पॉवर फैक्टर इतना महत्वपूर्ण क्यों होता है? : इंटरव्यू सवाल

परिचय:

दोस्तों, इलेक्ट्रिकल के क्षेत्र में पावर फैक्टर का बहुत ही महत्व होता है। अतः इसके बारे में हम पहले भी 2-3 आर्टिकल लिख चुके है। आज इस इस पोस्ट के माध्यम से हम ये समझेंगे की आखिर पावर फैक्टर हमारे लिए कितना महत्वपूर्ण होता है। इसके लिए हम कुछ प्वाइंट का ही डिस्कस करेंगे। अतः यह आर्टिकल छोटा होगा। लेकिन यह आर्टिकल आपके लिए अगर कहे तो एग्जाम को दृष्टि से काफी महत्व पूर्ण भी हो सकता है। साथ ही पावर फैक्टर कितना मतापूर्ण हो सकता है इसको लेकर इंटरव्यू में भी सवाल जरूर पूछे जाते है। अतः पावर फैक्टर के बारे में हमे जितना अच्छे से पता रहेगा उतना ही अच्छे से आपने आप को प्रस्तुत कर पाएंगे।

पावर फैक्टर :

दोस्तों पावर फैक्टर के महत्व को समझने के पहले हम छोटे से लाइन में हम ये जाने लेते है की ये आखिर पावर फैक्टर है क्या?

पावर फैक्टर अल्टरनेटिंग करेंट के वोल्टेज फेजर और करेंट फेजर के बीच के cosine angle को कहते हैं।

पावर फैक्टर इंपोर्टेंट क्यों है:

दोस्तों, बहुत बार यह दिमाग में सवाल तो आता ही है की पावर फैक्टर को लेकर बहुत सारी इंडस्ट्री इतनी अवेयर क्यों रहती है। और इसको हमेशा सुधारने के लिए अलग अलग प्रकार के काम करती रहती है। यदि पावर फैक्टर हमारे घर या किसी भी इंडस्ट्री का सुधारा रहता है तो इसके निम्न नाम होते है। जैसे कि –

1. Reduced losse
2. Reduced current
3. Reduced demand charge
4. Reduced maintenance charge
5. Reduced equipment cost
6. Increase equipment life

Reduced losses:

जो हमारा पावर फैक्टर सुधरा नहीं होता है यानी की पावर फैक्टर खराब होता है। तो उस वक्त हमारा पावर फैक्टर लेगिंग होता है और लेगिंग में भी यूनिटी के करीब ना होने के कारण पावर फैक्टर खराब होता है। मतलब कि या तो हमारा पावर फैक्टर 0.85 लैगिंग या 0.75 लैगिंग या 0.90 लैगिंग के आसपास रहता है। तो हम सामान्यता इस पावर फैक्टर को खराब के तौर पर देखते हैं। यदि हमारा पावर फैक्टर इन सब मान के करीब है। तो हमारा पावर फैक्टर खराब होता है और पावर फैक्टर खराब होने की स्थिति में करंट का मान बढ़ जाता है। जिससे कि हमारा लॉसेस बढ़ता है। क्योंकि हमारा कंडक्टर में i2rt के हिसाब से लॉसेज बढ़ जाते हैं। क्योंकि जब करंट बढ़ता है तो लॉसेज बढ़ते हैं। अतः जब हम पावर फैक्टर को सुधारते है तो हमे ये सारी हानिया नही होती है।

Reduced current:

Power factor यदि सुधरता है तो इसका सबसे बड़ा इंपैक्ट यह पड़ता है लोड के जुड़ने से करेंट कम ड्रॉ होता है। कहने का मतलब यह है की मान लीजिए कि कि आपके पास कोई एक 5 किलो वाट का मोटर है तो वह यदि पावर फैक्टर खराब है, तो सामान्य करेंट के अपेक्षा ज्यादा करंट ड्रा करेगी। यानी कि 5 किलो वाट की मोटर को चलाने के लिए सप्लाई से ज्यादा करंट लेगी। ज्यादा करंट लेने के कारण पूरे सप्लाई सिस्टम में पावर लाश बढ़ जाता है जिससे हानियां बढ़ती है और बिजली का बिल भी बढ़ जाता है।

Reduced demand charges:

चलिए मान लीजिए कि आपके घर की मैक्सिमम बिजिली का खर्च 5kw है। और आपने कनेक्शन भी 5kw का ही लिया है। लेकिन यदि आपके घर का पावर फैक्टर ज्यादा खराब है तो इस कंडीशन में आपके घर में लॉस बढ़ जायेगा जिससे जो 5kw का कनेक्शन लिए है उससे ज्यादा खर्च बढ़ जायेगा। जिससे की पावर सप्लाई देने वाली कंपनी या सरकार आपके ऊपर मैक्सिमम डिमांड चार्ज से ज्यादा बिजली खर्च करने के ऊपर एक्स्ट्रा चार्ज लगा सकतीं है। अतः इसी स्थिति में हमे पावर फैक्टर को मेंटेन करना जरूरी होता है।

Reduced maintenance charges:

जब आपके घर का पावर खराब होगा तो लॉस बढ़ेगा। जिससे की हमारा equipment जो हम लोग अपने घरों में लगा रखे है। उसकी क्वालिटी लेवल घटाने लगेगा जिसे हम बार बार क्वालिटी लेवल को बढ़ाने के लिए उसे maintenance करने की जरूरत होती है।

Reduced equipment cost:

पॉवर फैक्टर को अगर सुधार देते है तो हमें घरों में लगाने वाला इक्विपमेंट की कॉस्ट भी कम हो जाती है। क्योंकि लॉस काम होने के कारण इक्विपमेंट की पावर रेटिंग बढ़ाकर नही लेनी पड़ती है। जिससे कॉस्ट काम हो जाती है।

Increase equipment life:

पावर फैक्टर अच्छा होने से लॉस काम होता है जिससे इलेक्ट्रिकल उपकरणों के क्वालिटी लाइफ बढ़ जाती है।

Conclusion:

इस प्रकार आपने देखा की इलेक्ट्रिकल के क्षेत्र में पावर फैक्टर का कितना महत्व है और इसको लेकर बहुत सारी इंडस्ट्री सीरियस क्यों रहती है।

1 thought on “पॉवर फैक्टर इतना महत्वपूर्ण क्यों होता है? : इंटरव्यू सवाल”

  1. HT लाइन में कार्य करने के लिये VCB की ट्राली को डाऊन क्यों करते है .. ?

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