परिचय(Introduction to armature reaction in hindi)
आर्मेचर रिएक्शन(armature reaction in Hindi) डीसी मशीन (डीसी मोटर तथा डीसी जनरेटर) के अंदर होने वाली एक क्रिया है। डीसी मशीन में हमने इस आर्मेचर एक्शन का एक छोटा सा परिचय दिया था। इस पोस्ट के द्वारा हम लोग इसे विस्तार से समझेंगे।
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डीसी मशीन में होने वाली विभिन्न प्रकार की क्रियाएं ।
आर्मेचर रिएक्शन क्या है (What is armature reaction in Hindi)
डीसी मशीन के अंदर जब लोड बढ़ता है तो हम जानते हैं कि armature चालक में भी एक ईएमएफ उत्पन्न होता है। चुकी लोड जुड़ा होने के कारण armature Conductor में एक armature करंट बनता है। अब जब यह धारावाही आर्मेचर चालक एक चुंबकीय क्षेत्र में घूमता है, तो आर्मेचर भी आर्मेचर फ्लक्स पैदा होता है। जो कि मुख्य फील्ड फ्लक्स को प्रभावित करता है। इसे ही आर्मेचर रिएक्शन कहते हैं। अगर इसे एक लाइन में कहा जाए तोआर्मेचर फ्लक्स φa का मुख्य फील्ड फ्लक्स φf पर प्रभाव को आर्मेचर रिएक्शन कहते हैं।

आर्मेचर रिएक्शन मशीन पर दो तरीके से प्रभाव पड़ता है।
- अनु चुंबकीय प्रभाव (demagnetizing effect)
- प्रति चुंबकीय प्रभाव (cross magnetising effect)
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अनु चुंबकीय प्रभाव (Demagnetizing effect of armature reaction)
अनु चुंबकीय प्रभाव के कारण मशीन में पृथ्वीपुर फ्लक्स का मान घट जाता है। जिससे यदि हम डीसी मशीन को जनरेटर के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं तो यह emf सूत्र E0 = P φZN /60A के अनुसार इसका ईएमएफ घटेगा।
यदि हम मशीन को मोटर के रूप में इस्तेमाल करें करते हैं तो इसकी बल आघूर्ण सूत्र (T∝KφIa) के अनुसार इसका बल आघूर्ण घट जाता है।
अनु चुंबकीय प्रभाव पैदा करने वाले आर्मेचर चालक
जैसा कि मैंने डीसी मशीन वाले पोस्ट में बताया था कि डीसी जनरेटर के लोड की स्थिति में MNA जनरेटर के घूमने की दिशा में खिसकेगा। जबकि मोटर की लोड की स्थिति में MNA मोटर के घूमने की विपरीत दिशा में खिसकेगा।

चित्र अनुसार आप देख सकते हैं की GNA Θ डिग्री मशीन के घूमने की दिशा में खिसकाया गया है, तथा Θ डिग्री मशीन के घूमने की विपरीत दिशा में दिखाया गया है। यह क्रमशः जनरेटर तथा मोटर के लिए MNA की स्थिति को दर्शाया गया है।
अब आप दिए गए चित्र में देखेंगे की इसमें जो 2Θ कोण के बीच में जितने सारे आर्मेचर चालक है ये वही चालक है जो मशीन मे डिमैग्नेटाइजिंग इफेक्ट पैदा करते हैं। इस चित्र में 2θ ऊपर तथा 2θ नीचे के चालक हैं जो डिमैग्नेटाइजिंग इफेक्ट पैदा करते हैं।
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आर्मेचर रिएक्शन का प्रतिचुंबकीय प्रभाव(Cross magnetizing effect of armature reaction)
आर्मेचर रिएक्शन का दूसरा प्रभाव क्रॉस मैग्नेटाइजिंग होता है। इस प्रभाव के बढ़ने से मशीन में आयरन हानि बढ़ जाता है। पुअर कंप्यूटेशन के साथ-साथ कमयुटेटर तथा ब्रश के संपर्क सतह पर बहुत ज्यादा स्पार्किंग बढ़ जाती है।
क्रॉस मैग्नेटाइजिंग इफेक्ट उत्पन्न करने वाले चालक:-आप चित्र में देख सकते हैं कि जो 4θ के चालक है उनको छोड़कर बाकी के जो भाग वाला (360 – 4θ) armature चालक बचे हैं, वे सब प्रति चुंबकीय प्रभाव उत्पन्न करते हैं।

नोट:- जैसा कि हम जानते हैं कि मशीन के ब्रश को MNA पर रखना चाहिए लेकिन लोड बढ़ने पर MNA खिसक जाता है। अतः यदि हम ब्रश को भी खिसकाकर MNA पर ला दें, तो मशीन में जो अनु चुंबकीय प्रभाव 4Θ कोण के बनने से हो रही है, वह शून्य हो जाएगी तथा मशीन में सिर्फ क्रॉस मैग्नेटाइजिंग इफेक्ट बचेगी।
आर्मेचर रिएक्शन को कम करने की विधियां (Methods of minimising the effect of armature reaction)
आर्मेचर रिएक्शन को हम निम्न विधियों द्वारा कम कर सकते हैं।
- कंपनसेटिंग बैंडिंग का उपयोग करके(by using compensating winding)
- इंटरपोल का उपयोग करके(by using Interpol)
- स्ट्रांगमैन फील्ड का प्रयोग करके(by using strong man field)
- आर्मेचर फ्लक्स के पथ का reluctance बढ़ाकर(by increasing the reluctance of armature flux path)
- उच्च reluctance वाले पोल टिप का प्रयोग करके(by increasing the reluctance of pole tip)
कंपनसेटिंग वाइंडिंग का उपयोग करके(By using compensating winding)
आर्मेचर रिएक्शन को कम करने के लिए पोल फेस मे एक वाइंडिंग लगाए जाता है। जो compansating वाइंडिंग कहलाता है। यह वाइंडिंग भी दो प्रकार की वाइंडिंग होती है।
- कंडक्टिविली compansated वाइंडिंग
- इंडक्टिविली compansated वाइंडिंग
Conductivily compansated winding:-
यह बाइंडिंग आर्मेचर की सीरीज में जोड़ी जाती है लेकिन इसमें धारा की दिशा आर्मेचर के धारा की दिशा के विपरीत होती है। इसमें आपको चित्र दिख रहा होगा कि आर्मेचर चालक में जिस और धारा की दिशा क्रॉस (×) से दिखाया गया है, उस ओर के कंपनसेटिंग बैंडिंग में धारा की दिशा डॉट (.) से दिखाया गया है।

