परिचय:-
दोस्तों अक्सर अपने सुना सुना होगा कि विद्युत लाइन में बहुत सारे इफेक्ट आते है जैसे स्किन इफेक्ट , proximity effect, corona loss और फेरंटी इफेक्ट आदि। तो आज के इस पोस्ट के माध्यम से हम फेरांटी इफेक्ट (Ferranti effect in Hindi) क्या होता है। वह समझेंगे।
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फेरांटी इफेक्ट क्या होता है (Ferranti effect in Hindi) :-
अगर हम फेरंटी इफेक्ट को परिभाषा को बात करे तो फेरांटी इफेक्ट ट्रांसमिशन लाइन की वह घटना है जिसके कारण ट्रांसमिशन लाइन में sending end से भेजे जाने वाली वोल्टेज का मान receiving end पर sending end पर ज्यादा मिलता है। जिसको हम फेरांटि इफेक्ट कहते है।
जैसे को मान लीजिए की जब हम एक नॉर्मली किसी जनरेटर से पावर जेनरेट करा कर उस पावर को किसी दूर स्थिति लोड के साथ जोड़ते हैं। तो हम जनरल यह नोटिस करते हैं कि इस लोड के पास हमारा वोल्टेज का मान थोड़ा कम आएगा। मतलब की हमारा लोड के पास सामान्यत वोल्टेज ड्रॉप देखने को मिलता है।
जैसे की अगर हम जनरेटर से 415 वोल्ट जेनरेट किया तो यह वोल्टेज का मान घट कर लोड के पास 405 volt या 410 volt हो जायेगा। ये तो हम लोग सामान्यत हर जगह वोल्टेज ड्रॉप देखते हैं। जो कि लाइन में ड्रॉप होता है।

लेकिन वही अगर वोल्टेज ड्रॉप न हो कर वोल्टेज का मान बढ़ जाए तो वही फेरांटी इफेक्ट (Ferranti effect in Hindi) कहलाता है। और यह घटना ट्रांसमिशन लाइन में देखने को मिलता है।
फेरांटी इफेक्ट की घटना क्यों होती है(why Ferranti effect produced):-
चुकी हम लोगों ने तो समझ लिया कि Ferranti इफेक्ट की घटना क्यों होती है। हालाकि हम लोग तो ट्रांसमिशन लाइन में और ज्यादा ही लंबी लंबी लाइन, पावर को ट्रांसमिट करने के लिए करते हैं। इस हिसाब से और ज्यादा वोल्टेज ड्रॉप होनी चाइए। लेकिन ऐसा क्यों होता है कि हमारा वोल्टेज ड्रॉप ना होकर रिसीविंग एंड पर वोल्टेज का मान sending end से अधिक दिखाने लगता है।

तो दोस्तों अगर हम लोगों को सिर्फ एक लाइन में बताना हो तो हम लोग ये कहेंगे कि ‘ यह इमेजिनरी कैपेसिटर के कारण घटन उत्पन्न होती है। ‘ लेकिन अगर अगला ये सवाल कर दे कि ये इमेजनरी कैपेसिटर क्या होता है। तो आइए इसको समझते है।
ट्रांसमिशन लाइन में यूज़ होने वाले मटेरियल कौन कौन है?
तो आपने ट्रांसमिशन लाइन तो देखा ही होगा जिसमे बड़े बड़े टावर के के माध्यम से ट्रांसमिशन के कंडक्टर को ले जाया जाता है। किया को इस चित्र ने देख सकते हैं। इसमें आप देखते है की तीनो फेस के कंडक्टर एक दूसरे से एक समान दूरी पर पेरेलेल लगे रहते है।

