डीसी सीरीज मोटर क्या है: इस सीरीज मोटर की संरचना और प्रयोग क्या है

परिचय

दोस्तो चुकी हम जानते हैं । डीसी मोटर मैं मुख्य रूप से तीन प्रकार के मोटर पाए जाते हैं। जैसे डीसी सीरीज मोटर डीसी शंट मोटर और डीसी कंपाउंड मोटर। तो इन तीनों मोटरों के बारे में हम एक अलग-अलग पोस्ट में समझेंगे जिसमें से मैं आपको इस पोस्ट में डीसी सीरीज मोटर (dc series motor in hindi) के बारे में बताऊंगा।

डीसी सीरीज मोटर क्या है(dc series motor in hindi)

दोस्तों इस मोटर में फील्ड वाइंडिंग को आर्मेचर की सीरीज में जोड़ा जाता है। इसलिए इसे डीसी सीरीज मोटर कहते हैं। इसके फील्ड वाइंडिंग को सीरीज फील्ड वाइंडिंग कहते हैं। क्योंकि सीरीज मोटर का फील्ड वाइंडिंग सीरीज में है पता इसकी फील्ड वाइंडिंग उतना ही धारा वहन करेगी जितना की मोटर की आर्मेचर वाइंडिंग वहन करेगी। अतः जब सीरीज मोटर पर लोड बढ़ता है तो करंट मान भी बढ़ता है। अतः फील्ड वाइंडिंग को सीरीज में जुड़ने के कारण फील्ड वाइंडिंग में उतना ही करंट फ्लो होगा।

डीसी सीरीज मोटर की संरचना (construction of DC series motor in Hindi)

इस डीसी सीरीज मोटर की संरचना लगभग देखने में वैसे ही है जैसे कि हम एक सामान्य डीसी मोटर में देखते हैं। इसे बाहर से देखने पर इसके संरचना में कोई फर्क नजर नहीं आएगा। लेकिन अगर हम इसे थोड़ा और गहराई से देखेंगे यानी कि अगर हम इसके अंदरूनी संरचना में फील्ड वाइंडिंग तथा आर्मेचर के कनेक्शन को देखेंगे तो हमे निम्न फर्क नजर आएगा।

डीसी सीरीज मोटर
dc series motor
  1. डीसी सीरीज मोटर के अंदर फील्ड वाइंडिंग का कनेक्शन मोटर के आर्मेचर की सीरीज में होता है। जिसे हम सीरीज फील्ड वाइंडिंग कहते हैं।
  2. फील्ड बाइंडिंग के सीरीज में जुड़े होने के साथ-साथ हम यह देखते हैं कि एक अन्य मोटरों के समान ही एमएफ पैदा करने के लिए इसके फील्ड वाइंडिंग को मोटे तारों से कम लपेटा देकर बनाया गया है।

डीसी सीरीज मोटर का स्पीड रेगुलेशन (speed regulation of a DC series motor in Hindi)

एक डीसी सीरीज मोटर का स्पीड रेगुलेशन उस मोटर का नो लोड पर स्पीड तथा फुल लोड पर स्पीड के बदलाव को स्पीड रेगुलेशन कहते हैं। इसका गणितीय रूप नीचे दिया गया है।

(N0 – N / N)×100 = प्रतिशत स्पीड रेगुलेशन

N0 = नो लोड पर स्पीड N= फुल लोड पर स्पीड

डीसी सीरीज मोटर का स्पीड रेगुलेशन बहुत ज्यादा खराब होता है। डीसी सीरीज मोटर की अपेक्षा इसमें नो लोड पर इसकी स्पीड बहुत ज्यादा हो जाती है। और फुल लोड पर इसकी स्पीड कम हो जाती है। यह कथन गणितीय रूप से इस प्रकार समझा जा सकता है।

N ∝ Eb/ φse तथा T∝ φse Ia

इसमें N मोटर की स्पीड है जिसमे नो लोड पर φse का मान काम रहेगा तो मोटर की गति बहुत ज्यादा रहेगा।लेकिन यदि लोड बढ़ेगा तो करंट कमान भी बढ़ेगा तो फील्ड करंट मान भी बढ़ेगा जिससे फ्लक्स का मान बढ़ेगा। अतः इस स्थिति में मोटर की स्पीड घट जाएगी।

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डीसी सीरीज मोटर का वोल्टेज करंट समीकरण (voltage current equation of DC series motor in Hindi)

