Proximity effect in Hindi | प्रॉक्सिमिटी इफेक्ट क्या होता है

परिचय:-

दोस्तों अल्टरनेटिंग करेंट में बहुत सारे प्रकार के घटना घटित होते है। जिसमे स्किन इफेक्ट, कोरोना इफेक्ट, और प्रॉक्सिमिटी इफेक्ट (proximity effect in Hindi) है।

आज किस पोस्ट में हम यह समझेंगे कि प्रॉक्सिमिटी इफेक्ट क्या होता है यह कैसे ट्रांसमिशन लाइन में उत्पन्न होता है और इसे हम कैसे कम कर सकते हैं।

प्रॉक्सिमिटी इफेक्ट क्या होता है (proximity effects in Hindi):-

जब कंडक्टर से उच्च वोल्टेज वाला अल्टरनेटिंग करंट जाता है है तो कंडक्टर के पूरे सतह पर एक समान रूप से धारा वितरित नहीं होता है। अल्टरनेटिंग करंट का चालक के पूरे क्षेत्रफल पर समान रूप से वितरण ना होना ही प्रॉक्सिमिटी इफेक्ट कहलाता है।

इस इफ़ेक्ट के कारण हमारा आभासी प्रतिरोध का मान बढ़ जाता है। और हानि बढ़ता है।

यह घटना हमें ट्रांसमिशन लाइन में देखने को मिलता है। प्रॉक्सिमिटी इफेक्ट (proximity effect in Hindi) को बढ़ने का मुख्य कारण एक कंडक्टर के पास से गुजरने वाले दूसरे कंडक्टर के कारण होता है। जिसमें भी अल्टरनेटिंग करंट फ्लो कर रही हो।

प्रॉक्सिमिटी इफेक्ट कैसे प्रभावित करता है (how affect the proximity effect in Hindi):-

यदि मान लीजिए कि एक ट्रांसमिशन लाइन में दो या दो से अधिक कंडक्टर पास पास में रखे हुए हैं। अतः जब इन सभी कंडक्टर में अल्टरनेटिंग करंट फ्लो करेगी तो इस सभी कंडक्टर ने एक मैग्नेटिक फील्ड पैदा होगा। और यह मैग्नेटिक फील्ड कॉडक्टर के पास पास होने के कारण एक दूसरे को काटेंगे या लिंक करेंगे या एंट्रेक्ट करेंगे।

मैग्नेटिक फील्ड के इस इंटरेक्शन के कारण सभी कंडक्टर के करंट की फ्लो करने की डेंसिटी अलग-अलग दिशा में विस्थापित हो जाएगी। मतलब की करंट, कंडक्टर में एक सामान फ्लो न करके बल्कि किसी भी एक तरफ ही करंट की डेंसिटी अधिक पाई जाएगी।

यह करंट की डेंसिटी कंडक्टर के किस साइड ज्यादा होगी यह इस बात पर निर्भर करती है कि चालकों में धारा की दिशा क्या होगी। अतः हम दो स्थिति को देख सकते हैं।

1. कंडक्टर में करंट की दिशा समान हो
2. कंडक्टर में करंट की दिशा एक दूसरे की विपरीत हो

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जब कंडक्टर में करंट की दिशा समान हो: –

माना जब दो कंडक्टर में करंट की फ्लो की दिशा एक समान हो जैसा की चित्र में दिखाया गया है। तो इस स्थिति में दोनों कंडक्टर का आधा हिस्सा जो कंडक्टर के पास पास में है। उस आधे हिस्से का मैग्नेटिक फील्ड एक दूसरे के मैग्नेटिक फील्ड को कैंसिल कर देंगे।

proximity effect in Hindi

जिससे दोनों कंडक्टर के पास में स्थित आधे कंडक्टर के क्षेत्र में धारा फ्लोर नहीं करेगी। और इस प्रकार दोनों कंडक्टर का आधा-आधा क्षेत्रफल जो दूर-दूर स्थित है वहां पर करंट डेंसिटी अधिक होगी।

जब कंडक्टर में करंट की दिशा एक-दूसरे के विपरीत हो:-

अब जब कंडक्टर में करंट की दिशा विपरीत हो तो इस स्थिति में कंडक्टर का आधा हिस्सा जो एक दूसरे से दूर है। उस हिस्से में उत्पन्न होने वाले मैग्नेटिक फील्ड्स एक दूसरे को कैंसिल कर देंगे।

जिससे उस हिस्से में करंट फ्लो नहीं करेगी और पास वाले आधे हिस्से में करंट फ्लो करेगी। अतः पास वाले आधे हिस्से में करंट की डेंसिटी सबसे ज्यादा पाई जाएगी।

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प्रॉक्सिमिटी इफेक्ट को प्रभावित करने वाले कारक:

Proximity effect को विभिन्न प्रकार के फैक्टर प्रभावित करते हैं। जैसे की सप्लाई की आवृत्ति, कंडक्टर का मटेरियल, कंडक्टर का डायमीटर और कंडक्टर की बनावट या स्ट्रक्चर आदि।

फ्रीक्वेंसी (Frequency):-

जब हमारे ट्रांसमिशन लाइन की फ्रीक्वेंसी बढ़ेगी तो प्रॉक्सिमिटी इफेक्ट पड़ता है।

कंडक्टर का डायमीटर: –

जब हमारे ट्रांसमिशन लाइन के कंडक्टर की डायमीटर बढ़ती है तो proximity effect भी बढ़ता है।

कंडक्टर की बनावट या स्ट्रक्चर: –

कंडक्टर की बनावट भी प्रॉक्सिमिटी इफेक्ट को प्रभावित करती है। जैसे कि अगर हम एक सॉलिड कंडक्टर का उपयोग ट्रांसमिशन लाइन में करते हैं तो प्रॉक्सिमिटी इफेक्ट बढ़ जाएगा।

जबकि यदि हम stranded कंडक्टर जैसे कि एसीएसआर (ACSR) कंडक्टर का यूज करते हैं तो प्रॉक्सिमिटी इफेक्ट कम होगा। अतः हम ट्रांसमिशन लाइन में stranded कंडक्टर का ही उपयोग करते हैं।

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कंडक्टर की मटेरियल: –

चुकी प्रॉक्सिमिटी इफेक्ट का बेसिक कारण मैग्नेटिक फील्ड ही है। अतः कंडक्टर के तौर पर यदि हम फेरोमैग्नेटिक मैटेरियल का इस्तेमाल करते हैं, तो हम उस स्थिति में ट्रांसमिशन लाइन में प्रॉक्सिमिटी इफेक्ट ज्यादा देखेंगे।

प्रॉक्सिमिटी इफेक्ट को कम कैसे करें: –

प्रॉक्सिमिटी इफेक्ट को कम करने के लिए हम ACSR कंडक्टर का इस्तेमाल करते हैं। यह ACSR कंडक्टर एक सॉलिड कंडक्टर की तरह नहीं होता है।

यह पतले पतले एलमुनियम तथा स्टील के कंडक्टर से मिलकर बना होता है। अतः इसपे प्रॉक्सिमिटी इफेक्ट का प्रभाव कम होता है। और ACSR कंडक्टर के केंद्र में स्टील का वायर प्रयोग होने से इस कंडक्टर का सरफेस एरिया घट जाता है जिससे प्रॉक्सिमिटी इफेक्ट का प्रभाव भी कम पड़ता है।

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