परिचय
Earthing से मतलब यह है कि सप्लाई सिस्टम के न्यूट्रल प्वाइंट को तथा वैद्युत सिस्टम में प्रयोग होने वाली विभिन्न प्रकार के उपकरणों जैसे फ्रिज लाइट फैन चार्जर डिस्ट्रीब्यूशन बोर्ड आदि को एक कॉपर वायर के माध्यम से जमीन से जोड़ना है ताकि किसी भी प्रकार के फाल्ट की स्थिति में उत्पन्न होने वाले लीकेज करंट को सीधे अर्थ में पास कर दें और किसी भी प्रकार का खतरा होने से बच जाए। यह एक प्रकार का प्रोडक्शन सिस्टम ही है जो हमें सदैव प्रोटेक्ट करता रहता है। आज की इस पोस्ट में हम अर्थिंग (earthing in hindi) के बारे में पढ़ेंगे।
अर्थिंग(Earthing in hindi)
दोस्तों अगर देखा जाए तो अर्थिंग सिस्टम का निम्न दो प्रणालियां होती हैं जो निम्न है।
- डायरेक्ट अर्थिंग सिस्टम (Direct earthing system)
- इनडायरेक्ट अर्थिंग सिस्टम (Indirect earthing system)
प्रत्यक्ष भू योजन प्रणाली (directing system in Hindi)
जब हम अर्थिंग इलेक्ट्रोड को सीधे ही जमीन में गाड़ देते हैं यानी कि अर्थिंग इलेक्ट्रोड और अर्थ की जाने वाली उपकरण के बीच कोई और एलिमेंट जैसे कि रेजिस्टेंस, रिएक्टेंस, क्वायल या करंट ट्रांसफॉर्मर या पोटेंशियल ट्रांसफॉर्मर ना हो तो उस स्थिति को हम प्रत्यक्ष अर्थिंग सिस्टम कहते हैं। इसका प्रयोग विद्युत उपकरणों के और धारावाही भागों को अर्थ करने के लिए किया जाता है।
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अप्रत्यक्ष भू योजन प्रणाली (indirect earthing system in Hindi)
इसमें अर्थिंग इलेक्ट्रोड और अर्थ की जाने वाली उपकरण के बीच प्रतिरोध, रिएक्टेंस या क्वायल या करंट ट्रांसफॉर्मर या वोल्टेज ट्रांसफॉर्मर होता है तो इस प्रकार के अर्थ को अप्रत्यक्ष भू योजन प्रणाली(indirect earthing system) कहते हैं इसका प्रयोग पावर सप्लाई सिस्टम जैसे जनरेटर ट्रांसफॉर्मर आदि के न्यूट्रल प्वाइंट को अर्थ करने के लिए किया जाता है।
Earthing के लाभ(advantages of earthing in Hindi)
जैसा कि मैंने पहले बताया है कि अर्थ इन करने से मुख्यता हमारी विद्युत उपकरण की सुरक्षा करना होता है। माता अर्थिंग करने से हमें निम्न लाभ होते हैं।
- जब हम किसी भी विद्युत उपकरणों का अर्थिंग (earthing) कर देते हैं तो उस उपकरण का जो बाहरी भाग है जिस पर सामान्यतः विद्युत आवेश नहीं रहना चाहिए लेकिन अगर किसी फाल्ट कंडीशन के कारण उस पर विद्युत आवेश आ जाता है। वह आवेश या विद्युत धारा सीधे अर्थ वायर के रास्ते जमीन में चला जाता है। जिससे उसके बाहरी वाले भाग में विद्युत आवेश जीरो हो जाता है और बिजली का झटका लगने से बच जाता है।
- जब हम वैद्युत उपकरणों का अर्थिंग करते हैं तो उस उपकरण का बाहरी वाले भाग का विभव (voltage) हमेशा अर्थ के विभव के बराबर यानी कि जीरो रहता है। बिजली का झटका लगने का कोई डर नहीं रहता है।
