परिचय:
दोस्तों, आपने इलेक्ट्रिकल इलेक्ट्रिकल के क्षेत्र में अलग-अलग प्रकार के फील्ड के बारे में सुना ही होगा जैसे कि इलेक्ट्रिकल फील्ड, मैग्नेटिक फील्ड, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड। यह सब जो फील्ड होते हैं आखिर यह क्या होते हैं और इन तीनों में बेसिकली अंतर क्या होता है इन सब बातों को हम इस पोस्ट के जरिए हम समझेंगे।
मैग्नेटिक फील्ड क्या है:
दोस्तों, मैग्नेटिक फील्ड एक वह निश्चित एरिया या क्षेत्र होता है। जिसके अंदर अगर कोई भी फेरोमैग्नेटिक मैटेरियल रखेंगे। तो उस मैटेरियल पर एक फोर्स लगेगा। यह फोर्स अट्रैक्शन या replusion दोनो हो सकता है।
उदाहरण के लिए मान लीजिए कि हमारे पास एक मैग्नेटिक मैटेरियल है मतलब की एक हमारे पास मैग्नेट है जिसके पास से हम एक फेरोमैग्नेटिक मैटेरियल को गुजारते हैं जब हम फेरोमैग्नेटिक मैटेरियल को गुजारते हैं तो उस फेरोमैग्नेटिक मैटेरियल पर हमें एक बल लगा हुआ महसूस करते हैं। वह बल या तो अट्रैक्शन होता है या रिपल्शन होता है। यह बल तभी लगता है जब फेरोमैग्नेटिक मैटेरियल उस मैग्नेट के क्षेत्र में आता है।
अगर हम मैग्नेट के पास एक फेरोमैग्नेटिक मैटेरियल जितना पास ले जाएंगे हम उस फेरोमैग्नेटिक मैटेरियल पर लगने वाला बल का मान बढ़ा हुआ महसूस करेंगे। मतलब कि मैग्नेट के पास मैग्नेटिक फील्ड की स्ट्रैंथ सबसे ज्यादा होती है।
अतः मैग्नेटिक फील्ड वह चित्र होता है जिसमें एक फेरोमैग्नेटिक मैटेरियल अट्रैक्शन या रिपल्शन का बल महसूस करें।
इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड:
दोस्तों इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड के नाम में आपको दो शब्द मिलेंगे इलेक्ट्रो और मैग्नेटिक। मतलब कि यह एक ऐसा मैग्नेटिक फील्ड है जो इलेक्ट्रिक सप्लाई देने पर उत्पन्न होता है।
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यह एक प्रकार का मैग्नेटिक फील्ड ही होता है लेकिन इसमें मुख्य अंतर यह होता है कि यह परमानेंट मैग्नेट टाइप का फील्ड नहीं होता है। इसमें जब तक इलेक्ट्रिक सप्लाई दिया जाता है तब तक यह मैग्नेट की तरह व्यवहार करता रहता है। और जब हम इलेक्ट्रिक सप्लाई इसको देना बंद करते हैं तो यह अपना मैग्नेटिक की तरह व्यवहार करना बंद कर देता है। इसीलिए इसे हम इलेक्ट्रो मैग्नेटिक फील्ड कहते हैं।
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उदाहरण के लिए मान लीजिए कि एक धारावाहिक कुंडली है जिसमें N टर्न की कुंडली लगी है। अब हम इसमें एक डीसी या एसी सप्लाई जब देते हैं, तो इस धारावाहिक कुंडली में एक मैग्नेटिक क्षेत्र उत्पन्न होता है या मैग्नेटिक क्षेत्र इस सप्लाई के तीव्रता पर निर्भर करता है।
जब हम इस मैग्नेटिक क्षेत्र में कोई भी फेरोमैग्नेटिक मैटेरियल लाएंगे तो उस पर हमें एक फोर्स महसूस होगा। लेकिन जब हम उसी समय इलेक्ट्रिक सप्लाई को ऑफ कर देंगे तो यह धारावाहिक कुंडली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड उत्पन्न करना बंद कर देगी और उस फेरोमैग्नेटिक मैटेरियल को किसी प्रकार का फोर्स महसूस नहीं होगा।
अगर हम परमानेंट मैग्नेटिक मैटेरियल की बात करें तो परमानेंट मैग्नेटिक मैटेरियल में मैग्नेट की तीव्रता यानी कि मैग्नेटिक फील्ड की तीव्रता नियत रहती है। जबकि हम इलेक्ट्रो मैग्नेटिक मैटेरियल की बात करें तो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक मटेरियल में हम इसकी तीव्रता सप्लाई के तीव्रता के हिसाब से घटा बढ़ा सकते हैं।
इलेक्ट्रिक फील्ड:
ऊपर के दोनों प्रकार के फील्ड, मैग्नेटिक फील्ड और इलेक्ट्रो मैग्नेटिक फील्ड आपने आसानी से तो समझ गए होंगे लेकिन यह इलेक्ट्रिक फील्ड आखिर होता क्या है यह हमें समझने की जरूरत है।
चलिए इसे एक उदाहरण से समझते है। हम एक फिजिक्स को घटना को देखते है। जिसमे हम एक कोई प्लास्टिक की वस्तु को अपने बालों पर रहते है।

कुछ देर रहने के बाद जब हम उसे किसी हल्के कागज की वस्तु के पास ले जाते हैं। तो हम देखते है को वह कागज का टुकड़ा उस प्लास्टिक के वस्तु की ओर अट्रैक्ट होता है। यह जो घटना बालों पर रहने पर होती है। यह बेसिकली इलेक्ट्रिक फील्ड के कारण होती है। बेसिकली होता क्या है कि जब हम प्लास्टिक को अपने बालों पर रहने है तो प्लास्टिक में जो इलेक्ट्रॉन होते हैं वह रगड़ से चार्ज हो जाते है। और प्लास्टिक से बाहर फ्री होकर घूमने लगते है। जिसे एक निश्चित क्षेत्र बन जाता है। और जब हम इस क्षेत्र में कोई वस्तु लाते है तो यह चार्ज इलेक्ट्रॉन उस वस्तु को अपनी ओर अट्रैक्ट करते हैं।
अब आपने देखा कि यह तीनों फील्ड, मैग्नेटिक फील्ड इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड और इलेक्ट्रिक फील्ड में आधार रूप से क्या क्या अंतर होता है मैं आशा करता हूं कि यह उपयुक्त वर्णन आपको इन तीनों में बेसिक अंतर समझने में मदद किया होगा धन्यवाद।