मोटर क्यों शुरू में अधिक करंट लेता है? why motor takes more current at Starting

परिचय:-

दोस्तों , यदि हम सभी प्रकार के मोटर की जनरल बात करें तो आपको बता दे को सभी मोटर स्टार्टिंग में ज्यादा करेंट लेती है। और जब वह मोटर अपना फुल स्पीड पर चलें लगती है तो कम करंट लेने लगती है। ऐसा क्यों होता है। इसी को हम अच्छे से समझेंगे।

सामान्य उदाहरण :-

दोस्तों इसको समझने से पहले हम पहले कुछ सामान्य उदाहरण से समझते है। यदि आप मान लीजिए की कोई वस्तु जमीन पर रखीं है। जो कि थोड़ा वजन वाला है।

अब जब आप उसे धक्का देकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने की कोशिश करेंगे तो आपको शुरू में ज्यादा बल लगा कर उसे खिसकाने की जरूरत होती है।

लेकिन जब आप ज्यादा बल लगाकर उस वस्तु को खिसका देते हैं तो अब उस वस्तु पर आप कम बल लगाकर लगातार धकेलते रहेंगे। यानी की आपने शुरू में ज्यादा बल लगाया है। यही बल जो आप शुरू में ज्यादा लगा कर उसे खिसकाए हैं। यूज ही मोटर के लिए स्टार्टिंग टॉर्क यानी की शुरुआती टॉर्क होता है।

आप दूसरे उदाहरण से ये समझिए की यदि आप साइकिल चलाते है तो शुरू के आपको ज्यादा बल लगाकर उसे चलन पड़ता है। लेकिन जब साइकिल चल जाती है तो वह आसानी से चलने लगती है। और पहले की अपेक्षा कम बल लगता है। यानी की साइकिल चलाने में भी शुरू में ज्यादा टॉर्क की जरूरत पड़ेगी।

आप इसको अपने लाइफ में करियर को लेकर भी समझ सके है। जैसे को आपको अपना करियर बनाने के लिए शुरू में काफी ज्यादा मेहनत करना पड़ता है। और जब आप कुछ बन जाते हो तो लाइफ आपकी चल पड़ती है जिसमे आपको कम मेहनत करके भी काम चल जाता है।

इसी प्रकार मोटर भी हमारे समाज और अन्य फिजिकल क्रियाओं का भाग है। अतः मोटर को भी शुरू में चलने के लिए जुड़ा टॉर्क को जरूरत होती है।

शुरू में मोटर ज्यादा करेंट क्यों लेती है:-

अब हम अपने मुख्य सवाल पर आते हैं। हम जान चुके है की मोटर को शुरू में जुड़ा टॉर्क की जरूरत पड़ती है। और ज्यादा स्टार्टिंग टॉर्क बनाने के लिए मोटर सप्लाई से ज्यादा करेंट लेती है। लेकिन इसमें क्या क्रिया होती है की मोटर ज्यादा करेंट लेने लगती है। आइए इसको समझते हैं।

प्रतीकात्मक चित्र

एक मोटर में जब हम सप्लाई देते है तो मोटर में दो वाइंडिंग होती है। पहला फील्ड winding और दूसरा रोटर वाइंडिंग। तो सप्लाई देने पर फील्ड वाइंडिंग में एक रोटेटिंग मैग्नेटिक फील्ड पैदा होता है। माना की मोटर चार पोल की है तो सूत्र NS = 120f/P के अनुसार रोटेटिंग फील्ड का स्पीड 1500 RPM होता होगा। जहां NS = synchrounous speed है।

अब जब फील्ड वाइंडिंग 1500 rpm से घूम रही हैं। जिससे रोटेटिंग मैग्नेटिक फील्ड,  रोटर के वाइंडिंग को उसी स्पीड से काटेगी। जिससे रोटर में ईएमएफ उत्पन्न होगा। जिसके कारण रोटर में एक करेंट भी उत्पन्न होगा।

यह current, lenz law के अनुसार उसी कारण का विरोध करेगी जिससे यह उत्पन्न हुई है। अतः यह रोटेटिंग मैग्नेटिक फील्ड के घूमने का विरोध करेगी।

और उसका विरोध करने के लिए रोटर की वाइंडिंग भी रोटर को उसी की दिशा (रोटेटिंग मैग्नेटिक फील्ड की दिशा ) में घूमने के लिए रोटर पर एक बल लगाएगी। जिसे रोटर घूमना प्रारंभ कर देगा।

जब रोटर शुरुआती में स्थिर था तो उस समय ज्यादा स्टार्टिंग में ज्यादा स्टार्टिंग टॉर्क की जरूरत थी। अतः उस समय मोटर सप्लाई से अधिक करेंट लेकर रोटर को घूमना शुरू कर देगी।

जैसे जैसे रोटर स्पीड पकड़ेगा वैसे वैसे ही रोटर और रोटेटिंग मैग्नेटिक फील्ड की बीच सापेक्ष गति कम होगी। माना रोटर की गति 1000 rpm हो गई तो दोनो के बीच का गति का अंत सिर्फ 500 rpm (1500-1000) ही रह गई है। जिसे रोटर अब और कम करेंट लेगी।

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