चित्र में आपको डीसी सीरीज मोटर की डायग्राम को दिखाया गया है। जिसमें फील्ड वाइंडिंग आर्मेचर के सीरीज में जुड़ा हुआ है। अतः फील्ड बाइंडिंग में उतनी ही धारा बहेगी जितनी कि आर्मेचर वाइंडिंग में। जब मोटर पर लोड दिया जाएगा तो आर्मेचर में भी एक बैक ईएमएफ उत्पन्न होगा। जिसको Eb के द्वारा दर्शाया गया है। आर्मेचर का कुछ न कुछ प्रतिरोध होगा जिससे Ra के द्वारा दर्शाया गया है। चुकी armature करंट ही फील्ड वाइंडिंग में बहेगी अतः आर्मेचर करंट, सीरीज फील्ड करंट के बराबर होगी।

Ise = Ia

डीसी सीरीज मोटर में दिया गया सप्लाई वोल्टेज तीन भागों में बांटा जाता है।

V= Eb + IaRa + IseRse

गुणा करने पर प्राप्त समीकरण में VIa इनपुट पावर हुआ तथा EbIa आर्मेचर पॉवर , Ia2 Ra अर्मेचर कॉपर लॉस तथा Ia 2 Rse फील्ड कॉपर लॉस हुआ।आर्मी च पावर ही हमारे मोटर के सॉफ्ट पर आने वाला आउटपुट है।

डीसी सीरीज मोटर का गति, बल आघूर्ण तथा धारा के बीच संबंध (relation between speed torque and current in DC series motor)

इस मोटर में हम तीन प्रकार के संबंध के बारे में पढ़ेंगे जो निम्न है।

  1. करंट और बल आघूर्ण में संबंध(relation between current and torque)
  2. गति और करंट के बीच संबंध(relation between speed and current)
  3. गति और बल आघूर्ण के बीच संबंध(relation between speed and torque)

करंट और बल आघूर्ण में संबंध(current-torque graphical representation of DC series motor)

डीसी सीरीज मोटर का बल आघूर्ण का सूत्र

T= Kφse Ia या T∝ φse Ia

चुकी फील्ड वाइंडिंग सीरीज में जुड़े होने के कारण जितना करंट फ्लो होगा उतना ही फील्ड फ्लक्स पड़ेगा अतः फील्ड फ्लक्स आर्मेचर करंट के समानुपाती है तो φse के जगह पर हम Ia रख सकते हैं। यह प्रयुक्त क्रिया तभी तक चलेगा जब तक की पोल सैचुरेट ना हुआ हो

T∝ Ia2 before saturation

जब मोटर पर ज्यादा लोड बनेगा तो और करंट बढ़ेगा जिससे कि पुल सैचुरेट हो जाएगा तो उस समय फील्ड फ्लक्स का मान करंट के बढ़ने पर नहीं बनेगा तो उस स्थिति में मोटर का बल आघूर्ण T∝ Ia होगा।

यहां पर पुल सैचुरेशन का मतलब यह है कि जब मोटर पर लोड बढ़ता है तो आर्मेचर करंट का मान बढ़ता है जिससे फिल्ड बाइंडिंग में भी करंट का मान बढ़ेगा अतः फील्ड वाइंडिंग में धारा के बढ़ने से चुंबकीय पोल के डोमेन ज्यादा align होंगे जिससे φse का मान बढ़ जाता है। जब तक पोल के डोमेन align होती रहेंगी तब तक की स्थिति बिफोर सैचुरेशन(before saturation) कहलाती है लेकिन जब मोटर ओवरलोड हो जाता है और करंट अधिक हो जाता है तब पोल के सारे डोमन align हो जाते हैं। उसके बाद फील्ड फ्लक्स का मान बढ़ना बंद हो जाता है। इस स्थिति को saturation की स्थिति कहते हैं।

अतः उपर्युक्त मोटर के बल आघूर्ण और कर्ण के बीच के संबंध को देखने के बाद इसकी बीच ग्राफ ऐसे बनेगा।

डीसी सीरीज मोटर

ग्राफ के अनुसार जब करंट बढ़ेगा तब बल आघूर्ण भी बढ़ेगा जैसा कि ग्राफ में बढ़ता हुआ दिखाया गया है। लेकिन जब मोटर ओवरलोड होगा तो उस समय पोल saturate हो जाएगा तो उस समय बल आघूर्ण भी नहीं बढ़ेगा। उस स्थिति को ग्राफ में एक फ्लैट रेखा से दर्शाया गया है।

नोट:- ड्रिल मशीन में डीसी सीरीज मोटर के इसी विशेषता के कारण इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि इस मोटर को एसी सप्लाई पर चलने के लिए थोड़ा सा मॉडिफिकेशन किया जाता है।

स्पीड और करंट के बीच संबंध(speed-current graphical representation of DC series motor)

डीसी सीरीज मोटर के गति का सूत्र

N= Eb / K φse (Eb = V- Ia Ra)

