Hydro power plant in Hindi | हाइड्रो पॉवर प्लांट के प्रकार

परिचय:-

हमारे जीवन में उर्जा खपत ठीक वैसे ही बढ़ती जा रही है जैसे जैसे हम आधुनिकता को तेजी से अपना रहे हैं। अतः हमें पावर की ज्यादा जरूरत पड़ रही है। इस संदर्भ में हम देखें तो पावर को उत्पन्न करने के लिए बहुत से प्रकार के प्लांटों को स्थापित किया जाता है। जिसमें से हाइड्रो पावर प्लांट (Hydro power plant in Hindi) को समझना हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण है। आज के इस पोस्ट में हाइड्रो पावर प्लांट के बारे में विस्तार से समझेंगे।

यह कैसे काम करता है तथा इसके लाभ और हानियां पर भी थोड़ी सी निगाह डालेंगे। क्योंकि हमें हर पहलू को समझना जरूरी है।

हाइड्रो पावर प्लांट (Hydro power plant in hindi):-

दोस्तों हाइड्रो पावर प्लांट (Hydro power plant in Hindi) में हम पानी की स्थिति ऊर्जा का उपयोग बिजली पैदा करने में करते हैं। इसमें हम नदियों में स्थित पानी को बांध बनाकर एक जगह पर इकट्ठा कर लेते हैं। जिसे हम वाटर हेड बनाना भी बोलते हैं। जब नदी का पानी इकट्ठा हो जाता है तो हम उसे धीरे-धीरे करके पानी को छोड़ते हैं। चुकी हम पानी एक जगह पर इकट्ठा करते हैं तो पानी का वाटर हेड अत्यधिक होता है। यानी पानी की स्थितिज ऊर्जा बहुत अधिक होती है। यही कारण है कि जब पानी को हम छोड़ते हैं तो वह पानी तेज गति से बहता है। और उसी पानी के दबाव को हम टरबाइन लगाकर मैकेनिकल एनर्जी में बदल लेते हैं। और अगले स्टेप में हम टरबाइन से अल्टरनेटर लगाकर मैकेनिकल एनर्जी को इलेक्ट्रिकल एनर्जी में बदल लेते हैं।

Hydro power plant in Hindi
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हाइड्रो पावर प्लांट को सबसे पुराना पावर प्लांट माना जाता है। साथ ही यह प्रदूषण रहित भी होता है। अगर भारत में देखा जाए तो सबसे पहला हाइड्रो प्लांट दार्जिलिंग, पश्चिम बंगाल में बना था। तथा उसी पावर प्लांट के समकालीन कर्नाटक के सरावती जिले में भी बनाया गया था।

नार्वे अपने देश का 95% पावर की आपूर्ति हाइड्रो पावर प्लांट के द्वारा ही करता है। ऐसा इसलिए संभव है क्योंकि नार्वे को प्राकृतिक वरदान के रूप में ढेर सारी नदिया नार्वे से होकर गुजरी है। और नार्वे इसी का भरपूर फायदा उठाया है। साथ ही में नार्वे एक बहुत ही छोटा देश है।

अगर सबसे बड़े हाइड्रो पावर प्लांट की बात करें तो ब्राजील में विश्व का सबसे बड़ा हाइड्रो पावर प्लांट (Hydro power plant in Hindi) है जिसकी टोटल क्षमता पावर उत्पादन करने के मामले में 12000 मेगावाट है।

बांध (Dam):-

नदियों के रास्तों में सबसे बड़ी सी और मजबूत से दीवार बनाना डैम या बांध कहलाता है। बांध बनाने का मकसद सिर्फ बिजली पैदा करना नहीं होता है। पावर का उत्पादन एक अहम हिस्सा हो सकता है लेकिन बांध का और भी बहुत सारे उपयोग होते हैं जैसे –

  • बांध बनाकर हम नदियों के पानी को रोककर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बाढ़ आने से बचा सकते है।
  • नदियों के पानी को बांध बनाकर रोककर हम आस पास के क्षेत्रों के खेतो की सिंचाई कर सकते हैं।
  • उसके साथ ही पीने के पानी की सप्लाई किया जाता है।

