Parts of inverter in Hindi | इन्वर्टर क्या है?

परिचय:

दोस्तों, आपने इन्वर्टर का नाम तो सुना ही होगा। क्योंकि ये इन्वर्टर लगभग सभी घरों में एक बैटरी के साथ लगाया जाता है। इसके इन्वर्टर को हम पावर के जाने पर हम बैकअप पावर के रूप में इस्तेमाल करते है। इन्वर्टर का इस्तेमाल हर जगहों पर बैकअप पावर सप्लाई के रूप में एक बैटरी के साथ किया जाता है। अतः आज के इस पोस्ट के माध्यम से हम इन्वर्टर क्या होता है और मुख्य रूप के इन्वर्टर के पार्ट (parts of inverter in Hindi) क्या क्या होते है। इसके बारे में डिस्कस करेंगे।

इन्वर्टर क्या है (what is inverter):

दोस्तों, इन्वर्टर एक ऐसा उपकरण है जो मुख्य रूप से DC voltage को AC voltage में कन्वर्ट करने का काम करता है। जबकि हम यदि देखे तो इन्वर्टर जब पावर सप्लाई से बैटरी को चार्ज करना होता है तो यह AC voltage के पावर सप्लाई से पावर लेकर DC voltage में कन्वर्ट कर बैटरी को चार्ज भी करता है। अतः यह दोनो प्रकार का काम करता है।

parts of inverter in Hindi

इन्वर्टर का उपयोग (application of inverter):

अगर हम इसके उपयोग की बात करे तो इसका उपयोग मुख्य रूप से हम घरों में पावर के सप्लाई को की निरंतरता को बनाए रखने के लिए करते हैं जब कभी हमारा मेन पावर सप्लाई कटता है, तो हम इनवर्टर के जरिए एक बैटरी के साथ जोड़कर पावर की सप्लाई की पूर्ति करते हैं।

इन्वर्टर के पार्ट्स (parts of inverter in Hindi):

अगर हम इन्वर्टर के विभिन्न प्रकार के भागों की बात करे तो इस इन्वर्टर में मुख्य रूप से कुछ पार्ट्स होते है जिसकी कारण ये इन्वर्टर सुचारू रूप से ऑपरेट करता है। अतः इसके पार्ट के बारे में अच्छे से जानते है। आपको इसके मुख्य पार्ट्स को नीचे दिखाया गया है।

  1. Microcontroller
  2. H- Bridge
  3. BJT
  4. Filters
  5. MOSFET
  6. Transformer

Microcontroller:

Microcontroller, इन्वर्टर का एक बहुत ही अहम भाग है। माइक्रोकंट्रोलर का काम इनवर्टर में आवश्यकता अनुसार उनके सिग्नल को स्विच इंग करने का काम करता है। माइक्रोकंट्रोलर एक ऑटोमेटिक सिगनल स्विचिंग डिवाइस एम प्रोग्राम जो इनवर्टर में आवश्यकता के अनुसार सिग्नल की स्विचिंग स्वयं रुप से करता रहता है। माइक्रोकंट्रोलर भी मार्केट में अलग-अलग प्रकार के उपलब्ध है। जिसमें से आप किसी भी प्रकार के माइक्रोकंट्रोलर का इस्तेमाल कर सकते हैं। नीचे आपको कुछ माइक्रोकंट्रोलर के प्रकार दिए गए हैं।

  1. PIC microcontroller
  2. AVR microcontroller
  3. Atmel
  4. Arduino
  5. FPga
  6. 8051 microcontroller

ऊपर दिए माइक्रोकंट्रोलर के प्रकारों का इनवर्टर के स्पेसिफिकेशन के हिसाब से आसानी से उपयोग कर सकते हैं।

H-Bridge:

यह डिवाइस एक ऐसा डिवाइस है जिसमें बहुत सारे प्रकार के कंपोनेंट लगे होते हैं। इन कंपोनेंट में हम बाइपोलर जंक्शन ट्रांसिस्टर (BJT), मॉसफेट (MOSFET), आईजीबीटी (IGBT) यह सब हमें देखने को मिलता है। इस ब्रिज का काम मुख्यता इनवर्टर में स्विचिंग डिवाइस के रूप में किया जाता है। अगर हम उसके नाम की बात करें कि इसे h-bridge ही क्यों कहते हैं तो इसमें जो भी सर्किट या कंपोनेंट लगे होते हैं उसके अरेंजमेंट के हिसाब से इसका नाम रखा गया है और हम उन कंपोनेंट  को ऐसे अरेंज किया जाता है। जिससे कि यह h-bridge के टाइप का लगता है। यानी कि अंग्रेजी के अक्षर ‘H’ के आकार का लगता है। इसे हम h-bridge के नाम से जानते हैं।

