परिचय:
जैसे की हम जानते है हमारे पास मुख्य रूप से तीन प्रकार के लोड होते है। जिसमे resistive, indictive और कैपेसिटिव लोड होता है। हम पिछले अलग अलग पोस्ट में हमे इन लोड को शुद्ध रूप से जोड़कर देख चुके हैं कि हमे क्या क्या परिवर्तन देखने को मिला। अब हम दो प्रकार के लोड को जोड़ कर देखेंगे की ये दोनो लोड की प्रकार से व्यवहार करते है। अतः इस पोस्ट में हम रेजिटिव लोड और inductive load को सीरीज (R-L series circuit in Hindi) में जोड़ कर देखेंगे।
एसी सीरीज सर्किट(AC series circuit in Hindi) :
AC series circuit के अंतर्गत हमें निम्न प्रकार के सीरीज सर्किट देखने को मिलता है।
- R-L series circuit
- R-C series circuit
- L-C series circuit
- R-L-C series circuit
जिसमे से हम R-L सीरीज सर्किट के बारे में डिस्कस करेंगे।
R-L सीरीज सर्किट (R-L series circuit in Hindi):
इस सीरीज सर्किट में आप देखेंगे कि इसमें रेजिस्टिव लोड और इंडक्टिव लोड दोनों सीरीज में जुड़े होते हैं जैसा कि आप तो नीचे चित्र में देख सकते हैं। अब चुकी रेजिस्टिव लोड और इंडक्टिव लोड सीरीज में जुड़े हैं, तो इन दोनों लोड में करंट का मान सम्मान होगा लेकिन इन दोनों लोडों के एक्रॉस वोल्टेज अलग-अलग होंगे। चलिए मान लेते हैं कि रेजिस्टिव लोड के एक्रॉस वोल्टेज VR है,और इंडक्टिव लोड के एक्रॉस वोल्टेज VL है।

AC through pure capacitance in Hindi | AC में शुद्ध कैपेसिटिव लोड
अब चुकी किरचाफ के वोल्टेज नियम (KVL) के आधार पर हमारा टोटल सप्लाई वोल्टेज resistive load के एक्रॉस वोल्टेज और इंडक्टिव लोड के एक्रॉस वोल्टेज के जोड़ के बराबर होगा।
मतलब कि V = VR + VL
और अब ohms law के अनुसार VR = I R और VL = IXL होगा। जहां XL inductive reactance है। Inductive reactance, inductor में बिलकुल वैसे ही है। जैसे की एक रेजिस्टिव लोड में रेजिस्टेंस होता है।
Phaser diagram :
अब हम इन लोड को प्रकृति के आधार पर हम एक दोनो लोड का एक कंबाइन फेजर डायग्राम बनाएंगे। चुकी हमे पता है की करेंट का मान समान है। इसीलिए हम करंट का फेजर डायग्राम की लाइन को रेफरेंस मान लेंगे।
उसके बाद हमे चुकी पता है की रेसिटिव लोड के एक्रॉस वोल्टेज का फेजर करेंट (I) के फेज में ही होगा। मतलब की करेंट (I) और resistive load के एक्रॉस वोल्टेज VR के बीच एंगल जीरो होगा। अतः दोनो फेजर एक दूसरे पर ओवरलैप करती हुई दिखाई गई है।

अब हमे पता है कि शुद्ध inductive load के स्थिति में करंट वोल्टेज से 90° लैग करते हुए बनाया जाते हैं। अतः इसमें हम inductive load के एक्रॉस वोल्टेज को 90° लीड करके बनाया गया है।
अब चुकी VR का फेजर और VL का फेजर दोनो एक दूसरे से 90° के एंगल पर है। अतः हमारा इन दोनो का परिणामी निकलना है। अतः इसके लिए हमे दोनो के फेजर को समांतर ले जायेंगे तो एक बिंदु आएगा जिस पर इन दोनो फेज का समांतर रेखा मिल जायेगा। उसी मीटिंग प्वाइंट को हम रेफरेंस मानेगें। और उस बिंदु से एक फेजर डायग्राम बिंदु O पर खींचेंगे। अब जो ये फेजर रेखा हमे मिला है। यही फेजर हमारा परिणामी फेजर होगा। और इसका मान V= VR + VL होगा। और यह परिणामी फेजर करंट फेज से φ डिग्री पर है। जबकि पहले VL का फेजर 90° पर था।
इस पूरे फेजर डायग्राम से हमे एक समकोण त्रिभुज मिलेगा। जिसके द्वारा हम सर्किट का टोटल इंपेंडेंस निकल लेंगे। जैसे की नीचे इसका पूरा गणितीय एप्रोच दिखाया गया है।

