motor name plate details in hindi | मोटर के नाम प्लेट पर क्या क्या लिखा रहता है?

परिचय:

दोस्तों अगर आप कभी मोटर देखें होंगे तो आपको उसके नेम प्लेट (motor name plate details in Hindi) पर बहुत सारे प्रकार के रीडिंग दिए रहते हैं। जिसमे से कुछ कुछ रीडिंग तो समझ आता है लेकिन कुछ रीडिंग समझ नही आता है। अतः इस स्थिति में हम यही जानने की कोशिश करेंगे को प्रत्येक रीडिंग का एक्चुअल में मतलब क्या होता है।

मोटर का नेम प्लेट (motor name plate details in Hindi):

लगभग सभी मोटरों पर हम एक नेम प्लेट देख सकते है। जिस पर बहुत सारी प्रकार के वैल्यू लिखी रहती है। यह वैल्यू जो कंपनी मोटर का manufacture करती उसके द्वारा लगाए गया रहता है। यह नेम प्लेट इसीलिए लगाया गया रहता है ताकि अगर कोई इस मोटर के बारे जानकारी हासिल करना चाहे तो वो उस नेम प्लेट के जरिए आसानी से जान सकता है।

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motor name plate details in hindi
प्रतीकात्मक चित्र image credit: wikimedia

मोटर के नेम प्लेट पर क्या क्या लिखा रहता है?

अब चलिए देखते है की मोटर के नेम प्लेट पर मोटर के बारे में कौन कौन सी वैल्यू लिखी रहती है।

  1. Company name
  2. Motor types
  3. Motor power rating
  4. Serial number
  5. Indian standard number
  6. Duty type
  7. Efficiency
  8. Bearing number ( DE and NDE)
  9. Voltage rating
  10. RPM
  11. Power factor
  12. Frequency
  13. Insulation class
  14. Ambient temperature

Company name:

मोटर की नेम प्लेट पर सबसे पहले उस मोटर को डिजाइनिया मैन फैक्चर करने वाले कंपनी का नाम होता है। जैसे कि अगर हमारा मोटर एबीबी (ABB) कंपनी के द्वारा डिजाइनर मैन फैक्चर किया गया है तो उस नेम प्लेट पर सबसे पहले बड़े अक्षरों में एबीबी कंपनी का नाम प्रिंटेड रहता है।

Motor types:

इसके बाद अगर देखेंगे नेम प्लेट पर तो आपको किस प्रकार की मोटर है इसका इंडिकेशन दिया जाता है। जैसे कि अगर हमारा मोटर डीसी टाइप का मोटर है तो डीसी टाइप मोटर लिखा रहता है अगर हमारा मोटर 3 फेज इंडक्शन मोटर है तो थ्री फेज इंडक्शन मोटर इंडिकेशन रहता है। (3-φ sq. cage ind.)

Motor power rating:

इसके बाद मोटर की नेम प्लेट पर मोटर की क्षमता को बताया क्या होता है यानी की मोटर कितने वाट का है यह इंडिकेशन दिया गया रहता है। मोटर की पावर किलो वाट के साथ-साथ हॉर्स पावर में भी दिया रहता है। ( KW/HP – 7.5/10)

Serial number:

इसके बाद मोटर का एक सीरियल नंबर (serial no. KDC54678546) दिया रहता है। किसी किसी नेम प्लेट पर इस सीरियल नंबर को मॉडल नंबर भी लिखा रहता है। अगर आपका मोटर कभी खराब होती है तो आप इस सीरियल नंबर को कंपनी को मेल करके यह बता सकते हैं तथा उस मोटर से संबंधित रिपेयरिंग पार्ट को फिर से मंगा सकते हैं। इसलिए यह सीरियल नंबर होना और मोटर में आवश्यक होता है। ताकि जो कंपनी इस मोटर को डिजाइन करी है उस मोटर से रिलेटेड जितने भी रिपेयरिंग पार्ट्स है वह अपने ग्राहक को प्रोवाइड कर सके।

Indian standard number:

जो कंपनी मोटर डिजाइन करती है वह इंडियन के मानक के अनुसार डिजाइन करती है। यानी कि जो इंडियन स्टैंडर्ड रूल है। उसी के अनुसार डिजाइन करती है। अतः उस से रिलेटेड एक इंडियन स्टैंडर्ड का रेफरेंस नंबर भी इस नेम प्लेट पर दिया रहता है। जैसे कि – IS:Ref – 365

Duty type:

मोटर को उसके यूज के अनुसार डिजाइन के जाता है। मतलब मोटर किस प्रकार से इस्तेमाल किया जाएगा कितनी देर तक इस्तेमाल किया जाएगा और कितनी देर बाद इसे बंद किया जाएगा इस आधार पर उस मोटर को डिजाइन किया जाता है। उसके बाइंडिंग को उसके इंसुलेशन पार्ट्स को डिजाइन किया जाता है।

