Circuit breaker in hindi | सर्किट ब्रेकर क्या है इसके प्रकार और प्रयोग

परिचय (Introduction to circuit breaker)

पावर सिस्टम को अच्छे तरीके से चलाने के लिए हम पावर सिस्टम में सप्लाई को जरूरत के अनुसार ऑन तथा ऑफ करने की जरूरत पड़ती है। पावर सिस्टम को ऑन तथा ऑफ करने कि 2 तरीकों से जरूरत पड़ती है। इसमें पहला तो हम अपनी इच्छा अनुसार पावर सप्लाई को काटते हैं तथा दूसरा यह कि जब पावर सप्लाई में कोई फाल्ट आ जाए तो उस समय हमें पावर को काटने की जरूरत पड़ती है। अतः इसके लिए हमें एक स्विचिंग डिवाइस की जरूरत पड़ती है। अतः इसी संदर्भ में हम सर्किट ब्रेकर (circuit breaker in hindi) का इस्तेमाल करते हैं।

इसके अलावा हम फ्यूज(fuse) का भी इस्तेमाल करते हैं लेकिन इसमें बहुत सारी कमियां होने के कारण इसका इस्तेमाल कम वोल्टेज के पावर सप्लाई में किया जाता है। इसमें सबसे बड़ी कमी यह है कि इसे हम लोग अपनी इच्छा अनुसार ऑपरेट नहीं करा सकते हैं। यह फ्यूज केवल सिस्टम में आने वाले फाल्ट के कारण ऑपरेट होता है। इसकी दूसरी सबसे बड़ी ड्रॉबैक यह है कि इसके ऑपरेट होने के बाद यानी कि इसके द्वारा सप्लाई के काटने के बाद इसकी फ्यूज को बदलना पड़ता है। जिससे इसमें समय की खपत ज्यादा होती है।

सर्किट ब्रेकर क्या है (What is circuit breaker in Hindi)

अगर हम एक लाइन में बोले तो सर्किट ब्रेकर एक स्विचिंग डिवाइस है। जो विद्युत सप्लाई को ऑन तथा ऑफ करने का काम करता है। सर्किट ब्रेकर का एक खास बात यह है कि इसको 2 तरीके से ऑपरेट किया जा सकता है।

इसको मैनुअली (manually) अपनी इच्छा अनुसार जब जरूरत हो तो भी ऑपरेट करा सकते हैं। इसके साथ-साथ इसको अगर हम रिले के साथ जोड़कर ऑपरेट कराएं तो यह विद्युत सप्लाई में होने वाले फाल्ट को डिटेक्ट कर लेगा तथा ऑटोमेटिक सर्किट ब्रेकर को ट्रिपिंग कमांड भेजेगा जिससे सर्किट ब्रेकर खुल जाएगा।

सर्किट ब्रेकर को अगर अपनी जरूरत के अनुसार ट्रिप कराना हो तो भी हम सर्किट ब्रेकर के पास जाकर नहीं ट्रिप करना पड़ता है। इसको हम दूर बैठे रिमोट कंट्रोल सिस्टम के द्वारा भी ऑपरेट करा सकते हैं। यदि आप कभी पावर सब स्टेशन पर गए होंगे तो आपने देखा होगा कि सर्किट ब्रेकर को हम अपने कंट्रोल रूम में बैठकर आसानी से ऑपरेट करा देते हैं।

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सर्किट ब्रेकर का कार्य सिद्धांत (working principle of circuit breaker in Hindi)

दोस्तों सर्किट ब्रेकर के कार्य करने का एक बेसिक सिद्धांत है। इसमें दो संपर्क इलेक्ट्रोड (contact electrode) लगे होते हैं। जिसमें एक फिक्स इलेक्ट्रोड होता है तथा दूसरा मूविंग इलेक्ट्रोड होता है। यह दोनों संपर्क इलेक्ट्रोड सामान्य स्थिति में एक दूसरे से जुड़े होते हैं। और यह तब तक जुड़े रहते हैं जब तक की सप्लाई में किसी प्रकार का दोष ना आ जाए। हालांकि हम सर्किट ब्रेकर को अपनी जरूरत के अनुसार ऑन तथा ऑफ कर सकते हैं।

जब सप्लाई सिस्टम के किसी भी भाग में फाल्ट आता है तो उस समय सर्किट ब्रेकर का ट्रिपिंग क्वाइल energized हो जाता है। और यह कॉइल circuit breaker के moving contact electrode को fix contact electrode से दूर खीच लेता है। इस प्रकार curcuit breaker ओपन हो जाता है।

