डीसी मोटर क्या है : इसकी संरचना और इसके प्रकार क्या है।

डीसी मोटर क्या है

डीसी मोटर क्या है तो डीसी मोटर डायरेक्ट करंट पर चलने वाला मोटर है। यह जैसा कि सबको पता है मोटर का काम इलेक्ट्रिक पावर(electric power) को मैकेनिकल पावर(mechanical power) में कन्वर्ट करना होता है। दोस्तों डीसी मोटर का बहुत बड़े स्तर पर प्रयोग नहीं होता है लेकिन इसका प्रयोग बहुत महत्वपूर्ण जगहों पर भी किया जाता है। इसका प्रयोग उस स्थानों पर किया जाता है जहां पर ज्यादा बल आघूर्ण (torque) की जरूरत होती है क्योंकि इसका स्पीड(speed) और बल आघूर्ण(torque) के बीच का संबंध एक एसी मोटर (AC Motor) से काफी अच्छा होता है। डीसी मोटर का उपयोग सामान्यतः स्टील मिल, खदानों और सबसे महत्वपूर्ण इलेक्ट्रिक ट्रेन (electric train) में किया जाता है।

डीसी मोटर का कार्य सिद्धांत(working principle of DC motor in hindi)

जब हम किसी धारावाही चालक के कुंडली को किसी चुंबकीय क्षेत्र में ले जाते हैं तो उस धारावाही चालक पर एक मेकैनिकली बल लगता है उस धारावाही चालक (current carrying conductor) पर लगी बल की दिशा फ्लेमिंग के बाएं हाथ के नियम से ज्ञात किया जाता है इस लगे बल का गणितीय रूप F = Bil न्यूटन है।

Note:- यहां पर ध्यान देने की बात है कि डीसी मोटर और डीसी जनरेटर दोनों एक ही मशीन होता है जिसको हम डीसी मोटर के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं और चाहे तो उसे ही डीसी जनरेटर के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

डीसी मोटर काम कैसे करता है (working of DC motor in Hindi)

चलिए मान लीजिए कि एक मल्टीपोल का डीसी मोटर है जिसको एक डीसी सप्लाई से जोड़ा गया है। अतः जब इसे डीसी सप्लाई से जोड़ते हैं तो इसका मैग्नेटिक पोल excite हो जाता है। और चुंबकीय क्षेत्र पैदा करता है।

आप देख सकते हैं कि जब आर्मेचर चालक N-pole की ओर है तो उस चालक मे धारा की दिशा कागज के सतह से लंबवत अंदर की ओर है। और जो आर्मेचर चालक S-pole की ओर है। उस चालक मे धारा की दिशा कागज के सतह के लंबवत बाहर की ओर है। अतः चुकी यह धारावाहिक चालक है और मैग्नेटिक क्षेत्र में रखा है तो आर्मेचर के चालकों पर एक चुंबकीय बल कार्य करेगा। जिसके कारण armature चालक, आर्मेचर को घुमाने लगेगा यह लगने वाले बल की दिशा हम फ्लेमिंग के बाएं हाथ के नियम से ज्ञात कर सकते हैं।

इसमें जब armature घूमेगा और जब आर्मेचर के चालक उसमें लगे ब्रश से पार होकर दूसरे साइड जाएंगे तो उस चालक मे धारा की दिशा बदल जाएगी और उसके साथ-साथ पोल की ध्रुवता (polarty) भी बदल जाएगी। Polarty के बदलने से लगने वाले बल की दिशा समान रहेगी और मोटर लगातार एक ही दिशा में घूमेगा।

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डीसी मोटर का विरोधी विद्युत वाहक बल(back EMF of DC motor in Hindi)

इसे काउंटर emf के नाम से भी जाना जाता है। जब मोटर को supply देते हैं तो armature घूमता है तो चुकी armature एक चुंबकीय क्षेत्र में रखा है तो armature के चालक उस चुंबकीय क्षेत्र को काटते हैं। जिसके कारण armature चालक मे भी एक विद्युत वाहक बल (emf) पैदा होता है। यह emf दिए गए डीसी सप्लाई के विपरित होता है। फलस्वरूप यह मोटर के घूमने का विरोध करता है और यहीं पर लेंज लॉ काम करता है। लेंज़ लॉ भी यही कहता है कि जिसके कारण वह यह emf उत्पन्न हुआ है वह उसी कारण का विरोध करता है अतः उसे विरोधी विद्युत वाहक बल कहते हैं।

