परिचय (Introduction to commutation process)
जब हम डीसी मशीन की बात करते हैं, तो हम यही जानते है कि यह मशीन डायरेक्ट करंट पर चलने वाली मशीन है। चाहे हम डीसी मशीन को मोटर के रूप में इस्तेमाल करे या चाहे तो इसे जेनरेटर के रूप में इस्तेमाल करें। चुकी डीसी मशीन के अंदर armature में जोंसपली रहती है। वह प्राथमिक रूप से अल्टरनेटिंग करंट (Alternating Current) ही होती है। लेकिन इसमें एक यंत्र लगाया जाता है। जिसका नाम है कॉमूटेटर। यह commutator एक मैकेनिकल रेक्टिफायर के रूप में काम करता है। यह bidirectional signal को unidirectional signal में परिवर्तित करने की प्रक्रिया ही (commutation process in dc machine in hindi) कहलाता है। आज के इस पोस्ट में हम समझेंगे की commutator में कमुटेशन की प्रक्रिया कैसे संपन्न होती है।
Assumptions (मानना):-
इसकी प्रक्रिया को आसान भाषा में समझने के लिए हमे कुछ काल्पनिक assumptions करना पड़ेगा। तभी हम इसकी प्रक्रिया को आसान भाषा में समझ सकेंगे। तो चलिए हम मान लेते हैं कि commutator में सिर्फ दो सेगमेंट है। तथा हैं जानते है कि जितना commutator segment है उतना ही armature coil होंगे और उतना ही armature में स्लॉट होंगे। अतः इस मानने की प्रक्रिया में तथा उसमे रखा गया दो कॉइल ही मानेंगे। जैसा कि आपको चित्र मे दिख रहा होगा। अब हमे यह पता होना चाहिए कि इस इन दो सेगमेंट तथा दो स्लॉट वाली मशीन में को भी प्रक्रिया होगी वहीं प्रक्रिया कई स्लॉट और commutator सेगमेंट वाली मशीन में होगी।
डीसी मशीन में कामुटेशन की प्रक्रिया (Commutation process in dc mchine in hindi):-
इसमें हम पूरी प्रक्रिया को चार चित्रों के द्वारा चार स्थितियों को समझेंगे। प्रत्येक स्थिति 90° armature के घूमने को स्थितियों को प्रदर्शित करेगा। अतः चुकी चार स्थिति है तो 90×4 = 360° की एक पूरी साइकिल को समझेंगे। इसमें हम समझेंगे की कैसे armature me उत्पन्न एसी सिगनल को commutator डीसी सिगनल मे परिवर्तित करता है।
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पहली स्थिति:-
इसमें हम डीसी मशीन को जेनरेटर के रूप में मानते हुए अपनी प्रक्रिया को आगे बढ़ाएंगे। अतः चित्र (1) में देखेंगे कि armature में घूमने की दिशा को दिखाई गई है। अतः चित्र (1) के अनुसार armature के कुंडली को स्थिति मेन फिल्ड flux के लंबवत है। जैसे कि इस दूसरे चित्र (a) में इस कुंडली को स्थिति को दिखाया गया है।


अतः इस स्थिति में कुंडली मेन फिल्ड को पूर्णतः लिंक करेगी या काटेगी। लेकिन चुकी कुंडली स्थिर अवस्था मे है। इसलिए कुंडली में flux परिवर्तन कि दर (rate of change of flux linkage) शून्य है।
अतः क्वाइल में emf शून्य होगा। और कुंडली कमयुटेटर के सेगमेंट से जुड़ा है और कमयुटेटर ब्रश से जुड़ा है तथा ब्रश से लोड जुड़ा है तो इस स्थिति में लोड में भी यह emf नहीं पैदा होगा। अतः आर्मेचर का वोल्टेज तथा करंट का सिनोसिडल (sinusoidal) ग्राफ शून्य से यानी कि मूल बिंदु से स्टार्ट होगा। जैसा कि ग्राफ में दिखाया गया है।
द्वितीय स्थिति:-
यदि हम उस कॉइल को थोड़ा सा θ कोण से घुमा दे तो उस समय फ्लक्स परिवर्तन की दर थोड़ा सा बढ़ेगा जिससे क्वायल में थोड़ा सा emf पैदा होगा।

लेकिन अब हमें दूसरे चित्र (2) को ध्यान मे रखते हुए क्वाइल को 90 डिग्री जनरेटर के घूमने की दिशा में घुमाएंगे। जब हम 90 डिग्री जनरेटर की घूमने की दिशा में घुमाएंगे तो उस समय फ्लक्स परिवर्तन की दर अधिकतम होगा। अतः कुंडली में भी पैदा हुई emf का मान भी अधिकतम होगा। इस emf की अधिकतम मान को sinusoidal ग्राफ में 90° से दर्शाया गया है। जिसमे sinusoidal ग्राफ का उच्चतम आयाम है।

अब चित्र (2) के अनुसार a बिंदु को रेफरेंस मानते है तो जब a पर डॉट (.) होगा साइकिल धनात्मक होगी। जैसा कि ग्राफ और दूसरी स्थिति के चित्र को ध्यान दे तो आप देखेंगे a के पास डॉट है तो sinusoidal में साइकिल धनात्मक है।
और जब a’ पर क्रॉस (×) है तो ऋणात्मक मानेंगे। अतः armature में 0° से लेकर 90° तक के करंट या वोल्टेज का मान अधिकतम होगा। इसीलिए धारा ब्रश से होते हुए लोड मे दाहिने से बाएं की ओर बहेगी। जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। क्योंकि धारा dott से निकलेगी और cross में प्रवेश करेगी।
अतः 0° से 90° तक वोल्टेज अधिक धनात्मक होगी। और लोड मे भी धारा अधिकतम होगी।
तीसरी स्थिति:-
अब चित्र (3) को देखे तो यह चित्र 1 की ही तरह है। इसमें कॉइल को 90° और घुमा दिया गया है। जिससे कुंडली में पुनः emf शून्य हो जाएगी। तथा कोण 180° है जाएगा। लेकिन ये स्थित भी धनात्मक होगी।

चौथी स्थिति:-
अब चित्र (4) के अनुसार कुंडली को 90° और घुमा दिया जाए तो फिर कुंडली में flux परिवर्तन कि दर अधिकतम होगा। तथा कुंडली में emf maximum होगा।

लेकिन हमे यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि जो हमने a को रेफरेंस माना था। अर्थात जब a डॉट पर रहेगा तो धनात्मक होगा और a’ क्रॉस पर रहेगा तो ऋणात्मक होगा। लेकिन अब a क्रॉस position पर है। अतः armature में वोल्टेज ऋणात्मक होगा। लेकिन यदि हम commutator में देखे तो अभी maximum current load me दाहिने से बाएं की ओर बह रही है। जैसा कि चित्र में दिख रहा है। अतः armature में उत्पन्न दोनों प्रकार के (धनात्मक , ऋणात्मक) स्थिति में लोड मे करंट बहने की दिशा एक ही है। जबकि armature में धारा bidirectional तथा लोड मे धारा unidirectional होता है।
दोस्तों उपर्युक्त दिया गया वर्णन से में आशा करता हूं आप commutation की पूरी एक साइकिल की प्रक्रिया को समझ गए होंगे। यह वर्णन physical concept of cummutation कहलाता है।