House wiring in hindi | घरेलु वायरिंग करने के नियम

परिचय:-

दोस्तों, पावर की जरूरत लगभग हर घर में होती है। और उस जरूरत को पूरी करने के लिए हम घरों में जगह-जगह पर वायरिंग करते हैं। ताकि हमारे हर रूम में लाइट फैन तथा अन्य चीजों को उचित तरीके से सप्लाई मिल सके। आज के इस पोस्ट में घरेलू वायरिंग (House wiring in Hindi) के बारे में विस्तार से बताएंगे। घरेलू वायरिंग करते समय हमें क्या क्या सावधानियां तथा नियमों का पालन करना चाहिए यह सब बातें इस पोस्ट में डिस्कस की जाएंगी।

घरेलू वायरिंग (House wiring in Hindi):-

घरों में की जाने वाली वायरिंग ही घरेलू वायरिंग (House wiring in Hindi) कहलाती है। घरों में जो वायरिंग की जाती है उसमें दो प्रकार के सर्किट का इस्तेमाल किया जाता है।

  1. सामान्य सर्किट 5 एंपियर लोड के लिए
  2. पावर सर्किट 15 से 32 एंपियर लोड के लिए

सामान्य सर्किट:

सामान्य सर्किट में हम लाइट पंखा 5 एंपियर का सॉकेट आदि को अकाउंट करते है। इसमें 1.5 mm स्क्वायर के एलुमिनियम वायर का इस्तेमाल किया जाता है।

पावर सर्किट: –

यह सर्किट थोड़ा सा अधिक लोड के लिए जैसे 15 एंपियर लोड के लिए लगाते हैं। इस सर्किट के द्वारा हम एसी, कूलर, फ्रिज, हीटर, वाशिंग मशीन इत्यादि चलाते हैं। अतः इसे पावर सर्किट कहते हैं।

घरेलू वायरिंग के प्रकार (types of house wiring in Hindi):-

घरेलू वायरिंग करने के भी बहुत से प्रकार होते हैं। जिसमें से आजकल अधिकतर प्रकार पुराने हो चुके हैं। यानी कि कम प्रयोग में लाई जाती हैं। या कहे तो उपयोग में ही नहीं लाई जाती है। लेकिन हमें यह जानना जरूरी है कि वायरिंग किस किस प्रकार से करी जाती थी। वायरिंग के निम्न प्रकार होते हैं।

1. क्लिट वायरिंग (Cleat wiring)
2. Wooden casing capping wiring
3. Batten wiring
4. Lead sheathed wiring
5. Conduit wiring

Cleat wiring:-

वायरिंग की यह विधि एक अस्थाई प्रकार की वायरिंग विधि है। यह विधि नमी वाले स्थानों पर तथा जहां पर सुंदरता महत्व रखती हो वहां पर अनुपयुक्त होती है। इसमें तार को लगाने के लिए आधार के रूप में पोर्सलिन की बनी हुई दो मार्गी या तीन मार्गी क्लिट का उपयोग किया जाता है।

House wiring in Hindi
House wiring in Hindi

इस क्लिट को लकड़ी की गुल्ली से दीवार में फिक्स किया जाता है। तथा इसी क्लिप से होते हुए तार को ले जाया जाता है। अतः सामान्यता एक क्लीट से दूसरी क्लिंट की दूरी 30 सेंटीमीटर रखी जाती है। इस प्रकार की वायरिंग में VIR केबल या पीवीसी केबल का उपयोग किया जाता है।

लाभ:-

• यह मेथड सबसे सस्ती और सरल होती है
• इसे आवश्यकता पड़ने पर के बिलों का परीक्षण आसानी से किया जा सकता है।
• इसमें केबलों को आसानी से बदला भी जा सकता है।
• इसमें वायरिंग के समय बची हुई सामग्री को पुनः प्रयोग में लाई जा सकती है।

हानि:-

• इस प्रकार की वायरिंग देखने में थोड़ा सा भद्दा लगता है
• खुली के बिल होने के कारण यांत्रिक क्षति पहुंचने की संभावना ज्यादा बनी रहती है।
• केवल डायरेक्ट वातावरण के संपर्क में आने के कारण इस पर विभिन्न प्रकार के मौसम का प्रभाव भी पड़ता है जैसे धुंआ तेल और नमी युक्त स्थानों पर यह केबल जल्दी खराब हो जाते हैं।
• इस प्रकार की वायरिंग जल्दी खराब होने की संभावना होती है।

