Power distribution system in hindi| पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन की विधि

परिचय:-

आज के समय में अधिकतर मशीनी काम हम इलेक्ट्रिक पावर से ही करते हैं। ऐसे में हम इलेक्ट्रिकल पावर की महत्व को समझ सकते हैं। चाहे हम घर में हों ऑफिस में हों या किसी किसी भी जगह हों जब हमें कोई मशीनी काम करना होता है तो हम इलेक्ट्रिकल पावर के द्वारा ही करते हैं। ऐसे में हम इलेक्ट्रिकल पावर को डिस्ट्रीब्यूशन (power distribution system in Hindi) कैसे करना है इसके बारे में जानना काफी महत्वपूर्ण हो जाता है। अतः आज के इस पोस्ट में पावर के डिसटीब्यूशन सिस्टम की विधि और प्रकारों का विस्तार से वर्णन करेंगे।

पावर डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (power distribution system in Hindi):-

घरों में या व्यवसायों में पावर की सप्लाई पहुंचाने के लिए हम पावर को वितरित करते हैं या डिसटीब्यूट करते हैं। लेकिन पावर को सही तरीके से वितरित करना ही डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम कहलाता है। डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के द्वारा हम प्रत्येक उपभोक्ता तक इलेक्ट्रिकल एनर्जी को पहुंचाते हैं।

डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के भाग (part of distribution system in Hindi) :-

डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के मुख्यत निम्न भाग होते हैं।
• फीडर (Feeder)
• Distributor
• सर्विस मेंस (service mains)

power distribution system in Hindi

फीडर (Feeder):-

फीडर एक ऐसा चालक होता है जो सब स्टेशन से निकला रहता है। और यह डिस्ट्रीब्यूशन लाइन को पावर फीड कराता है। आप ऊपर चित्र में देख सकते हैं। जिसमें फीडर की स्थिति को दिखाया गया है। इस फीडर में किसी भी प्रकार की टैपिंग नहीं की जाती है। यह सब स्टेशन से सीधे डिस्ट्रीब्यूटर तक जुड़ा होता है। बीच में किसी भी प्रकार की टैपिंग नहीं की जाती है। जिससे कि फीडर में करंट की मात्रा नियत या कांस्टेंट रहती है। फीडर को बनाने का मुख्य कंसेप्ट करंट को कैरी करना होता है। फीडर की कंडक्टर की मोटाई उस में बहने वाली धारा की मात्रा पर निर्भर करता है।

Distributor :-

डिस्ट्रीब्यूटर एक ऐसा चालक है जिसमें से टाइपिंग करके उपभोक्ता को पावर सप्लाई दिया जाता है। अतः इस डिस्ट्रीब्यूटर में आवश्यकतानुसार जगह-जगह पर टैपिंग की जाती है। अतः इस में बहने वाली धारा हर जगह पर समान नहीं होती है। इसमें जगह-जगह पर लगे उपभोक्ता के लोड के अनुसार धारा की मात्रा भी अलग-अलग होती है।

डिस्ट्रीब्यूटर के लिए कंडक्टर के रूप में ज्यादातर नंगे चालक का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन कहीं-कहीं जब जहां पर घनी आबादी है या ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है तो वैसे स्थानों पर केबल का भी इस्तेमाल किया जाता है। भारत में आजकल तो प्रत्येक गांव में डिस्ट्रीब्यूटर के रूप में केबल का ही उपयोग किया जा रहा है। और जो पहले से नंगे चालक का उपयोग किया गया है उसे बदला जा रहा है क्योंकि यह केबल ज्यादा सुरक्षित होता है। Distributor को वोल्टेज ड्रॉप के आधार पर डिजाइन किया गया है। 