अतः इसी को मोटर का ड्यूटी क्लास कहते हैं। मोटर के नेम प्लेट पर मोटर की ड्यूटी क्लास को भी दिया जाता है। मतलब की मोटर किस ड्यूटी क्लास का है। जैसे की अगर मोटर के नेम प्लेट पर Duty S1 लिखा है तो इसमें S1 का मतलब है की यह मोटर 24 घंटे लगातार चला सकते है। यानी की ये मोटर हेवी ड्यूटी के लिए डिजाइन किया गया है।

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यदि मोटर पर Duty S2 लिखा है। तो S2 का मतलब है की यह मोटर कुछ देर चलें के बाद बंद करना जरूरी होता है की 3-4 घंटे बाद इसे बंद करके कुछ देर बाद फिर से चालू करना होता है। अन्यथा आपका मोटर जल सकता है। इसमें उदाहरण के तौर पर घर में लगे समर सेबल पंप को ले सकते है। हेवी ड्यूटी क्लास की मोटर हम कंपनियों में इस्तेमाल करते हैं।

Efficiency:

मोटर के नेम प्लेट पर (motor name plate details in Hindi) मोटर की एफिशिएंसी का भी वर्णन रहता है। जैसे कि अगर कोई मोटर की एफिशिएंसी 85% है तो मोटर के नेम प्लेट पर EFF – 85 % लिखा रहता है। मोटर एफिशिएंसी यह दर्शाता है कि मोटर को अगर हम इनपुट सप्लाई दे रहे हैं तो वह आउटपुट पर हमें कितना पावर दे रहा है और कितना पावर हानि के रूप में खर्च हो रहा है।

यानी कि अगर मोटर की एफिशिएंसी 85%  है। तो इसका मतलब यह है कि मोटर हमारे आउटपुट पर यानी कि हमारा आउटपुट सॉफ्ट है। तो सॉफ्ट पर जो मेकेनिकल पावर है वह हमारा 85% देगा और बाकी जो 15% है। वह मोटर में जो विभिन्न प्रकार के लॉसेज है उसमें खर्च हो जाएंगे। मोटर में विभिन्न प्रकार के हानि जैसे कॉपर लॉसेस, hysteresis loss, eddy करंट लॉसेस होते हैं। अगर किसी मोटर का एफिशिएंसी 90- 95% परसेंट है तो उस मोटर को हम हाई एफिशिएंसी वाली मोटर बोलते हैं।

Bearing number:

मोटर के नेम प्लेट पर अगला जानकारी यह दिया जाता है कि मोटर में जो बेयरिंग लगा है वह किस टाइप का है। जैसे कि मोटर में हम दो प्रकार के बेयरिंग देखते हैं तो हमारा बेयरिंग के सेक्शन में दो प्रकार के रीडिंग दिया जाता है। इसमें पहला रीडिंग DE रीडिंग होता है। जिसे हम driven end बोलते है। और दूसरा रीडिंग NDE होता है। इसका फुल फॉर्म नॉन driven end होता है।

मोटर में दो साइड होता है। एक साइड में हम लोड को कनेक्ट करते है यानी की मैकेनिकल पावर को shaft द्वारा यूज करते है। जिसे हम driven end बोलते है। और जिस ओर हम किसी प्रकार के लोड कनेक्ट नही करते है। और उस और सिर्फ कूलिंग फैन लगाते हैं तो उस साइड को हम None – driven End बोलते है।

अब DE बेयरिंग की रीडिंग DE – 62748ZZ दिया रहता है तो इसमें ZZ का मतलब है कि जो बेरिंग इस्तेमाल हुआ है। उस बेयरिंग में दोनो साइड में कवर लगा हुआ है। और यदि इसके रीडिंग में सिर्फ एक Z रहता है तो इसका मतलब है कि बेयरिंग में एक साइड ही cover लगा हुआ है। जैसे कि NDE साइड में NDE – 548282Z है तो इसमें नॉन ड्रिवन एंड में जो बेयरिंग लगा है उस बेयरिंग में सिर्फ एक ही साइड के पैकिंग या कवरिंग लगा है।

वोल्टेज रेटिंग :

