AC Fundamental in Hindi | Average value in hindi | RMS value in hindi

AC Fundamental in Hindi | Average value in Hindi | RMS value in Hindi | अल्टरनेटिंग करेंट के मूलभूत सिद्धांत | Form factor in Hindi | Peak factor in Hindi | Faraday’s law of electromagnetic induction | types of induced emf in Hindi | statically induced emf | dynamically induced emf | Mutual induced EMF | Self induced EMF

परिचय:-

हमारे इलेक्ट्रिकल के क्षेत्र में सबसे बड़े लेवल पर अगर कोई करंट का उपयोग किया जाता है तो वह है अल्टरनेटिंग करंट। यह करंट पावर सप्लाई के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। आज के इस पोस्ट में हम अल्टरनेटिंग करंट के मूलभूत सिद्धांतों (AC Fundamental in Hindi) को समझेंगे।

अल्टरनेटिंग करेंट के मूलभूत सिद्धांत (AC Fundamental in Hindi):

इसके अंतर्गत बहुत सारी महत्वपूर्ण बातों को डिस्कस करेंगे। अतः हम एक एक हेडिंग के द्वारा समझते हैं।

Faraday’s law of electromagnetic induction:

चित्र में आपको एक टर्न को coil दिख रही होगी। इस एक टर्न की क्वायल में आपको दो चालक a & b मिलेंगे और इस 1 TURN की क्वायल मे  coil side दो होगा। चाहे क्वायल में कितना भी टर्न हो लेकिन क्वायल साइड दो ही होता है।

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AC Fundamental in Hindi

चुकी इस कुंडली में जो कि एक टर्न का है चालकों की संख्या दो है तो इससे स्पष्ट होता है। की जितने टर्न की कुंडली होगी। उसमें चालक की संख्या टर्न की संख्या के दोगुनी होगी।

No. Of conductor = 2× turn

First law of faraday:

आपको चित्र में एक coil दिख रही होगी। इसमें coil N turn की है। और flux φ है। जो को इस coil से होकर गुजर रहा है। जिससे flux linkages Nφ होगा।

AC Fundamental in Hindi

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अब फराडे के अनुसार अगर किसी कुंडली में लिंक या लिंकेज होने वाले फ्लक्स समय के साथ बदले तो कुंडली के दोनों सिरों पर एक ईएमएफ पैदा होगा।

और यह यह emf फ्लक्स के समय के साथ बदलने की प्रवृत्ति पर निर्भर करता है। और यदि परिपथ पूरा होता है तो क्वायल में एक ईएमएफ के कारण धारा बहती है। उदाहरण के लिए मान लीजिए की क्वायल के दोनों टर्मिनल पर हम एक लोड या रेजिस्टेंस जोड़ देते हैं। और उसके बाद उस क्वायल से फ्लक्स लिंकेज की परिवर्तन दर को बढ़ाते हैं।

कुंडली से जुड़े उस रजिस्टेंस के कारण एक धारा फ्लो कराती है, जो कि उस रेजिस्टेंस या लोड से होकर गुजरती है। और यह उत्पन्न हुई धारा उसी कारण का विरोध करती है जिससे वह उत्पन्न हुई है। मतलब कि यह फ्लक्स का समय के साथ परिवर्तन करने का विरोध करती है। विरोध की क्रिया इस प्रकार होती है कि जैसे जब धारा बहती है तो धारावाहिक कुंडली खुद एक चुंबक की तरह व्यवहार करने लगता है। और यह उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र उस फ्लक्स परिवर्तन कर रहे चुंबकीय क्षेत्र का विरोध करने लगती है। 

नोट: यह जो धारा लोड में बह रही है उस प्रेरित धारा की दिशा हम लेंज लॉ से निकालते हैं।

फैराडे का दूसरा नियम (second law of faraday):

कुंडली में फ्लक्स परिवर्तन के कारण उत्पन्न हुआ ईएमएफ निम्न प्रकार होता है।

e = -(Ndφ)/dt

जहां e ईएमएफ है।
ऊपर के समीकरण को हम इस प्रकार से भी लिख सकते हैं।
e = -d (Nφ)/dt

जहां Nφ फ्लक्स लिंकेज है। यहां पर नेगेटिव साइन लैंज लॉ से आता है। यह नियम ऊर्जा के संरक्षण के सिद्धांत पर कार्य करता है। मतलब की प्रेरित धारा की दिशा उसी कारण का विरोध करती है जिससे वह खुद उत्पन्न हुई है।

उत्पन्न emf के प्रकार (types of induced emf):

  1. स्टेटकली इंड्यूस्ड ईएमएफ (statically induced emf)
  2. डायनामेटिकली इंड्यूस्ड ईएमएफ (dynamically induced emf)

डायनामेटिकली इंड्यूस्ड ईएमएफ (dynamically induced emf):