Wooden casing capping house wiring in Hindi:-

इस प्रकार की वायरिंग तार को ले जाने में लकड़ी के बने केसिंग कैपिंग का इस्तेमाल किया जाता है। आप चित्र में देख सकते है की लकड़ी की केसिंग और कैंपिंग दिखाया गया है।

House wiring in Hindi

इसमें लकड़ी के केसिंग कई प्रकार के अलग-अलग खांचे बने होते हैं। इन्हीं खांचों से होते हुए केबल को ले जाया जाता है। लकड़ी की किसिंग में जितने खांचे होते हैं कि वह उतनी ही केबल को उस केसिंग से ले जाया जा सकता है।

लकड़ी की केसिंग में तार को लगाने के बाद ऊपर से कैपिंग से ढक दिया जाता है। नमी व दीमक से युक्त स्थानों पर इसके केसिंग को पोर्सलाइन पर कसा जाता है। लकड़ी का अधिक प्रयोग होने से यहां प्रणाली ज्यादा खर्चीली होती है। इसके साथ साथ ही इसमें ज्यादा दक्ष होने की आवश्यकता होती है। तथा यह प्रणाली नमीयुक्त स्थानों पर सर्वथा रूप से अनुपयुक्त होती है। क्योंकि लकड़ी नमी युक्त स्थानों पर जल्दी से खराब होने की संभावना होती है। तो यही कारण है कि वायरिंग की यह विधि आजकल लगभग विलुप्त ही हो गई है।

लाभ :-

  • वायरिंग किया lead sheathed तथा कंड्यूट पाइप विधि वाली वायरिंग से सस्ती होती है।
  • इसमें वायरिंग आसानी से किया जा सकता है तथा साथ ही अगर कोई तार बदलने की आवश्यकता हो तो हम आसानी से बदल सकते हैं।
  • इसमें फाल्ट का लोकेशन आसानी से ट्रैक किया जा सकता है।
  • इसमें के बिलों की परस्पर दूरी होने से फाल्ट होने की संभावना काफी कम होती है।
  • अगर हमें वायरिंग का निरीक्षण करना हो तो इस वायरिंग की कैंपिंग को खोलकर आसानी से निरीक्षण कर सकते हैं।

हानियां:-

  • इस बार इनको करने के लिए कार्यकुशलता अपेक्षाकृत अधिक होनी चाहिए।
  • यह वायरिंग उन स्थानों पर बिल्कुल अनुपयुक्त होती है जहां पर आग लगने की संभावना ज्यादा होती है जैसे कि इंडस्ट्रियल एरिया।
  • यह वायरिंग उन स्थानों पर भी अनुपयुक्त होती है जहां पर नमी ज्यादा होती है। क्योंकि नमी के कारण लकड़ी जल्दी से खराब होता है।

नोट:- इस वायरिंग के प्रकार में सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह बहुत ही जल्दी से वायरिंग किया जा सकता है अतः इस वायरिंग को अब लकड़ी के केसिंग कैपिंग की जगह पीवीसी का केसिंग कैपिंग आधुनिक रूप में प्रयोग किया जा रहा है।

Batten type house wiring in Hindi:-

इसे TRS या CTS वायरिंग भी  कहते हैं। इसमें सागौन की लकड़ी का 12.5 mm ऊंचाई तथा विभिन्न प्रकार के चौड़ाई का बैटन इस्तेमाल किया जाता है। अतः इसे बैटन वायरिंग कहते हैं। इस बैटन को लकड़ी की गुल्ली से दीवाल में फिक्स किया जाता है तथा इसी बैटन पर वायरिंग केबल को लगा कर ले जाया जाता है। बैटिंग पर तार को स्थापित कर क्लिप से बांध दिया जाता है। इस प्रकार के वायरिंग में सीटीएस या टीआरएस प्रकार के केबलों का उपयोग में लाया जाता है। लेकिन अब सामान्यतः पीवीसी केबल का ही इस्तेमाल किया जाता है।

