परिचय(introduction to dc machine in hindi)
जब हम डीसी मशीन (dc machine in hindi) की बात करते हैं, तो हमे यह ध्यान देना चाइए की हम दोनों प्रकार के मशीन (डीसी मोटर और डीसी जनरेटर) की बात कर रहे है। अतः इस पोस्ट में डीसी मशीन की संरचना उनके भागों तथा उनके कार्यों को आसान भाषा में विस्तार के समझेंगे।
डीसी मशीन (dc machine in hindi)
डीसी मशीन का सीधा मतलब होता है। ऐसी मशीन जो सिर्फ डायरेक्ट करंट पर काम करने वाली हो। चाहे वह डीसी मोटर हो या डीसी जनरेटर हो। डीसी मशीन का प्रयोग स्पेशल स्थानों पर ही किया जाता है। क्योंकि हम लोग आपने दैनिक जीवन में सिर्फ एसी supply पर ही काम करते हैं।
अतः इसको स्पेशली डीसी सप्लाई देना पड़ता है। डीसी मशीन का काम इलेक्ट्रिकल एनर्जी और मैकेनिकल एनर्जी को आपस में conversion करना है। जब हम डीसी मशीन को एक मोटर के रूप में इस्तेमाल करते हैं और मोटर टर्मिनल पर supply देते हैं। वह मशीन इलेक्ट्रिकल एनर्जी को मैकेनिकल एनर्जी मे बदलता है। इसी प्रकार यदि हम डीसी मशीन को एक जनरेटर के रूप में इसके shaft को प्राइम मूवर से घुमाते है। तो यह मैकेनिकल एनर्जी को इलेक्ट्रिकल एनर्जी मे परिवर्तित करता है।
डीसी मशीन की संरचना(structure of dc machine in hindi)
जैसा कि हमने डीसी मोटर वाले पोस्ट में भी बताया है कि डीसी मशीन की संरचना किन किन भागों से मिलकर बनी होती है। इसकी संरचना में yoke, armature, magnetic pole, comutator, brush तथा शाफ़्ट से मिलकर बना होता है। इसके प्रत्येक भाग के बारे में विस्तार से जाना के लिए आप डीसी मोटर वाले पोस्ट पर जाकर पढ़ सकते हैं। इसका लिंक नीचे दिया गया है।
- डीसी मोटर को संरचना तथा प्रकार
- Electrical books in Hindi | ये इलेक्ट्रिकल बुक्स एग्जाम बूस्टर साबित हो सकती हैं
डीसी मशीन में विभिन्न प्रकार के ध्रुव(various types of axis in dc machine)
डीसी मशीन में हम निम्न तीन प्रकार के ध्रुव को पढ़ते हैं। जों निम्न है।
- मैग्नेटिक न्यूट्रल एसिक्स (MNA)
- ज्योमेट्रिकल न्यूट्रल एक्सिस (GNA)
- ब्रश एक्सिस (Brush Axis)
मैग्नेटिक न्यूट्रल एक्सिस (MNA in DC machine in hindi)
डीसी मशीन में MNA नेट फील्ड flux के लंबवत होता है। यह MNA machine के लोड के बढ़ने से मशीन के नेट फील्ड flux की स्थिति बदलती है। इसी कारण MNA की स्थिति भी बदलता रहता है। MNA पर emf हमेशा शून्य रहता है, क्योंकि नेट फिल्ड flux के लंबवत पड़ने वाले चालक मे emf शून्य होता है। अतः यही कारण है कि मशीन के ब्रश को हमेशा MNA पर ही रखते है। ताकि ब्रश तथा कॉमुटेटर के बीच स्पार्किंग ना हो।
ज्योमेट्रिकल न्यूट्रल एक्सिस(GNA in dc machine in hindi)
GNA मशीन के स्टेटर फिल्ड एक्सिस के लंबवत पड़ने वाला रेखा ही GNA कहलाता है। यह मशीन के हमेशा स्थिर होता है। जो कि चित्र मे दिख रहा है।
ब्रश एक्सिस(Brush axis)
मशीन के ब्रश से होकर जाने वाली रेखा ब्रश एक्सिस कहलाती है।
नोट:- जब डीसी मशीन को नों लोड पर चलते हैं, तो ऊपर दिए गए तीनों एक्सिस (MNA, GNA, Brush axis) एक ही जगह रहते है। मतलब कि इनके बीच की कोण का मान शून्य होता है।
नो लोड की स्थिति में डीसी मशीन का आर्मेचर (armature at no load in DC machine in Hindi)
डीसी मशीन में नो लोड की स्थिति में armature चालक मे कोई करंट फ्लो नहीं होता है। अतः नो लोड की स्थिति में MNA, GNA, तथा brush axis दोनों एक ही रेखा पर स्थित होते हैं। जैसा कि चित्र में दिख रहा है। और इसमें नेट फील्ड फ्लक्स φf परिणामी फील्ड फ्लक्स φR के बराबर ही रहेगा। यह स्थिति मशीन के डीसी मोटर तथा डीसी जनरेटर दोनों के लिए होता है।

