परिचय:-
अगर आप इलेक्ट्रिकल के स्टूडेंट हैं तो आपको इस प्रश्न से सामना तो हुआ ही होगा कि ट्रांसफार्मर neutral पॉइंट ग्राउंडिंग क्यों करते हैं। आज के इस पोस्ट के जरिए मैं यह बताऊंगा कि यह क्यों किया जाता है और इससे क्या लाभ होता है।
ट्रांसफार्मर की न्यूट्रल को ग्राउंडिंग करना:-
ट्रांसफार्मर की न्यूज़ को ग्राउंडिंग को समझने से पहले हम यह समझते हैं कि न्यूट्रल होता क्या है। तो दोस्तों आपने स्टार और डेल्टा कनेक्शन के बारे में तो पढ़ा ही होगा। इसमें जो डेल्टा कनेक्शन होता है उसमें सिर्फ फेज वायर निकलता है जबकि स्टार कनेक्शन में फेज वायर के साथ-साथ न्यूट्रल का पॉइंट भी निकलता है।
यही स्टार कनेक्शन जब हम ट्रांसफार्मर की वाइंडिंग में करते हैं तो उसमें से भी एक न्यूट्रल पॉइंट निकलता है जिसे हम सब-स्टेशन पर ग्राउंडिंग कर देते हैं।

उपर्युक्त वर्णन में आपने नोटिस किया हुआ होगा कि मैं बार-बार ग्राउंडिंग शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। ना कि अर्थिंग शब्द का जबकि आपको ऐसा लग सकता है कि यह दोनों शब्द का मीनिंग एक ही है। लेकिन क्योंकि दोनों ही अर्थ से जुड़े होते हैं इसलिए आपको ग्राउंडिंग और अर्थिंग दोनों एक जैसा ही लगेगा लेकिन ऐसा नहीं है यह दोनों शब्द का वास्तव में अर्थ और कार्य अलग-अलग है। जिसको मैं एक संक्षेप में बता देता हूं।
- आर्थिक हमारे उपकरण के बॉडी पार्टियां डेड पार्ट से जुड़ा होता है। जबकि ग्राउंडिंग का कनेक्शन एक लाइव तार से ग्राउंड तक होता है। मतलब कि ऐसे वायर का कनेक्शन होता है ग्राउंडिंग में जो कि current-carrying कर सकता है।
तो दोस्तों अब आते हैं अपने बेसिक कारण पर जिसके कारण ट्रांसफार्मर का न्यूट्रल ग्राउंडिंग किया जाता है।
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तो दोस्तों अब आते हैं अपने बेसिक कारण पर जिसके कारण ट्रांसफार्मर का न्यूट्रल ग्राउंडिंग किया जाता है। ट्रांसफार्मर को ग्राउंडिंग या ग्राउंड इसलिए किया जाता है ताकि ट्रांसफार्मर का न्यूट्रल हेमा जीरो पोटेंशियल पर बना रहे।
मतलब कि न्यूट्रल वायर में वोल्टेज का मान शून्य रहे। अब सवाल यह आता है कि यह न्यूट्रल पॉइंट तो शून्य हीं होता है। इसमें वोल्टेज का मान किस स्थिति में शून्य नहीं होता है। तो हम आपको बता दें कि जब स्टार कनेक्शन में किसी कारण वश फेस का वोल्टेज अन बैलेंस होता है। जो कि एक फाल्ट की स्थिति में होता है तो उस स्थिति में न्यूट्रल में भी कुछ वोल्टेज का मान बढ़ जाता है। जो कि शून्य नहीं होता है।
अतः जब न्यूट्रल को इस स्थिति में ग्राउंड नहीं करेंगे तो हमारे तीनों फैज के वोल्टेज का मान अलग अलग आएगा। जिससे कि जब हम तीनों फेज के वोल्टेज में अंतर हो जाएगा तो इससे हमारे उपकरण जो एक उचित वोल्टेज पर काम करते हैं उन्हें उचित वोल्टेज की मात्रा नहीं मिल पाएगी। और हमारा उपकरण जल जाएगा। अतः इस समस्या को दूर करने के लिए हम ट्रांसफार्मर के न्यूट्रल को हमेशा ग्राउंड करके रखते हैं।