परिचय (Introduction):-
अगर हम डायोड के प्रकारों की बात करें तो एलईडी (LED in Hindi) भी उनमें से एक होगा। एलइडी का आविष्कार हमारे लिए आज के युग में बहुत ही महत्वपूर्ण साबित हुआ है। अतः इसके बारे में हमें जानना अति आवश्यक है अतः आज के इस पोस्ट में एलईडी क्या होता है उसका उपयोग कहां कहां किया जाता है तथा यह अन्य प्रकाश उत्सर्जी उपकरणों से कैसे भिन्न है। इस सब बातों को विस्तार से समझेंगे।
प्रकाश उत्सर्जक डायोड (LED in Hindi):-
एलईडी (एलईडी इन हिंदी) का फुल फॉर्म light emitting diode है। यह एक ऐसा डायोड है जो प्रकाश का उत्सर्जन करता है। अतः इस डायोड का इस्तेमाल प्रकाश उत्सर्जी बल्ब के रूप में ज्यादा किया जाता है।
अब आपके दिमाग में ये सवाल आएगा कि आखिर ये diode प्रकाश का उत्सर्जन क्यों करता है। तो हमें इस डायोड के कार्य सिद्धांत को पहले समझना होगा।
एलइडी का कार्य सिद्धांत (working principle of light emitting diode in Hindi):-
चुकी यह एलईडी (LED in Hindi) एक डायोड ही है तो हम जानते हैं कि डायोड के P-N जंक्शन से मिलकर बना होता है। P-N जंक्शन डायोड को जब हम फॉरवर्ड बॉयस में जोड़ते हैं तो पोटेंशियल बैरियर कम हो जाता है। P तथा N क्षेत्र के मेजॉरिटी कैरियर जंक्शन को आसानी से पार करने लगते हैं।
N-क्षेत्र के कंडक्शन बैंड के इलेक्ट्रॉन संधि को पार कर P क्षेत्र के संयोजी बैंड के विवर से संयोग करके समाप्त हो जाते हैं। इसी प्रकार P क्षेत्र के विवर भी जंक्शन को पार करके N क्षेत्र के इलेक्ट्रॉनों से कंबाइन होकर समाप्त हो जाते हैं।
इस क्रिया में हम देखते हैं कि इलेक्ट्रॉन कंडक्शन बैंड जो कि उच्च ऊर्जा स्तर होती है उससे निकलकर संयोजी बैंड (COVALENT BOND) जो कि निम्न ऊर्जा स्तर होती है, में जाती है। अतः जब इलेक्ट्रॉन उच्च ऊर्जा स्तर से निम्न ऊर्जा स्तर में जाती है तो इन दोनों ऊर्जा के स्तरों के अंतर के बराबर ऊर्जा का उत्सर्जन होता है।

यही उर्जा का उत्सर्जन एक सामान्य डायोड में ऊष्मा के रूप में होती है और डायोड गर्म हो जाता है। जबकि एक एलईडी में यही ऊर्जा का उत्सर्जन एक प्रकाश ऊर्जा के रूप में होती है।
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि एलईडी को बनाने के लिए अर्धचालक के रूप में गैलियम आर्सेनाइड फास्फाइड (GaAsP), गैलियम फॉस्फोइड (GaP) का उपयोग किया जाता है।
एलईडी चुकी अलग-अलग रंगों में भी होती है। इसके लिए एलईडी में उपयोग की गई इंप्योरिटी की मात्रा निर्भर करता है। हम एलईडी में इंप्योरिटी को बदलकर एलईडी के प्रकाश के रंग को भी बदल सकते हैं। इंप्योरिटी वह पदार्थ होता है जो अर्धचालक में मिलाया जाता है। एंप्यूटी की मिलाने से अर्धचालक की चालकता में परिवर्तन होता है। Impurity सामान्यता एक चालक मटेरियल को कहते हैं।
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एलईडी का सिंबल (symbol of LED):-
एलईडी को एक डायोड की बात ही दिखाते हैं। इस डायोड के चिन्ह में उत्पन्न उपर की तरफ दो तीर का निशान लगा देते हैं जैसा की चित्र में दिखाया गया है। इस प्रकार एलईडी का सिंबल बन जाता है।

