Introduction: –
विद्युत क्षेत्र में बहुत सारे प्रकार के component तथा उपकरण होते हैं जो कि घरेलू उपकरणों को चलाने में बहुत ही कामयाब होती है। इन सभी कंपोनेंट मैं संधारित्र भी है। यह संधारित्र विद्युत क्षेत्र के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण युक्ति है। आज के इस पोस्ट के जरिए कैपेसिटर (Capacitor in Hindi) क्या होता है, टाइप्स ऑफ कैपेसिटर इन हिंदी (Types of Capacitor in Hindi), यूजेस ऑफ कैपेसिटर इन हिंदी (Uses of Capacitor in Hindi) आदि को विस्तार पूर्वक समझेंगे.
संधारित्र (Capacitor in Hindi): –
सरल भाषा में कहें तो दो धातु प्लेटों को किसी डाइलेक्ट्रिक पदार्थ से अलग या पृथक किया जाता है तो वह समायोजन या व्यवस्थित रूप संधारित्र (Capacitor in Hindi) कहलाता है। संधारित्र का विद्युत ऊर्जा को अपने अंदर एकत्रित करना है। तथा आवश्यकतानुसार विद्युत ऊर्जा को विसर्जित करना है। संधारित्र ही एकमात्र कंपोनेंट है जो विद्युत ऊर्जा को स्टोर करता है जबकि डीसी वोल्टेज को बैटरी के द्वारा स्टोर किया जाता है।
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संधारित्र का सिद्धांत (Capacitor working in Hindi): –
नीचे दिया गया चित्र आप देख सकते हैं जिसमें दो प्लेट A तथा B है। की धनात्मक A प्लेट तथा B ऋण आत्मक प्लेट है दोनों को बैटरी के धनात्मक तथा ऋण आत्मक टर्मिनल से जोड़ा गया है इस स्थिति में हम देखेंगे कि बैटरी द्वारा प्लेटो को दिया जाने वाला कारण बैटरी का धनात्मक टर्मिनल इलेक्ट्रोड ऐसे कुछ स्वतंत्र इलेक्ट्रॉनों को अपनी ओर अट्रैक्ट करता है। या अगर कहें तो A प्लेट के कुछ इलेक्ट्रॉन लिया जाता है। और इसी क्रम देखें तो बैटरी ऋण आत्मक टर्मिनल प्लेट एके इलेक्ट्रॉनों का अपोज करता है।

इस प्रकार हम देखते हैं, कि बैटरी प्लेट A से इलेक्ट्रॉन लेता है और इसे प्लेट B पर भेज देता है।
अब हम जानते हैं कि जिस स्थान से इलेक्ट्रॉन जाता है वहां पर धनात्मक तथा जिस स्थान पर आता है वहां पर ऋण आत्मक आवेश हो जाता है। इसलिए A प्लेट पर धनात्मक तथा B प्लेट पर ऋण आत्मक आवेश उत्पन्न हो जाता है। यानी कि यह दोनों प्लेट आवेशित हो जाते हैं।
इस स्थिति में प्लेटों पर आवेश होगा उसे ही स्थिर विद्युतकी कहते हैं। जब प्लेट आवेशित है तो इन दोनों प्लेटों के बीच एक विभवांतर उत्पन्न होगा।
संधारित्र का एक गुण यह है कि संधारित्र के प्लेटो से आवेश विसर्जित होती है तो आवेशित धारा का मान बढ़ जाता है कुछ समय बाद यह धारा का मान कम होने लगता है तथा बाद में पूर्णता शून्य हो जाता है। इस स्थिति में संधारित्र डिस्चार्ज हो जाता है। उस समय प्लेटों के बीच विभवांतर विद्युत वाहक बल के बराबर होता है।
संधारित्र की धारिता (Capacitance in Hindi): –
संधारित्र के चैप्टर में सबसे महत्वपूर्ण पद संधारित्र की धारिता है। हमें इस टाइम कुछ समझना अति आवश्यक है। आइए समझते हैं कि एक संधारित्र की धारिता क्या होती है।
जैसा कि हम जानते हैं की एक संधारित्र का गुण यह होता है कि विद्युत ऊर्जा को एकत्रित करता है। संधारित्र की इसी गुण (विद्युत ऊर्जा संग्रह करने की) को संधारित्र की धारिता (Capacitance in Hindi) कहते हैं।