यदि क्वायल और फील्ड फ्लक्स के बीच सापेक्ष गति होती है तो उस स्थिति में जो ईएमएफ उत्पन्न होता है उसे हम डायनैमेटिक इंड्यूस्ड ईएमएफ कहते हैं। उदाहरण के लिए आप जनरेटर अल्टरनेटर के वर्किंग प्रिंसिपल को देख सकते हैं यह जनरेटर अल्टरनेटर डायनामेटिकल इंड्यूस्ड ईएमएफ के सिद्धांत पर कार्य करते हैं।

स्टेटकली इंड्यूस्ड ईएमएफ (statically induced emf):

यदि क्वायल और फील्ड फ्लक्स के बीच कोई सापेक्ष गति नहीं होती है। यानी की क्वायल और फील्ड फ्लक्स दोनों स्थिर होते हैं उसके बाद भी अगर क्वायल में कोई emf उत्पन्न होता है तो उसे हम स्टैटिकली इंड्यूस्ड ईएमएफ कहते हैं।

स्टैटिकली इंड्यूस्ड ईएमएफ दो प्रकार के होते हैं।

  1. Self induced EMF
  2. Mutual induced EMF

Self induced EMF:

अगर क्वायल में खुद की फ्लक्स चेंज होने के कारण EMF उत्पन्न होता है तो उसे हम सेल्फ इंड्यूस्ड ईएमएफ कहते हैं। ऑटो ट्रांसफॉर्मर पूरी तरह से सेल्फ इंडक्टेंस के सिद्धांत पर कार्य करता है।

Mutual induced EMF:

यदि कोई coil में बगल के क्वायल में फ्लक्स के चेंज होने से ईएमएफ उत्पन्न होता है तो उसे हम म्यूचुअल इंड्यूस्ड ईएमएफ कहते हैं। ट्रांसफार्मर इंडक्टेंस के सिद्धांत पर ही कार्य करता है ऑटो ट्रांसफार्मर को छोड़कर।

नोट:- ट्रांसफार्मर की एफिशिएंसी 98% तक होती है जो कि बहुत ही उच्च होती है। इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण यह है कि ट्रांसफार्मर में किसी भी प्रकार की मूविंग पार्ट नहीं होते हैं। जिससे कि इसमें लॉसेज कम होते हैं। जबकि यदि हम इंडक्शन मोटर की बात करें तो इंडक्शन मोटर भी म्यूचुअल इंडक्टेंस के सिद्धांत पर ही कार्य करता है। लेकिन इसकी एफिशिएंसी 85% परसेंट होती है, फुल लोड के स्थिति में। क्योंकि इंडक्शन मोटर में मूविंग पार्ट्स होते हैं। और इसी कारण इसमें हानि ज्यादा बढ़ जाती है।

अल्टरनेटिंग क्वांटिटी के अलग-अलग मान (different value of alternating quantity):

एक अल्टरनेटिंग क्वांटिटी के अलग-अलग प्रकार के मान होते हैं जो कि हम आपको नीचे दे रहे हैं।

  1. Instantaneous value
  2. Maximum value/peak value/crest value
  3. Average value
  4. RMS value (root mean squire value)

Instantaneous value:

किसी क्षण पर अल्टरनेटिंग quantities में इसका जो मान होता है उसे ही हम इंस्टैन्टेनियस वैल्यू कहते हैं।

Maximum value/peak value/crest value:

यह अल्टरनेटिंग क्वांटिटीज का मैक्सिमम इंस्टैन्टेनियस वैल्यू होता है।

Average value in Hindi:

किसी भी अल्टरनेटिंग क्वांटिटीज के सिग्नल का एवरेज वैल्यू निकालने के लिए पहले हम उस सिग्नल का आवर्तकाल निकालते हैं। उसके बाद उस सिग्नल का क्षेत्रफल। और उसके बाद आवर्तकाल में क्षेत्रफल का भाग देने पर हमारा एवरेज वैल्यू प्राप्त होता है। उदाहरण के लिए आप इस नीचे दिए गए सिग्नल का एवरेज वैल्यू देख सकते हैं। इसमें आपको रैक्टेंगुलर अल्टरनेटिंग क्वांटिटीज को दिखाया गया है।

जिसमें एवरेज वैल्यू निकालने के लिए पहले हम उसका आवर्तकाल निकालेंगे तो हम देखते हैं कि इसका आवरतकाल 2 है। क्योंकि 2 के बाद वही प्रक्रिया फिर दोहराई जा रही है। अतः हमारा आवर्तकाल (time period) 2 है। उसके बाद हम इसमें सिग्नल में जो रैक्टेंगुलर फॉर्म में है उसका हम क्षेत्रफल निकालेंगे। और इन दोनो को भाग दे देंगे। तो हमारा एवरेज वैल्यू आ जायेगा।