- अर्थिंग(earthing) करने से जब फाल्ट की स्थिति आती है तो उस समय लीकेज करंट अर्थिंग के द्वारा सीधे जमीन में चली जाती है जिससे लीकेज करंट का मान बढ़ जाता है। जिसके कारण विद्युत सिस्टम में लगे लीकेज रिले, फ्यूज, एमसीबी(MCB) आदि अच्छे ढंग से काम करता है और विद्युत सप्लाई को ट्रिप करा देता है।
Earthing के प्रकार(types of earthing in hindi)
भारतीय मानक के अनुसार अर्थ निम्न प्रकार के होते हैं।
- प्लेट अर्थिंग(plate earthing)
- पाइप अर्थिंग(Pipe earthing)
- छड़ अर्थिंग(Bar or Rod earthing)
- पत्ती अर्थिंग(Strip earthing)
प्लेट अर्थिंग(Plate earthing in hindi)
प्लेट अर्थिंग के नाम से ही पता लग रहा है कि इसने अर्थिंग के लिए एक धातु का प्लेट लगाया जाता है। यह प्लेट 60 सेंटीमीटर× 60 सेंटीमीटर ×3.15 सेंटीमीटर के माप का होता है यह प्लेट भी दो प्रकार के प्लेट होते हैं।
एक प्लेट कॉपर का प्लेट होता है जो अधिकतर प्रयोग किया जाता है। इस प्लेट से 8 SWG के साइज का कॉपर वायर earth wire के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। और दूसरे प्रकार का प्लेट गलवेनाइज्ड आयरन (Galvenized iron) का होता है। जिसमे 6 SWG के साइज का जस्तिकृत आयरन (Galvenized iron) तार को earth plate से जोड़ा जाता है।
इस अर्थ वायर को जमीन के नीचे लगे प्लेट में नट बोल्ट की मदद से कसा जाता है। उसके बाद इस तार को एक 12.7 mm व्यास वाले जी आई (GI) पाइप की मदद से बाहर तक ले आया जाता है।
अर्थ प्लेट को जमीन में लगभग 1.5 मीटर नीचे लगाया जाता है। इस गड्ढे में पहले 15-15 सेंटीमीटर मोटी नमक तथा चारकोल का परत से उस अर्थ प्लेट को ढक दिया जाता है। जैसा कि चित्र में देख सकते हैं।

इसके अंदर गड्ढे में नमी बरकरार रखने के लिए हम समय-समय पर बाल्टी से पानी डालते रहते हैं। इसके लिए हम लोग प्लेट से एक 19 mm व्यास वाली GI पाइप को जमीन के ऊपरी सतह तक लाते हैं। उसे एक ऊपरी सतह पर कीप बनाकर उसमें जाली लगा देते हैं और इसी व्यवस्था के द्वारा हम समय-समय पर इस अर्थिंग में पानी डालते रहते हैं। इस पानी डालने वाली व्यवस्था को हम एक ढक्कन से ढक देते हैं ताकि किसी प्रकार की हानि ना हो।
पाइप अर्थिंग (Pipe earthing in hindi)
पाइप अर्थिंग(pipe earthing) में एक 2 पॉइंट 5 मीटर लंबा गेलवेनाइज्ड पाइप होता है। जिस के निचले हिस्से को नुकीला बनाया जाता है ताकि इसको जमीन में अच्छे से गाड़ सके।
इस पाइप की साइज 30 mm व्यास का होता है। इसको 3.25 मीटर नीचे गड्ढे में लगाया जाता है। तथा इसे जमीन के ऊपरी सतह तक लाने के लिए एक 19 mm व्यास वाली पाइप को reducing सॉकेट के द्वारा अर्थिंग पाइप में कसकर ऊपर लाया जाता है।

इसमें जो ऊपर की पाइप है उसे ऊपर लाकर सीमेंट कंक्रीट से जाम कर दिया जाता है उस ऊपरी पाइप के द्वारा अर्थ तार को कसकर एक 12.7mm ब्यास वाले जी आई पाइप के द्वारा कंक्रीट से बाहर निकाल लिया जाता है।
