परिचय:
दोस्तों यदि आप किसी पैनल को देखेंगे तो उसमे बहुत सारे प्रकार के डिवाइस लगे होते है। जिसका उपयोग अलग अलग प्रकार का होता है। जिसमे एक contactor भी होता है। जिसको हम कई जगह इंटरलॉकिंग भी करते हैं। अतः आज के इस पोस्ट के जरिए contactor का इंटरलॉकिंग क्या है और कैसे की जाती है, ये भी समझेंगे।
Contactor का प्रयोग :
चुकी हम पैनल के द्वारा हम किसी इंडस्ट्री या किसी बड़े से एरिया को सप्लाई देने का काम किया जाता है। और इसके अलावा भी और भी बहुत सारे काम हम पैनल के द्वारा हम करते हैं। अतः इस स्थिति में हमे पैनल की वर्किंग सिस्टम हमे ऑटोमैटिक बनाना पड़ता है। अतः यही कारण है कि पैनल में कॉन्टैक्टरों को लगाया जाता है। अतः इलेक्ट्रिकल ऑटोमेशन के क्षेत्र में contactor का बहुत ज्यादा महत्व है।
इंटरलॉकिंग क्या है? (Interlocking in electrical in hindi):
Interlocking में ऐसी व्यवस्था की जाती है। जिसमे यदि पहले नंबर का contactor ऑन है तो जब दूसरे नंबर का contactor की बटन दबाए तो वह दूसरा contactor ऑन नही होना चाइए। इसके लिए हम इंटरलॉकिंग सिस्टम के जरिए कनेक्शन करते है। उदाहरण के तौर पर हम मान ले की दो कॉन्टैक्टर है A aur B. अब यदि हमे पहले नंबर का contactor को ऑन करके के लिए बटन दबाते हैं। तो इस स्थिति में दूसरे वाले contactor को ऑन नही होना चाइए। मतलब की इंटरलॉकिंग के जरिए एक समय पे एक ही contactor ऑन रहेगा। और यदि दूसरा वाला कॉन्टैक्टर ऑन है तो पहला वाला कॉन्टैक्टर ऑफ रहेगा। ऐसी व्यवस्था को ही इंटरलॉकिंग कहते हैं।
इंटरलॉकिंग की व्यवस्था कहा होती है?
दोस्तों इंटरलॉकिंग की व्यवस्था हम कई इंडस्ट्रियल पैनल में VCB में देखने को मिलती है। इसके साथ इंडस्ट्रियल मोटर में प्रयोग होने वाले मोटर स्टार्टर दिए स्टार डेल्टा स्टार्टर, और मुख्यत फारवर्ड रिवर्स स्टार्टर में भी किया जाता है।
नोट :- यहां फारवर्ड रिवर्स मोटर स्टार्टर मोटर की घूमने की डायरेक्शन को चेंज करने के लिए किया जाता है।
इसके अलावा इंडस्ट्री में प्रयोग होने वाले चेंज ओवर स्विच के अंदर भी इंटरलॉकिंग को व्यवस्था देखने को मिलती है।
इंटरलॉकिंग कैसे करते हैं (how to do interlocking in electrical in Hindi):
अब सवाल यह आता है की आखिर इंटरलॉकिंग कैसे करते है। और यह कैसे काम करते है। तो जब हम इसके वायरिंग को समझेंगे तो हमे साथ साथ ही साथ यह भी समझ में आ जायेगा कि यह कैसे काम करता है।
दोस्तों मान लीजिए की हमारे पास दो contactor (C1 और C2) है। और हमारे पास दोनो contactor के लिए एक एक ग्रीन पुश बटन (B1 और B2) है। जिसको दबाने से ये contactor ऑन होता है। और एक और बटन है जिसको दबाने से पूरा सप्लाई का फेज टर्मिनल ऑफ होता हैं। जिसको हम रेड कलर से दर्शाएं हैं। मतलब कि ये रेड बटन दोनो contactor को ऑफ करने का बटन है।

