इलेक्ट्रिक कार के मुख्य पार्ट के नाम बताओ? : इंटरव्यू सवाल

परिचय:

आज कल के समय में धीरे धीरे इलेक्ट्रिक कार फेमस होने लगा है। विभिन्न देश के सरकार भी इलेक्ट्रिक कार को उसे करने के लिए प्रोत्शाहीत कर रही है। अतः इसके बारे में आपको जानना जरूरी है कि इसमें कौन कौन से मुख्य कंपोनेंट लगे है। तथा उन कंपोनेंट का अलग अलग इस्तेमाल क्या है। अतः आज के इस पोस्ट के माध्यम से एक इलेक्ट्रिक कार के महत्वपूर्ण पार्ट के बारे में जानेंगे, जो इलेक्ट्रिक कार को ड्राइव करने में अहम योगदान दिलाते हैं।

इलेक्ट्रिक कार के विभिन्न भाग (various parts of a electric car):

अगर मुख्य रूप से देखा जाए तो इलेक्ट्रिक कार में निम्न प्रकार के भाग होते हैं।

इलेक्ट्रिक कार के मुख्य पार्ट

1. इलेक्ट्रिक ट्रेक्शन मोटर (electric traction motor)
2. Main battery pack
3. चार्जिंग पोर्ट
4. On board charger
5. पावर इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोलर
6. ऑक्सिलरी बैटरी
7. DC/DC converter
8. Transmission power system
9. Thermal cooling system
10. Power inverter

Electric traction motor:

इलेक्ट्रिक कार का यह सबसे महत्वपूर्ण पार्ट होता है। इलेक्ट्रिक ट्रेक्शन मोटर बीएलडीसी टाइप (BLDC motor) का मोटर होता है। जिसका फुल फॉर्म होता है ब्रशलैस डीसी मोटर। लेकिन अगर हम कार की बात करें तो कार में हम एसी ट्रेक्शन मोटर का इस्तेमाल करते हैं। और अगर हम बात करते हैं भाई के तो बाइक में हम बीएलडीसी मोटर ज्यादा इस्तेमाल करते हैं।

Main battery pack:

इलेक्ट्रिक व्हीकल में व्हीकल को चलाने के लिए सबसे मुख्य पार्ट होता है हमारा बैटरी पैक। जिसको हम मेन बैटरी पैक कहते हैं। यानी की बैटरी पैक व्हीकल में लगे इलेक्ट्रिक ट्रेक्शन मोटर को सप्लाई देने का कार्य करता है। यह बैटरी पैक बहुत सारे प्रकार के होते हैं जिसमें से लिथियम आयन बैटरी सबसे महत्वपूर्ण बैटरी होता है। फोर व्हीलर में लिथियम आयन बैटरी का सबसे ज्यादा मात्रा में इस्तेमाल किया जाता है।

चार्जिंग पोर्ट:

मुख्य बैटरी पैक को चार्ज करने के लिए हमें एक चार्जिंग पोर्ट की भी जरूरत होती है। जिस प्रकार से combuston इंजन वाले कार में फ्यूल भरने के लिए एक पोर्ट होता है या जगह होता है। उसी प्रकार से इलेक्ट्रिक व्हीकल में भी एक स्थान होता है जिसके द्वारा हम मुख्य बैटरी पैक को चार्ज करते हैं। इस सॉकेट के जरिए ही हम इलेक्ट्रिक कार चार्जर को कनेक्ट करते हैं और AC सप्लाई से बैटरी को चार्ज करते हैं।

On board charger:

जिस प्रकार से हमारे मोबाइल का एक चार्जर होता है। उसी प्रकार से कार को चार्ज करने के लिए भी एक आन बोर्ड चारजर होता है। यह चार्जर एसी सप्लाई से एसी पावर को डीसी पावर में कन्वर्ट करके चार्जिंग पोर्ट के द्वारा मेन बैटरी को चार्ज करता है। हालाकि कि जिस स्थान पर चार्जिंग स्टेशन लगे होते हैं वहां पर इस ऑन बोर्ड चार्जर की जरूरत नहीं होती है। यदि आप घर में है और घर में आपको कार की चार्जिंग की जरूरत पड़ती है तो हम इस ऑन बोर्ड चार्जर का इस्तेमाल करते हैं। अन्यथा यदि हम कहीं रास्ते में चार्जिंग स्टेशन मिल गया है, तो हम आसानी से उस चार्जिंग स्टेशन के द्वारा द्वारा ही कार को चार्ज कर सकते हैं।

पावर इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोलर:

पावर इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोलर एक प्रकार का कंट्रोलिंग सिस्टम होता है। या कंट्रोलिंग सिस्टम इलेक्ट्रिक व्हीकल में लगे मोटर के स्पीड को तथा टॉर्क को कंट्रोल करता है। इस कंट्रोल सिस्टम का ड्राइवर के एक्सलरेटर से कनेक्शन होता है। ड्राइवर एक्सलरेटर बढ़ाता है तो या कंट्रोलर सिस्टम पावर सप्लाई की फ्रीक्वेंसी को चेंज करके मोटर की स्पीड को बढ़ा देता है। जिससे कार की स्पीड बढ़ जाती है। और यदि ड्राइवर स्पीड को कम करना चाहता है तो या कंट्रोलर सिस्टम मोटर की सप्लाई फ्रिकवेंसी को चेंज करके मोटर की स्पीड को कम कर देता है।