डीसी मोटर की संरचना(structure of DC motor in Hindi)

एक डीसी मोटर की संरचना में विभिन्न प्रकार के भाग होते हैं जिनको असेंबल करके डीसी मोटर को बनाया जाता है जो कि निम्न है।

डीसी मोटर क्या है
Dc motor
  1. योक (yoke)
  2. आर्मेचर (Armature)
  3. Commutator
  4. Brush
  5. Magnetic pole
  6. Pole shoe

योक (yoke)

यह मशीन का एक बाहरी भाग होता है। यह yoke छोटी साइज के मशीन मे कॉस्ट आयरन(cost iron) पदार्थ का बना होता है। और बड़ी साइज की मशीन कॉस्ट स्टील(cost steel) का बना होता है। यह मशीन का स्थिर भाग होता है। यह खोखला बेलन आकार का होता है जिसके अंदर आर्मेचर होता है। और इसी योग के अंदर के सतह पर मैग्नेटिक पोल N-pole तथा S-pole लगा होता है। इसका काम डीसी मशीन को बाहरी आघातों से रक्षा करना है और सबसे महत्वपूर्ण यह मशीन को स्टेबिलिटी (stability) प्रदान करता है जोकि आप चित्र में देख सकते हैं।

आरमेचर (armature)

यह एक मोटर का rotating part होता है जो डीसी मशीन के योक् के अंदर रोटेट करता है । यह Armature slicon steel की laminated पत्तियों से बनाया जाता है। इस armature में स्लॉट कटे होते हैं। तथा इसी स्लॉट मे armature चालक लगे होते है। इसी armature में शाफ्ट (shaft) जुड़ा रहता है जिससे मैकेनिकल power पैदा होता है और इस्तेमाल किया जाता है। यही shaft ही मोटर का आउटपुट होता है।

नोट:- इस सॉफ्ट पर जो मैकेनिकल पॉवर मिलता है उस ही ब्रेक हॉर्स पावर (BHP) कहते हैं। यह पॉवर मोटर मे होने वाले सभी प्रकार के हनियों को अलग कर जो पॉवर मिलता है उस ही मोटर का एक्टिव आउटपुट पॉवर होता हैै।

कमुटेटर (commutator)

Dc motor में एक commutator भी होता है। जो bidirectional signal को unidirectional signal में बदलता है। इसी commutator पर ब्रश लगे होते हैं जिसके द्वारा हम मोटर को supply देते है। Commutator का कनेक्शन armature coil से होता है।

Commutator की संरचना

Commutator, hard drawn copper के सेगमेंट से बनाया जाता है। जैसे कि चित्र में दिखाया गया है। तथा प्रत्येक सेगमेंट mica insulation से अलग किया रहता है। यह पर mica की मोटाई 0.5 से 0.3 होती है। यह mica, hard drawn copper segment से भी कठोर होता है। Commutator में सेगमेंट की संख्या armature में लगे coil की संख्या के बराबर होती है।

ब्रश (brush)

मोटर में लगे ब्रश का काम मोटर के आर्मेचर को सप्लाई प्रदान करना है। यह brush दो प्रकार के धातु से बनाया जाता है पहला कार्बन पदार्थ का तथा दूसरा ग्रेफाइट पदार्थ का। कार्बन से बने ब्रश का इस्तेमाल बड़ी मशीनों में किया जाता है क्योंकि यह कम घिसता है। जबकि ग्रेफाइट का बना ब्रश छोटी मशीनों में प्रयोग किया जाता है।

चुंबकीय पोल (magnetic pole)

यह चुंबकीय पोल yoke पर कसा रहता है। जो मैग्नेटिक क्षेत्र पैदा करता है। Yoke के एक तरफ N-pole तथा दूसरी तरफ S-pole लगा रहता है। यह चुंबकीय पोल दो प्रकार के मटेरियल का बना होता है।

