नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास: किसने जलाया और क्यों

नालंदा यूनिवर्सिटी जिसके नाम में ही ज्ञान का भंडार छुपा हो वो वास्तव में ज्ञान का सागर था। इस यूनिवर्सिटी को कुमार गुप्त ने 415 ईसवी -455ईसवी के बीच में बनवाया था।नालन्दा विश्वविद्यालय का इतिहास बहुत पुराना रहा है। इस विश्वविद्यालय का आर्किटेक्ट बहुत ही मजेदार था इसकी दीवारों की खड़ा करने में उस समय के इंजीनियरों ने बेल कि शर्बत, गन्ने की शर्बत, तथा उड़द कि दाल का प्रयोग किया था। इस यूनिवर्सिटी की प्रसिद्धि इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है की यह पर चीन, मंगोल, तिब्बत, पर्शिया आदि जगहों से क्षात्र पढ़ने आया करते थे। यह यूनिवर्सिटी विश्व की सबसे बड़ी और प्रसिद्ध यूनिवर्सिटियों में से एक थी।
दोस्तों बड़े दुख की बात है कि ऐसे महान विरासत को मुगल आक्रांताओं ने पूरी तरह से नष्ट का दिया।
इस यूनिवर्सिटी के सबसे अहम और मुख्य भाग था इसकी लाइब्रेरी जिसमे लगभग माना जाता है कि 90 लाख से भी ज्यादा बुक्स और मनुस्क्रिप्ट थी। इसको बख्तियार खिलजी नामक दुष्ट शासक ने नष्ट कर दिया।

बख्तियार खिलजी

बख्तियार खिलजी द्वारा नष्ट किए गए यूनिवर्सिटी के पीछे की कहानी:-
एक बार बख्तियार खिलजी बीमार पड़ा तो वह बहुत सारे वैद्य से इलाज करवाया लेकिन ठीक ना हुआ तो उसे किसी ने सलाह दी कि वह नालंदा विश्वविद्यालय जाए और आयुर्विज्ञान के आचार्य से मिले तो शायद वह ठीक हो सकता है। उसने तो पहले जाने से इंकार किया लेकिन मजबूरी में जाना पड़ा। चुकी बख्तियार खिलजी मुस्लिम था तो वह किसी भी प्रकार के हिंदू या बौद्ध परम्परा से ठीक नहीं होना चता था। तो उसने एक आचार्य से बोला कि तुम मुझे कुछ ऐसा दावा बताओ जो मेरे मजहब से रिलेटेड हो और मुझे दिक्कत ना हो। तो आचार्य ने कहा ठीक है और आचार्य ने उसे एक कुरान दिया और कहा इसे लो और रोज रोज एक पन्ना पढ़ना तुम ठीक हो जाओगे। बख्तियार खिलजी के ये विचार अच्छा लगा और वह उस कुरान को रोज। पढ़ने लगा और कुछ दिनों में ठीक हो गया। खिलजी को आश्चर्य हुआ कि कैसे कोई सिर्फ कुरान पढ़ने से ठीक हो सकता है तो, उसने पता लगाया तो, उसने पाया कि कुरान की पन्नों पर औषधि के लेप लगा था और बख्तियार खिलजी पन्ना को थूक लगा कर पलटता था। जिससे वो औषधि उसके मुंह में गया और वह ठीक हो गया। इस पर खिलजी को गुस्सा हो गया। उसमे सोचा ये अगर आगे तक रहे तो हमे राज नहीं करने देंगे। और उसने यूनिवर्सिटी को ध्वस्त करने की ठान ली।

बख्तियार खिलजी द्वारा यूनिवर्सिटी को नुक़सान:-
उसने पूरे यूनिवर्सिटी में आग लगवा दिया और यूनिवर्सिटी के सभी आचार्यों तथा बौद्ध भिछूओ को मरवा दिया। उसने लाइब्रेरी को भी जला दिया।जो महीनों तक जलती रही।