लोड की स्थिति में डीसी मशीन का आर्मेचर (armature at load in DC machine in Hindi)
इसमें हम डीसी जनरेटर तथा डीसी मोटर दोनों के लिए अलग-अलग समझेंगे।
डीसी जनरेटर के लिए (For DC generator)
जब जरनैटर को प्राइम मूवर से घुमाते हैं और जब इसे लोड दिया जाता है तो जरनैटर के आर्मेचर चालक में भी एक करंट फ्लो होता है। करंट फ्लो होने से armature चालक में भी खुद का रोटेटिंग मैग्नेटिक फील्ड(rotating magnetic field) पैदा होता है।

इस रोटेटिंग मैग्नेटिक फील्ड की घूमने की दिशा चित्र में देख सकते हैं, जो कि आर्मेचर चालक के चारों ओर घूम रहा है। यह रोटेटिंग मैग्नेटिक फील्ड के कारण आर्मेचर फ्लक्स φa उत्पन्न होता है। जो कि मेन फील्ड फ़लक्स (main Field flux) φf को प्रभावित करता है। जिससे इसका resultant flux θ डिग्री खिसक जाता है जैसा कि ग्राफ में दिख रहा है।

अतः चुकी हम जानते हैं, कि MNA हमेशा नेट फील्ड फ्लक्स या परिणामी फील्ड फ्लक्स के लंबवत होता है। यही कारण है कि MNA भी GNA से θ डिग्री जनरेटर की घूमने की दिशा में खिसक जाता है।
ग्राफ के अनुसार MNA जनरेटर की घूमने की दिशा में कि सकता है। MNA कितना खिसकेगा, जेनरेटर पर पड़ने वाले लोड पर निर्भर करता है।
डीसी मोटर के लिए (for dc motor)
चित्र में डीसी मोटर को देख सकते हैं । इसमें भी घूमने की दिशा जनरेटर वाले चित्र की तरह ही है। लेकिन इसकी आर्मेचर चालक में धारा की दिशा बिल्कुल विपरीत है। जिस तरफ क्रॉस(×) था यानी की धारा की दिशा कागज के सतह के लंबवत अंदर की तरफ है उस तरफ डॉट (.) है यानी की धारा की दिशा कागज के सत्ता से लंबवत बाहर की तरफ है। इसमें भी आर्मेचर फ्लक्स मेन फील्ड फ्लक्स को प्रभावित करता है। जिससे MNA खिसकता है।

अतः मोटर के लिए MNA मोटर के घूमने की विपरीत दिशा में खिसकेगा। जैसे कि ग्राफ में दिखाया गया है। यह MNA कितना डिग्री खिसकेगा, यह बात मोटर पर पड़ने वाले लोड पर निर्भर करता है।