  1. Ferromagnetic material or permanent magnetic material
  2. Electromagnetic material

Ferromagnetic material वाले पोल मे चुंबकीय गुण समान रहता है। जिससे इसका flux नियत (constant) रहता है। जबकि electromagnetic material वाले पोल मे flux के साथ साथ torque भी बदला जा सकता है।

Pole shoe

यह मैग्नेटिक पोल पर आगे की तरफ लगा होता है जो मोटर के armature पर चुंबकीय क्षेत्र को समान रूप से फैलता है।

डीसी मोटर कितने प्रकार के होते है (types of dc motor in hindi)

डीसी मोटर मुख्यत दो प्रकार के होते है।

  1. सेल्फ एक्साइटेड मोटर(self excited motor)
  2. सेपरेटली एक्साइटेड मोटर(separately excited motor)

सेल्फ एक्साइटेड मोटर(self excited motor)

इस प्रकार की मोटर को अलग सोर्स के द्वारा उत्तेजित(excite) करने की जरूरत नहीं होती है।इसके अंतर्गत मुख्यत तीन प्रकार के मोटर आते है जो कि निम्न है।

  1. डीसी सीरीज मोटर(DC series motor in hindi)
  2. डीसी शंट मोटर(DC shunt motor in hindi)
  3. डीसी कंपाउंड मोटर(DC compound motor in hindi)

सेपरेटली एक्साइटेड मोटर(separately excited motor)

इस मोटर को चलाने के लिए इसे अलग से एक्साइट करने के लिए अलग से सोर्स की जरूरत पड़ती है।

डीसी सीरीज मोटर (DC series motor in hindi)

डीसी सीरीज मोटर में फील्ड वाइंडिंग(field winding) को आर्मेचर की सीरीज में जोड़ा जाता है। अतः इस फील्ड वाइंडिंग को सीरीज फील्ड वाइंडिंग(Series field winding) कहते हैं।

डीसी मोटर क्या है
dc series motor

इस फील्ड बिल्डिंग में उतना ही करंट फ्लो होता है जितना कि आर्मेचर चालक में होता है। चुकी यह सीरीज में होता है अतः एक समान MMF (magnetomotive force) के लिए इस winding में शंट मोटर की फील्ड वाइंडिंग की अपेक्षा कम टर्न होता है, और यह बाइंडिंग मोटे तारों से बनाए जाते हैं, ताकि अधिक करंट सहन कर सके और प्रतिरोध का मान कम हो सके। इस मोटर के बारे में और ज्यादा जानकारी के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

डीसी शंट मोटर(DC shunt motor)

इस मोटर में जो फील्ड वाइंडिंग है वह आर्मेचर के समांतर में लगी होती है और यह वाइंडिंग पतले तार का अधिक टर्न देकर बनाया जाता है।

डीसी मोटर क्या है
dc shunt motor

इसके फील्ड वाइंडिंग का रजिस्टेंस अधिक होता है और इसमें बहुत कम धारा होती है। यह मोटर लगभग समान चाल से चलती है। अतः इसका उपयोग वहां पर किया जाता है जहां पर समान चाल की आवश्यकता होती है। इसका प्रारंभिक बल आघुर्ण (starting torque) सीरीज मोटर की अपेक्षा कम होती है। इस मोटर के बारे में विस्तार से जानने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

कंपाउंड मोटर(Compound motor):-

कंपाउंड मोटर का मतलब है कि इसमें दोनों प्रकार के बाइंडिंग जैसे शन्ट फील्ड वाइंडिंग और सीरीज फील्ड वाइंडिंग होती है। दोनों प्रकार की वाइंडिंग को दो प्रकार से मोटर में प्रयोग किया जाता है। जिसमें पहला कनेक्शन शॉर्ट शंट कनेक्शन(short shunt connection) और दूसरा कनेक्शन लॉन्ग शंट कनेक्शन(long shunt connection) होता है।

Short shunt connection में शंट वाइंडिंग को अर्मेचर के across जोड़ा जाता है। जैसा कि चित्र में दिख रहा है।