लाइब्रेरी का महत्व:-
इस यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी बहुत ही बड़ी और कई मंजिला थी। इसे चार भागों में विभाजित किया गया था। 90 लाख से अधिक पुस्तकें और मनु स्क्रिप्ट आप समझ सकते हैं कि यह कितनी बड़ी ज्ञान का सागर था। यह माना जाता है कि यदि वह सारी पुस्तकें और उस समय के रिसर्च पेपर आज होते तो भारत की शिक्षा की गुणवत्ता आज कुछ और होती। आज हमरा आयुर्विज्ञान बहुत आगे और विश्वप्रसिद्ध होता। ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस यूनिवर्सिटी से आर्यभट्ट, नागार्जुन, हियून सांग जैसे विद्वान और दार्शनिक संबंधित थे ।

नालंदा विश्वविद्यालय में बोले जाने वाली भाषा:-
इस यूनिवर्सिटी में सिर्फ और सिर्फ संस्कृत भाषा बोली जाती थी। अगर आप संस्कृत भाषा अच्छे से बोल लेते है तभी आप इसमें दाखिल ले सकते है।

नालंदा विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा:-
इस यूनिवर्सिटी की प्रवेश परीक्षा सबसे कठिन होती थी। इसमें स्टूडेंट से होम गार्ड तक आपसे सवाल पूछते थे।

नालंदा विश्वविद्यालय की फीस:-
इस यूनिवर्सिटी में कोई फीस नहीं नहीं लगता था और ना ही कोई हॉस्टल का फीस लगता था यह युनिवर्सटी फंडिंग से चलती थी। इसको वाहा के राजा और वाहा के लोग फंडिंग देते थे।
नालंदा यूनिवर्सिटी के बौद्ध धर्म के प्रति झुकाव:-
इस यूनिवर्सिटी के लगभग सभी आचार्य और स्टूडेंट और अन्य सदस्यों का झुकाव बौद्ध धर्म के प्रति था। यहां पर बौद्ध धर्म पर ज्यादा जोर दिया जाता था। राजा हर्षवर्धन से इस यूनिवर्सिटी को सबसे ज्यादा फंडिंग की है जो बौद्ध धर्म के प्रति ज्यादा आकर्षित थे।

मुख्य बिंदु:-

1. नालंदा विश्वविद्यालय उस समय की सबसे टॉप विश्वविद्यालयों में से एक था।


2. नालंदा यूनिवर्सिटी भारत के दूसरे सबसे पुराने यूनिवर्सिटी थी। पहली यूनिवर्सिटी तक्षशिला यूनिवर्सिटी है।


3. नालंदा विश्वविद्यालय का निर्माण कुमार गुप्त के द्वारा 415 ईसवी से लेकर 455 ईसवी तक के बीच में बनवाया गया था।


4. नालंदा यूनिवर्सिटी बिहार में है जो उस समय मगध के नाम से जाना जाता था।


5. नालंदा का अर्थ है ज्ञान देने वाला । यहां पर नलान का अर्थ है कमल को ज्ञान का प्रतीक है और दा का अर्थ है देने वाला ।


6. इस यूनिवर्सिटी को तीन बार नष्ट करने की कोशिश की गई। पहली बार हुडो ने तथा दूसरी बार गौड़ों ने प्रयास कि और अंतिम बार बख्तियार खिलजी ने इसे पूरी तरह से नष्ट कर दिया।


7. यहां पर जापान, तिब्बत, मंगोल, ईरान, इंडोनेशिया, पर्शिया, चीन आदि जगह से क्षात्र पढ़ने आया करते थे।


8. इस यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी चार भागों में बटा था। धर्मगुंज, रत्नसागर, रत्नोदरी तथा रतनरंजक।


9. यहां वेदों की शिक्षा, ग्रामर, साहित्य, विज्ञान, अंतरिक्ष विज्ञान, मनोविज्ञान, इतिहास, आर्किटेक्चर, आयुर्विज्ञान, तथा कानून की भी पढ़ाई होती थी।


10. इस विश्वविद्यालय से बहुत से विद्वान और दार्शनिक जैसे आर्यभट्ट, अर्यदेव, नागार्जुन, धर्मकृती, शिलभद्र और ह्यूं सांग संबंधित थे ।

नोट:- आज के समय में नालंदा यूनिवर्सिटी का नया कैंपस पुराने वाले से कुछ दूरी पर है जिसके बारे आप इस दिए गए लिंक https://commons.wikimedia.org/wiki/Category:Nalanda_University से पढ़ सकते है

chandu
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