परिचय :-
आजकल विद्युत ऊर्जा का उपयोग लगभग हर जगह होता है। इसलिए विद्युत की आपूर्ति पावर ग्रिड के द्वारा की जाती है। लेकिन यह ग्रीन पावर हर समय हर जगह और हमेशा उपलब्ध नहीं रहती है। और कई उपकरण ऐसी होती हैं जिन्हें एसी सप्लाई की जरूरत नहीं होती है, उन्हें DC सप्लाई की जरूरत होती है। ऐसे में हमें ऐसे सोर्स की जरूरत पड़ती है जो इसकी आवश्यकताओं को पूर्ति कर सके । अतः इसके लिए हम बैटरी (Battery in Hindi) का इस्तेमाल करते है।
हम लोग बैटरी का उपयोग ट्रकों, रेल के डिब्बों में लाइटिंग के लिए, बसों में , कारों आदि में अवश्य देखा होगा। हम लोग मोबाइल में भी बैटरी का एक छोटा रूप ही इस्तेमाल करते हैं। आजकल बैटरी का उपयोग बहुत ज्यादा होने लगा है। और आने वाले समय में ये बैटरी का उपयोग और तेजी से बढ़ेगा। इसके पीछे कारण ये है कि भविष्य में हम इलेक्ट्रिक कार का उपयोग करने वाले हैं। जो कि पूर्णतः बैटरी संचालित कार होगी। और यही हमारा भविष्य होगा।
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बैटरी क्या होता है (battery in Hindi):-
बैटरी (Battery in Hindi) वह युक्ति है, जिसमे हम विद्युत ऊर्जा की सप्लाई देकर एक रासायनिक क्रिया कराई जाती है। जिसके फलस्वरूप यह विद्युत ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा के रूप में एकत्रित कर लेती है। इसके बाद हमे इस ऊर्जा को आवश्यकतानुसार प्रयोग करते है।
अगर हम दूसरे भाषा में कहे तो पहले बैटरी को सप्लाई देकर चार्ज करते है। उसके बाद उस पर लोड देकर उसे डिस्चार्ज करते है। मुख्यताः सेलों में संयोजन को ही बैटरी कहा जाता है। अतः बहुत सारे सेलो को श्रेणी तथा समांतर क्रम में जोड़ एक पावर फूल बैटरी का निर्माण करते हैं। क्योंकि एक सेल के पास पावर बहुत कम होती है।
बैटरी बनाते समय यदि हम विद्युत धारा की क्षमता को बढ़ाना है तथा वोल्टता की क्षमता की नियत रखना है। तो हमे सेलों को समांतर क्रम में जोड़ते है। जिससे प्रत्येक की धारा क्षमता एक दूसरे से जुडती जाती है। और धारा क्षमता बढ़ जाती है। जबकि वोल्टाता क्षमता एक सेल के जितना ही रहती है।

यह अगर हमे सेल में वोल्टाता के क्षमता को बढ़ाना है। तथा धारण क्षमता को नियत रखना है तो हमे सेलों को श्रेणी क्रम में जोड़ा जाता है। जिससे प्रत्येक सेल की वोल्टेज क्षमता एक दूसरे से जुड़ जाती है। जबकि धारा क्षमता समान बनी रहती है।
यदि हमे दोनो धारा तथा वोल्टेज क्षमता दोनो बढ़ाना है तो हमे बहुत सारे सेलों को समांतर क्रम में जोड़कर उन सेलों के समूहों को श्रेणी क्रम के जोड़ देते हैं। जिसे वोल्टेज क्षमता तथा धारा क्षमता दोनो बढ़ते हैं।
बैटरी के प्रकार (Types of battery in Hindi):-
बैटरी मुख्यता दो प्रकार के होते हैं।
1. Primary battery
2. Secondary battery
प्राइमरी बैटरी (primary battery):-
यह बैटरी शुष्क सेल से बनी होती है। इनकी रासायनिक क्रियाएं रिवर्सिबल नहीं होती है यानी कि ये बैटरी रिचार्जेबल भी नहीं होती हैं।
सेकंडरी बैटरी (secondary battery):-
इस प्रकार की बैटरी में रासायनिक क्रियाएं रिवर्सिबल होती हैं। यानी कि ये बैटरी रिचार्जेबल होती है। इसमें बैटरी को बार-बार आवेशित तथा विसर्जित किया जा सकता है। इसे बैटरी को डीसी जनरेटर से जोड़ने पर चार्ज हो जाती हैं। तथा इसमें लोड जोड़ने पर डिस्चार्ज होती है। इसे प्रायः हम संचायक या स्टोरेज बैटरी कहते हैं।
इस आर्टिकल के जरिए हम केवल सेकेंडरी टाइप के बैटरी अर्थात रिचार्जेबल बैटरी के बारे में पड़ेंगे। जिससे हम संचायक बैटरी या स्टोरेज बैटरी कहते हैं।