इस गणितीय रूप से आपको impedance (Z) का मान हमे मिल गया है।
पावर फैक्टर :
अगर हम इसमें पावर फैक्टर की बात करें तो क्योंकि यह सर्किट शुद्ध रूप से इंडक्टिव लोड नहीं है। इसमें resistive लोड भी जुड़ा है। अतः इसका परिणामी करंट से φ एंगल पर है। इसी कारण इसका पावर फैक्टर cos φ lagging होता है।
अब चुकी V/I = Z होता हैं। अतः इस समकोण त्रिभुज में आप देख सकते है को इसमें आधार का मान R है, लंब का मान XL है और कर्ण का मान Z है। और यदि हमे पावर फैक्टर (Cos φ) निकलना है तो चुकी हम जानते हैं कि एक समकोण त्रिभुज में cos φ का मान आधार/कर्ण होता है। अतः इसमें आधार मान R है और कर्ण का मान Z है। अतः cos φ= R/Z होगा।

ऊपर दिखाए गए ट्राइएंगल को हम impedance triangle कहते हैं।
Inductive reactance:
अब अगर हम इस इंपेडेंस ट्रायंगल को X-Y axis इस पर रखेंगे तो हम पाएंगे कि यह ट्रायंगल X-Y axis पर पॉजिटिव सेक्शन में है। अगर यही ट्राइंगल नीचे को तरफ होता तो यह नेगेटिव सेक्शन में होता। अतः इससे हमें यह संकेत मिलता है कि R-L सीरीज सर्किट में इंडक्टिव रिएक्टेंस पॉजिटिव लिया जाता है।

Inductive Susceptance:
अब हम इसी impedance triangle के नीचे एक मिरर लगा दे तो उसका जो मिरर इमेज बनेगा। वह मिरर आपको X-Y axis par रखेंगे तो वह नेगेटिव सेक्शन में बनाता हुआ दिखाई देगा।

और इस कंडीशन के inductive reactance का उल्टा हो जायेगा। जिसे हम inductive Susceptance कहते हैं। और inductive Susceptance R-L सीरीज सर्किट में नेगेटिव लिया जाता है। इसी प्रकार जो रेजिस्टेंस (R) था उसका उल्टा (1/R) = G यानी की कंडक्टंस होगा। और impedance का उल्टा (1/Z) = Y होगा जिसको Admittance कहते हैं। और यह जो मिरर इमेज वाला ट्राइंगल बना है इसे हम एडमिटेंस ट्राइंगल बोलेंगे।
अतः इस स्थिति में यदि हम पावर फैक्टर देखे तो cos φ= G/Y होगा। यानी की कंडक्टेंस और admittance का ratio होता है।
पावर ट्राइंगल(power triangle):
अब हमे पता है की R-L सीरीज सर्किट में करेंट, सप्लाई वोल्टेज से φ डिग्री से लैग करेगा। जैसे की चित्र में हम दिखाएंगे।
अतः इसमें हम करंट फेजर से वोल्टेज फेजर पर एक लंब डालेंगे तो हमे एक समकोण त्रिभुज मिलेगा। यही ट्राइंगल ही पावर ट्रायंगल कहलाता है।