ऑग्ज़ीलियरी बैटरी:

एक इलेक्ट्रिक व्हीकल में कई बार ऐसा होता है कि हम मुख्य बैटरी पैक से बहुत सारे छोटे उपकरण को पावर सप्लाई नहीं दे सकते हैं। जैसे कि यदि आप मान लीजिए कि आपका इलेक्ट्रिक व्हीकल ऑफ की स्थिति में खड़ी है। उस समय भी हमें कई एसेसरीज जैसे सेंसर होते हैं। जिसको हमें ऑन रखना जरूरी होता है।  जैसे कि यदि हमारी गाड़ी रिमोट कंट्रोल है तो उस स्थिति में भी हमारे रिमोट कंट्रोल सिस्टम को ऑन रखने की जरूरत होती है तो इस स्थिति में हमें हम ऑक्सीलरी बैटरी की जरूरत होती है। क्योंकि हमारा मुख्य बैटरी पैक ऑफ की स्थिति में रहता है। अतः इसी प्रॉब्लम को सॉल्व करने के लिए हम ऑग्ज़ीलियरी बैटरी को लगाते हैं। इस बैटरी को भी मुख्य बैटरी पैक से ही चार्ज किया जाता है।

DC/DC converter:

DC / DC converter बेसिकली हाई वोल्टेज डीसी सप्लाई को लो वोल्टेज डीसी सप्लाई में बदल कर देता है। इलेक्ट्रिक कार में बहुत सारे प्रकार के ऐसे उपकरण (हेड लाइट, और विभिन्न प्रकार के सेंसर) लगे होते हैं, जो कम वोल्टेज के डीसी सप्लाई पर कार्य करते हैं। और चुकी जो हमारा मुख्य बैटरी पैक है वह हाई वोल्टेज की डीसी सप्लाई देता है। तथा ऐसी स्थिति में कम वोल्टेज के डीसी सप्लाई वाले उपकरण को सप्लाई देने के लिए हम डीसी /डीसी कनवर्टर का उपयोग करते हैं। ऑग्ज़ीलियरी बैटरी जोकि कम वोल्टेज पर चार्ज होती है उस बैटरी को भी हम dc-dc कन्वर्टर के द्वारा ही सप्लाई देते हैं ताकि वह बैटरी चार्ज हो सके।

ट्रांसमिशन सिस्टम :

Transmission system यह एक प्रकार का ऐसा सिस्टम होता है जो इलेक्ट्रिक ट्रेक्शन मोटर से निकलने वाला मैकेनिकल पावर को इलेक्ट्रिक व्हीकल के पहियों तक पहुंचाता है। यह एक गियर बॉक्स नुमा सिस्टम होता है जो मैकेनिकल पावर का एक स्थान से दूसरे स्थान तक ट्रांसमिशन करता है।

थर्मल कूलिंग सिस्टम:

जब हमारा इलेक्ट्रिक व्हीकल चलता है तो जाहिर सी बात है हमारे इलेक्ट्रिक व्हीकल के बहुत सारे उपकरण जैसे मोटर, गियर बॉक्स, सेंसर, बैटरी बैक आदि प्रकार के उपकरण गर्म होते हैं। अतः इस स्थिति में यदि हम इसे ठंडा नहीं करेंगे तो यह सारे उपकरण या तो खराब हो सकते हैं या तो पूरी तरह से जल सकते हैं या हम यह कह सकते हैं कि इसकी जो लाइफ होती है वह कम हो जाएगी। अतः ऐसी स्थिति में हम थर्मल कूलिंग सिस्टम लगाते हैं। यह थर्मल कूलिंग सिस्टम इलेक्ट्रिक व्हीकल के ज्यादा गर्म होने वाले उपकरण को एक बैलेंस टेंपरेचर पर रखता है। जिससे वह उपकरण लगातार चलता रहता है।

पावर इनवर्टर:

पावर इनवर्टर इलेक्ट्रिक व्हीकल के मुख्य भाग में से एक होता है। इस पावर इनवर्टर का काम इसमें यह होता है कि मुख्य बैटरी पैक से जो हाई वोल्टेज डीसी का सप्लाई मिलता है उसे हाई वोल्टेज एसी सप्लाई में कन्वर्ट करता है। उसके बाद उस एसी सप्लाई को इलेक्ट्रिक ट्रेक्शन मोटर को देता है। इसके साथ ही इलेक्ट्रिक व्हीकल में रीजेनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम होता है जोकि ब्रेकिंग के समय मोटर अल्टरनेटर की तरह कार्य करने लगता है उसी स्थिति में जब मोटर एसी वोल्टेज पैदा करता है तो उस एसी वोल्टेज को यह पावर इनवर्टर डीसी में कन्वर्ट करके पुनः मुख्य बैटरी पैक को चार्ज कर देता है। इस प्रकार से यह बाई डायरेक्शनल वर्किंग प्रिंसिपल की तरह काम करता है। ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार हमारे घरों में जो इनवर्टर लगा है काम करता है।

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