अब मान लीजिए की हमारा contactor 220 volt सप्लाई पर ऑन होता है। अब आप contactor में देख सकते हैं कि इसमें एक टर्मिनल A1 और दूसरा टर्मिनल A2 होता हैं। इन्ही दोनो टर्मिनलों में हमारा सप्लाई टर्मिनल जुड़ता है। जिसमे से A1 में फेज और A2 में न्यूट्रल टर्मियानों जुड़ता है। और बाकी टर्मिनल में एक टर्मिनल NO (normally open) और एक NC (normally closed) टर्मिनल होता है।
अब हम न्यूट्रल टर्मिनल को डायरेक्टली दोनो contactor के A2 टर्मिनल पर जोड़ देंगे। और सप्लाई के फेज टर्मिनल को पहले रेड कलर के बटन के एक टर्मिनल पर जोड़ेंगे। और उसके (रेड बटन) दूसरे टर्मिनल से दो फेज वायर को लाते हुए। दोनो ग्रीन बटन के एक टर्मिनल से जोड़ देंगे।
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अब मान लीजिए की हम सामान्य वायरिंग कर रहे हैं तो इसके लिए हमे अगर B1 बटन से C1 contactor को ऑन करवाना है तो नॉर्मली हम B1 से निकलने वाला फेज वायर C1 contactor के A1 टर्मिनल पर जोड़ देंगे। और इसी प्रकार C2 contactor के लिए भी करेंगे। लेकिन हमे इन दोनो contactor को एक दूसरे से इंटरलॉकिंग करना है। मतलब की अगर C1 contactor ऑन है तो अगर हम उस समय C2 contactor को ऑन करे तो C2 contactor ऑन ना हो। और इसी प्रकार यदि C2 contactor ऑन है तो अगर C1 को उस टाइम ऑन करे तो ऑन ना हो।
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अतः हम इंटरलॉकिंग के लिए सीधे सीधे न जोड़कर B1 बटन से निकलने वाला फेज वायर पहले C2 contactor के NC टर्मिनल में जोड़ेंगे। उसके बाद NC के आउटपुट टर्मिनल से एक वायर निकाल कर फिर हम उसे C1 के A1 टर्मिनल में ले जाकर जोड़ देंगें। इसी प्रकार B2 बटन से निकलने वाला फेज वायर C1 contactor के NC टर्मिनल से जुड़ेगा। और NC टर्मिनल के आउटपुट से एक वायर निकाल कर C2 contactor के A1 टर्मिनल से जुड़ेगा। इस तरह के कनेक्शन से हमारा दोनो contactor एक दूसरे से इंटरलॉक हो गए हैं।
इंटरलॉकिंग कैसे काम करता है:
अब हम देख लेते है की आखिर यह इंटरलॉकिंग कैसे काम करता है। चलिए मान लेते है की यदि हमे C1 contactor ऑन करना है। अतः इसके लिए हम B1 बटन को दबाएंगे। अतः B1 बटन से सप्लाई निकल कर C2 contactor के NC टर्मिनल तक जाएगी। चुकी शुरुआती में दोनो contactor ऑफ थे तो C2 contactor भी ऑफ ही होगा। अतः ऑफ के केस में सप्लाई NC टर्मिनल से निकल कर आउटपुट NC टर्मिनल पर आएगी। और उसके बाद वह सप्लाई A2 पर चली जायेगी। और C1 contactor ऑन हो जायेगा। Contactor के बंद होने की स्थिति में दोनो NC टर्मिनल (इनपुट और आउटपुट) एक दूसरे से शॉर्ट रहते हैं। अतः सप्लाई पास कर जाती है।

अब यदि हम C1 contactor के ऑन होने की स्थिति में ही चाहे को contactor C2 भी ऑन हो जाए। तो इसके लिए हम B2 बटन को दबाते हैं। अतः यह सप्लाई पहले कनेक्शन के अनुसार C1 contactor के NC terminal पर जाती है। लेकिन चुकी C1 contactor ऑन है तो इस स्थिति में NC टर्मिनल के दोनो टर्मिनल (इनपुट और आउटपुट) ओपन या खुला होता है। अतः इस स्थिति में सप्लाई C1 contactor से पास नही कर पाती है। और C2 contactor ऑन नही होता है।
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