लाभ:-

  • इस प्रणाली में कार की वायरिंग समानता बहुत ही सरल होती है।
  • यह प्रणाली अन्य बाहरी वायरिंग प्रणाली के अपेक्षा ज्यादा टिकाऊ होती है।

हानि:-

  • इस प्रणाली में वायरिंग करने के लिए अधिक कार्यकुशलता की आवश्यकता पड़ती है।
  • इस प्रकार के प्रणाली में जो कि केवल बाहर होता है अतः इस पर यांत्रिक क्षति पहुंचने की संभावना ज्यादा बनी रहती है।
  • धूप और नमी सीधी प्रकार से इसमें लगे केवल को प्रभावित करती है।

Lead sheathed house wiring in Hindi:-

यह विधि बिल्कुल बैटन वायरिंग की तरह ही होती है। इसमें सिर्फ एक अंतर यह होता है कि इसमें वायरिंग में उपयोग होने वाले केबल में लेड शिथेड (lead sheathed) केबल का इस्तेमाल किया जाता है। यह वायरिंग की प्रणाली ऐसे स्थानों पर की जाती है जहां पर ज्यादा यांत्रिक क्षति पहुंचने की संभावना होती है। इसके साथ ही यह नमी युक्त स्थानों पर ज्यादा अच्छे से प्रभावी होता है।

लाभ:-

  • यह प्रणाली एक प्रकार से सरल और सुंदर भी होता है।
  • इसमें यांत्रिक शक्ति की संभावना कम होती है
  • यदि इसमें भू संपर्क या अर्थिंग अच्छी रखी जाए तो यह काफी हद तक टिकाऊ होता है।

हानियां:-

  • इस प्रकार के वायरिंग में कार्यकुशलता का होना आवश्यक होता है।
  • प्रणाली अन्य प्रकार बैटन वायरिंग की अपेक्षा ज्यादा महंगी होती है।
  • वायरिंग कि यह मेथड उन स्थानों पर उपयुक्त होती है जहां पर केमिकल का संपर्क ज्यादा हो।

Conduit pipe house wiring in Hindi:-

यह प्रणाली सबसे ज्यादा आजकल के समय में प्रचलित विधि है। इसमें वायरिंग केबल को कंड्यूट पाइप के अंदर से ले जाया जाता है। यही कारण है कि इसमें वायरिंग केबल को नमी, यांत्रिक क्षति और आग का प्रभाव कम होता है। अतः इसको ज्यादा तर इंडस्ट्रियल एरिया में प्रयोग किया जाता है। आजकल तो घरों में भी इसका प्रयोग किया जाता है। Conduit pipe wiring में पीवीसी केबल का ही इस्तेमाल किया जाता है।

इसमें भी दो प्रकार से वायरिंग की जाती है।

  1. Open or surface conduit pipe wiring
  2. Concealed conduit pipe wiring

Open or surface conduit pipe wiring में conduit pipe को दीवाल के सतह पर ही हुक की सहायता से फिक्स किया जाता है। इसमें कंड्यूस पाइप सतह पर आसानी से दिखाई देता है। इस प्रकार की वायरिंग वहां पर की जाती है जहां पर सुंदरता महत्व नहीं रखता है।

Concealed conduit pipe wiring ऐसे स्थानों पर की जाती है जहा पर सुंदरता को बनाए रखना है। और साथ में वायरिंग को भी पूरा करना है। अतः इसके लिए conduit pipe को दीवार के अंदर फिक्स किया जाता है। ताकि वह conduit pipe बाहर दिखे नही।

लाभ:-

  • वायरिंग की यह विधि सबसे ज्यादा टिकाऊ होती है।
  • इसमें यांत्रिक क्षति और नमी से किसी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ता है।
  • इसके साथ ही इसे आग से कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

हानि:-

  • यह वायरिंग विधि सबसे महंगी होती है।
  • इसमें फाल्ट का पता लगाना थोड़ा मुश्किल होता है।
  • इसमें वायर को बदला भी मुश्किल होता है।
  • इसमें ज्यादा कार्यकुशलता की आवश्यकता होती है।