इसमें आधार वाला भाग Icosφ होगा। और लंब वाला भाग Isin φ होगा।
इसमें Icos φ करेंट का एक्टिव कंपोनेंट है। और Isin φ करेंट का रिएक्टिव कंपोनेंट है।
अब इसमें अगर तीनो वैल्यू में वोल्टेज V से गुना कर देंगे तो हमे आधार वाले भाग में VI cos φ, लंब वाले भाग में VI sin φ और कर्ण वाले भाग में VI मिलेगा।
P = VI cos φ
Q = VI sin φ
S = VI
इसमें एक्टिव कंपोनेंट ही वोल्टेज से गुना करने पर एक्टिव पावर को प्रदर्शित करने लगा। जिसको हम P से दर्शाते है। और रिएक्टिव कॉम्पनेंट, रिएक्टिव पावर को दर्शाता है। जिसे हम Q से दर्शाते हैं। और कर्ण वाला भाग VI हो जाता है। जिसको हम apperant पावर या आभासी पावर कहते है।
एक्टिव पावर (P) का यूनिट kW/W/mW में होता है।
रिएक्टिव पावर (Q) का यूनिट VAR/KVAR/MVAR में होता है।
आभासी पावर (S) का यूनिट VA/KVA/MVA में होता है।
अब यदि हम इसी पावर ट्रायंगल से अगर पावर निकलान चाहे तो हमे आधार में एक्टिव पावर (P) और कर्ण में आभासी पावर (S) है। अतः इन दोनो का ratio cos φ= P/S होगा। एक्टिव पावर को हम true power भी कहते हैं। और यदि हम इसी में आभासी पावर का मान निकलना है तो समकोण त्रिभुज में पाइथागोरस प्रमेय लगाएंगे तो हमे आभासी पावर का मान आसानी से निकला जायेगा।
S2 = P2 + Q2
R-L सीरीज सर्किट के पावर का ग्राफिकल एप्रोच:
अब हम R-L series सर्किट में यह देख लेते हैं कि एक पावर कंजप्शन इसमें किस प्रकार होता है इसको हम समझने के लिए आर्यन सर्किट के ग्राफ को बनाएंगे जो कि नीचे आप को दिख रहा होगा।

इस ग्रुप में अगर आप देखेंगे तो वोल्टेज और करंट का ग्राफ एक दूसरे से φ डिग्री के एंगल पर है। जिसमें करंट वोल्टेज से φ डिग्री के एंगल पर लैग कर रहा है। लेकिन वही अगर आप पावर का ग्राफ देखेंगे जो कि बड़ा वाला ग्राफ है उसमें आप देखेंगे तो नेगेटिव के साइड का ग्राफ छोटा है तथा पॉजिटिव वाले मैं इसकी ग्राफ का क्षेत्रफल बड़ा है।
इससे यह पता चलता है कि यह पहले आधे चक्कर में R-L लोड, सप्लाई को पावर डिलीवर है जो कि कम पावर डिलीवर है। और दूसरे आधे चक्र में सप्लाई से पावर लेता है सप्लाई से पावर लेने वाला ग्राफ का क्षेत्रफल बड़ा होने के कारण पावर ज्यादा लेता है। जबकि पावर देने वाला ग्राफ का क्षेत्रफल कम होने से हमें यह पता चलता है कि पहले आधे चक्कर में यह बहुत कम पावर देता है और दूसरे आधे चक्र में यह ज्यादा पावर लेता है। इस प्रकार से हमारा एवरेज पावर कंजप्शन कुछ ना कुछ होता है।
पावर की ग्राफिकल एप्रोच से हमें यह पता चलता है कि पावर का ग्राफ का टाइम पीरियड आधा होता है, वोल्टेज या करंट के ग्राफ से। क्योंकि वोल्टेज और करंट के ग्राफ के एक चक्कर में पावर का ग्राफ दो साइकिल पूरा कर लेता है।
R-L सीरीज सर्किट में पावर:
अब इसके अंतर्गत हम दो प्रकार के पावर की स्थिति को देखेंगे।
1. Instantaneous power
2. Average power
Instantaneous power in R-L circuit:
अब चुकी हमे पता है की इंस्टेंटेनियस पावर p = vi है। और इस सूत्र में जब हम मान रखेंगे। नीचे इसका गणितीय सूत्र दिखाया गया है।

इसके गणितीय सूत्र में हमे पता चलता है कि इसके सिमेट्रीकल वैल्यू में 2ωt है। जिससे यह पता चलता है कि R-L series सर्किट में भी पावर को फ्रीक्वेंसी दोगुना होती है सप्लाई फ्रीक्वेंसी से। Instantaneous power की फंक्शन में आपको कांस्टेंट वैल्यू के साथ सिमिट्रिकल वैल्यू मिलेगा। अतः यह पूरा फंक्शन ही एसीमेट्रिकल होगा। लेकिन इसके साथ ही साथ पीरियाडिक होगा।
एवरेज पावर:
आर एल सर्किट में एवरेज पावर इंस्टैन्टेनियस पावर के सूत्र में जो कांस्टेंट वैल्यू होता है वही एवरेज पावर होता है।
Pav = Vrms.Irms cos φ