हाइड्रो पावर प्लांट की संरचना तथा कार्य विधि (structure and working principle of hydro power plant in Hindi):-

हाइड्रो पावर प्लांट (Hydro power plant in Hindi) की संरचना तथा कार्य विधि को समझने के लिए हैं इसके अलग अलग भाग को डिस्कस करेंगे। जिससे हम इसकी संरचना तथा कैसे काम करता है। यह सारी बातें आसानी से समझ में आ जाएंगी। हाइड्रो पावर प्लांट में मुख्य रूप से निम्न भाग होते हैं।

  1. Dam
  2. रिजरवायर
  3. केचमेंट एरिया
  4. Pen stock
  5. Surge टैंक
  6. Nozzle
  7. टरबाइन
  8. Slipway

डैम:-

बांध को चुकी हम बता चुके हैं कि यह नदियों के बीच में बड़ी ऊंची तथा मजबूत दीवार होती है। जो नदियों के पानी को रोकने का काम करती है। नदियों के पानी को रोकने से वाटर हेड का निर्माण होता है।

रिजर्वॉयर (Reservoir):-

यह एक क्षेत्र होता है जहां पर बांध बनाने से पानी इकट्ठा होता है। तथा इस पानी का उपयोग हम बिजली बनाने में करते हैं।

Catchment area:-

यह वह क्षेत्र होता है जो रिजर्वायर के बाहरी भाग वाला होता है।

Pen stock:-

हम यह कह सकते है की यह एक प्रकार का पाइप या कंड्यूट होता है। जो पानी के बहाव को गाइड करता है। और रिजर्वायर से पानी को टरबाइन तक पहुंचाता है।

पेनस्टॉक दो प्रकार के होते हैं।

1. Open pen stock:- स्पेनिश टॉक में पानी का दबाव कम तथा पानी का डिस्चार्ज लेवल होता है। मतलब कि इस प्रकार के पेनी स्टॉक में कम दबाव के साथ ज्यादा पानी की मात्रा का बहाव होता है। यह RCC का बना होता है तथा इसमें सर्ज टैंक की जरूरत नहीं होती है।
2. Closed pen stock:- इस प्रकार के पेन स्टॉक में पानी का दबाव ज्यादा होता है तथा लो डिस्चार्ज लेवल का पानी बहता है। इसमें में पानी का प्रेशर ज्यादा होने के कारण इसे स्टील के पाइप से बनाया जाता है। तथा इसमें सर्ज टैंक की जरूरत होती है।

Surge tank:-

सर्ज़ टैंक एक प्रकार का टैंक होता है। जो पेन स्टॉक पर लगाया जाता है। इस सर्ज़ टैंक का काम पेनस्टॉक पर पड़ने वाले वाटर को अत्यधिक दबाव तथा अचानक पानी के आघातों से बचाना है। क्योंकि जब किसी कारणवश पानी का दबाव अचानक बढ़ जाता है तो इस दबाव का असर पेनस्टॉक पर होता है। जिससे पेन स्टॉक फटने का डर रहता है। अतः ऐसे में सर्ज टैंक पानी के दबाव को कम कर देता है। क्योंकि जब पानी का दबाव ज्यादा बढ़ता है तो यह सर्ज़ टैंक ज्यादा दबाव वाले पानी अपने टैंक में ले लेता है। और पेन स्टाक की दबाव कम हो जाता है। अर्थात यह टैंक प्रकार से वाटर प्रेशर को रेगुलेट करता है।

यह सर्ज टैंक सैद्धांतिक रूप से अगर देखा जाए तो टरबाइन के पास होना चाहिए। लेकिन जब हम सर्ज टैंक को टरबाइन के पास बनाएंगे तो इसको बहुत ऊंचा बनाना पड़ेगा। लगभग डैम की ऊंचाई के बराबर। यही कारण है कि सर्ज़ टैंक को थोड़ा सा टरबाइन से दूर बनाया जाता है।