वायरिंग करते समय कुछ सावधानियां बरतें:-

  • वायरिंग करते समय हमें यह ध्यान देना चाइए की स्विच को हमेशा phase wire से ही जोड़े।
  • वायरिंग के लिए दीवार में conduit pipe लगाते से हमे कटर को सावधानी के साथ चलाए।
  • वायरिंग करते समय हमें इंडियन इलेक्ट्रिकल rule का पालन करना चाइए।
  • वायरिंग में तार को लागते समय प्रत्येक तार को tag कर लें ताकि बाद में पहचानने में आसानी रहे।
  • वायरिंग करते समय हमें हाथों में ग्लव्स जरूर लगाना चाइए।

वायरिंग में प्रयुक्त होने वाले औजार:-

  • प्लायर (plier)
  • Nose plier
  • Knife
  • Screw driver
  • Pocker
  • Centre punch
  • Drill machine
  • Reamer
  • Files
  • Wood chisel
  • Wood saw
  • Cold chisel
  • Rawle plug
  • बाल pin hammer
  • Pincer
  • Mallet
  • Soldering iron
  • Hack saw
  • Bench vice
  • Pipe vice
  • Stock and die
  • Tap
  • Pipe wrench
  • Plumb bob
  • Testing equipment
  • Neon tester
  • Lamp tester
  • Megger
  • Earth tester

हाउस वायरिंग संबंधी कुछ इलेक्ट्रिकल रूल:-

  1. वायरिंग का होरिजेंटल रन फर्श 4 मीटर की ऊंचाई पर होना चाहिए तथा सेलिंग से 0.5 मीटर की दूरी पर होना चाहिए। अधिक ऊंचाई वाले शिवलिंग के लिए फर्ज से होराइजंटल रन की ऊंचाई 3.5 मीटर से कम नहीं होनी चाहिए।
  2. वायरिंग को सामान्यतः सीलिंग के पास से दीवार के  उस पार गुजारी जाती है। इसके लिए तार को गुजारने के लिए हमें पोर्सलिन के पाइप के द्वारा गुजारा जाता है।
  3. सर्किट के लिए उपयोग में लाए गए कंडक्टर की माप ऐसी होनी चाहिए कि वह लगाए गए लोड की धारा को आसानी से वहन कर सके।
  4. Conduct pipe को भी अर्थिंग से कनेक्ट करना चाहिए।
  5. वायरिंग क्लिप की परस्पर दूरी होराइजेंटल रन में 10 सेंटीमीटर तथा ऊर्ध्वाधर रन में 15 सेंटीमीटर से अधिक नहीं रखी जानी चाहिए।
  6. लैंप की फर्श से ऊंचाई 2.5 मीटर रखी जानी चाहिए जब तक की कोई आवश्यकता ना हो।
  7. पंखे की फर्श से ऊंचाई 2.55 मीटर रखी जानी चाहिए जब तक की कोई आवश्यकता ना हो। और पंखे के साथ एक रेगुलेटर का भी इस्तेमाल करना चाहिए।
  8. स्विच का फर्श से 1.3 मीटर की ऊंचाई पर लगाया जाना चाहिए जब तक कि कोई अन्य आवश्यकता ना हो।
  9. खुले स्थानों पर स्विच वाटर प्रूफ या वेदरप्रूफ वाला स्विच लगाया जाना चाहिए।
  10. अंधेरे वाले स्थानों पर स्विच को लाइट वाला स्विच लगाया जाना चाहिए।
  11. बड़े हाल या सीढ़ियों में द्विमार्गी स्विच का उपयोग करना चाहिए।
  12. रसोई घरों में विद्युत बिंदु ऐसे स्थानों पर देना चाहिए जहां से कार्यस्थल पर प्रकाश की प्रदीप्ति सही तरीके से हो सके।
  13. सोने वाले कमरे में प्रकाश बिंदु के लिए स्विच को बेड के निकट लगाना चाहिए ताकि बेड पर से ही लाइट को कंट्रोल किया जा सके।
  14. नहाने के कमरे में स्विच को बाथरूम के बाहर लगाया जाना चाहिए ताकि स्विच भीगने से बच जाए।

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