परिचय
डीसी कंपाउंड मोटर , सेल्फ एक्साइटेड डीसी मोटर के अंतर्गत आता है। इसमें तीन प्रकार के मोटर(सीरीज, शंट तथा कंपाउंड) होते हैं। जिसमे ये तीसरे प्रकार का मोटर है। तो आज के इस पोस्ट में डीसी कंपाउंड मोटर के बारे में पढ़ेंगे।
डीसी कंपाउंड मोटर(DC Compound Motor in hindi)
चुकी इसके नाम से पता लग रहा है कि डीसी कंपाउंड मोटर एक ऐसा मोटर है जिसमें दोनों प्रकार के फील्ड वाइंडिंग होते हैं। इसमें सीरीज फील्ड वाइंडिंग तथा शंट फील्ड वाइंडिंग दोनों होते हैं। अतः इसे डीसी कंपाउंड मोटर या कंपाउंड फाउंड मोटर कहते हैं। क्योंकि इसमें दोनों बाइंडिंग है अतः इसमें भी दो प्रकार की मोटर होते हैं।
- Cumulative Compound Motor
- Differential Compound Motor
कमुलटिव कंपाउंड मोटर मे दोनो फील्ड वाइंडिंग के फलक्स जुड़ते हैं अतः इसे cumulative Compound motor कहते हैं।
Differential Compound Motor में दोनों फील्ड वाइंडिंग के फ्लक्स के अंतर ही परिणामी फ्लक्स होता है।
डीसी कंपाउंड मोटर की संरचना(structure of DC Compound Motor)
डीसी कंपाउंड मोटर मे दो प्रकार के फील्ड वाइंडिंग सीरीज फील्ड वाइंडिंग तथा शंट फील्ड वाइंडिंग लगी होती है। इन दोनों वाइंडिंग को निम्न प्रकार से लगाए जा सकता है।
Long shunt compound connection
इसमें मोटर का शंट वाइंडिंग, मोटर के Armature तथा सीरीज फील्ड वाइंडिंग दोनों के एक्रॉस लगा होता है। जैसा को चित्र मे आपको दिख रहा होगा।

Short shunt compound connection
इसमें मोटर का शंट फील्ड वाइंडिंग सिर्फ मोटर के armature के एक्रॉस जुड़ा होता है। जो कि आपको चित्र में दिख रहा होगा।

डीसी कंपाउंड मोटर का स्पीड रेगुलेशन (Speed regulation of DC Compound Motor)
किसी भी मोटर का स्पीड रेगुलेशन मोटर के नो लोड पर स्पीड तथा फुल लोड पर स्पीड के बदलाव को ही स्पीड रेगुलेशन कहते हैं।
डीसी कंपाउंड मोटर के cumulative Compound Motor का स्पीड रेगुलेशन अच्छा होता है तथा धनात्मक होता है। लेकिन अगर सबसे अच्छा स्पीड रेगुलेशन की बात करे तो डीसी शंट मोटर का स्पीड रेगुलेशन सबसे अच्छा होता है। क्योंकि इसमें नो लोड से फुल लोड तक गति मे बदलाव बहुत का होता है। उसके बाद सबसे अच्छा स्पीड रेगुलेशन cumulative compund motor का ही होता है।
अगर कंपाउंड मोटर के डिफरेंशियल कंपाउंड मोटर की बात करे तो इसका स्पीड रेगुलेशन सबसे खराब होता है। क्योंकि इसका स्पीड रेगुलेशन ऋणात्मक होता है। Differential compound motor का स्पीड नो लोड पर कम तथा फुल लोड पर ज्यादा होता है। अतः इसका ऑपरेशन unstable होता है।
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डीसी कंपाउंड मोटर का वोल्टेज समीकरण(Voltage equation of DC compound motor)
चित्र मे आप देख सकते है डीसी कंपाउंड मोटर को। इसमें दोनों फील्ड वाइंडिंग को शॉर्ट शंट के रूप में दिखाया गया है। इसमें जाने वाली लाइन करंट दो भागों में बटती है। एक शंट फील्ड करंट होता है तथा दूसरा सीरीज फिल्ड करंट होता है। अतः इस मोटर मे वोल्टेज निम्न भाग में बटता है।
V = Eb + IaRa + IshRsh + IseRse

इसमें Eb मोटर की विरोधी विद्युत वाहक बल (back emf) है। IaRa Armature में वोल्टेज ड्रॉप है। जो कि कॉपर हानि के कारण उत्पन्न होती है। IshRsh मोटर के शंट फील्ड वाइंडिंग मे वोल्टेज ड्रॉप है। इसी प्रकार IseRse सीरीज फील्ड वाइंडिंग मे वोल्टेज ड्रॉप है।
डीसी कंपाउंड मोटर मे गति, बल आघूर्ण और धारा के बीच संबंध
इसमें निम्न तीन प्रकार के संबंध होते हैं।
- करंट-बल आघूर्ण संबंध
- स्पीड-करंट संबंध
- स्पीड-बल आघूर्ण संबंध
करंट- बलआघूर्ण संबंध (current-torque relation)
डीसी कंपाउंड मोटर में क्योंकि दो प्रकार के मोटर होते हैं तो अगर हम कम्युलेटिव कंपाउंड मोटर की बात करें तो इस मोटर के दोनों फील्ड वाइंडिंग के फ्लक्स जुड़ते हैं अतः यह एक समान आर्मेचर करंट पर इसका बल आघूर्ण एक शंट मोटर के बल आघूर्ण से अधिक होगा। और सीरीज मोटर से कम होगा।
मतलब की इसका बल आघूर्ण शंट मोटर से अधिक और सीरीज मोटर से कम होता है। नीचे दिए गए ग्राफ में आपको चारों प्रकार के मोटरों की ग्राफ का तुलनात्मक चित्र दर्शाया गया है।

