि जब कभी पहल फीडर में समस्या या फाल्ट आती है तो दूसरा दूसरी तरफ से आने वाला फीडर चालू हो जाता है। जिससे हमारा पावर सप्लाई की निरंतरता बनी रहती है।

रिंग मेन डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम का नाम इसलिए रखा गया है क्योंकि इसका संरचना एक रिंग की भांति होती है। क्योंकि दोनों तरफ से फीडर का कनेक्शन होता है।

रिंग मेंट डिस्ट्रीब्यूशन का प्रयोग: –

इस सिस्टम का प्रयोग हम शहरों में करते हैं। क्योंकि शहरों में हमें पावर सप्लाई की निरंतरता को बनाए रखना काफी जरूरी होता है।

रिंग मैन डिसटीब्यूशन सिस्टम के लाभ: –

1. इस सिस्टम को विश्वसनीयता अपेक्षाकृत अधिक होती है।
2. इसमें वोल्टेज फ्लकचुएशन की समस्या कम होती है।
3. इंटरकनेक्टेड डिसटीब्यूशन सिस्टम की अपेक्षा इसमें लागत कम होता है।

Ring main distribution system के हानि:-

1. यह सिस्टम समझने में थोड़ा कठिन होता है।
2. इस सिस्टम को ऑपरेट करने के लिए स्किल्ड पर्सन की आवश्यकता होती है।
3. इस सिस्टम में रेडियल distribution system से ज्यादा लागत होता है।

रिंग मेन डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम में डायरेक्शनल और नॉन डायरेक्शनल रिले कैसे काम करता है? :-

चलिए हम यह समझ लेते हैं कि डायरेक्शनल रिले और नॉनडायरेक्शनल रिले कैसे काम करता है। इसके लिए हम रिंग मैन डिसटीब्यूशन सिस्टम के चित्र का ही उपयोग करके करेंगे।

Radial Ring main interconnect distribution

आप इस चित्र में देख सकते हैं कि एक मेन सोर्स सब स्टेशन से बाकी के तीन सब स्टेशनों को दोनों तरफ से पावर फीड कराया गया है। और इन दोनों की दोनों को अलग अलग सर्किट ब्रेकर से जोड़ा गया है।

जैसा कि हम बता चुके हैं कि डायरेक्शनल रिले सिर्फ एक ही दिशा में धारा को फ्लो करने की अनुमति देता है। और नॉनडायरेक्शनल रिले दोनों तरफ या दोनों दिशा में धारा फ्लोर करने की अनुमति देता है।

माना कि दो फीडर A और B है तो दोनों से पावर सप्लाई जाती है। तो माना की फीडर B में किसी प्रकार की फॉल्ट आता है तो चुकी फीडर B में डायरेक्शनल रिले लगा है तो इस फीडर में दूसरी दिशा से धारा फ्लो नहीं करेगी जिससे हम फाल्ट हुए फीडर की मेंटेनेंस आसानी से कर सकते हैं इसी प्रकार अगर फीडर A में भी कोई समस्या आती है तो हम आसानी से मेंटेनेंस की प्रक्रिया को कर सकते हैं।

इंटरकनेक्ट डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (interconnect distribution system):-

इंटरकनेक्टेड डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम नेम हम दो या दो से अधिक सप्लाई फीड कराने के लिए मेन शूज सब स्टेशन का प्रयोग करते हैं। आपको चित्र में दोनों तरफ से मींस ओर से सब स्टेशन का प्रयोग करते हुए दिखाया गया है।

Radial Ring main interconnect distribution

ऐसी सिस्टम का उपयोग वहां पर किया जाता है जहां पर वीआईपी क्षेत्र हो। क्योंकि वीआईपी क्षेत्रों में पावर की कमी होना अति वर्जित है। अतः हम इंटरकनेक्ट डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम विधि द्वारा दो या दो से अधिक पावर सोर्स का उपयोग करते हैं। ताकि पावर सप्लाई की विश्वसनीयता बनी रहे। और यह पावर सोर्स अलग-अलग प्रकार के भी हो सकते हैं।

इंटरकनेक्ट डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के लाभ :-

1. इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह सबसे विश्वसनीय distribution system है।
2. इसमें वोल्टेज ड्रॉप की संभावना ना के बराबर है।

इंटर कनेक्ट distribution system के हानि:-

1. इसका कॉस्ट सबसे ज्यादा होता है।
2. इसके मेंटेनेंस में स्किल्ड पर्सन की आवश्यकता होती है।

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