संचायक बैटरी या स्टोरेज बैटरी की संरचना तथा कार्य सिद्धांत:-
स्टोरेज बैटरी की संरचना काफी सरल होती है। इसमें धनात्मक तथा ऋणात्मक दो प्लेट होती हैं जिसे हम इलेक्ट्रोड भी कहते हैं। यह दो प्लेटें इलेक्ट्रोड से भरे एक पात्र में डूबी रहती हैं। स्टोरेज या संचायक बैटरी प्रतिवर्ती विद्युत रासायनिक क्रियाएं पर आधारित होती है। जिसे हम रिवर्सिबल इलेक्ट्रो केमिकल रिएक्शन कहते हैं।
जब बैटरी के धनात्मक सिरे को दिष्ट धारा जनित्र के धनात्मक सिरे से तथा ऋणात्मक सिरे को जनित्र के ऋणात्मक सिरे से जोड़ते है, तो बैटरी आवेशित या चार्जिंग होने लगती है। लेकिन जब इन्ही बैटरी के धनात्मक तथा ऋणात्मक सिरे को लोड से जोड़ते हैं, तो यह बैटरी डिस्चार्ज होना शुरू कर देती है।
संचायक बैटरी या स्टोरेज बैटरी मुख्यत दो प्रकार के होते हैं।
- लेड एसिड संचायक बैटरी (Lead acid storage battery)
- एल्कलाइन स्टोरेज बैटरी (Alkaline storage battery)
लेड एसिड संचायक बैटरी (Lead acid storage battery):-
इसे हिंदी में सीसा अम्ल संचायक बैटरी कहते है। यह बैटरी दो प्रकार की होती हैं। पहला पोर्टेबल यानी की इस प्रकार की बैटरी एक स्थान से दूसरे स्थान तक आसानी से ले जाया जा सकता है। तथा दूसरा स्टेशनरी बैटरी जो एक जगह स्थित रहता है। ये मूवेबल नही होता है। इसमें हम पोर्टेबल बैटरी के संरचना के बारे में समझेंगे। पोर्टेबल बैटरी संरचना में निम्न भाग के होते है।
- धनात्मक तथा ऋणात्मक प्लेटें
- सेपरेटर (Separator)
- विद्युत अपघट्य (Electrolyte)
- आधान पात्र (Container)
- टर्मिनल पोस्ट (terminal post)
धनात्मक तथा ऋणात्मक प्लेटें : –
जैसा की हम जानते हैं कि बैटरी का निर्माण सेलों के संयोजन से होता है। इसमें प्रत्येक सेल में धनात्मक तथा ऋणात्मक प्लेटें होती है। चुकी बैटरी की धारा तथा तथा वोल्टेज क्षमता हमे बढ़ाना होता है। यदि कारण है कि हम धनात्मक तथा ऋणात्मक प्लेटों के समूहों का प्रयोग करते है। इसमें सभी धनात्मक प्लेटों को एक दूसरे से कनेक्टिंग स्ट्रिप के जरिए जोड़ कर एक धनात्मक प्लेट समूह बनाते है। जो धनात्मक प्लेट या धनात्मक इलेक्ट्रोड के नाम से जाना जाता है। इसे हम एनोड भी कहते है।
इसी प्रकार ऋणात्मक प्लेट को भी बनाया जाता है। जिसे हम कैथोड इलेक्ट्रोड कहते है।
इसमें इस्तेमाल होने वाले प्रत्येक प्लेट एंटीमैनी तथा लेड के मिश्र धातु की बनी होती है। जो जालीनुमा ग्रिड जैसी होती है। यह जालीनुमा ग्रिड एक प्रकार के एक्टिव मैटेरियल से ढकी होती है। यह एक्टिव मैटेरियल जालीदार ग्रिड वाले प्लेट को सपोर्ट देने के साथ साथ इसमें विद्युत धारा के संचालन में भी सहायक होती है।
सामान्यतः दोनो प्रकार के प्लेटें (धनात्मक तथा ऋणात्मक) के ग्रिड की डिजाइन लगभग समान होती है। लेकिन ऋणात्मक प्लेट अपेक्षाकृत थोड़ा हल्का होता है।
चुकी इस धनात्मक तथा ऋणात्मक प्लेटों को बनाए के लिए कुछ विधियों को अपनाना पड़ता है। ये विधियां निम्न है।
- Plante method
- Faure method
इन दोनो विधियों में प्लेट बनाने का बेसिक कांसेप्ट लगभग समान ही होता है। अतः हम इसके प्लेट बनाते के सिद्धांत को समझना चाइए।
प्लेट बनाने का सिद्धांत :-
प्लेट बनाने का मूल सिद्धांत ये होता है कि इसमें दो लेड के बने प्लेट लिया जाता है। तथा इन प्लेटों को तनु गंधक अम्ल यानी H2SO4 के घोल में डुबोया जाता है। इस तनु गंधक अम्ल को ही इलेक्ट्रोलाइट कहते है। इसमें यह ध्यान दिया जाता है कि तनु गंधक अम्ल की विशिष्ट घनत्व 1.2 हो।
