बर्ड फ्लू क्या होता है: भारत में बर्ड फ्लू का आतंक

आज की इस पोस्ट में हम बात करेंगे बर्ड फ्लू outbreak के बारे में जो भारत के कई राज्यों में फैल चुकी है हिमाचल प्रदेश के pang dam sanctuary में हजारों पक्षी मरे हुए पाए गए थे। जब इसकी जांच की गई तो रिपोर्ट आने के बाद पता चला कि यह बर्ड फ्लू है। हिमाचल प्रदेश के साथ-साथ भारत के और भी कई राज्य में जैसे राजस्थान मध्य प्रदेश और केरल के इलाकों में पक्षियों के मरने की न्यूज़ आ चुकी है। यह बात कंफर्म हो चुका है कि यह बर्ड फ्लू ही है। आपको बता दें कि पिछले हफ्तों में उत्तर भारत में प्रवासी पक्षियों के साथ-साथ बहुत सारे लोकल पक्षियों के मरने की न्यूज़ भी सामने आई है। इसके बाद सरकार ने इस एक्टिविटी को नोटिस किया है उसके बाद इसका इसका सैंपल भेजा गया है भारत के एक मात्र लैब जो भोपाल में स्थित है जिसका नाम है नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाई सिक्योरिटी एनिमल डिजीज(national institute of security animal disease) केवल इसी प्रकार के टेस्ट करने के लिए सक्षम है। उस लैब से टेस्टिंग के बाद यह कंफर्म हो गया है कि उस मरे हुए पक्षियों में बर्ड फ्लू के वायरस थे। तो अब आइए जानते हैं कि बर्ड फ्लू क्या होता है ।

बर्ड फ्लू क्या होता है
बर्ड फ्लू

बर्ड फ्लू क्या होता है:-

अब हम जान लेते हैं की बर्ड फ्लू होता क्या है। तो यह एक बीमारी है जो प्राइमरी रूप से पक्षियों में होता है। यह एवियन इनफ्लुएंजा वायरस के कारण होता है जिसका पूरा नाम है h 5 n 1 influenza virus.

लेकिन कभी-कभी इस वायरस का ट्रांसमिशन ह्यूमन में हो जाता है यही स्थिति तब आती है जब मनुष्य किसी पक्षी के बहुत क्लोज कांटेक्ट में रहता है। जैसे कि पलुर्टी फॉर्म में काम करने वाले लोग, जू में काम करने वाले लोग आदि।

लेकिन यह राहत की बात है कि इस वायरस ट्रांसमिशन human to human ना के बराबर होता है। मतलब की यह कोविड-19 की तरह फैलता नहीं है।

क्या चिकन खाने से बर्ड फ्लू फैलता है:-

अब हम जान लेते हैं कि क्या चिकन खाने से बर्ड फ्लू फैलता है तो अगर हम चिकन को अच्छी तरह से पका कर खाएं तो bird flu नहीं होगा। लेकिन अगर उस कच्चे चिकन के संपर्क में आए तो हमें बर्ड फ्लू होने की आशंका जरूर है। चिकन शॉप के दुकानदार को बर्ड फ्लू होने की आशंका सबसे ज्यादा होती है क्योंकि वह कच्ची चिकन के संपर्क में ज्यादा रहते हैं। अतः हमें कच्ची चिकन या मीट को छूने से बचना चाहिए।

एक बात यहां पर ध्यान देने की है कि जब यह इंसानों में होता है तो इसकी मोर्टालिटी रेट (mortality rate) काफी हाई होती है यह यह मोर्टालिटी रेट लगभग 60% तक होती है। मतलब की जिस मनुष्य में बर्ड फ्लू है उसके मरने की रेट बहुत ज्यादा हाई होती है।

भारत में आए है कई बार बर्ड फ्लू:-

दोस्तों भारत में बर्ड फ्लू का अटैक कई बार हो चुका है। भारत में जुलाई 2015 में भी बर्ड फ्लू का अटैक हुआ था। 2017 में भी बर्ड फ्लू का अटैक हुआ था। इसके लिए सरकार ने बहुत सारे कैंपेन भी चलाया था और आज भी सरकार इसको लेकर काफी एक्टिव है और बहुत सारे बड़े स्तर पर सर्विलांस कर रही है।