N∝ Ebse = (V- Ia Ra)/φse

चुकीं φse उसी अनुपात में बढ़ता है जिस अनुपात में armature cureent का मान बढ़ता है। अतः हम φse के जगह पर Ia का इस्तेमाल कर सकते है। इसीलिए N∝ Eb/Ia होगा

अतः इससे पता चलता है कि यदि मोटर के आर्मेचर करंट का मान बढ़ता है तो मोटर की गति कम होती है। अतः इस स्थिति में ग्राफ ऐसे बनेगा।

डीसी सीरीज मोटर

ग्राफ में a बिंदु से लेकर b बिंदु तक के रेखा बिफोर सैचुरेशन(before saturation) के ग्राफ है, और जब पोल सैचुरेट हो जाता है तो आप देखेंगे कि मोटर की गति, करंट के बढ़ने पर नहीं बढ़ती है जोकि b बिंदु के बाद का ग्राफ है।

गति और बल आघूर्ण के बीच संबंध (graphical representation of speed and torque in DC series motor)

डीसी सीरीज मोटर के बल आघूर्ण का सूत्र T∝ φse Ia होगा।जैसा कि हम जानते हैं कि saturation के पहले T∝ Ia2 होगा।

अतः T = KIa2

या

Ia = √(T/K) ……………(1)

अब मोटर के गती का सूत्र N= (V – IaRa)/Kφse

चुकी φse = Ia सैचुरेशन के पहले होगा। इसलिए N = (V-IaRa)/KIa

या N = V/K Ia – Ra/K

अतः समीकरण 1 से N∝ 1/√T होगा।

अतः चुकी इसमें मोटर की गति बल आघूर्ण के व्युत्क्रमानुपाती है अतः यह ग्राफ भी लगभग पिछले वाले ग्राफ के समान ही बनेगा।

डीसी सीरीज मोटर

डीसी सीरीज मोटर की गति नियंत्रण की विधियां (methods of speed control in DC series motor)

इस मोटर की गति नियंत्रण के लिए निम्न विधियां अपनाते हैं ।

  1. फील्ड परिवर्तक का प्रयोग करके(by use of field diverter)
  2. फील्ड वाइंडिंग टेपिंग का प्रयोग करके(by use of tapped)
  3. आर्मेचर परिवर्तक का प्रयोग करके(by use of armature diverter)
  4. समांतर फील्ड नियंत्रक के रूप में(by use of parallel field control)
  5. वोल्टेज को परिवर्तन करके(through voltage control)

डीसी सीरीज मोटर को चालू करने की विधियां (methods of starting DC series motor in Hindi)

डीसी सीरीज मोटर को स्टार्ट करने के लिए 2 प्वाइंट स्टार्टर का इस्तेमाल करते हैं। इस स्टार्टर में मोटर की सुरक्षा के लिए नो लोड रिलीज सिस्टम लगा होता है जो मोटर के नो लोड की स्थिति में आने पर मोटर को मेन सप्लाई से कनेक्शन काट देता है। क्योंकि यह सीरीज मोटर नो लोड की स्थिति में इसकी गति बहुत तेज हो जाती है जिससे एक्सीडेंट होने का खतरा रहता है।

डीसी सीरीज मोटर

डीसी सीरीज मोटर की विशेषता

  1. इस मोटर्स की शुरुआती बल आघूर्ण(starting torque) बहुत ऊंचा होता है जोकि 500 % तक होता है।
  2. इस मोटर की मोमेंट्री बल आघूर्ण चार सौ पर्सेंट(400%) तक होती है।
  3. इसकी गति नियमन (speed regulation) बहुत ज्यादा परिवर्तनशील होता है।

डीसी सीरीज मोटर का उपयोग (use of this series motor in Hindi)

इस मोटर की स्टार्टिंग टॉर्क अधिक होने के कारण इसे निम्न स्थानों पर प्रयोग किया जाता है ।

  1. इलेक्ट्रिक ट्रेन में ट्रेक्शन के रूप में
  2. क्रेन में
  3. ट्रॉली कार में
  4. कन्वेयर सिस्टम

डीसी सीरीज मोटर से संबंधित महत्वपूर्ण बातें

  1. इस मोटर को कभी भी नो लोड की स्थिति में चालू नहीं करना चाहिए क्योंकि इस स्थिति में इसकी गति बहुत ज्यादा हो जाती है।
  2. इस मोटर में लोड को बेल्ट के द्वारा नहीं कनेक्ट करना चाहिए। इसमें लोड को कपलिंग सिस्टम द्वारा ही जोड़ना चाहिए।
  3. डीसी सीरीज मोटर को बिना स्टार्टर के चालू नहीं करना चाहिए नहीं तो यह मोटर ओवर स्पीड के कारण जल सकती है

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