प्रकाश उत्सर्जक डायोड का उपयोग (uses of LED in Hindi):-
आजकल एलईडी (LED in Hindi) का उपयोग बहुत ज्यादा होने लगा है। और भविष्य में इसकी डिमांड और भी ज्यादा बढ़ने वाली है। इसकी मांग बढ़ने के पीछे ज्यादा दिन तक चलने वाली लाइट बहुत ज्यादा महत्व रखती है। इसके उपयोग निम्न प्रकार है।
- इसका उपयोग प्रकाश उत्सर्जन बल्ब के रूप में करते हैं।
- डिस्प्ले बोर्ड में भी Led का उपयोग होता है।
- डिजिटल घड़ी, टेलीफोन, केलकुलेटर, टॉर्च, मल्टीमीटर, रिमोट, इंडिकेटर लाइट्स आदि में Led का उपयोग बहुत ज्यादा स्तर पर किया जाता है।
- आजकल गाड़ियों में हैलोजन लाइट के जगह पर एलईडी लाइट का भी प्रयोग किया जाने लगा है।
एलईडी की विशेषताएं (characteristics of LED):-
एलईडी का भारी मात्रा में उपयोग करने के पीछे इनकी अद्वितीय विशेषताएं होती हैं जो कि निम्न है।
- इसमें पावर की खपत बहुत कम मात्रा में होती है जोकि सबसे पहला और महत्वपूर्ण विशेषता यही है।
- यह साइज में छोटी होती है और हल्की भी होती है।
- इसकी लाइफ बहुत ज्यादा होती लगभग 20 साल तक यह आसानी से चल सकती है।
- यह अलग-अलग रंगों में भी उपलब्ध होती है जो कि सजावट के लिए काफी बेहतर साबित होती है।
- इसकी ज्यादा हिलने डुलने से भी कोई ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता है।
- यह निम्न वोल्टेज (1-2volt) तथा निम्न धारा (5mA – 10mA) पर कार्य करता है।
एलईडी की कुछ हानियां (some demerits of LED in Hindi):-
जहां आप एलईडी को ढेर सारी विशेषताओं के साथ देखते हैं वहीं पर एलईडी की कुछ डिमैरिट्स भी है जो कि निम्न है।
- एक नॉर्मल बल्ब की अपेक्षा एलईडी लाइट के प्रकाश आंखों पर ज्यादा असर करती है।
- एलईडी सिर्फ डीसी सप्लाई पर ही कार्य करती है अतः इसे एसी पर ऑपरेट करने के लिए रेक्टिफायर इस्तेमाल करना पड़ता है।
- एलईडी की सबसे बड़ी डिमैरिट्स यह है कि यह सिर्फ लो वोल्टेज पर ही काम करता है। हाई वोल्टेज के लिए एक एलईडी का डिजाइन नहीं किया जा सकता है। हालांकि बहुत सारे एलईडी को एक साथ जोड़ कर एक बड़ी लाइट बनाई जा सकती है।
LED बल्ब और incandescent बल्ब में अंतर: –
LED | Incandescent bulb |
---|---|
1. यह वजन में हल्का होता है | यह वजन में अपेक्षाकृत भारी होती है |
2. यह पावर खपत कम करता है | इसमें पावर की खपत ज्यादा होती है |
3. यह कम वोल्टेज पर काम करती है | यह कम और ज्यादा दोनों प्रकार की वोल्टेज के लिए डिजाइन किया जा सकता है। |
4. यह सिर्फ डीसी पर वर्क करती है | यह एसी और डीसी दोनों पर वर्क करती है |
5. इसकी लाइफ़स्पन बहुत ज्यादा होती है | इसकी लाइफ स्पान कम होती है |
6. एलईडी प्रकाश के अतिरिक्त अन्य उपयोग जैसे डिस्प्ले बोर्ड, रिमोट, डिजिटल कैलकुलेटर आदि में भी उपयोग किया जाता है। | ऐसे प्रकाश के उद्देश्य के लिए ही उपयोग किया जा सकता है |
7. यह कंपनी से प्रभावित नहीं होती है। | यह कंपन करने पर फ्यूज हो सकती है। |
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