स्पीड- करंट संबंध (speed-current relation)
डीसी कंपाउंड मोटर के कम्युलेटिव कंपाउंड मोटर का गति का सूत्र

सूत्र के अनुसार यदि कम्युलेटिव कंपाउंड मोटर का फ्लेक्स बढ़ता है तो आप देख सकते हैं की मोटर की ओवर ऑल गति घटती है। चुकी इसमें फ्लक्स दोनों बैंडिंग का जुड़ता है इसीलिए फ्लक्स का मान बढ़ जाता है। यही कारण है कि कम्युलेटिव कंपाउंड मोटर का ग्राफ डीसी शंट मोटर के नीचे बनाया जाता है। जोकि चित्र में दिख रहा है।

अगर हम इसी संदर्भ में डिफरेंस मिल कंपाउंड मोटर की बात करें तो इसका गति का सूत्र ने फ्लक्स एक दूसरे से घटता है।

अब यदि मान लीजिए कि φse का मान बढ़ता है तो नेगेटिव चिन्ह लगने की वजह से इस मोटर की ओवरऑल फ्लक्स घट जाएगा। जिससे मोटर की स्पीड बढ़ जाएगी।
स्पीड-बलआघूर्ण संबंध(speed-torque relation)
गति बल आघूर्ण संबंध भी लगभग पिछले संबंध (स्पीड करंट संबंध) के समान ही होता है अतः इसका भी ग्राफ लगभग पिछले ग्राफ के समान ही रहता है।

डीसी कंपाउंड मोटर की गति नियंत्रण की विधियां
इस मोटर की गति नियंत्रण को निम्न विधियों द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है।
- फील्ड परिवर्तक का प्रयोग करके
- आर्मेचर परिवर्तक का प्रयोग करके
- सप्लाई वोल्टेज को परिवर्तित करके
डीसी कंपाउंड मोटर को चालू करने की विधि (starter used in DC compound motor)
इस मोटर में मुख्यता 4- पॉइंट स्टार्टर का इस्तेमाल किया जाता है। 4- प्वाइंट स्टार्टर का प्रयोग डीसी शंट मोटर में भी किया जाता है। इसके पहले हम 3- प्वाइंट स्टार्टर का इस्तेमाल करते थे लेकिन उसमें खामियां होने के कारण हम उसका अपडेटेड वर्जन 4- पॉइंट स्टार्टर का प्रयोग करते हैं। स्टार्टर का प्रयोग करने का मुख्य उद्देश्य मोटर को अचानक फुल लोड सप्लाई पर ना चलाने से है। इससे मोटर के मैकेनिकल क्षतिग्रस्त होने का खतरा रहता है।
डीसी कंपनी मोटर की विशेषता (characteristics of DC compound motor)
- डिफरेंशियल कंपाउंड मोटर का ऑपरेशन अनस्टेबल होने के कारण इसका प्रयोग नहीं किया जाता है।
- कम्युलेटिव कंपाउंड मोटर का शुरुआती बल आघूर्ण 450 % होता है। यह डीसी शंट मोटर से अधिक होता है। इसका स्टार्टिंग टॉर्क मोटर के कंपाउंडिंग पर निर्भर करता है।
- कम्युलेटिव कंपाउंड मोटर का अधिकतम मोमेंट्री बल आघूर्ण 350 % तक होता है जो कि शंट मोटर से अधिक होता है।
- इसका स्पीड रेगुलेशन 25 – 30% परसेंट तक होता है। यह भी मोटर के कंपाउंडिंग पर निर्भर करता है।
नोट:- जहां कंपाउंडिंग का मतलब है कि मोटर के दोनों बाइंडिंग के फ्लक्स को कितना और कैसे कंट्रोल करते हैं।
डीसी कंपाउंड मोटर का उपयोग (uses of DC compound motor in Hindi)
इस मोटर में डिफरेंस मिल कंपाउंड मोटर का कोई उपयोग नहीं होता है क्योंकि इसका ऑपरेशन अनस्टेबल होता है।
कम्युलेटिव कंपाउंड मोटर का उपयोग उन स्थानों पर किया जाता है जहां पर अचानक से लोड बढ़े और फिर तुरंत लोड चला जाए। इस प्रकार के लोड को इंटरमिटेंट लोड कहते हैं। ऐसे लोड के लिए कम्युलेटिव कंपाउंड मोटर का उपयोग करते हैं। अतः इस मोटर को
- Sheares मशीन में
- पंचिंग मशीन में
- प्रेसिंग मशीन में
- हैवी प्लेनर में
- एयर कंप्रेशर में
- बेंडिंग मशीन में
- आइस मेकिंग फैक्ट्री में
- क्रेशर मशीन में किया जाता है।