Nozzle:-

यह नोजल पानी में उपस्थित पोटेंशियल एनर्जी या स्थितिज ऊर्जा को काइनेटिक एनर्जी या गतिज ऊर्जा में परिवर्तित करता है। यह नोजल सामान्यता पेल्टन व्हील टरबाइन में इस्तेमाल किया जाता है।

सामान्यतः peltan व्हील टरबाइन में नोजल की संख्या 4 से 6 होती है। क्योंकि इससे बैलेंस बनी रहती है। और टरबाइन के ब्लेड टूटने से बच जाती है। क्योंकि सभी ब्लेडों पर समान रूप से बल लगता है।

टरबाइन:-

यह टरबाइन ही पानी की पोटेंशियल ऊर्जा को मैकेनिकल ऊर्जा में परिवर्तित करता है। हाइड्रो पावर प्लांट (Hydro power plant in Hindi) में वाटर टरबाइन का इस्तेमाल किया जाता है। यह वाटर टरबाइन भी कई प्रकार के होते हैं। जिनका वर्णन हम आगे करेंगे।

Slipway :-

यह बांध के ऊपर बना एक प्रकार का दरवाजा होता है। जो रिजरवायर में पानी की अधिकता होने पर उसी रास्ते से पानी को बहा दिया जाता है। रिजरवायर में पानी की अधिकता तभी होता है जब बहुत अधिक बारिश होती है। जिससे नदियों में बाढ़ की स्थिति आ जाती है।

वाटर टरबाइन के प्रकार (types of water turbine in Hydro power plant in Hindi):-

वाटर टरबाइन मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं।
1. इंपल्स टरबाइन (Impulse turbine)
2. रिएक्शन टरबाइन (reaction turbine)

1. इंपल्स टरबाइन (Impulse turbine):-

इसके अंतर्गत pelton wheel turbine आता है। pelton wheel turbine में पानी का टेंटिकल फ्लोर होता है। तथा इसमें ड्राफ्ट ट्यूब को जरूरत नहीं होती है।

2. रिएक्शन टरबाइन (reaction turbine):-

इसमें दो प्रकार के टरबाइन आते है।

• कपलन टरबाइन(kaplan turbine)
• फ्रांसिस टरबाइन (Fransis turbine)

Kaplan turbine :- यह टरबाइन मुख्यतः low water head के हाइड्रो पावर प्लांट में इस्तेमाल किया जाता है। इस टरबाइन में पानी का flow, axial flow होता है। तथा इसमें ड्राफ्ट ट्यूब की जरूरत होती है।

फ्रांसिस टरबाइन :- यह टरबाइन मीडियम वाटर हेड के हाइड्रो पावर प्लांट (Hydro power plant in Hindi) में इस्तेमाल किया जाता है। यह टरबाइन एक mix टाइप का टरबाइन होता है। इसमें इंपल्स तथा रिएक्शन दोनो क्रियाएं होती है। इसमें पानी का प्रवेश रेडियस फार्म में तथा पानी का निकास axial form में होता है।

ड्राफ्ट ट्यूब :-

यह टरबाइन में सामान्यतः नेगेटिव प्रेशर उत्पन्न करने के लिए होता है।

हाइड्रो पावर प्लांट के प्रकार (Types of hydro power plant in Hindi):-

हाइड्रो पावर प्लांट का अलग अलग आधार पर अलग अलग भाग में विभाजित किया गया है।

1. पानी के बहाव के आधार पर (on the basis of water flow):-

  • Run off river:- इसमें जब पानी बहकर आता है। तभी यह प्लांट उपयोग में लाया जाता है। इस प्रकार के प्लांट का उपयोग बेस लोड के लिए किया जाता है।
  • Pondage type:- इसमें कम मात्रा में पानी को स्टोर किया जाता है। तथा उसे इस्तेमाल किया जाता है। ऐसा पावर प्लांट पीक लोड के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
  • Reservoir type:- इसमें पानी को बहुत बड़े लेवल पर इकट्ठा किया जाता है। इस प्रकार के पावर प्लांट को बेस लोड तथा पीक लोड दोनो में इस्तेमाल किया जाता है।