डिस्ट्रीब्यूटर के रूप में केबल का उपयोग करने पर सरकार को या जो भी प्राइवेट कंपनियां पावर का वितरण करती है उसको सबसे बड़ा लाभ यह है कि इस केबल के लगने से गांव में होने वाली बिजली की चोरी की समस्या कम हो जाती है। क्योंकि केबल के लगने से आप केवल बिजली के खंभों से ही कनेक्शन ले सकते हैं। अन्यथा नंगे तार की स्थिति में लोग बीच में से ही कटिया कनेक्शन फंसा कर बिजली की चोरी कर लिया करते थे।

सर्विस मेंस (service mains) :-

जब हम डिस्ट्रीब्यूटर से टैपिंग करके जो wire या चालक तार कंज्यूमर को देते हैं। वह चालक तार ही सर्विस मेंस होता है। यह केबल ही होता है। हम सर्विस मेंस के रूप ने नंगे चालक तार यूज नहीं कर सकते है। इसे सर्विस मैंस इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह केबल कंजूमर के परिपेक्ष से देखा जाता है।

अतः या केबल कंज्यूमर के लिए मेंस का काम करता है। सर्विस मैंस की अधिकतम लंबाई 40 मीटर होता है जोकि इंडियन इलेक्ट्रिकल रूल के हिसाब से तय किया गया है। सर्विस मेंस के केबल में एक बात और ध्यान देना चाहिए कि सर्विस मैंस का केबल बीच में से कहीं भी जॉइंट्स नहीं होना चाहिए।
यह सर्विस मेंस का केबल सीधे डिस्ट्रीब्यूटर से टैपिंग करके उपभोक्ता के एनर्जी मीटर तक पहुंचता है।

पावर डिस्ट्रीब्यूशन के प्रकार ( types of power distribution in Hindi):-

डिसटीब्यूशन सिस्टम को विभिन्न प्रकार के आधारों पर निम्न भागों में बांटा गया है।

सप्लाई के प्रकृति के आधार पर (On the basis of nature of supply):-

1. AC power distribution system in Hindi
2. DC power distribution system in Hindi

AC power distribution system अधिकतम प्रयोग में लाया जाता है। और DC power distribution system बहुत कम ना के बराबर प्रयोव में लाया जाता है।

संरचना के आधार पर (On the basis of structure):-

1. Overhead distribution system
2. Underground distribution system

ओवरहेड डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम में हम पावर का वितरण के लिए केबल या चालक तार को लंबे लंबे पोल के जरिए एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाए जाते हैं। आजकल इसी विधि का ज्यादातर प्रयोग किया जाता है।

अंडरग्राउंड डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के अंतर्गत हम जमीन के अंदर केबल के द्वारा पावर का वितरण करते हैं। यह विधि बहुत कम और ऐसे स्थानों पर आवश्यकतानुसार किया जाता है जहां पर पोल लगाना संभव नहीं होता है। ऐसे स्थानों पर अंडरग्राउंड डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम का प्रयोग किया जाता है।

कनेक्शन के आधार पर (on the basis of connection) :-

1. Radial distribution syatem
2. Ring main distribution system
3. Interconnected distribution system

Radial distribution system का अधिकतर गांव एरिया में प्रयोग किया जाता है। क्योंकि अधिकतर गांव में हम पावर सप्लाई की निरंतरता की बनाए रखें में काम ध्यान देते हैं। अतः इस सिस्टम का प्रयोग किया जाता है। Radial distribution system का reliability बहुत कम होता है।

रिंग मेन डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम का प्रयोग हम सिटी या शहरों के क्षेत्रों में करते है। इसमें यह ध्यान दिया जाता है कि शहरों में फॉल्ट आने पर पूरे शहर के लाइन में कटौती ना हो। अतः इससे पावर सप्लाई की विश्वशनीयता बनी रहती है।

Inter connect distribution system को ऐसे स्थानों पर प्रयोग किया जाता है जहां पर एक मिनट की पावर को कटौती बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। जैसे वीआईपी क्षेत्रों जैसे हाई कोर्ट , सुप्रीम कोर्ट, प्रेसिटडेंट हाउस, पार्लियामेंट आदि। इस सिस्टम की विश्वसनीयता सबसे अच्छी मानी जाती है।

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