परिचय:-
दोस्तों हम सबने तो बिजली का उपयोग घरों में किया ही है। और पावर की सप्लाई देने वाली आर्गेनाइजेशन को हम बिजीली का बिल देते ही हैं। लेकिन दोस्तों ये बिजिली का बिल लेने के लिए ये कंपनियां अलग अलग प्रकार के नियम के अनुसार लेती है। जो स्थान और कंज्यूमर के प्रयोग के आधार पर अलग अलग होती है। इसे ही हम टैरिफ कहते है। ये टैरिफ बिजिलि के बिल को उसके उपयोग के आधार पर अलग अलग तरीके से प्रभावित करते हैं। अतः आज के इस पोस्ट में हम इलेक्ट्रिकल टैरिफ (electrical tariff in Hindi) के बारे में विस्तार से जानेंगे।
इलेक्ट्रिकल टैरिफ क्या है? (Electrical tariff in Hindi):-
दोस्तों टैरिफ इलेक्ट्रिकल पावर देने वाली कंपनियों द्वारा लगाई गई वह नियम होता है। जिस नियम द्वारा कंज्यूमर से पैसे लिए जाते है। यह टैरिफ घरेलू, व्यवसायिक और शहरी प्रयोग के लिए अलग अलग प्रकार के होते है।

यह टैरिफ अलग अलग इसीलिए होते है क्योंकि हर जगह पर पावर यूज करने की क्षमता और तरीका अलग अलग होता है। अतः हमने हर क्षेत्र के लिए एक उपयुक्त टैरिफ का निर्माण किया है।
टैरिफ का उद्देश्य (purpose of tariff ):-
कंपनियों टैरिफ लगाने के मुख्य और आधार भूत उद्देश्य होता है जो निम्न है।
- इलेक्ट्रिकल एनर्जी जो प्रोवाइड किया जा रहा है उसकी लागत को रिकवर किया जा सके।
- इलेक्ट्रिकल एनर्जी का सर्विस देने के लिए उसके ऑपरेशन और मेंटेनेंस की लागत को रिकवर किया जा सके।
- कम्पनियों ने जो इंस्टालेशन में खर्च किए है उसकी रिकवरी की जा सके।
- और अंत में एक उचित प्रॉफिट भी हो । यही कुछ मुख्य उद्देश्य होता है।
एक अच्छे टैरिफ की विशेषता क्या होती है:-
अगर एक पावर सप्लाई कम्पनी टैरिफ को इंट्रोड्यूस करा रही है । तो कंपनी यह सुनिश्चित करती है कि टैरिफ की विशेषता क्या होनी चाइए। अतः एक अच्छे टैरिफ की निम्न विशेषता होती है।
- टैरिफ की पेमेंट करने और उसके कैलकुलेशन की पद्धति सरल होनी चाइए। ताकि कंज्यूमर उसे आसानी से समझ सके।
- टैरिफ फेयर होना चाइए।
- टैरिफ को ट्रैक्टर होना चाइए ताकि ग्राहक उसको लेने में असहज महसूस ना करे।
- ग्राहक को ये फील होना चाइए की ये टैरिफ हमे जुड़ लाभप्रद है।
- किसी प्रकार का हिडन चार्ज नहीं होना चाइए।
टैरिफ एनालिसिस(tariff analysis in Hindi):-
दोस्तों टैरिफ के बारे में विस्तार से जानने के लिए हम पहले टैरिफ का विश्लेषण पढ़ लेते है। तो एक टैरिफ मुख्यत तीन प्रकार के चार्जेस पर निर्भर करता है।
1. रनिंग चार्ज (Running charge)
2. फिक्स्ड चार्ज (Fixed charge)
3. सेमी फिक्स्ड चार्ज (Semi fixed charge)
अतः इन तीनो को मिलाकर एक गणितीय सूत्र बनता है जो निम्न है। जिसमे टोटल कॉस्ट (CT) का सूत्र होता है।
CT = Ax + By + C
जहां CT = Total cost
A = Rate of maximum demand ( ₹ / kw or ₹/kw)
x = maximum demand of consumer measured ( kw or KVA)
B = rate of unit (₹/ unit or ₹/ kwh)
y = total number of unit consumed (in unit)
C= Fixed cost
अतः CT = semi fixed cost + Running cost + fixed cost
जहां Ax = Semi fixed cost
By = Running cost
C = fixed cost
अब हम एक टैरिफ को समझते है। हम जानते है की टोटल कॉस्ट CT = Ax + By + C होता है।
अब कंपनिया टैरिफ में कुछ कंडीशन या शर्त रखती हैं। तो माना वह शर्त इस प्रकार है।
- यदि मैक्सिमम डिमांड कनेक्टेड लोड से कम है तो मैक्सिमम डिमांड चार्ज 50 ₹ / kw होगा।