बाइपोलर जंक्शन ट्रांसिस्टर (BJT):

BJT का फुल फॉर्म बाइपोलर जंक्शन ट्रांसिस्टर है। इस बाइपोलर जंक्शन ट्रांसिस्टर का काम इनवर्टर में करंट फ्लो को कंट्रोल करने का होता है। बाइपोलर जंक्शन ट्रांसिस्टर 3 लेयर वाली एक डिवाइस होती है। जिसमें हमें 3 टर्मिनल देखने को मिलता है। और यह बाइपोलर जंक्शन ट्रांसिस्टर एक बहुत ही मिनिमल करंट के माध्यम से कंट्रोल किया जा सकता है। यानी कि यह बाइपोलर जंक्शन ट्रांसिस्टर करंट के फ्लो को कंट्रोल करने के लिए इसको बहुत ही कम करंट की आवश्यकता होती है यानी कि कम करंट लेकर या अधिक करंट फ्लो को कंट्रोल कर सकती है। इस प्रकार से हम कह सकते हैं कि बाइपोलर जंक्शन ट्रांसिस्टर एक करंट एंपलीफायर के रूप में भी काम करती है। इस बाइपोलर जंक्शन ट्रांसिस्टर को रिले ड्राइवर के रूप में, एक स्विचिंग डिवाइस के रूप में, एक कांस्टेंट करंट सोर्स या एंपलीफायर के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं

BJT के प्रकार:

बाइपोलर जंक्शन ट्रांसिस्टर मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं।

1. NPN transistor
2. PNP transistor

NPN transistor, यह एक ऐसा ट्रांजिस्टर है जिसमें हम 3 टर्मिनल को देखने को मिलता है। जिसमें दो N वाले टर्मिनल होते हैं जिसमें से एक टर्मिनल का नाम collector और एक टर्मिनल का नाम emmiter होता है। और बीच वाला जो भी टर्मिनल होता है उसका नाम Base टर्मिनल होता है।

PNP transistor, यह भी थ्री टर्मिनल वाली डिवाइस है। जिसमें से दो टर्मिनल P type के टर्मिनल होते है। जिसमें एक एक p type टर्मिनल emmiter और दूसरे p type terminal को कलेक्टर कहते हैं। और बीच वाला N टाइप सेक्शन base टर्मिनल कहलता है।

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Filters:

Filter, यह एक ऐसा डिवाइस है जो इनवर्टर में डिजायरेबल फ्रीक्वेंसी पैदा करने के लिए उपयोग किया जाता है। यानी कि इनवर्टर में हम अपनी आवश्यकता अनुसार जो फ्रीक्वेंसी पर पावर जनरेट कराना चाहते हैं वह हम फिल्टर के माध्यम से जनरेट करा सकते हैं। फिल्टर अलग-अलग प्रकार के फ्रिकवेंसी को फिल्टर करके एक जिस प्रकार का फिल्टर लगा होता है उसी प्रकार के फ्रिकवेंसी का पावर आउटपुट पर देता है। फिल्टर भी कई प्रकार के होते हैं। जिसमें से मुक्त निम्न प्रकार के हैं।

  1. Low pass filter
  2. हाई पास फिल्टर

लो पास फिल्टर को हम LC filter के नाम से भी जानते हैं। इसमें इसके सर्किट में हम इंडक्टर और कैपेसिटर का कनेक्शन हमे देखने को मिलता है। इसीलिए हम इसे LC filter भी कहते है। LC filter basically अपने से लो या कम फ्रीक्वेंसी वाले सिग्नल को जाने देता है। और हाई frquency वाले सिग्नल को ब्लॉक कर देता है।

हाई पास फिल्टर, इसे हम RC filter भी कहते है। इस फुल सर्किट में कैपेसिटर के साथ रजिस्टर लगा होता है। इसीलिए से हम RC filter भी कहते हैं। यह फिल्टर उच्च frquency वाले सिग्नल को ही पास करता है। और बाकी लो फ्रीक्वेंसी के सिग्नल को ब्लॉक करता है।

MOSFET:

MOSFET का फुल फॉर्म ‘metal oxide semiconductor field effect transistor’ है। यह एक वोल्टेज कंट्रोल्ड डिवाइस है। इसको ऑपरेट कराने के लिए बहुत ही कम करंट सिग्नल को आवश्यकता होती है।

इस डिवाइस का इस्तेमाल भी हम सिग्नल को कंट्रोल करने के लिए ही लगाते हैं।

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