इसमें धारा की दिशा विपरीत होने से उस compansated बैंडिंग के कारण उत्पन्न हुई फ्लक्स, आर्मेचर फ्लक्स के विपरीत होती है, जो कि आर्मेचर फ्लक्स के प्रभाव को कम कर देते हैं। जिससे यह मशीन में क्रॉस मैग्नेटाइजिंग के प्रभाव को कम कर देती है यह है मैंने पहले की अपेक्षा कम खिसकता है।
Inductively compansated winding:-
यह वाइंडिंग आर्मेचर के सीरीज में नहीं जुड़ा होता है। यह बाइंडिंग आपस में शॉर्ट सर्किट रहते हैं, तथा यह वाइंडिंग भी पोल फेस पर ही लगाया जाता है। बाइंडिंग शॉर्ट सर्किट होने के कारण इसमें भी उतना ही धारा बनती है जितना कि आर्मेचर में बहती है। अतः इस winding में उत्पन्न फ्लक्स के कारण आर्मेचर फ्लक्स का प्रभाव कम हो जाता है।

इंटरपोल का इस्तेमाल करके Armature reaction को कम करना (by use of interpole)
यह एक छोटा साइज का पोल होता है। जो मेन पोल (main pole) के बीच में लगाया जाता है। यह आर्मेचर की सीरीज में जुड़ा होता है। इसलिए इस इंटरपोल में भी करंट का मान आर्मेचर करंट के बराबर होता है। लेकिन इसमें धारा की दिशा विपरीत होती है।

इंटरपोल को tappered बनाया जाता है जैसे कि चित्र में दिख रहा है। इसको इस आकार का बनाने के पीछे एक कारण है। इसका ऊपर के सिरा चौड़ा होता है तथा नीचे का शीरा कम चौड़ा होता है। सूत्र B = φ/A से पता चलता है कि चौड़े वाले भाग में फ्लक्स घनत्व का मान घट जाता है। अतः बहुत कम संभावना होती है कि इंटरपोल, लोड बढ़ने पर saturate हो जाए।इंटरपोल लगाने से आर्मेचर रिएक्शन का प्रति चुंबकीय प्रभाव कम हो जाता है। जिससे कंप्यूटेशन में सुधार आता है।
स्ट्रांग मेन फील्ड का उपयोग करके आर्मेचर रिएक्शन को कम करना (by using strong main field)
जब हम डीसी मशीन का निर्माण कर रहे होते हैं तो उसी समय हमें या ध्यान देना होता है कि जो मुख्य फील्ड का mmf होता है वह फुल लोड पर उत्पन्न हो रहे आर्मेचर mmf से अधिक हो। अगर हम यह बात ध्यान देकर मुख्य फील्ड का निर्माण करते हैं तो मशीन का आर्मेचर रिएक्शन कम हो सकता है।
आर्मेचर फ्लक्स पथ में reluctance को बढ़ाकर आर्मेचर रिएक्शन को कम करना (by increasing the reluctance in armature flux path)
इस विधि में आर्मेचर फ्लक्स के पत्र में रिलायंस की मांग को बढ़ाने के लिए एयर गैप बनाते हैं। जिससे आर्मेचर फ्लक्स का प्रभाव कम हो जाता है। और आर्मेचर रिएक्शन कम हो जाता है।
इसमें जब हम मुख्य पोल का निर्माण करते हैं तो उसमें आयताकार के साइज का पंचिंग कर देते हैं जैसा कि चित्र में दिख रहा है जिसे हम रैक्टेंगुलर पंचिंग कहते हैं। या हम कहें तो मेन पोल में आयताकार एयर गैप (air gap) बना देते हैं जोकि high reluctance का होता है। जब आर्मेचर फ्लक्स इस एयर गैप से होकर जाती है तो उच्च reluctance होने के कारण इसका प्रभाव कम हो जाता है

नोट:- इसमें rectangular punching से में फिल्ड flux बहुत कम प्रभावित होता है।
उच्च reluctance पोल टिप का इस्तमाल करके(by using high reluctance pole tip)
इसमें pole tip पर छोटे-छोटे एयर गैप बना देते हैं। जिससे आर्मेचर फ्लक्स पथ में reluctance का मान बढ़ जाता है और आर्मेचर रिएक्शन (Armature reaction in hindi) का मान कम हो जाता है।

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भाई बहुत सुंदर तरीके से लिखा गया है ।
Very helpfull 🥰🥰👌👌
Thanks brother….!