जमीन के अंदर जितनी दूरी तक पाइप है उतनी दूरी तक 15-15 सेंटीमीटर मोटी नमक तथा चारकोल की परत बिछाई जाती है जमीन की नीचे पाइप के चारों ओर नमी को बरकरार रखने के लिए सतह पर आए पाइप के रास्ते पानी डाला जाता है नमी रहने से पाइप और जमीन के बीच का संपर्क कम प्रतिरोध के साथ बना रहता है।
सतह पर पाइप में एक कीप नुमा आकार बनाया जाता है जिसके द्वारा पानी डाला जाता है इस कीप को एक ढक्कन से ढक दिया जाता है।
डाले गए पानी को जमीन के चारों तरफ फैलाने के लिए अर्थ पाइप में 115 15 सेंटीमीटर पर 12 एमएम व्यास का क्षेत्र किया रहता है जिसकी रास्ते पानी निकल कर जमीन के चारों तरफ फैल जाता है।
रॉड अर्थिंग (rod earthing in hindi)
अर्थिंग का यह प्रकार बहुत कम मात्रा में प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार के earthing टेंपरेरी भी प्रयोग किया जाता है। इसमें धातु की रॉड एक नमि वाले स्थान पर गाड़ दिया जाता है। तथा उससे अर्थ वायर को जोड़ दिया जाता है।
पत्ती अर्थिंग(strip earthing)
Strip earthing भी बहुत कम प्रचलित है। इसमें एक धातु की पत्तीनुमा होती है। जिसे नीचे जमीन मे गाड़ दिया जाता है। तथा पत्ती से earth wire को जोड़ दिया जाता है।
घर की अर्थिंग कैसे करें (ghar ki earthing kaise kare)
दोस्तों अर्थिंग करने के पहले हमें यह सुनिश्चित करना पड़ता है कि हमें किस काम के लिए अर्थिंग करना है। जब यह बात सुनिश्चित हो जाती है तो फिर उसके हिसाब से जमीन का प्रतिरोध चेक करना पड़ता है। इसमें अलग-अलग काम के लिए हमें और प्रतिरोध अलग अलग रखना पड़ता है जैसे कि
- बड़े पावर स्टेशन की अर्थिंग के लिए जमीन का प्रतिरोध पॉइंट 5 ओम तक होना चाहिए।
- मध्यम प्रकार के पावर स्टेशन के लिए जमीन का प्रतिरोध एक उम्र तक होना चाहिए।
- छोटी-छोटी सब स्टेशन का अर्थ इन करते समय जमीन का प्रतिरोध 2om तक होना चाहिए।
- इसी प्रकार अगर हम घर की अर्थिंग (ghar ki earthing) करते हैं तो उस समय जमीन का प्रतिरोध 2.5 से 5 ओम तक होना चाहिए।
घर की अर्थिंग मे आप सामान्य प्रयोग के लिए रॉड earthing के द्वारा भी कर सकते हैं। लेकिन अगर आपको अच्छे से अर्थिंग का प्रयोग करना है तो आप पाइप अर्थिंग(pipe earthing) के साथ-साथ प्लेट अर्थिंग(plate earthing) का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
नोट:- जमीन का प्रतिरोध मापने के लिए अर्थ टेस्टर का इस्तेमाल करते हैं।
कुछ महत्वपूर्ण बातें
- अर्थिंग(earthing) करने के लिए स्थान का चयन अपने घर के पीछे या ऐसी जगह करना चाहिए जहां पर बच्चों की पहुंच कम हो।
- अर्थिंग(earthing) करते समय सभी प्रकार के नियमों का पालन करना चाहिए।
- अर्थिंग(earthing) करने के लिए किसी टेक्नीशियन को ही बुलाना चाहिए।
Mujhe padhna hai isliye aur bhejo