- यदि मैक्सिमम डिमांड , कनेक्टेड लोड से ज्यादा है। तो मैक्सिमम डिमांड चार्ज 500 ₹ / kw होगा।
- Rate of unit 5 ₹ / unit होगा
- कनेक्टेड लोड चार्ज यानी फिक्स्ड लोड चार्ज = 100₹ / kw होगा।
अब चलिए इन शर्त को मानते हुए किन्ही दो उपभोक्ताओं को लेकर समझते है।
माना एक उपभोक्ता A है जिसका
Connection – 100kw का है।
Maximum demand – 80 kw
Unit- 5000 unit या kwh है।
अब चुकी इस उपभोक्ता का मैक्सिमम डिमांड (MD) कनेक्टेड लोड से कम है। तो मैक्सिमम डिमांड (MD) चार्ज ऊपर के कंडीशन के हिसाब से 50₹ / kw होगा।
अतः टोटल मंथली बिल अमाउंट –
CT = MD charge× MD + rate of unit × unit consumed + connected load charge × consumer connection
CT= 50× 80 + 500× 5 + 100× 100
CT= 39000 ₹
अब माना की उपभोक्ता B है जिसका
Connection- 50 kw
Maximum demand – 80kw
Unit – 5000 unit या kwh है।
चुकी इसमें इस उपभोक्ता का मैक्सिमम डिमांड, कनेक्टेड लोड से ज्यादा है। अतः ऊपर दिए गए शर्त के अनुसार MD charge 500₹ / kw लगेगा।
अतः अब टोटल बिल
CT = 500×80 + 5000×5 + 50×100
CT = 70000 ₹ होगा।
अतः अब हमने देखा कि उपभोक्ता A का कनेक्शन 100kw का था। मैक्सिमम डिमांड कनेक्टेड लोड से कम था तो उसका टोटल बिजीलि का बिल 39000 ₹ आया।
लेकिन अगर वही उपभोक्ता B को देखें तो उसका कनेक्शन 50 kw का था । लेकिन उसका मैक्सिमम डिमांड 80 kw है। जो की कनेक्टेड लोड (50kw) से ज्यादा है। तो इस स्थिति में मैक्सिमम डिमांड चार्ज बढ़ जायेगा। और परिणामस्वरूप टोटल बिल 70000₹ हो जाएगा।
अतः इससे पता चलता है कि अगर उपभोक्ता अपने लिए लिया गया कनेक्शन से ज्यादा पावर का उपयोग करता है। जैसा कि हमने उपभोक्ता B के केस में हुआ। उसने 50 kw का कनेक्शन लिया और 80 kw का पावर यूज किया। जिससे मैक्सिमम डिमांड अधिक होने पर कंपनी द्वारा लगाया गया चार्ज बढ़ गया। और परिणाम स्वरूप टोटल मोंटली बिल बहुत ज्यादा हो गया।
लेकिन वही उपभोक्ता A ने अपने लिए गए कनेक्शन (100kw) से कम उपयोग (80kw) किया। अतः उसका मैक्सिमम क्षण चार्ज काम लगा। और ओवर ऑल टोटल मंथली बिल कम आया।
टैरिफ के प्रकार (type of electrical tariff in Hindi):-
दोस्तों टैरिफ निम्न प्रकार के होते हैं। जो निम्न है।
- फ्लैट रेट टैरिफ (Flat rate tariff)
- यूनिफॉर्म रेट टैरिफ (Uniform rate tariff)
- ब्लॉक रेट टैरिफ (block rate tariff)
- टू पार्ट टैरिफ (two part tariff)
- थ्री पार्ट टैरिफ (three part tariff)
- मैक्सिमम डिमांड टैरिफ (maximum demand tariff)
- पावर फैक्टर टैरिफ (power factor tariff)
फ्लैट रेट टैरिफ (Flat rate electrical tariff Hindi):-
Flat rate tariff एक ऐसा टैरिफ है। जिसमे अलग अलग कंज्यूमर के लिए अलग अलग फिक्स रेट होता है। जो की ग्राहक द्वारा चुकाया जाता है। यह फिक्स रेट अलग अलग ग्राहक के लिए अलग अलग होता है। जो पावर सप्लाई कम्पनी आपके द्वारा उसे किए गए पावर के प्रकृति पर डिसाइड करती है। इसमें एनर्जी मीटर लगाने की जरूरत नहीं होती है। जिस्तान कम्पनी निश्चित करती है उतना ही मंथली पे करना होता है।
फ्लैट रेट टैरिफ का उपयोग (application of Flat rate tariff):-
- इसका उपयोग अनमीटर्ड ग्राहक के लिए किया जाता है।
- सिंचाई पंप के लिए
- नगर निगम पंप के लिए
- पीने के पानी के लिए
- स्ट्रीट लाइट के लिए