आर्मेचर रिएक्शन क्या है (what is armature reaction in Hindi)
डीसी मशीन में जब लोड बढ़ता है तो आर्मेचर चालक में भी धारा उत्पन्न होने के कारण आर्मेचर फ्लक्स उत्पन्न होता है। अतः इस आर्मेचर फ्लक्स का मोटर के मेन फील्ड फ्लक्स पर जो प्रभाव होता है उसे ही आर्मेचर रिएक्शन कहते हैं।
(“Effect of armature flux on the main field flux is called armature reaction.”)
आर्मेचर फ्लक्स, मुख्य फील्ड फ्लक्स को 2 तरीके से प्रभावित करता है।
- अनु चुंबकीय प्रभाव (demagnetizing effect)
- प्रति चुंबकीय प्रभाव (cross magnetizing effect)
अनु चुंबकीय प्रभाव (demagnetizing effect) के कारण फ्लक्स प्रति पोल का मान घटता है। जिससे जनरेटर में ईएमएफ का मान घटता है तथा मोटर में अनु चुंबकीय प्रभाव के कारण बल आघूर्ण कम होता है।
प्रति चुंबकीय प्रभाव (cross magnetizing effect) के कारण आयरन हानि बढ़ता है। कंप्यूटेशन की प्रक्रिया बहुत पुअर होती है,। ब्रश और कमयुटेटर सतह के बीच अधिक स्पार्किंग होती है।
डीसी मशीन में पोल शु का काम (application of pole shoe in DC machine)
डीसी मशीन में मैग्नेटिक पोल के बिल्कुल आगे लगने वाला अर्धचंद्राकार वाला भाग ही पोल शू कहलाता है।
Pole shoe मुख्य फील्ड वाइंडिंग को खिसकने से बचाता है। अर्थात फील्ड वाइंडिंग को सपोर्ट प्रदान करता है। इसके साथ-साथ सबसे महत्वपूर्ण काम यह है कि यह चुंबकीय फ्लक्स को आर्मेचर पर समान रूप से वितरित करता है।

यह पोल शू लैमिनेटेड पत्तियों से बनाया जाता है। अगर दी गई सप्लाई इलेक्ट्रॉनिक डीसी सप्लाई होती है तो यह शुद्ध डीसी सप्लाई नहीं होती है। यदि इस प्रकार की supply दी जाती है, तो पोल शू के साथ साथ पोल को भी लैमिनेटेड बनाते हैं।
Power electronic DC में कुछ न कुछ fluctuation होता है। जिससे पोल और पोल शू लैमिनेटेड नहीं करने से eddy current loss बढ़ जाता है। और पोल गर्म होने लगता है।
लेकिन अगर मोटर को pure dc supply अर्थात सप्लाई बैटरी द्वारा दिया जाता है, तो इस स्थिति में सिर्फ पोल शू (pole shoe) को ही लैमिनेटेड बनाया जाता है।
Pure dc supply वाले डीसी मशीन मे भी पोल शू को लैमिनेटेड क्यों रखा जाता है:
ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि मशीन के armature में छोटे छोटे स्लॉट कटे होते हैं। जिसमे armature चालक embbed किया रहता है। उस स्लॉट मे खाली जगह होने के कारण उसमे वायु भारी रहती है। हम जानते है कि वायु का reluctance का मान silicon steel के बने armature से उच्च होता है।
आप उपरयुक्त चित्र में देख सकते हैं, खांचे के peak point वाला भाग सिलिकॉन स्टील का होता है, जो main filed flux को low reluctance path प्रदान करता है। अतः ज्यादातर फील्ड flux low reluctance path से होकर गुजर जाती है। बहुत कम मात्रा में वायु वाले भाग से होकर जाती है।
अतः इस एयर गैप (air gap) के कारण main filed flux का कुछ भाग pulsating flux उत्पन्न करता है। जिससे पोल शू मे eddy current loss बढ़ जाता है। यही कारण है कि पोल शू को किसी भी स्थिति में लैमिनेटेड रखना उचित समझा जाता है।