2. वाटर हेड के आधार पर ( on the basis of water head):-

  • Low head:- इस प्रकार के पावर प्लांट में वाटर हेड 0-30 मीटर होता है। तथा इसमें kaplan टरबाइन इस्तेमाल किया जाता है।
  • Medium head :- इसमें वाटर हेड 30 – 300 मीटर होता है। तथा इसमें फ्रांसिस टरबाइन का इस्तेमाल किया जाता है।
  • High head:- इसमें वाटर हेड 300 मीटर से ऊपर होता है। तथा इसमें peltan व्हील टरबाइन का इस्तेमाप किया जाता है।

3. पानी के बहाव की मात्रा केआधार पर (On the basis of water discharge):-

  • High discharge:- इस प्रकार के पावर प्लांट में पानी की बहाव की मात्रा सबसे उच्च होती है। तथा पानी का दबाव सबसे कम होती है। अतः इसमें kaplan टरबाइन का इस्तेमाल किया जाता है।
  • Medium discharge:- इसमें पानी का डिस्चार्ज लेवल माध्यम होता है। और साथ ही पानी का दबाव लेवल भी माध्यम होता है। अतः इसमें फ्रांसिस टरबाइन का इस्तेमाल किया जाता है।
  • Low discharge:- इसमें पानी का डिस्चार्ज लेवल सबसे कम होती है। लेकिन इसमें पानी की प्रेशर बहुत ज्यादा होता है। अतः इसमें pelton wheel turbine का इस्तेमाल किया जाता है। और इसमें surge tank की भी जरूरत होती है।

भारत में हाइड्रो पावर प्लांट (hydro power plant in India):-

हालाकि हैं जानते है की भारत में थर्मल पावर प्लांट ज्यादातर इस्तेमाल किए जाते है। लेकिन फिर भी अगर देखा जाए तो हाइड्रो पावर प्लांट की भारत में कमी नही है। भारत में कुल हाइड्रो पावर प्लांट की संख्या 197 है।

हाइड्रो पावर प्लांट के लाभ (advantages of hydro power plant in Hindi):-

Hydro power plant के निम्न लाभ होते है।

  • पहल लाभ तो ये है को यह प्लांट प्रदूषण रहित होता है।
  • इस प्लांट में डैम बनाया जाता है। जिससे आस पास के खेतो की सिंचाई के साथ साथ बाढ़ आने के संभावना को भी काम करता है।
  • इसमें किसी प्रकार के इंधन के दहन की जरूरत नहीं होती है।
  • इस प्लांट की मेंटेनेंस cost बहुत कम होती है।
  • यह प्लांट एक बार बन जाने पर सदियों तक चलता रहता है।
  • इस प्लांट की रनिंग cost लगभग ना के बराबर होती है।

हाइड्रो पावर प्लांट के हानि (Disadvantages of hydro power plant in hindi):-

इसके लाभ के साथ साथ कुछ हानिया भी होती है।

  • इसको बनाने में जो लागत आती है। वह अन्य सभी प्रकार के प्लांटों से अधिक होती है। यानी की इसका इनिशियल cost बहुत ज्यादा होता है।
  • इस प्लांट को बनाने में भी बहुत ज्यादा वक्त लगता है।
  • इस प्लांट की पावर जेनरेशन की निर्भरता कुछ हद तक मौसम के आधार पर रहता है। अगर बहुत ज्यादा काम बारिश होता है । इसकी पावर जेनरेशन कैपेसिटी भी काम हो जाती है।
  • कभी कभी इस प्लांट के कारण दूर दराज के लोगों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पाता है। ये समस्या सिर्फ कम बारिश होने के कारण होती है।
  • इस प्लांट की विश्वसनीयता अपेक्षाकृत कम होती है।
  • इस प्लांट की दक्षता भी अपेक्षाकृत कम होती है।

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