Buchholz relay in Hindi | बुकोल्ज रिले का उपयोग

परिचय

दोस्तों, अगर आप ट्रांसफार्मर के बारे में पढ़ें होंगे तो आपको पता होगा कि उसने बहुत से प्रकार के डिवाइस लगा होगा। जिसमे कंजरवेटर टैंक, main oil tank, vent pipe, core, outer cover , Buchholz relay, transformer bushing, winding आदि। आज के इस पोस्ट में हम बुकोल्ज रिले (buchholz relay in Hindi) के बारे में डिस्कस करेंगे।

buchholz relay in Hindi

बुकोल्ज रिले (Buchholz relay)

दोस्तों यह एक प्रकार से protecting डिवाइस है। जो की यह ट्रांसफार्मर में लगा होता है। यह रिले ट्रांसफार्मर के अंदर आने वाले फॉल्ट (internal fault) से सुरक्षा देता है।

इस रिले का ट्रांसफार्मर में स्थान main oil tank और कंजरवेटर टैंक के बीच में होता हैं। Buchholz relay का इस्तेमाल हम 5000kva से ऊपर के ट्रांसफार्मर में करते हैं। इससे कम काम रेटिंग के ट्रांसफार्मर में कही कहीं देखने को मिलता है।

इंडस्ट्री में प्रयोग होने वाले पैनल कौन कौन से है?

बुकोल्ज रिले की संरचना (structure of buchholz relay in Hindi)

बुकोल्ज रिले (Buchholz relay) की बाहरी संरचना के एक चैंबर को भांति होती है। यह मेटैलिक चैंबर होता है।जिसमे दोनो तरफ पाइप से कनेक्ट करने की व्यवस्था होती है। इस चैंबर में ही दो मूवेबल कॉन्टैक्ट लगे होते है। जिस पर floating बॉल लगा होता है। इस पूरी व्यवस्था को हम hinge कहते हैं।

इस hinge के साथ एक – एक मर्करी स्विच लगा होता हैं। एक hinge चैंबर के ऊपर की तरफ तथा दूसरा hinge चैंबर के नीचे लगा होता है। इसमें उपर के तरफ लगा लगा मर्करी स्विच ही फॉल्ट आने पर अलार्म को एक्टिवेट करता है। तथा नीचे वाला लगा मर्करी स्विच ट्रिपिंग सर्किट को एक्टिवेट करता है।

यह रिले main oil tank के पाइप के एक सिरे से तथा इसका दूसरा सिरा कंजरवेटर टैंक के पाइप के सिरे से जुड़ा होता है।

buchholz relay in Hindi

इसमें चैंबर से सबसे बाहरी सतह के ऊपर पर एक टेस्टिंग कॉक लगा होता है। और सबसे नीचे की तरफ एक ड्रेन प्लग लगा होता है।

बुकोल्ज रिले कैसे काम करता है ( working principle of buchholz relay in Hindi)

बेसिकली हमे पता है कि यह रिले ट्रांसफार्मर के इंटरनल फॉल्ट को सेंस करता है। अतः जब किसी कारण वश ट्रांसफार्मर में इंटरनल फॉल्ट आता है। मान लीजिए की ट्रांसफार्मर की वाइंडिंग में फॉल्ट आया तो इस स्थिति में ट्रांसफार्मर में अधिक करेंट फ्लो करेगी और ट्रांसफार्मर में हीटिंग ज्यादा उत्पन्न होगी।

जिससे ट्रांसफार्मर का ऑयल गर्म होगी। और ट्रांसफार्मर ऑयल का टेंपरेचर बढ़ने से ऑयल वाष्प में बदलेगी। और ऊपर उठेगी। अब जब main oil tank का ऑयल वाष्प बनेगी तो टैंक का ऑयल लेवल घटेगा। जिससे रिले में लगा फ्लोटिंग सिस्टम के कारण मर्करी स्विच (contacts) अलार्म को एक्टिवेट कर देगी। और अलार्म बजने लगेगा।

यदि ट्रांसफार्मर से ज्यादा फॉल्ट आया है तो इस स्थिति में ऑयल ज्यादा वाष्पित होगा। जिससे ऑयल लेवल और घटेगा। जिसके कारण रिले के दूसरा मर्करी स्विच (contacts) जो नीचे लगा है वह भी एक्टिवेट हो जाएगी। और चुकी इसमें ट्रिप सर्किट का कनेक्शन है इसीलिए यह मर्करी स्विच ट्रिप सर्किट को एक्टिवेट कर देगा और ट्रांसफार्मर को सप्लाई से अलग कर देगा।

बुकोल्ज रिले की कुछ कमियां

दोस्तों Buchholz relay की कुछ कमियां भी जिसको हमे जानना चाइए।

  • यह रिले सिर्फ हम ऑयल ट्रांसफार्मर में ही प्रयोग करते हैं।
  • यह रिले केवल ऑयल लेवल को कम होने पर ही एक्टिवेट होता है।
  • यह रिले ट्रांसफार्मर के लगे केबल को प्रोटेक्ट नही करता है।

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