अब इस डुबोए गए प्लेटों से 230 volt की सप्लाई जोड़ते है। जिसके सीरीज में एक प्रतिरोध या बल्ब लगाया जाता है। जब सप्लाई जोड़ा जाता है तो हम देखते है की प्लेटो की सतह से बुलबुले उठने शुरू हो जाते हैं। जब कुछ समय बीत जाता है तो हम देखते हैं कि इसमें से एक प्लेट का रंग गाढ़ा चकलेटी भूरा रंग का हो जाता है। जबकि दूसरा लगभग पहले के जैसे हल्का स्लेटी कलर का होता है। यदि हम ध्यान से देखें तो हमें यह दिखाई देगा कि जो दूसरी प्लेट है जो हल्का स्लेटी रंग का है उसके सतह पर ठोस धात्विक लेड से स्पंजी शीशे की जैसी हो जाती है।
जो प्लेट गाने चॉकलेटी रंग की होती है वह प्लेट धनात्मक तथा वह प्लेट जो स्पंजी और स्लेटी रंग की होती है वह ऋण आत्मक प्लेट होती है।
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पृथक्कारी या सेपरेटर:-
यह सेपरेटर बैटरी (Battery in Hindi) के अंदर रखी धनात्मक तथा ऋणात्मक प्लेटो को एक दूसरे से अलग यानी कि इंसुलेटेड रखते हैं ताकि यह दोनों प्लेट आपस में एक दूसरे से शॉर्ट सर्किट ना हो। यह सेपरेटर जालीनुमा या छिद्र युक्त होते हैं ताकि इनके बीच से इलेक्ट्रोलाइट गुजर सके तथा उनका परिचालन आसानी से हो सके। यह सेपरेटर खास तरह के छिद्र युक्त, कांच, रूई या माइक्रोपोरोस प्लास्टिक से बने होते हैं। कभी-कभी इसमें छिद्र किए हुए पीवीसी का भी इस्तेमाल किया जाता है।
विद्युत अपघट्य या इलेक्ट्रोलाइट :-
यह इलेक्ट्रोलाइट एक प्रकार का घोल होता है। जो कि अलग-अलग प्रकार के बैटरी के लिए अलग-अलग प्रकार के इलेक्ट्रोलाइट का प्रयोग होता है। अगर हम लेड एसिड बैटरी की बात करें तो इसमें गंधक के अम्ल का इस्तेमाल इलेक्ट्रोलाइट के रूप में किया जाता है। इसके लिए इलेक्ट्रोलाइट बनाने के लिए गंधक अम्ल एक भाग तथा आसुत जल 3 भाग मिलाकर बनाया जाता है। इस विद्युत अपघट्य को बैटरी के अलग-अलग कक्षाओं में भर दिया जाता है। जिसमें प्लेटें इस इलेक्ट्रोलाइट से डूबी रहती हैं।
आधान पात्र या कंटेनर :-
इसी आधान पात्र में सभी प्रकार के भाग जैसे इलेक्ट्रोड, सेपरेटर तथा इलेक्ट्रोलाइट भरा जाता है। यह एक बॉक्स नुमा आकार का होता है। यह वल्केनाइज्ड रबर या कठोर रबर, मोल्डिंग प्लास्टिक का बना होता है। वालकैनाइज रबड़ से बने कंटेनर वाले बैटरी या कठोर रबर से बने कंटेनर वाले बैटरी का उपयोग कारों, ट्रकों, रेलगाड़ियों आदि में किया जाता है। जबकि कांच के बने आधान पात्रों का प्रयोग विभिन्न प्रकार के प्रकाश प्लांट में किया जाता है।

Terminal post: –
यह धनात्मक तथा ऋणात्मक प्लेट से निकला हुआ टर्मिनल होता है। इसे एक धनात्मक टर्मिनल पोस्ट होता है तथा दूसरा ऋणात्मक टर्मिनल पोस्ट होता है। धनात्मक टर्मिनल तथा ऋणात्मक टर्मिनल में थोड़ा सा अंतर होता है। इसमें धनात्मक वाले टर्मिनल का व्यास थोड़ा ज्यादा होता है ऋणात्मक वाले टर्मिनल के व्यास से।
क्षारीय संचायक बैटरी (Alkaline storage battery):-
क्षारीय संचायक बैटरी (Battery in Hindi) लेड एसिड बैटरी की तरह ही होती है। जो विद्युत ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा के रूप में एकत्रित करती हैं। इसमें भी धनात्मक तथा ऋणात्मक प्लेटें होती हैं। जो इलेक्ट्रोलाइट में डूबी रहती हैं। हालांकि इसमें अलग प्रकार के इलेक्ट्रोलाइट का इस्तेमाल किया जाता है।
प्लेटो के आधार पर क्षारीय संचायक बैटरी दो प्रकार की होती हैं।
1. निकिल लोह क्षारीय संचायक बैटरी
2. निकील कैडमियम क्षारीय संचायक बैटरी
बैटरी की दक्षता (Efficiency of battery in Hindi):-
किसी भी बैटरी या सेल की दक्षता मुख्य रूप से दो प्रकार से ज्ञात की जा सकती है।
1. एम्पियर – घंटा दक्षता
2. वाट – घंटा दक्षता