Average value = (2×1 + 0)/2 = 1

यदि हमें एक सिमिट्रिकल वेव फॉर्म का एवरेज वैल्यू निकालना है तो सिमिट्रिकल वेव फॉर्म के स्थिति में टाइम पीरियड निकालने के लिए उस वेव फार्म का आधा साइकिल ही उसका टाइम पीरियड होता है या आवर्तकाल होता है।

यदि कोई अल्टरनेटिंग क्वांटिटी का ऐसा सिग्नल है। जोकि अनसिमिट्रिकल है।  तो यदि उसका हम एवरेज वैल्यू निकालेंगे तो उसमें जो कांस्टेंट वैल्यू होता है वही एवरेज वैल्यू का मान होता है।

जैसे कि आप उदाहरण के तौर पर इस नीचे दिखाए गए अनसिमिट्रिकल सिग्नल के मान में आप देख सकते हैं कि कांस्टेंट वैल्यू 10 है।  और सिमिट्रिकल वैल्यू 10 sin ωt है जिसमें से हमारा एवरेज वैल्यू सिर्फ 10 ही लिया जाएगा क्योंकि इसमें कांस्टेंट वैल्यू ही एवरेज वैल्यू का मान होता है।

i = 10 + 10 sin ωt

10 = constant value
10 sin ωt= symmetrical value

Constant + symmetrical value= Unsymmetrical wave form

नोट: PMMC टाइप इंस्ट्रूमेंट सिग्नल का सिर्फ एवरेज वैल्यू रीड करता है।

RMS value in Hindi:

किसी भी अल्टरनेटिंग quantities के सिग्नल का आरएमएस मान निकालने के लिए सबसे पहले उस सिग्नल का एवरेज मान निकालते हैं  फिर उस एवरेज मान को अंडर रूट में रख देते हैं इसके बाद जो हमारा मान आता है वही हमारा आरएमएस मान होता है।

आरएमएस मान हमेशा एवरेज मान से अधिक होता है रैक्टेंगुलर वेवफॉर्म को छोड़कर। रैक्टेंगुलर वेवफॉर्म में RMS मान, एवरेज मान के बराबर होता है।

नोट: –

  • एक मूविंग आईरन इंस्ट्रूमेंट सिर्फ सिग्नल का आरएमएस वैल्यू ही रीड करता है।
  • डीसी सिग्नल के केस में आरएमएस वैल्यू और एवरेज वैल्यू का मान समान होता है। क्योंकि इसमें कोई सिनुसोइडल वेव फॉर्म (sinusoidal wave form) नहीं होता है।

अल्टरनेटिंग क्वांटिटी के अलग-अलग फैक्टर(different factors of alternating quantities):

इसके अलावा अल्टरनेटिंग के अलग अलग फैक्टर भी होते हैं।

1. Form factor
2. Peak factor or crest factor

Form factor in Hindi:

Form factor,  RMS value और एवरेज वैल्यू का ratio होता है।

Form factor= RMS value/ Average value

Significant of farm factor:

1. फॉर्म फैक्टर किसी भी वेव फॉर्म के shape को या आकार को जस्टिफाइड करता है।
2. हमें पता है कि ट्रांसमिशन लाइन में जो पावर को हम ट्रांसमिट करते हैं वह अलग-अलग वोल्टेज लेवल पर किया जाता है जैसे कि, 11kv 33kv 66kv 132kv  220kv यह सब जो वोल्टेज लेवल है यह सब हमारा 11 kv के मल्टीप्लायर्स है या गुणक हैं।
3. यह सब जो ट्रांसमिशन वोल्टेज है यह फॉर्म फैक्टर के आधार पर चुना जाता है।

Peak or crest factor in Hindi:

एक अल्टरनेटिंग क्वांटिटीज का पीक फैक्टर (peak factor in Hindi), मैक्सिमम वैल्यू और आरएमएस वैल्यू का ratio होता है।

Peak factor= maximum value/RMS value

Note:- पीक फैक्टर या मैक्सिमम फैक्टर या क्रिस्ट फैक्टर किसी भी इंसुलेटिंग मैटेरियल के डायलेक्टिक स्ट्रैंथ के बारे में जानकारी देता है। कि जैसे कि उदाहरण के तौर पर एयर का नार्मल टेंपरेचर और प्रेशर पर डाइलेक्ट्रिक स्ट्रैंथ 3 केवी/ एमएम होता है। यह 3 केवी मान पीक वैल्यू होता है।

अलग-अलग प्रकार के अल्टरनेटिंग सिग्नल के लिए अलग-अलग प्रकार के मान (different values of different type of signals):

TYPE OF WAVEAVERAGE VALUERMS VALUEFORM FACTORPEAK FACTOR
SINUSOIDAL WAVE2VmVm/√2=0.7071.111.414
HALF WAVE RECTIFIER SIGNALVmVm/21.572.0
FULL WAVE RECTIFIER SIGNAL2VmVm/√2=0.7071.111.414

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