Introduction (परिचय): –
अगर आप चुंबकत्व के चैप्टर के कंसेप्ट को अच्छे से समझना चाहते हैं तो आपको इस चुंबक से संबंधित विभिन्न प्रकार के शब्दावली (Magnetic terminology in Hindi) को को अच्छे से सजना होगा। तो आइए चुम्बकत्व से संबंधित शब्दावली को समझते हैं और उसको डिस्कस करते हैं।
चुंबक से संबंधित शब्दावली (magnetic terminology in hindi):-
चुंबकीय शब्दावली पर ही पूरे चुंबक की संकल्पना का आधार टिका है यह शब्दावली (terms) निम्न प्रकार है।
- चुंबकीय बल (magnetic force)
- चुंबकीय बल रेखाएं (magnetic line of forces)
- चुंबकीय क्षेत्र (magnetic field)
- चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता (magnetic field intensity)
- चुंबकीय फ्लक्स (magnetic flux)
- चुंबकीय घनत्व (magnetic density)
- निरपेक्ष चुंबकशीलता ( Absolute permeability)
- सापेक्ष चुंबकशीलता (relative permeability)
- चुंबकीय परिपथ (magnetic circuit)
- चुंबकत्व वाहक बल (magnetomotive force or MMF)
- एम्पियर टर्न (ampere turn)
- चुम्बकशीलता
- चुंबकीय हिस्टेरेसिस (magnetic hysteresis)
चुंबकीय बल(magnetic force in hindi):-
किसी दो चुंबक के बीच या एक चुंबक तथा लहू युक्त पदार्थ के बीच लगने वाला बल मैग्नेटिक बल कहलाता है। यह बल आकर्षण या बी कर्षण दोनों प्रकार का हो सकता है। चुंबक के द्वारा लगने वाला बल इस बल का सामर्थ्य अलग अलग हो सकता है। किसी किसी चुंबक का बल बहुत कम यानी कि इंपरसेप्टिबल होता है। लेकिन किसी किसी चुंबक का यह बल अति प्रबल हो सकता है। चुंबक का लगने वाला बल प्रत्येक स्थान पर एक निश्चित दिशा में होती है। इस बल की गणना हम न्यूटन में करते हैं।
चुंबक द्वारा लगने वाला बल को और उसके निश्चित दिशा को हम निम्न प्रकार के छोटे से प्रयोग से समझ सकते हैं।
जब हम एक मैग्नेट को लोहे के चूर्ण में रखेंगे तो लोहे का चूर्ण मैग्नेट की ओर आकर्षित होता है। और यह आकर्षण बल एक निश्चित दिशा में लगता है। जैसे कि आप एक चित्र में देख सकते हैं कि इसमें लोहे का चूर्ण का एक विशेष आकृति बन जाती है। चुंबकीय बल की दिशा चुंबकीय बल रेखाएं निर्धारित करती हैं।

चुंबकीय बल रेखाएं (Magnetic line of forces):-
चुंबकीय बल रेखाएं चुंबकीय क्षेत्र में मौजूद वह मार्ग है जिस पर अगर एक उत्तरीय ध्रुव पृथक करके रखा जाए तो वह उत्तरीय ध्रुव उसी मार्ग पर चलेगा। हालांकि किसी भी चुंबक से नार्थ पोल तथा साउथ पोल को अलग नहीं किया जा सकता है। हमने बस इसे समझने के लिए एक कल्पना की है। इन चुंबकीय बल रेखाओं के निम्न गुण होते हैं।
- चुंबकीय बल रेखाएं हमेशा उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव की तरफ प्रवेश करती हैं।
- चुंबकीय बल रेखाएं हमेशा एक दूसरे चुंबकीय बल रेखाएं से समांतर में होती है। अतः वह एक दूसरे को नहीं काटती हैं।
- चुंबकीय बल रेखाएं एक डोरी की भांति फ्लैक्सिबल या लचीला होती है।
- इन रेखाओं का आकार बंद वक्रों के रूप में होता है।
चुंबकीय क्षेत्र (magnetic field in Hindi):-
किसी चुंबक के चारों तरफ का वह क्षेत्र जिसमें चुंबकीय बल का अनुभव किया जाए चुंबकीय क्षेत्र कहलाता है।
चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता (magnetic intensity):- माना कोई चुंबकीय क्षेत्र है। जिसमें किसी बिंदु पर एक बेवर का उत्तरीय ध्रुव रखा है, तो उस एक बेबर वाले उत्तरी ध्रुव पर जितने न्यूटन का बल लगता है वही चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता कहलाती है। इसका मात्रक ऐसा ही पद्धत में न्यूटन प्रति वेबर (N/W) होता है।
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चुंबकीय फ्लक्स (magnetic flux in Hindi): –
हमने पीछे के हेडिंग्स में चुंबक की बल रेखाओं को पढ़ा है। अतः यह चुंबकीय बल रेखा जो कि चुंबकीय क्षेत्र में उपस्थित होता है। इन बल रेखाएं के योग को ही चुंबकीय फ्लक्स कहते हैं। इसे चुंबकीय फ्लक्स को φ से प्रदर्शित करते हैं। तथा flux का मात्रक वेबर होता है। एक यूनिट का नार्थ पोल एक वेबर शक्ति का फ्लक्स देता है।
चुंबकीय प्रेरण या फ्लक्स घनत्व :-
किसी भी स्थान पर किसी पदार्थ के चुंबकीय गुण से प्रभावित क्षेत्र से संबंधित राशि को एक काल्पनिक रेखा द्वारा व्यक्त किया जाता है। ये काल्पनिक रेखा ही चुंबकीय प्रेरण रेखा कहलाता है। इन्ही काल्पनिक रेखाओं की कुल संख्याओं को चुंबकीय flux घनत्व कहते हैं।
चुंबकीय घनत्व :-
माना कि एक स्थान है जिस पर चुंबकीय क्षेत्र (H) उपस्थित है। उसके प्रति मीटर स्क्वायर के क्षेत्र से जितनी मात्रा में चुंबकीय प्रेरण रेखा गुजरती है। वह मात्रा उस स्थान का चुंबकीय फ्लक्स घनत्व कहलाता है। इसको B से प्रदर्शित करते हैं।
B = φ/A जहां φ चुंबकीय flux तथा A क्षेत्रफल है।
नोट :- हमें ध्यान देना होगा कि magnetic density और मैग्नेटिक इंडक्शन, फ्लक्स डेंसिटी के पर्यायवाची शब्द है।
निरपेक्ष चुंबक शीलता (absolute permittivity):-
मान लीजिए कि एक पदार्थ है जिसमें चुंबकीय क्षेत्र एच है। इस चुंबकीय क्षेत्र के कारण उसमें B फ्लक्स घनत्व है। अतः फ्लक्स घनत्व B तथा चुंबकीय क्षेत्र के अनुपात को पदार्थ की निरपेक्ष चुंबकशीलता कहते हैं। इसे चुंबकीय पारगम्यता या प्रवेश्यता के नाम से भी जाना जाता है। इसे μ से प्रदर्शित करते हैं। इसका मात्रक हेनरी / मीटर होता है।
μ = B/H
सापेक्ष चुंबकशीलता (relative permittivity):-
मान लीजिए कि एक पदार्थ है, जिसमें चुंबकीय क्षेत्र द्वारा फ्लक्स घनत्व उत्पन्न किया जाता है। तथा उसी चुंबकीय क्षेत्र द्वारा हवा माध्यम में भी फ्लक्स घनत्व उत्पन्न किया जाता है।
उस पदार्थ में उत्पन्न फ्लक्स घनत्व तथा हवा में उत्पन्न फ्लक्स घनत्व का अनुपात ही पदार्थ की सापेक्ष चुंबकशीलता कहलाता है। इसको μr से प्रदर्शित करते हैं। वायु माध्यम के लिए सापेक्ष चुंबकशीलता का मान 1 होता है।
μr = पदार्थ का फ्लक्स घनत्व / शून्य या हवा का फ्लक्स घनत्व
चुंबकीय परिपथ (magnetic circuit in Hindi) :-
चुंबकीय परिपथ विद्युत परिपथ के समान ही होता है। इसमें अंतर सिर्फ इतना होता है कि चुंबकीय परिपथ में चुंबकीय फ्लक्स या चुंबकीय बल रेखाएं चलती है जबकि विद्युत परिपथ में विद्युत धारा प्रवाहित होती है।
चुंबकीय परिपथ तथा विद्युत परिपथ में अंतर (difference between magnetic circuit and electric circuit):-