अभी जो हाल ही में बर्ड फ्लू का स्ट्रेन पाया गया है। यह H 5 N 8 है ना कि H 5 N 1 है। यह H 5 N 8 2010 मैं भी रिपोर्ट किया गया था। जो घरेलू बत्तख में चाइना में पाया गया था।

bird flu in india

अब सवाल यह उठता है कि या घरेलू पक्षियों में कैसे फैल जा रहा है। जबकि यह पक्षी एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाते ही नहीं है। इसके फैलने का सबसे बड़ा कारण प्रवासी पक्षी हैं। यह प्रवासी पक्षी हजारों किलोमीटर दूरी का यात्रा तय करते हैं तथा एक देश से दूसरे देश तक जाते हैं । और इसी दौरान वे घरेलू पक्षियों के संपर्क में आते हैं जिसकी वजह से इन घरेलू पक्षियों में भी बर्ड फ्लू फैल जाता है।

घरेलू पक्षियों में ज्यादा मौतें होती हैं क्योंकि यह घरेलू (demostic) पक्षी एक भीड़ में रहते हैं अतः इनमें बर्ड फ्लू तेजी से फैलता है और मौतें ज्यादा होती हैं जबकि प्रवासी पक्षियों में इसे फैलने में अधिक समय लगता है और मौतें कम होती हैं। प्रवासी पक्षी पूरे वातावरण में दूर-दूर तक रहते हैं इसीलिए इसमें कम फैलता है।

इंडिया में यह बर्ड फ्लू कब आया:-

यह आउटब्रेक लगभग दिसंबर के लास्ट में हमें देखने को मिली है। इसमें नागपुर डिस्ट्रिक्ट में लगभग 55 मोर मरने की न्यूज़ आई जबकि राजस्थान के जोधपुर जिले में 100 से ज्यादा कौवे के मरने की न्यूज़ आई जिसके बाद सरकार अलर्ट मोड में आ गई है। अब न्यूज़ आ रही है कि दिल्ली में भी कुछ पक्षी इस खतरनाक रोग से ग्रसित हैं और मर रहे हैं।

इसके साथ-साथ राजस्थान में बहुत सारे जिले हैं जैसे राजस्थान के बीकानेर, सवाई, माधोपुर, कोटा, जोधपुर यह जिले हैं जहां से पक्षियों की मरने की खबर आई है।दिसंबर के अंतिम सप्ताह में केरल के कोट्टायम और अल्लपुजा में 12,000 से अधिक बत्तख मृत पाए गए थे। केरल की सरकार ने भी या कंफर्म कर दिया है कि इन बतखों मे H 5 N 8 एवियन इनफ्लुएंजा वायरस पाया गया है।

केरल इसके पहले भी इस वायरस के h5 n1 टाइप के आउटब्रेक से गुजर चुका है जोकि 2014 तथा 2020 में आया था लेकिन यह h5N 8 virus सबटाइप है जो केरल में 2016 में देखा गया था और अब 2020 के अंत में देखा जा रहा है।

पक्षियों को इस दौरान मारने की प्रक्रिया:-

दोस्तों जब यह outbreak होता है तो हमें मजबूरी में हजारों पक्षियों को मारना पड़ता है ताकि वह पक्षी और जगह ना फैला दें इसमें सबसे ज्यादा नुकसान पक्षी पालने वाले किसानों को होता है या कहें तो बत्तख पालने वाले, चिकन पालने वाले किसानों को होता है। पक्षियों को इस स्थिति में मारने को हम ‘culling’ कहते हैं। पक्षियों के मारने की एक प्रक्रिया होती है इसमें यह देखा जाता है कि जिस क्षेत्र में यह वायरस ज्यादा फैला है उस क्षेत्र से 1 किलोमीटर के दायरे में जितने भी किसानों के द्वारा पक्षी पाले गए हैं उन सभी को मार दिया जाता है और 10 किलोमीटर के दायरे में जितने भी पक्षी पाले गए हैं उन्हें टेस्टिंग किया जाता है और उनकी एक्टिविटी पर नजर रखी जाती है।

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