मान लीजिए की R phase और Y phase के बीच हाई वोल्टेज फ्लो कर रही है। तो इन दोनो के बीच एक माध्यम भी है जो एयर है। अब जब इन दोनो वायर में उच्च वोल्टेज का पावर जा रहा है तो इन दोनो के बीच का एयर भी चार्ज हो जाता है। और ये एयर डाइलेक्ट्रिक मैटेरियल की तरह कार्य करने लगता है।
और इससे आपको एक कैपेसिटर को तरह व्यवहार करने वाला ट्रांसमिशन लाइन लगेगा। क्योंकि आपको पता है कि एक कैपेसिटर किन्ही दो मेटैलिक प्लेट के बीच रखे गए dielectric material से मिलकर बनता है। जिसे ही हम कैपेसिटर कहते है। इसी प्रकार आपको ट्रांसमिशन लाइन में भी एक इमेजिनेंरी कैपेसिटर बनता है।
और यह तीनो फेजों बीच बनता है। और दूसरी बात की यह कैपेसिटर का कैपेसिटेंस का मान भी बहुत ज्यादा हाई होता है। क्योंकि यह जितना बड़ा ट्रांसमिशन लाइन की लंबाई रहती है उतना ही बड़ा कैपेसिटर बनेगा।
अतः जब इस कैपेसिटर का बनता है तो या पूरे लाइन के करेंट का मान घटा देता है जो की लाइन में कंडक्टर में होने वाले लॉस के कारण वोल्टेज ड्रॉप हो रहा था। इसके अलावा यह एक्स्ट्रा वोल्टेज भी ऐड हो जाता है। जिससे हमारा वोल्टेज का मान रिसीविंग एंड पर ज्यादा मिलता है।
हम इसको ऐसे भी समझ सकते है को जब हमारा लोड इंडक्टिव होता है तो हमारा पावर फैक्टर लैगिंग होता है किसी सप्लाई से रिएक्टिव पावर खर्च होने से लॉस बढ़ता है। और करेंट का मान बढ़ जाता है। और inductive load के केस में सप्लाई से ज्यादा करेंट लेने लगेगी। जिससे वोल्टेज ड्रॉप भी बढ़ता है।
अतः हम इसको कम करने के लिए लोड के समांतर में कैपेसिटर लगाते है। इसी प्रकार ट्रांसमिशन लाइन में इमेजिनरी कैपेसिटर कार्य करता है। जो लाइन में वोल्टेज ड्रॉप नही होने देता है। बल्कि और ज्यादा वोल्टेज के मान को बढ़ा देता है।
फेरांटी इफेक्ट से फायदा या नुकसान :-
दोस्तों अगर हम जनरल देखे तो वोल्टेज ड्रॉप से हमे नुकसान ही होता है। तो यदि हमे फेरांटी इफेक्ट में वोल्टेज ज्यादा मिल रहा है तो आपको लगेगा ये तो अच्छी बात है। लेकिन ऐसा नहीं है।
आपको वोल्टेज ज्यादा मिलने पर भी नुकसान ही है। क्योंकि आप मान लीजिए की एक सबस्टेशन लाइन है जो 132 kv/33 kv की है। मतलब की इस सब स्टेशन पर 132 kv की लाइन आएगी जिसे स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर के द्वारा 33kv के लाइन में परिवर्तित कर के आगे ट्रांसमिट किया जाता है।
अब जो 132 kv की लाइन है वह पावर जेनरेशन स्टेशन से आ रही है। जो की काफी ज्यादा दूर है स्थित है। अतः Ferranti इफेक्ट के कारण 132kv/33kv के सबस्टेशन पर हमे वोल्टेज का मान 132 किलो वोल्ट न प्राप्त होकर इससे ज्यादा 134 kv प्राप्त होता है।
अब चुकी हमारा सबस्टेशन पर लगे स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर की रेटिंग 132kv के पावर को 33kv में बदलने का हैं। और उस ट्रांसफार्मर को 134 kv मिल रहा है। जिससे ट्रांसफार्मर जलने की संभावना रहती है। अतः हमें उतनी ही रेटिंग की वोल्टेज वाली सप्लाई देना आवश्यक होता है।
हालाकि फेरांटी इफेक्ट से एक फायदा होता है को हमारा वोल्टेज ड्रॉप नही होता है। नही तो वोल्टेज ड्रॉप को ठीक करने के लिए ज्यादा एफर्ट लगाने की जरूरत होती है।
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फेरांटी इफेक्ट को कम कैसे करें (how to reduce Ferranti effect in Hindi):-
अब चुकी हम जानते है कि फेरांटी इफेक्ट को कम करना भी महत्व पूर्ण होता है। अतः हमें Ferranti effect को कम करने के लिए हम सबस्टेशन पर shunt reactor लगाते हैं। यह shunt reactor जो इमेजिनरी कैपेसिटर के कारण करंट में कमी आई है जिसके कारण वोल्टेज का मान बढ़ गया है। उस करेंट को यह shunt reactor बैलेंस करता है। जिसे हमारा वोल्टेज sending voltage के बराबर हो जाता है।

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