Circuit breaker in hindi
Circuit breaker

जब सर्किट ब्रेकर मे fault की स्थिति में moving contact तथा fix contact अलग होता है, तो उस समय moving contact तथा fix contact के बीच अत्यधिक धारा की मत्रा होने के कारण इन दोनों के बीच आर्क उत्पन्न होता है।

ज्यादा आर्क उत्पन्न होने से सर्किट ब्रेकर के दोनों contact (moving, fix) के बीच अधिक ऊष्मा उत्पन्न होती है। जिससे सर्किट ब्रेकर का संपर्क सतह (contact surface) के साथ साथ इसमें लगे अन्य मैकेनिकल यंत्र के भी खराब होने की संभावना होती है।

इसके साथ साथ आर्क की उत्पन्न होने से supply के immediate interruption होने मे से लगता है।

अतः सर्किट ब्रेकर मे सबसे महत्वपूर्ण समस्या आर्क उत्पन्न होना ही है। अतः इस आर्क को बुझाने के लिए सर्किट ब्रेकर मे बहुत प्रकार के उपायों को लगाया जाता है। जिसमें से आपको हवा के द्वारा तथा तेल के द्वारा आग को बुझाने की प्रक्रिया देखने को ज्यादा मिलती है।

आर्क उत्पन्न होने की घटना (Arc phenomena in circuit breaker in Hindi)

जब सप्लाई सिस्टम में फाल्ट आता है तो बहुत अधिक मात्रा में करंट उत्पन्न होता है। अतः इस स्थिति में सर्किट ब्रेकर के दोनों कांटेक्ट (moving, fix) एक दूसरे से अलग होकर सप्लाई काट देते हैं। जब मूविंग कांटेक्ट इलेक्ट्रोड (moving contact electrode) फिक्स कांटेक्ट इलेक्ट्रोड (fix contact electrode) से अलग होता है तो उस समय दोनों के संपर्क सतहों (contact surface) के बीच एक मीडियम गैप (medium gap) उत्पन्न होता है।

यहां पर मैं मीडियम गैप की बात कर रहा हूं। इसका मतलब यह है कि सर्किट ब्रेकर के दोनों संपर्क इलेक्ट्रोड किसी न किसी मीडियम में रखा होता है। यह इलेक्ट्रोड या तो air मीडियम में रखा रहेगा या तो आयल (oil) मीडियम में रखा रहेगा या कभी-कभी इसे किसी गैस मीडियम में भी रखा जाता है।

अतः जब उसमे मीडियम गैस उत्पन्न होगा तो चुकी धारा का मान अत्यधिक हो जाता है तथा वह के स्थान पर बहुत अधिक मात्रा मे heat उत्पन्न होता है। इस उत्पन्न हुए heat के कारण वह मीडियम यदि air है आइनाइज्ड है जाता है। और अगर मीडियम के रूप oil इस्तेमाल किया गया है तो ऑयल वाष्पित तथा आयनाइज्ड दोनों हो जाता है।

यही मीडियम जो उन दोनों संपर्क इलेक्ट्रोड के बीच आयनाइज या वापराइज्ड हुए हैं। वह एक कंडक्टर की भांति कार्य करने लगते हैं। और यही हमे आर्क के रूप में दिखाई देते है।

आर्क की बुझाने की विधि (methods of extinction of arc)

आर्क को बुझाने के लिए मुख्यत दो प्रकार की विधि होती है।

  1. उच्च प्रतिरोध विधि (high resistance method)
  2. निम्न प्रतिरोध विधि या करंट जीरो विधि (low resistance method or current method)

उच्च प्रतिरोध विधि मे उत्पन्न हुए आर्क के प्रतिरोध को बढ़ा दिया जाता है। इस विधि का प्रयोग DC सर्किट ब्रेकर मे किया जाता है।

निम्न प्रतिरोध विधि का प्रयोग एसी सर्किट ब्रेकर मे इस्तेमाल किया जाता है। यह विधि आजकल के सभी बड़े एसी सर्किट ब्रेकर मे आर्क को बुझाने में किया जाता है।

Types of circuit breaker in hindi (सर्किट ब्रेकर के प्रकार)

सर्किट ब्रेकर का वर्गीकरण मुख्य रूप से इसमें उपस्थित आर्क बुझाने को प्रक्रिया के आधार पर ही कि जाती है। इसमें आर्क बुझाने के लिए जिस भी मीडियम का प्रयोग किया जाता है। उस सर्किट ब्रेकर मे उसी मीडियम के आधार पर नाम रखा जाता है। जैसे:-