- डिस्प्ले बोर्ड के लिए
यूनिफॉर्म रेट टैरिफ (Uniform rate electrical tariff in Hindi):-
Uniform rate tariff एक ऐसा टैरिफ है । जिसमे सभी कंज्यूमर का मंथली बिल एक समान होता है। मतलब की इस टैरिफ के अंतर्गत सभी ग्राहक जो चार्ज लगाया गया है । उतना पेमेंट करेंगे। इसका चार्ज आपके बिजली के खर्च करने के ऊपर निर्भर नहीं करता है।
ब्लॉक रेट टैरिफ (block rate tariff):-
Block rate tariff एक ऐसा टैरिफ है। जिसमे कंपनी प्रतिदिन के एनर्जी यूज का अलग अलग ब्लॉक बनाती है। और प्रत्येक ब्लॉक का रेट अलग अलग होता है। आपको इसको और सरलता से समझाने के लिए आपको नीचे एक टेबल दिया गया है । जिसे देखकर आप और आसानी के साथ समझ सकते हैं।
Block | Rate |
0-200 unit / month | 3.5 ₹/ unit |
201 – 400 unit / month | 4 ₹/unit |
401 – 600 unit / month | 5 ₹ / unit |
>600 unit / month | 6 ₹ / unit |
ऊपर दिखाए गए टेबल में आप देख सकते हैं कि यदि व्यक्ति जितना पावर यूज करता है उतना ही उसका बिल रेट/ यूनिट बढ़ती जा रही है। सरकार यह पावर सप्लाई देने वाली कंपनी इस प्रकार की ब्लॉक रेट इसीलिए लगाती है। क्योंकि कंपनी का यह उद्देश्य होता है कि ग्राहक पावर की खपत कम करे। लेकिन यदि पावर की अधिकता हो तो कंपनी आपको पावर खपत करने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है। इसके लिए कंपनी अधिक पावर खपत पर काम रेट लगा सकती है।
एप्लिकेशन:-
इसका उपयोग घरेलू सप्लाई के लिए किया जाता है।
टू पार्ट टैरिफ (two part tariff):-
इस प्रकार के टैरिफ में दो प्रकार के कॉस्ट को देखा जाता है।
- Fixed charge
- Energy charge या रनिंग चार्ज
अतः इस स्थिति में इसका गणितीय रूप
CT = By + C होगा।
माना कि एक उपभोक्ता है। जिसका कनेक्टेड लोड 100 kw और फिक्स्ड चार्ज 100 ₹ / kw है।
- यही मैक्सिमम डिमांड कनेक्टेड लोड से कम है। तो फिक्स्ड चार्ज ही कनेक्टेड लोड के बराबर होगा।
- यदि मैक्सिमम डिमांड कनेक्टेड लोड से ज्यादा है। तो मैक्सिमम डिमांड ही फिक्स्ड चार्ज होगा।
अतः माना की उपभोक्ता A का
कनेक्टेड लोड – 100kw
Unit- 5000 unit या kwh
यूनिट rate- 5₹ / यूनिट
मैक्सिमम डिमांड – 80 kw
अब चुकी ऊपर दिए गए मात्रा के हिसाब से मैक्सिमम डिमांड कनेक्टेड लोड से कम है। तो फिक्स्ड चार्ज 100₹/kw होगा।
अतः CT = 5000×5 + 100×100
या CT = 35000₹
अब माना की उपभोक्ता B का कनेक्टेड लोड 100kw है।
यूनिट – 5000 यूनिट
मैक्सिमम डिमांड – 120 kw
चुकी मैक्सिमम डिमांड कनेक्टेड लोड से अधिक हैं। अतः फिक्स्ड चार्ज मैक्सिमम डिमांड ही होगा।
अतः CT = 5000× 5 + 120×100
या CT= 37000 ₹
Application:-
- कमर्शियल उपभोक्ता के लिए।
- होटल, रेस्टोरेंट के लिए
- छोटे बिजनेस के लिए।
थ्री पार्ट टैरिफ (three part electrical tariff in hindi):-
इसमें पावर यूज का कुल बिल तीन पार्ट में डिवाइड होता है।
- फिक्स्ड चार्ज
- सेमी फिक्स्ड चार्ज
- रनिंग चार्ज
अतः उसके हिसाब गणितीय रूप
CT = Ax + By + C होगा।
थ्री पार्ट टैरिफ बिलकुल ऐसे ही समझा जा सकता है। जैसे की हमने ऊपर टैरिफ एनालिसिस वाले हेडलाइन के अंतर्गत समझा था।
इसमें टोटल बिल मैक्सिमम डिमांड पर निर्भर करता है। अतः इसमें मैक्सिमम डिमांड मापने के लिए उपभोक्ता के यहां मैक्सिमम डिमांड इंडिकेटर का इंस्टालेशन करते हैं।
एप्लीकेशन :-
बड़े उपभोक्ता के लिए जैसे ट्रांसफार्मर टेस्टिंग कंपनी में।