डीसी मोटर क्या है
short shunt connection

Long shunt connection में शंट वाइंडिंग , आर्मेचर और सीरीज फील्ड वाइंडिंग, दोनों के across जोड़ा जाता है।

long shunt connection

डीसी कंपाउंड मोटर भी दों प्रकार के होते है।

  1. डिफरेंशियल कंपाउंड मोटर(differential compound motor)
  2. कमुलटिव कंपाउंड मोटर(cumulative compound motor)

इस मोटर के बारे में विस्तार से जानने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

डीसी मोटर का गति नियंत्रण की विधियां(speed control methods of dc motor in hindi)

दोस्तों डीसी मोटर की स्पीड कंट्रोल पर एक पूरा चैप्टर है। यह एक बहुत बड़ा चैप्टर है। जिसमें सभी प्रकार के मोटर में कौन-कौन से गति नियंत्रण इस्तेमाल किए जाते हैं इसका वर्णन है। लेकिन मै यहां आपको सिर्फ एक छोटा सा परिचय दूंगा और बाकी सारे मोटर के गति नियंत्रण के विधियों को विस्तार से अलग अलग पोस्ट में कवर करेंगे।

पहले हम जान लेते हैं की डीसी मोटर का बेस स्पीड(base speed) क्या होती है। मोटर को जब हम उसके रेटेड सप्लाई(rated supply) पर तथा उसके नेम प्लेट (name plate) के अनुसार रेटेड लोड(rated load) पर रखते हैं तो उस समय जो मोटर की स्पीड होती है वही मोटर का बेस स्पीड होता है या रेटेड स्पीड होता है।अब बात करते है डीसी मोटर के गति नियंत्रण की तो मोटर की स्पीड का गणितीय रूप N = Eb / φ होता है।

चुकि Eb = (V- Ia Ra) अतः N = (V-IaRa)/φ जहां Eb बैक emf है और Ra armature resistance और V एप्लायड वोल्टेज है।

डीसी शंट मोटर के लिए R = Ra होगा। जबकि डीसी सीरीज मोटर के लिए R = Ra + Rse होगा जहां Rse मोटर के सीरीज filed का प्रतिरोध है।

ऊपर दिए गए सूत्र से पता चलता है कि डीसी मोटर का गति नियंत्रण निम्नलिखित तीन प्रकार से किया जा सकता है।

  1. डीसी मोटर के फील्ड फ्लक्स को परिवर्तित कर के।
  2. मोटर के armature resistance को बदल कर जिसे हम रेहोस्टेटिक कंट्रोल कहते है।
  3. मोटर के सप्लाई वोल्टेज को बदलकर।

डीसी मोटर का उपयोग(use of DC motor in Hindi)

डीसी मोटर चुकी हम जानते हैं कि कई प्रकार के होते हैं जिसका अलग-अलग गुण और विशेषता होती है। अतः डीसी मोटर के सभी प्रकार के मोटर का उपयोग उनकी गुण और विशेषता के आधार पर किया जाता है।

डीसी सीरीज मोटर की अगर बात करें तो डीसी सीरीज मोटर में प्रारंभिक torque बहुत ज्यादा होता है अतः इसे ज्यादातर ड्रिल मशीन में मॉडिफाइड करके इस्तेमाल किया जाता है। इस मोटर का उपयोग इलेक्ट्रिक ट्रेन में ट्रेक्शन मोटर के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

डीसी शंट मोटर का विशेष गुण यह होता है कि यह नो लोड से फुल लोड तक लगभग समान चाल से चलता है। अतः इसका उपयोग स्टील मिल जैसे फैक्ट्री तथा जहां पर मोटर को फुल लोड पर भी समान चाल से चलाने की जरूरत हो वहां पर किया जाता है।

Compound motor में दो प्रकार के मोटर होते हैं एक differential compound motor और दूसरा का cumulative compund motor.

अगर डिफरेंशियल कंपाउंड मोटर की बात करें तो इसका व्यवसायिक स्तर पर या घरेलू स्तर पर कोई उपयोग नहीं है। लेकिन इसका उपयोग सिर्फ रिसर्च के लिए प्रयोगशालाओं किया जाता है।

Cumulative compound motor का स्टार्टिंग बल आघूर्ण अधिक होता है इसलिए इसका उपयोग शेयरिंग मशीन, पंचिंग मशीन आदि में किया जाता है।

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