  1. ऑयल सर्किट ब्रेकर (Oil circuit breaker)
  2. एयर ब्लास्ट सर्किट ब्रेकर (air blast circuit breaker)
  3. Sf6 सर्किट ब्रेकर (Sf6 circuit breaker)
  4. वैक्यूम सर्किट ब्रेकर (Vacuum circuit breaker)

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ऑयल सर्किट ब्रेकर (Oil circuit breaker)

इस प्रकार के सर्किट ब्रेकर में आग को बुझाने के लिए ट्रांसफार्मर आयल का इस्तेमाल किया जाता है जिसे हम मिनरल आयल भी कहते हैं। इसमें सर्किट ब्रेकर के संपर्क इलेक्ट्रोड को मिनरल आयल में डूबा के रखते हैं। इस ट्रांसफार्मर आयल की डाइलेक्ट्रिक स्ट्रैंथ (dielectric strength) उच्च होने के कारण आग बुझाने में सहायता करता है।

एयर ब्लास्ट सर्किट ब्रेकर (air blast circuit breaker)

इस प्रकार के सर्किट ब्रेकर में आग को बुझाने के लिए उच्च pressure पर एकत्रित की गई हवा को प्रयोग किया जाता है। इसमें उच्च प्रेशर वाली हवा आंख पर छोड़ी जाती है। जिससे दोनों संपर्क के लिए करोड़ों के बीच आयनाइज्ड हुए हवा को हटा देती है। और इस प्रकार आग बुझ जाती है। इस सर्किट ब्रेकर की ओपन होते समय ज्यादा आवाज होती है।

Sf6 सर्किट ब्रेकर (Sf6 circuit breaker)

इस सर्किट ब्रेकर में आग को बुझाने के लिए सल्फर हेक्साफ्लोराइड गैस का इस्तेमाल किया जाता है। इस गैस में उपस्थित फ्लोरीन पीरियाडिक टेबल में सबसे ज्यादा ऋणात्मक तत्व है। अतः यह गैस उत्पन्न हुए आर्क को अपने ऋणात्मक गुण से बुझा देता है।

वैक्यूम सर्किट ब्रेकर (Vacuum circuit breaker)

इस सर्किट ब्रेकर में आग बुझाने के लिए किसी भी प्रकार का मीडियम इस्तेमाल नहीं किया जाता है। यहां तक की हवा को भी प्रयोग में नहीं लाया जाता है। इसमें सर्किट ब्रेकर के संपर्क इलेक्ट्रोड को एक वैक्यूम कंटेनर में रखा जाता है। जहां पर कोई हवा नहीं होती है। जिससे आर्क पैदा नहीं होती है।

महत्वपूर्ण शब्दावली (important terms regarding circuit breaker)

सर्किट ब्रेकर के संदर्भ में कुछ शब्दावली है जिसके बारे में हमें जानना चाहिए।

आर्क प्रतिरोध (Arc resistance):-

जब सर्किट ब्रेकर में आर्किंग होता है, तो उस समय भी ब्रेकर के दोनों संपर्क सतहों के बीच धारा बह रही होती है। यह बह रही धारा की मात्रा इस बात पर निर्भर करती है कि आर्क का प्रतिरोध कितना है। आर्क प्रतिरोध निम्न बातों पर निर्भर करता है।

  • सर्किट ब्रेकर के दोनों contacts के बीच जितनी मात्रा में मीडियम आइनाइज होगा। आर्क का प्रतिरोध उतना ही घटेगा।
  • अगर दोनों contacts के बीच आर्क की लंबाई बढ़ेंगी तो आर्क प्रतिरोध बढ़ेगा ।
  • अगर दोनों संपर्क सतहों के बीच के आर्क का x-section बढ़ेगा तो आर्क प्रतिरोध बढ़ेगा।

आर्क वोल्टेज (arc voltage):-

जब सर्किट ब्रेकर के दोनों संपर्क सतहों के बीच आर्क उत्पन्न होता है। उस समय दोनों संपर्क सतहों के बीच जो वोल्टेज का मान होता है वही आर्क वोल्टेज कहलाता है।

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8 thoughts on “Circuit breaker in hindi | सर्किट ब्रेकर क्या है इसके प्रकार और प्रयोग”

    • aapke question ko jaha tak main samjha hu uska jabab de raha hu
      1. Pahali baat ye dhyan dena chayiye ki CB me jis bhi arc quenching medium ka prayog kiya gaya hai uska pressure ka value baraber hai ya nahi.
      2. agar aap kisi transmission line mein kaam kar rahe hai to waha par ye CB ko mannually trip karane se pahale us samay ki sabhi prakar ki reading jaise voltage reading, ampear reading, and power factor and frquency etc note kiya jata hai. saath mein CB ko trip karane ka proper reason ‘record resister’ me mention karana padta hai.

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