चुम्बकीय परिपथ (Magnetic Circuit) | विद्युत परिपथ (Electric Circuit) |
---|---|
1. MMF की इकाई अम्पिएर टर्न होती है | इसमें विद्युत वाहक बल की इकाई वोल्ट होती है |
2. फ्लक्स = चुम्बकत्व वाहक बल (MMF) / प्रतिष्ठ्म्भ (reluctance) | धारा = विद्युत वाहक बल (emf) / प्रतिरोध (resistance) |
3. फ्लक्स की इकाई वेबर होती है | धारा की इकाई अम्पिएर होती है |
4. फ्लक्स घनत्व B को वेबर प्रति वर्ग मीटर में मापा जाता है | इसमें धारा घनत्व को अम्पिएर प्रति वर्ग मीटर में मापा जाता है |
5. प्रतिष्ठाम्भ की इकाई प्रति हेनरी होती है | जबकि इसमें प्रतिरिध की इकाई ओम होती है |
6. इसमें चुम्बक शीलता या प्रवेश्यता = 1 / प्रतिष्ठाम्ब (reluctance ) होता है | और इसमें चालकता = 1 / प्रतिरोधकता (R) होता है. |
7. चुम्बकीय परिपथ में विशिष्ठ reluctance = 1 / reluctance | विद्युत परिपथ की विशिष्ठ चालकता = 1/ विशिष्ठ चालकता |
8. चुम्बकीय परिपथ में विशिष्ठ reluctance होता है | जबकि विद्युइत परिपथ में विशिष्ठ प्रतिरोध होती हैं |
चुंबकीय वाहक बल (magnetomotive force):-
इसे संक्षेप में MMF भी कहा जाता है। एमएमएफ (MMF) चुंबकीय परिपथ में ठीक उसी प्रकार कार्य करता है जिस प्रकार विद्युत परिपथ में EMF कार्य करता है। अतः MMF का कार्य चुंबकीय फ्लक्स को चुंबकीय परिपथ में धकेलना है या गुजारना है। MMF का मात्रक एम्पियर टर्न होता है जबकि EMF का मात्रक बोल्ट होता है।
एम्पियर टर्न (Ampear turn): –
उपर्युक्त वर्णन से यह तो पता लग गया है कि यह एंपियर टर्न MMF का मात्रक होता है। यह चुंबकीय परिपथ में लगे कुंडली के बर्तनों की संख्या तथा उसमें प्रवाहित धारा के गुणनफल के बराबर होता है। इसे NI से भी प्रदर्शित करते हैं।
चुंबकशीलता (permeance):-
इसे प्रवेशयता के नाम से भी जाना जाता है यह चुंबकशीलता प्रतिष्ठम्भ (Reluctance) के विपरीत होता है। यह चुंबकीय फ्लक्स के परिपथ में गुजारने में मदद करती है। जबकि प्रतिष्ठंभ (Reluctance) विरोध करता है।
यह चुम्बकशीलत विद्युत परिपथ में चालकता के समान होती है। इसका मात्रक बेवर /एंपियर या हेनरी प्रति मीटर होता है।
चुंबकीय हिस्टेरेसिस (magnetic hysteresis): –
जैसे कि हम जैसा कि हम जान चुके हैं कि जब हम किसी नरम लोहे के टुकड़े को किसी शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र में रखेंगे तो वह नरम लोहे का टुकड़ा भी चुंबक बन जाता है। लोहे के टुकड़े का चुंबक बनना चुंबकीय प्रेरण का नतीजा होता है। अब जब हम वह शक्तिशाली चुंबक हटाते है तो हम देखते है कि उस नर्म लोहे के टुकड़े में भी चुंबकीय गुण का थोड़ी सी मात्रा रह जाती है।
अगर आसान भाषा में समझे तो मान लीजिए कि कोई अनाज का गोदाम खाली कराया जा रहा है तो आप देखेंगे कि उस गोदाम में अनाज की थोड़ी सी मात्रा रह जाती है। ठीक उसी प्रकार चुंबक में भी होता है।
अब आते हैं चुंबकीय हिस्टेरेसिस पर पर तो नर्म लोहे के टुकड़े में चुंबकीय गुण, प्रेरण flux घनत्व के शेष बचे रहने के कारण होता है। जिसे हम प्रेरण फ्लक्स घनत्व का पिछड़ (lagging) जाना कहते है। और उसी पिछड़ जाने को चुंबकीय हिस्टेरेसिस कहते हैं।