चलिए मान लेते हैं की संधारित्र के दोनों प्लेटो को Q इकाई का आवेश देते हैं। तथा आवेश देने के बाद V इकाई का विभवांतर उन दोनों प्लेटों के बीच उत्पन्न होता है। तो इस मानक संधारित्र की धारिता C होगा जो की निम्न है।
C = Q/V = आवेश / विभवान्तर
इस प्रकार हम देखते हैं कि धारिता वह आवेश है जो एक इकाई विभवांतर स्थापित करने के लिए आवश्यक है। इसका मात्रक कुला,कूलाम्ब प्रति बोल्ट होता है। इसको फैराडे नामक वैज्ञानिक ने निकाला था इसीलिए इसे एसआई पद्धति में फैरड कहते हैं।
1 फैरड = 1 कुलंब प्रति वोल्ट
चुकी फैरड एक काफी बड़ी इकाई है इसलिए इसे साधारण उपयोग में कम लाया जाता है। इसके लिए हम इसकी छोटी इकाई जैसे माइक्रो फैरड (μF), पिको फेरेड (μμF) का इस्तेमाल करते हैं।
संधारित्र के प्रकार (Types of capacitor in Hindi):-
संधारित के प्रकार की अगर हम बात करें तो प्रायोगिक वोल्टेज, आकार तथा उस में प्रयोग की गई डाइलेक्ट्रिक पदार्थ के आधार पर निम्न प्रकार से वर्गीकृत कर सकते हैं।
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विद्युत सप्लाई के आधार पर (On the basis of supply): –
इसमें दो प्रकार के संधारित्र होते हैं।
1. डीसी संधारित्र :-
यह ऐसे संधारित्र होते हैं जिसके टर्मिनल पर ध्रुवता या पॉजिटिव तथा नेगेटिव टर्मिनल निश्चित रहता है। तथा या डीसी पर कार्य करने के लिए बनाया जाता है। जैसे कि इलेक्ट्रोलिटिक कैपेसिटर (Electrolytic capacitor) है।
2. एसी संधारित्र (AC Capacitor):-
यह ऐसे संधारित्र है जिसमें टर्मिनल में ध्रुवता निश्चित नहीं होती है। अतः इसका उपयोग एसी वोल्टेज के लिए किया जाता है। जैसे सेरेमिक कैपेसिटर, माइका कैपेसिटर आदि। इसका उपयोग एसी वोल्टेज पर चलने वाले उपकरणों जैसे सेलिंग फैन, स्टैंड फैन, सिंगल फेज इंडक्शन मोटर आदि को स्वचालित करने में किया जाता है।
संधारित्र में उपयोग किए गए डायलेक्टिक पदार्थ के आधार पर (On the basis of dielectric material): –
- पेपर संधारित्र (Paper capacitor)
- माइका संधारित्र (Mica Capacitor)
- एयर संधारित्र (Air Capacitor)
- सिरेमिक संधारित्र (Ceramic Capacitor)
उपयुक्त दिए गए संधारित्र के प्रकार इस प्रकार निर्धारित किया गया है कि उस कैपेसिटर में किस प्रकार के परावैद्युत पदार्थ (Dielectric Material) इस्तेमाल किया गया है।
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संधारित्र के आकार के आधार पर (On the basis of shape):-
संधारित्र के आकार के आधार पर संधारित्र निम्न प्रकार के होते हैं।
- गोलीय संधारित्र (spherical Capacitor)
- बेलनाकार संधारित्र (Cylindrical Capacitor)
- समांतर प्लेट संधारित्र (Parallel Plate Capacitor)
संधारित्र का उपयोग ( Uses of capacitor in Hindi):-
Electrical engineering के क्षेत्र में कैपेसिटर का बहुत ही बहुत पूर्ण उपयोग है। संधारित्र को विद्युत क्षेत्र में अलग-अलग प्रकार के कामों को कराने के लिए किया जाता है। जैसे
• रेक्टिफिकेशन में (AC से DC conversion में) फ़िल्टर के रूप में।
• पावर फैक्टर सुधारने के लिए
• सिंगल फेस मोटर को सेल्फ स्टार्ट बनाने के लिए।
इस प्रकार हम देख सकते हैं कि संधारित्र का उपयोग इलेक्ट्रिक क्षेत्र में कितना महत्वपूर्ण होता है।