मोटर में इसके साथ ही किस वोल्टेज लेवल पर मोटर को ऑपरेट किया जाएगा जाएगा इसका भी मेंशन रहता है। जैसे कि अगर मान लीजिए आपका थ्री फेज इंडक्शन मोटर है तो उसमें आपको दो प्रकार के रीडिंग दिया रहेगा पहला स्टार में कनेक्शन करके आप को चलाने के लिए तथा दूसरा डेल्टा में कनेक्शन करके चलाएंगे तो किस वोल्टेज पर चलाएंगे इसका भी मेंशन रहता है। जैसे कि Voltage – 353 – 460 / 415 D इसमें जो D के साथ वोल्टेज रेटिंग दिया गया है उसका मतलब है की आप डेल्टा कनेक्शन में 415 वोल्टेज पर ही इस मोटर को ऑपरेट कर सकते है।

Revolution per minute (RPM) :

मोटर में नेम प्लेट पर आरपीएम (RPM) भी दिया रहता है। यानी कि मोटर किस गति से घूम रहा है यह भी मेंशन रहता है। आरपीएम में आरपीएम का फुल फॉर्म रिवॉल्यूशन पर मिनट होता है। यानी की मोटर 1 मिनट में कितना चक्कर लगा रहा है उसे ही हम आरपीएम कहते हैं। कई सारे मैकेनिकल लोड ऐसे होते हैं जो अलग-अलग आरपीएम पर ऑपरेट किए जाते हैं अतः उस हिसाब से हम मोटर के आरपीएम को भी डिजाइन करते हैं। मोटर की आरपीएम को हम मोटर में पोल्स की संख्या को घटा बढ़ाकर मैनेज कर सकते हैं। इसमें आरपीएम की रीडिंग RPM – 1500 दिया रहता है।

पावर फैक्टर:

अगर आपका मोटर एसी सप्लाई पर चलने वाला मोटर है तो इस मोटर के नेम प्लेट पर पावर फैक्टर भी दिया रहता है। यानी कि या मोटर फुल लोड के स्थिति में कितनी पावर फैक्टर पर ऑपरेट करता है यह मेंशन रहता है। जैसे की किसी मोटर के नेम प्लेट पर PF – 0.85 lagging दिया गया है तो इसका मतलब है की मोटर हमारा 0.85 लैगिंग पर ऑपरेट करेगा।

Frequency:

अगर आपका मोटर एसी सप्लाई से चलने वाला है तो उस पर आपको उसके नेम प्लेट पर फ्रीक्वेंसी के रेटिंग भी दिया रहेगा। यानी कि मोटर आपका एसी सप्लाई के किस फ्रिकवेंसी रेटिंग पर चलेगा यह दिए रहेगा इंडिया की अगर बात करें तो इंडिया में आप को मैक्सिमम मोटर 50 Hz पर चलने वाला मिलेगा। क्योंकि इंडिया की पावर सप्लाई की फ्रीक्वेंसी 50 Hz होती है। लेकिन आजकल जो मॉडर्न मोटर है उसको हम 50 से 60 Hz पर भी चलाने के लिए डिजाइन करते हैं।

Insulation class:

मोटर की नेम प्लेट पर(motor name plate details in hindi) इंसुलेशन क्लास भी दिया रहता है। इसमें इंसुलेशन क्लास का मतलब यह होता है कि हमारा जो मोटर की जो वाइंडिंग है वह किस टाइप के इंसुलेशन से इंसुलेटेड है। यदि मान लीजिए हमारे मोटर पर Ins Cl – F लिखा हुआ है। तो इसमें Ins का मतलब insulation है और Cl का मतलब क्लास है। और F का मतलब 155° C है। इसमें जो F है यह टेम्परेचर की कोडिंग होती है। जैसे की नीचे कुछ कोडिंग दिए गए है।

Y – 90° C (15% +)
A –  105° C (15%+)
E –  120° C (15%+)
B –  130° C ( 10%+)
F –  155° C (25%+)
H – 180° C (25%+)
C – 180° & above (25%+)

Ambient temperature:

मोटर के नेम प्लेट पर (motor name plate details in hindi) एक रीडिंग और दिया रहता है जिसको एम्बिएंट टेंपरेचर कहते है। यह उस वातावरण का तापमान होता है जिस वातावरण में मोटर को रन कराया जाएगा। जैसे कि यदि मोटर पर 50 डिग्री सेल्सियस लिखा हुआ है तो इसका मतलब यह है कि यह मोटर 50 डिग्री सेल्सियस के वातावरण में आसानी से रन कर सकता है।

conclusion:

हम जितने भी आपको ऊपर रीडिंग और जानकारी दिए है इसमें से ये कोई जरुरी नहीं है सभी मोटर के नाम प्लेट पर यही सब लिखा रहेगा. किसी मोटर के नाम प्लेट पर कुछ रीडिंग नहीं भी हो सकता है. जिसको जानने के लिए उस मोटर के साथ आये यूजर मंनुअल और लीफ लेट पर लिख होता है जिसे देख कर पढ़ सकते हैं.

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